- 22,118
- 57,290
- 259
भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
please read, enjoy and comment. your support is requested
ननद की सास, और सास का प्लान
Page 1005,
please read, enjoy and comment. your support is requested
Last edited:
Haan arushi ji ke post ka bhi intejar rehta hai, but raji ji ki story mene nhi padhi kyunki mujhe Hinglish pasand nhiआरुषि जी और डॉ राजी भी इसमें जोड़ सकते हैं...
बड़े दर्द को भुलवाना हो तो छोटे दर्द की ओर ध्यान बंटाना हीं पड़ेगा...पिछवाड़ा रेनू का खूंटा कमल का
मस्ती भैया बहिनिया की
अब तो रेनू ऐसे चीख रही थी तड़प रही चूतड़ पटक रही थी की पूरे बाग़ में उसी की आवाज सुनाई पड़ रही थी,..
ओह्ह्ह उह्ह्ह जान गयी नहीं अरे भैया निकाल लो,
दर्द भरी उसकी चीखें कान नहीं धरा जा रहा था, पर अगर लड़के इन चीखों पर ध्यान दें न तो न तो किसी चिकने की गाँड़ मारी जाए न किसी लौंडिया की।
हाँ मैंने कमल को इशारा किया एक मिनट रुक,... थोड़ी देर में रेनू के पिछवाड़े को उस मोटे सुपाड़े की आदत पड़नी शुरू हो गयी, भाले की तरह चुभने वाला दर्द एक टीस में बदलना शुरू हो गया,... और धीरे धीरे उसके भाई ने अपनी बहन के पिछवाड़े मूसल ठेलना शुरू किया,
वो अभी भी चीख रही थी
भौजी बहुत दरद हो रहा है, भैया बुरिया ले लो अब कभी सपने में भी बुर को मना नहीं करुँगी लेकिन पिछवाड़े से निकाल ले।
मैं एक बार फिर कमल के पीछे खड़ी मुस्करा रही थी,
ननद रानी असली दर्द तो अभी बाकी है जब मूसल गांड का छल्ला पार करेगा,... तब पता चलेगा,... लेकिन वहां तक पहुँचते ही रेनू ने एक बार फिर गाँड़ का छल्ला भींच ले, जैसे कोई घर में बुला के बैडरूम का दरवाजा बंद कर ले, घुसने न दे, मैं जान रही थी कमल जबरदस्ती करेगा तो अपने आप वो छल्ला और टाइट होगा,... और फट फटा गयी तो, मैंने कमल से एक मिनट रुकने का इशारा किया
फिर एक बार पिछवाड़े को उसके मूसल का अहसास हुआ, गांड आपने आप फैलने लगी,... लेकिन बात तो उस छल्ले की थी जिसे वो कस के दबोचे थी, जैसे कोई लड़की, पर्स स्नैचर से बचने के लिए कस के अपने पर्स को दोनों हाथों से पकड़ ले पूरी ताकत से,...
और मैंने रेनू की खुली फैली जांघों के बीच हाथ डालकर उसकी गीली मस्ती से भीगी बुर को सहलाना रगड़ना शुरू किया। मस्ती से मेरी ननद की आँखे बंद होने लगीं, दर्द की जगह वो सिसकने लगी, .... अंगूठे और तर्जनी से मैं उसकी फूली हुयी क्लिट को रगड़ रही थी, उसे झड़ने के करीब ले जा रही थी,... और अचानक नाख़ून से कस के उसकी मस्तायी क्लिट को नोच लिया पूरी ताकत से और उसमें अपने नाख़ून धंसाए रही,
वो दर्द से चीखने लगी, पागल हो गयी और पिछवाड़े का खतरा भूल गयी,
बस पल भर के लिए उसने छल्ला ढीला किया होगा और कमल ने पूरी ताकत से पेल दिया, पूरा तो नहीं घुसा लेकिन एक बार सुपाड़ा अटक भी गया, जैसे दरवाजे में कोई पैर भी घुसा दे तो उसे बंद करना मुश्किल हो जाता है, फिर क्या पेलने में ठेलने में रेनू के भाई का २२ पुरवे में कोई मुकाबला नहीं था और जिस बहन के लिए वो चार साल से तड़प रहा था आज वो उसके नीचे थी,...दो चार मिनट लगा होगा , लेकिन अब सुपाड़ा रेनू के भाई का रेनू की गाँड़ के छल्ले को पार कर चुका था।
क्लिट का दर्द कम हो चूका था, छल्ला एक बार फिर से भींच रहा था, ... लेकिन सुपाड़ा अब पूरा का पूरा पार कर चुका था, और कमल का सुपाड़ा गजब का मोटा था , लंड भी कम नहीं था रेनू की कलाई इतना तो रहा ही होगा, चूड़ी पहनाओ तो २.६ वाली चूड़ी आएगी लेकिन सुपाड़ा ३. ०० वाला,...
पर कमल भी कम बदमाश नहीं था, अब उस छल्ले के आरपार उसने सुपाड़ा हलके हलके अंदर बाहर करना शुरू किया जैसे ही वहां से रगड़ के निकलता रेनू दर्द से चीख उठती, पर दस बारह बार के बाद छल्ले को भी आदत पड़ गयी और कमल में पूरी ताकत से लेकिन धीरे धीरे रुक कर के अपना बांस अपनी बहन की गाँड़ में
रेनू अभी भी रो रही थी, चीख रही,
जिस तरह दरेरते रगड़ते घिसटते मोटा बांस घुस रहा था कोई भी लड़की चिल्लाती,... पर थोड़ी देर में पूरा बांस अंदर था, कमल एक बार अपनी बहन की चूत में झड़ चुका था तो दुबारा झड़ने में टाइम लगना ही था,...
अब मार कस कस के,... मैंने पीछे से चढ़ाया अपने देवर को और कमल ने कभी धीरे तो कभी हचक के अपनी बहन की गाँड़ मारनी शुरू कर दी,...
" हफ्ते में दो दिन कम से कम सिर्फ इसकी गाँड़ मारना, चार पांच बार से कम क्या मारोगे, और रोज बिना नागा एक दो बार , और सुबह के टाइम तो जरूर,... देखना तेरी भौजाई की गारंटी, अगर दस दिन में ये खुद अपनी गाँड़ चियार के तोहरे लंड के ऊपर न बैठे और खुदे धक्का मार मार के घोंट के न ले तो कहना,... लेकिन मेरा नेग, मेरी दोनों शर्तें याद रखना, "
मैंने कान में उसके बोला लेकिन रेनू भी सुन रही रही थी। चीखे उसकी कम हो गयी थी पर बिसूर अभी भी रही थी, ...
मेरी बात सुन के मेरा देवर जोश में आ गया और फिर आलमोस्ट पूरा निकाल के ऐसा धक्का मारा,... की पूरा बांस अंदर,...
और मुझसे बोला,
" अरे भौजी ये ससुरी इतना छिनरपन कर रही थी, ... मैं तो जिनगी भर नहीं भूलूंगा,.. और दो बात का जो कहिये वो जब कहिये तब "
पूरे आधे घंटे गाँड़ मारने के बाद ही कमल अपनी बहन रेनू की गाँड़ में झड़ा। रेनू दो बार झड़ चुकी थी और मैंने फिर अपने हाथ से कमल का खूंटा निकाल के रेनू के मुंह में
" बिना चाटे गाँड़ मरौवल पूरा नहीं होता, और चाट के साफ़ सूफ ही नहीं करना है खड़ा भी करना है लेकिन घबड़ा मत अभी तेरा नंबर नहीं लगेगा तू आराम कर थोड़ी देर "
मैं बोली
ये छुटकी लीना तो सबसे तेज-तर्रार निकली...लीना
एक और मैं दूसरी ओर कमल बीच में रेनू और दूसरी ओर उसका भाई कमल. गाँड़ फटने की चिलख अभी भी बार बार रेनू के पिछवाड़े हो रहा था, लगता था चमड़ी अंदर की कई जगह छील गया था और फिर कमल का मुट्ठी ऐसा मोटा सुपाड़ा उसी छिली हुयी जगह को रगड़ता दरेरता बार बार अंदर बाहर हुआ था, जरा सा भी वो कमर हिलाती थी तो तेज चुभन फिर से शुरू हो जाती थी. लेकिन पिछवाड़े का तो मजा ही दर्द का मजा है। मैंने और कमल ने मिल के हम दोनों के बीच उसे सम्हाल के बैठाया था, एक ओर से मैं पकडे थी दूसरी ओर से कमल ने।
तबतक चारों ओर से नंदों की सिसकियाँ चीखे सुनाई दे रही थीं और भौजाइयों की खिलखिलाती हंसी, खनकती, छलकती। पहले तो जब कमल रेनू पर चढ़ा था तो बाग़ के उस कोने में हम लोग ही थे, पर अब जैसे जैसे ननदों की भीड़ बढ़ी,...
हम लोगों के आस पास भी दो चार ननदें और उनके भाई चढ़े हुए,
तभी मुझे लीना दिखी,...
आज मौजूद नंदों में सबसे बारी उमर वाली, कल ही की तो बात है, होलिका माई ने अपने हाथ से जिन जिन लड़कियों की माहवारी पिछली होली के बाद से शुरू हुयी थी उन सबको आशीर्वाद भी दिया था और योनि में ऊँगली लगा के रस लगा के फिर अपनी देह का भभूत, उन्ही में लीना भी थी। और सबसे सुकुवार। लीना का खून खच्चर तो बस होली के महीने दो महीने पहले शुरू हुआ था, चूँचियाँ भी बस छोटी छोटी आनी ही शुरू हुयी थीं,... कल शाम को वो मेरे साथ ही बैठी थी, और जब लौटते हुए बवंडर उठा, तो वो एकदम हदस गयी, मुझसे चिपक गयी थी। मैं भी अपने अँकवार में उसे बाँध के,...
लीना का एक ही सगा भाई था, बिट्टू। उससे पांच छह साल ज्यादा ही बड़ा रहा होगा, बीए में था। कमल का समौरिया होगा या एकाध साल बड़ा। खूब लहीम शहीम। ६ फुटा, देह भी कसरती। और उसे सुगना भौजी ले आयीं थी साथ में। जैसा बाकी देवरों के साथ हो रहा था, सुगना ने बिट्टू के आँखों पर पट्टी बांध रखी थी,... और उसे लिटा के लीना के भाई के खड़े खूंटे को पकड़ के, हलके हलके मुठिया के लीना को चढ़ने का इशारा किया, पर लीना ने मना कर दिया और मीठे मीठे मुस्करा के बोली,
" भौजी, बियाह नहीं हुआ तो का बरात भी नहीं गए,... " और खुद अपनी किशोर मुट्ठी में पकड़ के भाई का लंड , फिर झुक के जीभ निकाल के खुले सुपाड़े को चाट लिया।
बिट्टू ने लीना की आवाज तो पहचान ही ली। लेकिन एक कच्ची कोरी के मुंह का असर लंड फनफना रहा था, पागल हो रहा था. लेकिन लीना ने एक और शरारत की, झुक के बिट्टू के कान में बोली, ...
" हे भैया बहिनिया क मजा लेना है न तो खुद मेहनत करनी पड़ेगी, ...बोल हाँ की ना। वरना मेरी कच्ची गुल्लक तो आज फूटेगी ही, तुम नहीं तो,... " और ये कह के अपने भाई बिट्टू के आँख की पट्टी खोल दी।
बिट्टू ने सीधे लीना को पकड़ के नीचे लिटा दिया,... और वो उसके ऊपर चढ़ता ही की सुगना भौजी ने टोक दिया।
" मेरी कोरी ननदिया ऐसे नहीं मिलेगी, सुगना भौजी क नेग होता है, पहले नेग कबुलो,... वो भी तीन बार,... और उसके बाद तनी शहद का छत्ता चाटो। "
ननद तो ननद लीना सुगना को चिढ़ाते अपने भाई से बोली, " भैया चलो पहले भौजी क नंबर लगाओ "
" अरे तो का तू सोच रही है छोडूंगी इसको, अपनी ननद दिलवा रही हूँ। लेकिन पहले ननद क नंबर, लेकिन उसके पहले चलो चाटो चूसो। "
सुगना खिलखिलाते बोली, ...
सुगना ऐसी रसीली भौजाई पूरे गाँव बल्कि पूरे बाइस पुरवा में नहीं थीं। मिलवाया तो था ,
सुगना एकदम रस की जलेबी, वो भी चोटहिया, गुड़ की जलेबी, हरदम रस छलकता रहता, डेढ़ दो साल पहले ही गौने उतरी थी, जोबन कसमसाता रहता, चोली के भीतर जैसे अंगारे दहकते रहते, जैसी टाइट लो कट चोली पहनती सुगना भौजी, सीना उभार के चलतीं, जवान बूढ़ सब का फनफना जाता था, ... गौना उतरने के कुछ दिन बाद ही मरद कमाने चला गया, क़तर, दुबई कहीं, सास थीं नहीं। ननद बियाहिता। घर में खाली सुगना और उसके ससुर।
अभी बेला और चुन्नू की भी गाँठ उसी ने जुड़वायी थी।
बिट्टू कुछ सोचता, लीला ने खुद अपनी टाँगे फैला दी, और बिट्टू का सर पकड़ के अपने बिल पे.... और भाई को हड़काते हुए बोली
" इतना भी नहीं सीखा की बड़ों की बाते मानते हैं, सुगना भौजी कुछ कह रही हैं। "
सपड़ सपड़, चपड़ चपड़
रेनू की निगाहें लीना और बिट्टू पर चिपकी थी और वो ध्यान से लीना की बातें सुन रही थी, एक एक हरकतें देख रही थी।
कमल की निगाह तो बस रेनू के चेहरे पर,...ललचाती
कुछ पाने के साथ कुछ खोने का अहसास...बदल गयी रेनू
रेनू की निगाहें लीना और बिट्टू पर चिपकी थी और वो ध्यान से लीना की बातें सुन रही थी, एक एक हरकतें देख रही थी।
कमल की निगाह तो बस रेनू के चेहरे पर,...ललचाती
लीना के चेहरे से ख़ुशी झलक रही थी, पहली बार उसकी चुनमुनिया पे मरद की जीभ लगी थी वो भी एकलौते सगे बड़े भाई की। वो चूतड़ उठा उठा के चटवा रह थी, चिढ़ा रही थी अपने भाई को उकसा रही थी, और साथ में सुगना भाभी भी अपनी ननद के साथ मिल के
" बहुत रसमलाई खाये होंगे ऐसी रसमलाई न खाये होंगे बाबू, सगी बहिनिया से मीठी कोई रसमलाई नहीं होती। "
" अरे सुगना भौजी, ये बेचारा कब से ललचा रहा था आपका देवर,... " लीना भी चिढ़ा रही थी और कस कस के अपने भाई के सर को पकड़ के अपनी कच्ची बिना झांटो वाली चूत पे रगड़ रही थी।
रेनू सोच रही थी एक ये लीना है कल की बच्ची और एक मैं थी।
इस से भी बड़ी, ... नौवें में, कमल भैया ने खाली चुम्मी लेने की कोशिश की थी और मैंने कैसे झिड़क दिया था माँ ने भी समझाया, कलावती तो जिस दिन से मेरी माहवारी शुरू हुयी थी उस दिन से ही लेकिन मैं ही पागल,...
थोड़ी देर में लीना ने खुद ही अपने भाई को हटा दिया और अपनी दोनों टाँगे फैला के, आँखों के इशारे से अपने भाई बिट्टू को, सुगना ने लीना के जितने कपडे उतरे थे सब के सब लीना के छोटे छोटे चूतड़ के नीचे लगा के,... और लीना ने खुद ही अपने भाई के कंधो पर टाँगे उठा के रख दी,...
" आओ न भैया,... "
जिस सेक्सी आवाज में लीना ने बिट्टू से कहा कोई भी मर्द मना नहीं कर सकता था, ये नहीं था लीना को डर नहीं लग रहा था, लेकिन वो अपना डर अपने भैया पर जरा भी जाहिर न होने देना चाहती थी। कोई भी भाई बहन को दर्द नहीं देना चाहता, लेकिन बिना दर्द दिए बहन चुद भी नहीं सकती। और ये बात भाई से ज्यादा बहने जानती हैं। बिट्टू का कमल ऐसा मोटा तो नहीं था लेकिन कम भी नहीं था और इस उम्र वाली के लिए तो ऊँगली में भी जान निकल जाती है और वो भी बिना तेल या वैसलीन के,...
रीनू लीना की एक एक हरकत देख रही थी, कैसे लीना ने बाग़ में लगी घास को कस के पकड़ रखा था, पर जाँघे पूरी तरह खोल रखी थीं, देह को ढीला कर दिया था।
क्या धक्का मारा बिट्टू ने लीना की पतली कमर पकड़ के, गप्प दो धक्के में ही सुपाड़ा अंदर। लीना की चूत फटी जा रही थी, दर्द पूरी देह में था लेकिन वो अपने भाई को देख के मुस्करा रही थी,...
उस के भाई को कुछ तो अंदाज था लीना के दर्द का लेकिन लीना ने चिढ़ाया,... " क्यों भैया, अरे अभी तो पूरा मूसल बाकी है। किस के लिए बचा रखा है ? मैं तो तेरी एकलौती बहन हूँ, कोई चचेरी ममेरी भी नहीं है। "
और उस के बाद धक्के पर धक्के,...
लीना के चूतड़ के नीचे के खेत के ढेले चूर चूर हो गए, एकदम पतली धूल। जो घास उसने पकड़ रखी थी उखड़ के उसके हाथ में आ गयी थी. जहाँ भाई का खूंटा घुसा था, वहां से रिस रिस कर खून की बूंदे गिर रही थी, मिट्टी का रंग भूरा हो रहा था। लीना के मुंह से चीख निकल गयी,
और भाई का धक्का रुक गया, औजार अभी भी आधा बाहर था. लेकिन लीना ने तुरंत अपनी टांगों से भाई की कमर को कस के अपनी ओर खींचा, और दर्द के बावजूद हलके से मुस्करा दी.
रेनू की निगाह, लीना की फटी चूत से निकलती खून की बूंदे,... लीना की मुस्कराहट, किस तरह उसने अपने भाई को अपने अंदर खींचा,... अपने भाई के मजे के लिए लिए कुछ भी दर्द सहने को तैयार थी वो
रेनू कमल के सीने पर सर रख के उसी के सहारे बैठी थी, अपनी बड़ी बड़ी आँखे अपने भाई की ओर उठा के देखते हुए उसका चेहरा अचानक उदास हो गया, एकदम झांवा, आँखे जैसे बुझ गयीं,... हलके से बोली,...
" भैया मैं बहुत बुरी हूँ, ... आपको इत्ते दिन, क्या क्या न बोला,... "
कमल प्यार से अपनी बहन के लम्बे बाल सहला रहा था, और रेनू के मुंह से शब्द बस निकलते जा रहे थे जैसे नदी ने बाँध तोड़ दिया हो,...
" पूरे चार साल, ... आप ने, माँ ने सब ने कितना समझाया,... लेकिन मैं एकदम पागल,... न जाने क्या हो गया था मुझको,... बहुत दुःख दिया आपको मैंने,... कैसे ट्रीट किया,... सच में मैं बहुत बुरी हूँ "
अब मुझे लग गया की मुझे बीच में पड़ना चाहिए, मैंने बात को हलकी करते हुए रेनू को चिढ़ाया,...
" अरे ननद रानी, तू बुर वाली है बुरी नहीं, चार साल का सूद के साथ अब आज से हिसाब चुकता कर दे. मत छोड़ इसे "
" हिम्मत है इनकी अब ये नहीं चढ़ेगा मेरे ऊपर तो मैं चढूँगी इसके ऊपर, नयकी भौजी ऐसी गुरु मिल गयी है ' एकदम से रेनू का मूड बदल गया कस के अपने भाई को चूमते बोली,
और एक हाथ से खूंटे को पकड़ के दबोच लिया।
" और अगर ये मेरा देवर किसी और माल पे चढ़े तो मुंह फुला के तो न बैठ जायेगी मेरी बिन्नो " मैंने रेनू से बात साफ़ कर ली।
" एकदम नहीं, ... मेरा भाई पक्का सांड़ है,... और का कहते हैं हाथी घूमे गाँव गाँव, जिसका हाथी उसका नांव,... तो लौट के आएगा रात को,... "
" अपनी मेहरिया के पास ही " रेनू की बात हँसते हुए मैंने पूरी की।
" एकदम मरद मेहरिया झूठ, भौजी रोज आप का नंबर ड़काऊंगी। " रेनू ने मेरे मन की बात कह दी।
" हर रात गौने की रात " मैंने बात आगे बढ़ाई। फिर कमल से वही सवाल पूछ लिया,...
" अगर मेरी ननद किसी और के आगे टांग फैलाये "
लेकिन जवाब अबकी फिर रेनू ने ही दिया,...
" अरे नहीं भौजी , इतना मस्त मूसल छोड़ के मैं काहें जाउंगी किसी और के पास,... मैं तो बस अपने कमल भैया से बार बार, वो जब चाहे जहाँ चाहे जैसे चाहे,... लेकिन भौजी मेरी एक बात आप भी रखिये,... मैंने देखिये आप के सामने तो एक बार,... आप भी अपने देवर से "
" हे स्साली बचपन की छिनार, तेरा मन भरता होगा एक बार में, तेरी भौजी का एक बार में कुछ नहीं होगा ,... सिर्फ एक बार क्यों,... और तुझसे लजाती हूँ क्या "
तबतक एक बार हम सबका ध्यान लीना और बिट्टू की ओर चला गया दोनों झड़ रहे थे साथ साथ।
कोई मुझे बुला रहा था,
महुआ के पेड़ों के एक झुण्ड के पीछे से गुलबिया और उसकी ननद कजरी, मुझे इशारा कर रहे थे,... मुझे याद आ गया, मैं उठी और साथ में रेनू और कमल भी, दोनों ने कपड़े पहन लिए थे.
मैंने दो शर्ते कमल को बोली थीं रेनू की दिलवाने के लिए, बस पहली शर्त मैंने याद दिलाई
एक कच्ची कली है, बेलवा के साथ पढ़ती है, बहुत नखड़ा करती है स्साली , अपने गाँव की नहीं है, उसकी झिल्ली फाड़नी है वो भी बेरहमी से, जहां जाए दूर से पता चल जाए किसी तगड़े मरद के नीचे से रगड़वा के आ रही है, स्साली बहुत नखड़ा पेलती है, पूरे गाँव की इज्जत का सवाल है, एकदम कच्ची कोरी है।
बिना बोले उसके आंख का अचरज मैं देख रही थी, आज के पहले वो सोच नहीं सकता था, की किसी कुँवारी लड़की के साथ, चुदी चुदाई भी,... चंदा ऐसी जो सदाबर्त चलाती थीं, जिनकी टाँगे फैली ज्यादा रहती थीं,... वो भी उसके नाम से टांग सिकोड़ लेती थी,
एक तो इतना मोटा मूसल दूसरे उसकी बेरहमी भी मशहूर हो गयी थी जो रेनू की सहेली का किया धरा था,... कुछ तो ताने भी मार देतीं,...
अरे तेरे घर में खुद एक कोरा माल पड़ा है, वो तो तेरे से,...
बेचारे कमल का काम कभी महीने दो महीने दो चार बच्चे की माँ,... कोई कामवाली कभी मान जाती, उसका मन रख लेती,...
और आज उसकी बहन के ऊपर न सिर्फ चढ़ने का मौका मिल गया बल्कि पिछवाड़ा भी, स्साली रेनुवा जब चूतड़ कसमसा के टाइट शलवार में चलती थी तो दूर से देखने वालों की पैंट भी टाइट हो जाती थी, वो तो भाई था, हर पल घर में रहता था। लेकिन मरवाने को कौन कहे छूने भी नहीं देती थी. और ऊपर से मैं बोल रही थी, चल तुझे एक कच्ची कली और दिलवाऊं,... वो भी एकदम कमसिन। रेनुवा की फटी नहीं थी लेकिन वो इंटर में पहुँच गयी थी जबकि गाँव में हाईस्कूल का रिजल्ट निकलने के पहले कोई न कोई निवान कर ही देता था.
और मैं जिसके बारे में बात कर रही थी वो एकदम ही सुकुवार,...
हाँ इस पुरवा की नहीं थी,... लेकिन थी तो बाइस पुरवा की ही.
आरुषि जी के पास हर रिश्ते का जोड़ है..मेरे प्रिय पाठकों...प्रस्तुत है अनाचार यथार्थता पर एक नई कविता। आशा है कि मुझे वही प्रेरणा मिलेगी जो मुझे पहले मिली थी….
शुरू कर रही हूं सलहज और ननदोई की कहानी
कैसे एक सलहज बन गई ननदोई की दीवानी
सुंदर बांका नौजवान और दिखाने में शरीफ
ननद रानी भी करती थी उनकी खूब तारीफ
arushi ji ki nayi kavita-- Joru ka Gullam men Page 1104, please do read, like and share your views.
शानदार चित्रों की केमेस्ट्री आप...Man gae Komalji bhai bahen ke bich shararat bhari chemistry aap peda kar sakti ho. Vesi koi nahi kar sakta. Is part me comments ke lie bahot kuchh he. Amezing. Par hame bhokla diya. Kya likhe kya nahi.
russian photo sharing
कोमल जी को विशिष्ट आशीर्वाद जो मिला था...
कबड्डी में सारी ननदें भौजाईयों के खास कर नयकी को लपेट के गरिया रही थी.Muje umid thi hi. Sirf 2 hi nandiya ko chhinar banake aap nahi chhodoge. Kisi aur nandiya ka kissa to jarur hoga. Maza aa gaya. Love it.
image on