तब तो मौजां हीं मौजां...एकदम सही कहा
ननदों से भी लेंगी
और जिन देवरों को उनकी सगी चचेरी बहनें दिलवायीं उनसे भी लेंगीं।
फागुन में रंगों की बहार हीं बहार..
तब तो मौजां हीं मौजां...एकदम सही कहा
ननदों से भी लेंगी
और जिन देवरों को उनकी सगी चचेरी बहनें दिलवायीं उनसे भी लेंगीं।
उम्मीद है सुगना भौजी अपनी जिम्मेदारी पर खरी उतरेंगी..देखते जाइये
सुगना भौजी अभी तो कहानी में आयी हैं
पठान टोली वालियों को मुख्यधारा में लाने की जिम्मेदारी उन्ही की है लेकिन उनके और भी किस्से आएंगे आगे।
बुर का भी खुल गया.. और पीछे का भी...कहेगी कहेगी
जब बुरका खुल गया तो सारे राज भी खुलेंगे
पहले तो उठेगा...अभी तो पर्दा उठना शुरू हुआ है आगे आगे देखिये क्या क्या उठता है
सुगना भौजी हैं न , सब राज हिना से खुलवा लेंगी।
फिर तो हीना का रंग सब पे चढ़ेगा....एकदम इंटरवल के बाद का खेल अभी अगले पोस्ट में शुरू होगा
और हिना का भी रहेगा रोल
उफ्फ... दो दर्जन...अरे सिर्फ हिना ही क्यों
सारी पठानटोलियाँ वाली खाएंगी मलाई
शबनम, तमन्ना, ज़ीनत, खुशबू, नूर, दो दर्जन से ऊपर
और हर छेद में, बस पढ़ने वाले कमेंट देने वालों का साथ बना रहे
सात पर्दे... सात ताले...एकदम कमल ऐसा सांड, भूखा बौराया और उसके साथी
फटने वाली चीज बचेगी नहीं न आगे की न पीछे की,..भले ही कोई सात परदे में बंद रखे
पर्दा उठे सलाम हो जाये।
वो तो आरुषि जी कविता पर तुकबंदी की थी...नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा
पेट नहीं फूलेगा
आशा बहु है न और सुगना भी
सारी पठानटोली वालियों को अंतरा की सुई लगेगी,... तीन महीने की छुट्टी,
न खट्टा खाने का डर, न पेट फुलाने का डर
सुगना भौजी हैं न मौका दिलवाने के खातिर....दोनों
मौके की बात है
और क्या हीं कमाल होगा...एकदम सही कहा आपने
सिर्फ रेनू और कम्मो के ही भाई नहीं चढ़ेंगे, सारे बाईसपुरवा के लौंडे चढ़ेंगे
और खाली हिना पर नहीं
सब पठान टोली वालियों पर,
बुरका खुलेगा, सलाम भी होगा, धमाल भी होगा