अब परस्पर सहयोग हीं होगा...एकदम सही कहा आपने
और सिर्फ कमल ही क्यों रेनू को भी अहसास होगा क्या मिस किया उसने इसलिए वो भी पूरा साथ देगी, घर में भी बाहर।
अब परस्पर सहयोग हीं होगा...एकदम सही कहा आपने
और सिर्फ कमल ही क्यों रेनू को भी अहसास होगा क्या मिस किया उसने इसलिए वो भी पूरा साथ देगी, घर में भी बाहर।
कूची अपने काम पर लग जाए... तो बात बने...देवर तैयार है अपनी कूंची और सफ़ेद रंग का डिब्बा लिए
सवेरा होते हीं भोंसड़ाजब जागो तभी सबेरा और रेनू अभी तो इंटर में गयी ही है इसलिए इतना देर नहीं हुयी हाँ प्राइम टाइम की बात आपकी एकदम सही है, उसी के साथ की नीलू और लीला सेंचुरी लगा रही हैं और वो अभी डेब्यू कर रही है।
कब्बडी में हार.. होलिका माई का आशीर्वाद.. भभूत का असर.. माँ चाची भी पीछे..एकदम, ननदें तो गर्मायी हुईं है, और जानती हैं की सीधे से नहीं तो जबरदस्ती भौजाइयां उन्हें उनके सगे भाइयों के खूंटे पर बैठा के रहेंगी।
दूसरी बात, कब्बडी में हारने के बाद तो अब उन्हें साल भार भौजाइयों की सब बातें माननी ही होंगी चाहे भौजाइयां उन्हें उनके भाइयों के खूंटे पर बैठाएं या अपने भाइयों के खूंटे पर,
और आखिरी बात कल होलिका माई ने आशीर्वाद दिया था और चुनौती भी और ये बात भी की पूरे बाइस पुरवा के ननद भौजाइयों के लिए ये बात है, ...सारी ननदें वहां थीं और जो नहीं थी उन तक भी बात पहुँच ही गयी थी,... ननदों को भौजाइयों की बात मानने का हुकुम था,... और जो ननद जरा भी खूंटे से घबड़ायेगी, चाहे वो किसी का भी हो,... भौजाई के कहने पर भी, ... तो उसे जिंदगी भर केंचुआ छाप भी नहीं मिलेगा,... और सब लड़कियां औरतें जानती थीं, होलिका माई के बात का असर,... एक बार किसी ने ऐसे ही होलिका माई की बात को टाल दिया, ऐसा दुर्भिक्ष पड़ा,... जानवर, चिरिया, चुंगुर,... सब की हालत खराब एक बूँद पानी नहीं आसमान ने दिया, धरती नाराज, ऐसी जाँघे सिकोड़ ली, कितना ताकत लगा लो, हल की फाल इंच भर न घुसे, उपजाऊ जमीन एकदम पत्थर,... घर का गहना गुरिया सब बिक गया,
तो अब नंदों की छोड़िये, उनके घर की माँ दादी भी उनके पीछे पड़ के
और फिर होलिका माई के भभूत का असर भी अभी जबरदस्त था सबके नीचे होलिका की आग लगी थी,...
लेकिन परेशानी तो भाइयों की थी, बहनों की कच्ची अमिया देख के सब गरमाये, मौका देख के कभी कपडा बदलते तांक झांक करते, लेकिन दूसरे के सामने हिचक झिझक, इसलिए देवरों के ही आँखों पर पट्टी बाँधी गयी थी और एक बार जब मज़ा मिल जाएगा, जब उन्हें पता चल जाएगा की सबको पता चल ही गया और उससे भी बड़ी बात हमाम में सिर्फ वो ही नंगे नहीं,... सारे भाई अपनी अपनी बहनों पर चढ़े हैं तो वो भी खुल के मजा लेंगे
और जो लड्डू उन्होएँ खाया था उसमे पड़ी जड़ी बूटी का भी असर,...
लेकिन साली पटवारी की लौंडिया इस होली में अछूती रह गई...एकदम सही कहा आपने
ललिया ने जो भाई बहन के बीच में अम्बुजा सीमेंट की बनी फेविकॉल के जोड़ से जुडी दीवार खड़ी कर दी थी, जिसे खली भी नहीं तोड़ सकते थे
वो आज भौजाई के जुगाड़ से और होलिका माई के आसीर्बाद से टूट गयी,...
इसीलिए इस पार्ट में रेनू और कमल के बीच में ज्यादा बातचीत नहीं है, ... लेकिन एक बार जब रेनू ने दर्द बरदास्त कर लिया, पहली बारिश की बूँद का रस ले लिया, ... तो आगे से
रेनू और कमल की कहानी आगे भी आएगी अगले कई पार्ट में
लेकिन इतनी ननदें इतने देवर, और सब कुछ साथ साथ पैरेलेल में चल रहा था तो साथ बेला और चुन्नू का भी प्रसंग,...
अगले पार्ट का इन्तजार कीजिये पिछले छेद के लिए।
तभी तो लड़कियों की उम्र भी शादी के लिए कम रखी गई है...और यहाँ भी बेला ही ज्यादा जोश में थी, बिना हिचक
इसलिए कहते हैं लड़कियां ज्यादा तेजी से जवान होती हैं और अगर पानी का एक छींटा भी पड़ गया तो सावन की तरह हरियाली छा जाती है
वो शरम और झिझक जैसे मर्ज का इलाज भौजाईयों के पास है...सारी ननदें हिम्मती हैं बस थोड़ी बहुत झिझक लाज तो वो कब्बडी और कबड्डी के बाद हुयी मस्ती में एकदम खुल गयी थी ननद और भौजाइयों के बीच
और सटीक निशाना...एकदम सही कहा आपने
सिर्फ चिड़िया की आँख
आरुषि जी और डॉ राजी भी इसमें जोड़ सकते हैं...Aaj kal xforum pr sirf Komal ji ki vjh se se ana jana laga raha rehta hai, sirf apki hi do story padh raha hoon yahan. Yeh forum to veerana sa lgta hai apki story ke bina