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भाग ७७
इंटरवल के बाद
ननदों की मस्ती
14,42,820
इंटरवल हो गया था , एक बजे का
कुछ खाना पीना आधे घंटे तक दस पांच मिनट आराम उसके बाद और फिर मस्ती।
कपड़े सब ने पहन लिए थे, हम भौजाइयों का तो झंझट ही नहीं था सबने सिर्फ साड़ी पहन रखी थी, सीने पर खूब टाइट बाँध रखी थी, उभार झलक रहे थे उनका कड़ापन, कटाव निप्स सब कुछ साफ़ साफ़, जरूरत पड़ी तो तो थोड़ा नीचे सरका लिया देवरों का कल्याण हो गया और चुनमुनिया को हवा दिखानी हुयी तो कमर तक उठा ली, छल्ले की तरह कमर पे,... उतारने की जरूरत ही नहीं थी,
और ननदों के कपडे आज फाड़ने की जरूरत नहीं पड़ी, जबरदस्ती हुयी लेकिन बस कपडे उतारने के लिए,और अंदर का ढक्कन तो उन सबने भी नहीं पहना था, और वही हालत देवरों की थी,
और खाने के साथ भी मस्ती चालू थी, मैं देख रही थी नयी जोड़ियां बन गयी थीं,
रेनू ऐसी ननद जो कमल को हाथ लगाना तो दूर पास फटकने भी नहीं देती थी, खुद उससे चिपकी, अपने हाथ से खिला रही थी चिढ़ा भी रही थी खुल के मज़ाक कर रही थी,
" भैया अभी सुबह से तुम मुझे खिला रहे थे वहां, अब मेरी बारी है, खा लो, खा लो तेरी सारी एनर्जी तो मैं खा गयीं हूँ, और बची खुची हिना ने घोंट लिया,... तुझे ताकत की बहुत जरूरत है "
कमल ने इशारा किया ऐसे नहीं खाऊंगा और रेनू ने अपने मुंह में लेके, बस सबके सामने क्या जबरदस्त चुम्मा चाटी हुयी भाई बहन के बीच में, और कमल ने उसे अपना इरादा बता दिया,
" अरे बहना अभी तो कुछ नहीं, घर चल बताता हूँ, आज से न दिन न रात, किसी दिन नहीं छोडूंगा,... "
लेकिन रेनू का इरादा और खतरनाक था और न वो झिझक रही थी की उसकी सहेलियां, भाभियाँ सुन रही हैं. अपने भाई कमल का गाल चूम के बोली,...
" बड़े आये हैं, कोई तुझे छोड़ने देगा तो न आज घर पहुँचते है मैं अपना बिस्तर तेरे कमरे में, वहीँ अड्डा जमाऊँगी, बल्कि बिस्तर की क्या जरूरत है तेरा बिस्तर तो है ही और वैसे भी तू तो मेरे ऊपर ही चढ़ा रहेगा और फिर मुझे चार साल का उधार भी लेना है सूद सहित "
सब लड़कियां भाभियाँ रेनू कमल का प्रेमालाप फटी आँखों से देख रही थीं, सपने में कोई नहीं सोच सकता था इन दोनों में कभी,...
दूबे भाभी मेरे पास आयीं और खुश होके बोलीं,
" तेरी सास अगर यहाँ होती न तो ये रेनुआ और कमलवा को देख के दस गारी तोहरी महतारी को देतीं, कहतीं तोहार महतारी कउनो जादूगर , ओझा सोखा से चुदवाय के तोहे पैदा किये हैं, तभी पेट से ये सब जादू मंतर सीख के आयी है. कमल क महतारी केतना खुश होंगी बता नहीं सकती।"
मैंने उन्हें बताया नहीं की कल रात में घर जाते हुए मिली थी और अपना सब दुःख उन्होंने मुझसे कहा था और तभी मैंने वादा किया था, ... बल्कि बात मजाक में मोड़ दी,
" अरे आप सबसे बड़ी जेठानी हैं हमारी, आप से ज्यादा कौन जानता है, हम लोगन की कुल ननद सब, एक भी नहीं बची होंगी, जो भाई चोद न हों और कउनो देवर नहीं बचे जो बहन चोद न हो "
" और जो दो चार आपन समेट के रखी थीं,.. उन नंदों को तू आज भाई चोद बना दी " हँसते हुए रेनू कमल को देखते वो बोलीं,...
और सिर्फ रेनुवा नहीं,
कल की छोरी बेला, जिसकी आज नथ उतरी थी, वो एकदम चुन्नू से चिपकी, राखी भी बांधती थी दोस्ती भी लेकिन आज मरद मेहरारू वाला रिश्ता लग रहा था.
कम्मो जो आज सुबह तक कुँवारी थी उसके सगे भाई पंकज से भौजाइयों ने उसकी फड़वायी और अब वो दोनों भी गौने के बाद दुलहा दुल्हिन देख के ललचाते रहते हैं एकदम वैसे ही दोनों एक दूसरे को देख के,...
लेकिन नयी नयी कच्ची कलियाँ बारी उमरिया वाली जिनकी आज पहली बार फटी थी, उन सबकी हालत भी बहुत खराब था,
हिना बेचारी उसके साथ तो डबलिंग भी हो गयी थी, दो दो भौजाइयां उसे पकड़ के खाना खिला रही थीं ,
जो हालत गौने की रात के बाद भौजाई की होती है वो आज इन कच्ची कलियों ननदों की हो रही थी,
" हे कौन कौन देवर बचा है जो आपन बहिन आज नहीं चोदा हाथ उठाओ, जबरदस्त इनाम मिलेगा " दूबे भाभी जोर से बोलीं,..
सब देवर दूबे भाभी को देख के खिलखिला रहे थे, भांग का दूसरा डोज खीर में सबके पेट में पहुँच गया था और उनकी ओर से एक ननद बोली, ,
" का इनाम मिलेगा ये भी बता दा भौजी "
" गाँड़ मारी जायेगी यही खूंटे से " चमेलिया स्ट्रेप ऑन ( जो गाय बैल बांधने वाले खूंटे में कंडोम लगा के लोकल जुगाड़ से बना था ) लहरा के बोली। और जोड़ा
" दो ही तरह के देवर हैं यह गाँव में या तो गांडू या बहिन चोद,... "
बात बदलने और काटने में नीलू का कोई मुकाबला नहीं था, हँसते हुए वो बोली,...
"ठीक है जो बहिन नहीं चोदा होगा ओके का इनाम मिलेगा, ... भौजाई सब चोदवायेंगी,... का अरे फागुन ख़तम हो रहा है,... नयकी भौजी सोच ला
आज तोहार कुल देवर मुठियाय रहे हैं दो दर्जन से उपर देवर हैं, अगवाड़ा, पिछवाड़ा, एक साथ की बारी बारी से, ... "
कम्मो बैठी हुयी थी, उठा नहीं जा रहा था, उसके सगे भाई पंकज ने इतनी जबरदस्त अपनी छोटी बहन की कच्ची कोरी बिल फाड़ी थी, अभी भी मलाई जमी हुयी थी, लेकिन ननद मतलब छिनार, बिना बोले कैसे रहती, नीलू की बात जवाब उसी ने दिया। कबड्डी में भी वो मेरे पीछे पड़ी थी गरियाने में।
" अरे नीलू दीदी, बारी बारी से तो बहुत टाइम लगेगा, हमरे नयकी भौजी को समझत का हो, बड़ी निक हैं सबका मन रखेंगी एक साथ तीन तीन, तीनो छेद में और दो को मुठियायेंगी, हर देवर को हर छेद क मज़ा। उनकर महतारी भेजी हैं इसलिए। "
इंटरवल के बाद
ननदों की मस्ती
14,42,820
इंटरवल हो गया था , एक बजे का
कुछ खाना पीना आधे घंटे तक दस पांच मिनट आराम उसके बाद और फिर मस्ती।
कपड़े सब ने पहन लिए थे, हम भौजाइयों का तो झंझट ही नहीं था सबने सिर्फ साड़ी पहन रखी थी, सीने पर खूब टाइट बाँध रखी थी, उभार झलक रहे थे उनका कड़ापन, कटाव निप्स सब कुछ साफ़ साफ़, जरूरत पड़ी तो तो थोड़ा नीचे सरका लिया देवरों का कल्याण हो गया और चुनमुनिया को हवा दिखानी हुयी तो कमर तक उठा ली, छल्ले की तरह कमर पे,... उतारने की जरूरत ही नहीं थी,
और ननदों के कपडे आज फाड़ने की जरूरत नहीं पड़ी, जबरदस्ती हुयी लेकिन बस कपडे उतारने के लिए,और अंदर का ढक्कन तो उन सबने भी नहीं पहना था, और वही हालत देवरों की थी,
और खाने के साथ भी मस्ती चालू थी, मैं देख रही थी नयी जोड़ियां बन गयी थीं,
रेनू ऐसी ननद जो कमल को हाथ लगाना तो दूर पास फटकने भी नहीं देती थी, खुद उससे चिपकी, अपने हाथ से खिला रही थी चिढ़ा भी रही थी खुल के मज़ाक कर रही थी,
" भैया अभी सुबह से तुम मुझे खिला रहे थे वहां, अब मेरी बारी है, खा लो, खा लो तेरी सारी एनर्जी तो मैं खा गयीं हूँ, और बची खुची हिना ने घोंट लिया,... तुझे ताकत की बहुत जरूरत है "
कमल ने इशारा किया ऐसे नहीं खाऊंगा और रेनू ने अपने मुंह में लेके, बस सबके सामने क्या जबरदस्त चुम्मा चाटी हुयी भाई बहन के बीच में, और कमल ने उसे अपना इरादा बता दिया,
" अरे बहना अभी तो कुछ नहीं, घर चल बताता हूँ, आज से न दिन न रात, किसी दिन नहीं छोडूंगा,... "
लेकिन रेनू का इरादा और खतरनाक था और न वो झिझक रही थी की उसकी सहेलियां, भाभियाँ सुन रही हैं. अपने भाई कमल का गाल चूम के बोली,...
" बड़े आये हैं, कोई तुझे छोड़ने देगा तो न आज घर पहुँचते है मैं अपना बिस्तर तेरे कमरे में, वहीँ अड्डा जमाऊँगी, बल्कि बिस्तर की क्या जरूरत है तेरा बिस्तर तो है ही और वैसे भी तू तो मेरे ऊपर ही चढ़ा रहेगा और फिर मुझे चार साल का उधार भी लेना है सूद सहित "
सब लड़कियां भाभियाँ रेनू कमल का प्रेमालाप फटी आँखों से देख रही थीं, सपने में कोई नहीं सोच सकता था इन दोनों में कभी,...
दूबे भाभी मेरे पास आयीं और खुश होके बोलीं,
" तेरी सास अगर यहाँ होती न तो ये रेनुआ और कमलवा को देख के दस गारी तोहरी महतारी को देतीं, कहतीं तोहार महतारी कउनो जादूगर , ओझा सोखा से चुदवाय के तोहे पैदा किये हैं, तभी पेट से ये सब जादू मंतर सीख के आयी है. कमल क महतारी केतना खुश होंगी बता नहीं सकती।"
मैंने उन्हें बताया नहीं की कल रात में घर जाते हुए मिली थी और अपना सब दुःख उन्होंने मुझसे कहा था और तभी मैंने वादा किया था, ... बल्कि बात मजाक में मोड़ दी,
" अरे आप सबसे बड़ी जेठानी हैं हमारी, आप से ज्यादा कौन जानता है, हम लोगन की कुल ननद सब, एक भी नहीं बची होंगी, जो भाई चोद न हों और कउनो देवर नहीं बचे जो बहन चोद न हो "
" और जो दो चार आपन समेट के रखी थीं,.. उन नंदों को तू आज भाई चोद बना दी " हँसते हुए रेनू कमल को देखते वो बोलीं,...
और सिर्फ रेनुवा नहीं,
कल की छोरी बेला, जिसकी आज नथ उतरी थी, वो एकदम चुन्नू से चिपकी, राखी भी बांधती थी दोस्ती भी लेकिन आज मरद मेहरारू वाला रिश्ता लग रहा था.
कम्मो जो आज सुबह तक कुँवारी थी उसके सगे भाई पंकज से भौजाइयों ने उसकी फड़वायी और अब वो दोनों भी गौने के बाद दुलहा दुल्हिन देख के ललचाते रहते हैं एकदम वैसे ही दोनों एक दूसरे को देख के,...
लेकिन नयी नयी कच्ची कलियाँ बारी उमरिया वाली जिनकी आज पहली बार फटी थी, उन सबकी हालत भी बहुत खराब था,
हिना बेचारी उसके साथ तो डबलिंग भी हो गयी थी, दो दो भौजाइयां उसे पकड़ के खाना खिला रही थीं ,
जो हालत गौने की रात के बाद भौजाई की होती है वो आज इन कच्ची कलियों ननदों की हो रही थी,
" हे कौन कौन देवर बचा है जो आपन बहिन आज नहीं चोदा हाथ उठाओ, जबरदस्त इनाम मिलेगा " दूबे भाभी जोर से बोलीं,..
सब देवर दूबे भाभी को देख के खिलखिला रहे थे, भांग का दूसरा डोज खीर में सबके पेट में पहुँच गया था और उनकी ओर से एक ननद बोली, ,
" का इनाम मिलेगा ये भी बता दा भौजी "
" गाँड़ मारी जायेगी यही खूंटे से " चमेलिया स्ट्रेप ऑन ( जो गाय बैल बांधने वाले खूंटे में कंडोम लगा के लोकल जुगाड़ से बना था ) लहरा के बोली। और जोड़ा
" दो ही तरह के देवर हैं यह गाँव में या तो गांडू या बहिन चोद,... "
बात बदलने और काटने में नीलू का कोई मुकाबला नहीं था, हँसते हुए वो बोली,...
"ठीक है जो बहिन नहीं चोदा होगा ओके का इनाम मिलेगा, ... भौजाई सब चोदवायेंगी,... का अरे फागुन ख़तम हो रहा है,... नयकी भौजी सोच ला
आज तोहार कुल देवर मुठियाय रहे हैं दो दर्जन से उपर देवर हैं, अगवाड़ा, पिछवाड़ा, एक साथ की बारी बारी से, ... "
कम्मो बैठी हुयी थी, उठा नहीं जा रहा था, उसके सगे भाई पंकज ने इतनी जबरदस्त अपनी छोटी बहन की कच्ची कोरी बिल फाड़ी थी, अभी भी मलाई जमी हुयी थी, लेकिन ननद मतलब छिनार, बिना बोले कैसे रहती, नीलू की बात जवाब उसी ने दिया। कबड्डी में भी वो मेरे पीछे पड़ी थी गरियाने में।
" अरे नीलू दीदी, बारी बारी से तो बहुत टाइम लगेगा, हमरे नयकी भौजी को समझत का हो, बड़ी निक हैं सबका मन रखेंगी एक साथ तीन तीन, तीनो छेद में और दो को मुठियायेंगी, हर देवर को हर छेद क मज़ा। उनकर महतारी भेजी हैं इसलिए। "
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