• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
3,896
4,954
144
अरे मूता कस के, रोकी काहें हो...

गजब... komaalrani ... The greatest writer

कोई शब्द याद नहीं आ रहे आप कि तारीफ में...

लिखते रहिये... जय जय
अत्र कुशलं तत्रास्तु...
 

arushi_dayal

Active Member
728
3,147
124
सत्ती माई
सत्ती माई का चौरा थोड़ा दूर था, गाँव के सिवान के पास, जहाँ पठानटोला शुरू होता था एकदम वहीं, वहां भी एक छोटी सी बगिया थी उसी के बीच,

हमारी सास बताती हैं, उनके गौने उतरने के बहुत पहले की बात, उनकी सास ने बताया था, हमारी सास के अजिया ससुर और सुगना के ससुर, बाबू सूरजबली सिंह के बाप, गाँव वाले बोले की माई का चौरा कच्चा है उसको पक्का करवाने को, सूरजबली सिंह के पिता जी और बड़े सैय्यद, हिना के बाबा में बड़ी दोस्ती थी। बात सिर्फ इतनी थी की वो बगिया और जमीन पठानटोला में पड़ती थी, बड़े सैयद की,



वो दोनो लोग गए, बड़े सैयद, हिना के बाबा के पास, की गाँव के लोग चाहते हैं ये दोनों लोग करवा देंगे, बस जमीन बड़े सैय्यद की है इसलिए उनकी इजाजत,

" नहीं देंगे, ऊ का बोले, इजाजत, का कर लोगे, पठान क लाठी देखो हो, दोस्ती न होती, कोई और बोलता तो मार गोजी, मार गोजी, "

मारे गुस्से के बड़े सैयद का चेहरा लाल, और उनके गुस्से के आगे तो जिले का अंग्रेज कलेक्टर भी,



" क्यों दें, इजाजत " बड़ी मुश्किल से उनके मुंह से निकला फिर वो अपनी बोली में आ गए, ज्यादा देर खड़ी बोली में बात करने से मुंह दर्द करने लगता था,

" तू दोनों से पहले पैदा हुए है, यहाँ गाँव क मट्टी हम जानते हैं, माना हम तो पैदायसी बुरबक है तो तुंहु दोनों क माथा खराब है, सत्ती माई खाली तोहार हैं का,... हम पहले पैदा हुए तोहसे, तो तोहसे पहले हमार हैं, अरे ये सोचा गाँव में ताउन पड़े, प्लेग हैजा हो तो खाली एक पट्टी में होगा दूसरी में नहीं होगा, सूखा पड़ेगा तो हमार खेत नहीं झुरायेगा, ....बचाता कौन है, माई न ? "

फिर बड़े सैयद ने अपना फैसला सुना दिया,

चौरा पक्का होगा, जैसा वो लोग चाहते हैं एकदम वैसा बल्कि उससे भी अच्छा, लेकिन बनायेंगे बड़े सैय्यद।

और तबसे सावन क पहली कढ़ाही, पठानटोले की औरतें चढाती हैं।



और मोहर्रम भी, दस दिन तक पूरे बाईसपुरवा में कोई शुभ काम, गाना बजाना सिंगार पटार, सब बंद, मैंने अपनी सास से पूछा भी तो थोड़ा प्यार से झिड़कते, थोड़ा समझाते बोलीं, " अरे घरे में मेहरारुन कुल सोग किये हों, बगल में,... गाना बजाना अच्छा लगता है का। "


सुबह हो रही थी, आसमान एकदम लाल था, सिंदूरी मेरी ननद के मांग ऐसा, बगल में पतली सी चांदी की हँसुली ऐसी नदी, वहां से साफ़ साफ़ दिखती थी। और झप्प से लाल लाल गोल सूरज नदी में से जैसे नहा के, जैसे कोई लड़का गेंद जोर से उछाल के फेंक दे, सूरज सीधे आसमान में,

हम दोनों ननद भौजाई ने अंचरा पकड़ के सूरज देवता को हाथ जोड़ा।


सुबह हो गयी थी।


morning-6.jpg


सत्ती माई का चौरा, खूब लीपा पोता, हम दोनों लोगो ने गोड़ छुआ, वहां भी ढेर सारे पेड़ों का झुरमुट, खूब घना , जगह जगह ईंटो के चूल्हे, कहीं कहीं चूल्हे की राख, कड़ाही चढाने के निशान,

मैंने अंचरा फैला कर, अपनी ओर ननद दोनों की ओर से मनौती मानी,



" माई नौवें महीना खुशबरी होई, सुन्नर सुन्नर बिटिया होई तो बरही के दिन पहले यही कड़ाही चढ़ाउंगी "


और जब मैंने सर ऊपर उठाया, तो उन पेड़ो से भी पुरानी, एक बूढी माई, बाल सारे सफ़ेद, भौंहों तक के, देह थोड़ी झुकी, कृशकाय, और दूध सी मुस्कान,



ननद के सर पर वो खूब दुलार से हाथ फेर रही थी, मुझे देख कर मुस्करायीं, तो मैंने फिर एक बार घूघंट थोड़ा सा नीचे खींचा, अंचरा से दोनों हाथ से उनके दोनों गोड़ पांच बार छुए, आँखे मेरी बंद लेकिन मुझे बहुत हल्की हलकी आवाज सुनाई दे रही थी

" कउनो परेशानी नहीं होगी, जउन किहु, एकदम ठीक, घरे क परेशानी से बचाने की पहली जिम्मेदारी बहू की, जउने दिन चौखट लांघी, बहू ही घर की चौखट, कउनो परेशानी घुसने नहीं देगी, हम हैं न "

लेकिन जब मैंने आँखे खोली तो वो एकदम नहीं बोल रही थी, खाली उनका हाथ मेरे सर को सहला रहा था।

फिर उन्होंने एक काला धागा निकाला, और बाँध वो ननद के गोरे गोरे हाथ पर रही थीं, लेकिन बोल मुझसे रही थीं,

" नौ महीने तक ये धागा ऐसे ही, कभी भी उतरना नहीं चाहिए, खाली तू , भौजाई इसको खोल सकती हो। बरही में जब कढ़ाही चढाने आना तो हमार धागा, हमें दे देना, कउनो परेशानी झांक भी नहीं सकती जब तक ये धागा बंधा रहेगा। "

मेरे मन में अभी भी ननद की सास की, साधू के आश्रम का डर था, हिम्मत कर के मेरे मुंह से बोल फूटे,



" लेकिन कोई जबरदस्ती करके,..”

"हाथ टूट जाएगा, ....भस्म हो जाएगा, ....अब चिंता जिन करा, नौ महीना बाद सोहर गावे क तैयारी करा, कउनो बाधा, बिघन नहीं पडेगा। "

मैंने और ननद जी दोनों ने आँख बंद कर के हाथ जोड़ लिया, और आँख खोला तो वहां कोई नहीं था, सिर्फ ननद रानी की गोरी गोरी बाहों पे वो काला धागा बंधा था,



जिधर पेड़ हिल रहे थे, जहाँ लग रहा था वहां से कोई गुजरा होगा, उधर हाथ फिर मैंने जोड़ लिए।
बहुत बढ़िया कोमल जी. एक तो ननद के गभिन होने की खुशी और दूसरा इतना बढ़िया अपडेट देने के लिए आपको कोटि-कोटि बधाई। सास और बहू के बीच के रिश्ते का जो खांचा जो आपने बांधा है वो सच में आदर्श रिश्ते को दर्शाता है। सास का बहू की तरफ प्यार, उसकी प्राथमिकता का ख्याल सच में एक दुर्लभ लेकिन एक सुखद एहसास है. बहू का भी परिवार के प्रति समर्पण परिवार की इज्जत और कुर्बानी का जज्बा सच में सराहनीय है। जैसी कुछ पंक्तियाँ …फिर तो जिस घर की इज्जत को तोप ढांक के रखने का काम मेरा था…घर की इज्जत कच्ची मिटटी का घड़ा है और बहू का पहला काम है घर की इज्जत, घर का नाम…. सच में ऐसा देख और पढ़ के बहुत अच्छा लगता है. आप एक अद्भुत लेखिका हैं। जहां हमारी सोच का अंत होता है वहां से आप शुरू करती हैं। धन्य है आप और आपकी लेखनी
 

Shetan

Well-Known Member
14,977
39,982
259
भाग ९७
आज की रात


Moonlight-photography-view-of-moon-between-tree-leaves.jpg





अगले जन्म मोहे बेटी ही कीजो


22,43,338
ये और ननद, मेरे कमरे में, कभी हंसने बिहँसने की आवाज आ रही थी, कभी चूड़ियों के चुरमुर की तो कभी पायल की रुनझुन की,

इन्हे तो नहीं मालूम था पर ननद को तो मालूम था और मुझे भी, ...

कल अगर, अगर कल सुबह, भोर, तक कुछ नहीं हुआ, तो ससुराल लौटने पर सास उसकी, उस आश्रम में भेज के ही दम लेंगी, कोई नहीं बचा पायेगा उनको,



बस कल सुबह,



और मैंने तो फोन पर जिस तरह ननद की सास की बातें सुनी थी, नन्दोई को हफ्ते भर के लिए बाहर भेजने का,… और ननद को उन मुस्टंडीयो के साथ, यमदूतों का स्त्री रूप,

और नन्दोई की हिम्मत भी नहीं पड़ी चूं करने की, एक बार कुछ आवाज निकाली उन्होंने तो उनकी मा की सिसकी, और फिर,…

बस मुझे मुग़ले आजम का वो आखिरी सीन बारबार याद आता था, जब अनारकली को सलीम के साथ एक रात बिताने की इज्जात दी गयी थी और अगले ही दिन उसे दीवाल में चुनवा दिया जाना था । उसे सलीम को फूल सुंघा के बेहोश कर देना था जिससे जब सिपाही उसे जिन्दा दीवाल में चुनने के लिए ले जाएँ तो सलीम को पता न चले ।



आज की रात,


moon-light-tumblr-mxlsnf2-N9-U1sncql7o1-500.jpg


आज की रात कट नहीं रही थी , न मुझसे,... न मेरी सास से।


ननद ने उनसे कुछ नहीं बताया था, लेकिन माँ जो नौ महीने बेटी को कोख में रखती है, पैदा करती है, पाल पोस कर बड़ा करती है, बिन बोले ही,… बेटी भले उसकी चेहरे से मुस्कराये, खुश रहे लेकिन आँखों की खिड़की से झाँक के मन का हाल पता कर लेती है।


लोग कहते हैं दुःख बांटने से कम होता है लेकिन वो दुःख, वो डर जो मैं न उनसे कह सकती थी, …न बाँट सकती थी,

बस इतना विश्वास था मेरी माँ की तरह उन्होंने जो मुझे शक्ति दी थी, मैंने अपनी ननद के आगे ढाल बन कर खड़ी होउंगी, उनपर आयी किसी विपदा को पहले मुझसे टकराना होगा।


मेरी माँ भी, बचपन से यही एक बात सिखाती थीं, कोई किसी के बारे में कहे की उनका जीवन दुःख सहने में बीता तो तुरंत बात काट देतीं बोलती, दुःख सहने में नहीं उससे लड़ने में, उसका सामना करने में बीता।



एक दिन कोई सीरियल आ रहा था, या कोई प्रोग्राम, अगले जन्म मोहे बेटी न कीजो, माँ ने तुरंत बंद कर दिया, और बोलीं एकदम गलत अगले जन्म में ही बेटी का जन्म मिले


Teej-MIL-ec91bdeb3c5a783aed595c34f4adf277.jpg

माँ ने अकेले हम तीनो बहनों को पाला था, कभी उनके चेहरे पर मैंने उदासी नहीं देखी थी,

बहुत दिनों तक हम तीनो बहने उनके पास ही सोती थी, सिर्फ इस लालच में की वो रात में कहानी बहुत बढ़िया सुनाती थी, अक्सर देवी माई की, एक राक्षस सब देवताओं को तंग करने लगा और सब लोग देवी माई के पास आये और बस, एक कहानी हम लोगो को बहुत अच्छी लगती की एक राक्षस ऐसा भी था की उसके हर बूँद से एक राक्षस, और देवी माई ने, उसका भी,...


और माँ बोलती भी थी, देखो आते है सब लोग देवी माई के पास तो कैसे कह सकते हैं की लड़की, औरत कमजोर होती है,


सुबह मैं उठती थी, माँ को देखती थी तो,... बस देवी माई याद आती
Man gae Komalji. Kya likhte ho baki. Ek ek kissa ek ek judgement ekdam shandar.

Nandiya komaliya ke sang rangin rat kat rahi he. Andar se kamukh madhur swar nikal raha hai. Par dar to nandiya ko lag raha hai. Aur komaliya ko..
Vo nagin chhinar sas kese nandiya ko babaji ki us lady yamduto ke hawale karna chahti hai. Aur nadoi ko hafte bhar ghar se dur bhej rahi hai. Nandoi ji ki to chalti nahi. Bas unki maa ne uchi aavaj ki to nadoi ji ka peshab nikal jata hai.

Amezing nandiya ka hal sach me anarkali jesa hi hai. Bas ek rat apne bhaiya sajan sahjade salim ke sath bitakar use deewar me chunvane ke bajay babaji ke pas bhej diya jaega.

Upar se rat esi jese kal kayamat ho. Uski filar sasuma hamari vali. Vo bhi bechari kya kare. Beti ke lie dukh ka pahad. Lekin ese hi nahi bhabhi kisi devi se kam nahi hoti. Vo bas devar ki gadiya aur nandiya ki chut ki nahi fatvati unka bhala bhi karti hai. Samay aane par unki raksha bhi.

Kya bhavnao me badha hai. Julm sahne se achha us se ladhna. Aur beti hokar bhala kyo na peda ho. Peda hote bhai ke khute ko thanda kare, fir byah ke bad apne khasam ka danda fir devaro ka fir nandoi ka. In sab me jija ke khute ko to bilkul mat bhulo. Byah se pahele bhi aur bad bhi. Beti na hui to itne dando ko khuto ko kon zelega. Har janam beti hi kijo.

Mai ne sare raxaso ka vadh kiya to ye mushibat bhi tal jaegi. La jaeab upda.

77ea069a009d731c9338b37281e9ca58
 
  • Like
Reactions: Aarti sharma

Aarti sharma

My behavior is Naughty, i m always Prankish and sa
19
48
13
खुसखबरी



Lez-frnds-IMG-20240516-044342.jpg



मेरी भी आँख लग गयी,

एक घडी मैं सोई होउंगी मुश्किल से और जब नींद खुली तो रात ने अपने कदम समेटने शुरू कर दिए थे।


आसमान जो गाढ़ी नीली स्याही से पुता लगता था अब स्लेटी हो गया था, पेड़ जो सिर्फ छाया लग रहे थे वो थोड़ा बहुत दिखने लगे थे, लेकिन भोर होने में अभी भी टाइम था,


night-78437d131c21e5a92bcaa6c024c1fac4.jpg


तभी कुछ आहट सी हुयी, दरवाजा खुलने बंद होने की, और मुझे याद आया आज भोर होने के पहले करीब चार बजे ही इन्हे खेत पे जाना था, गेंहू की कटनी की तैयारी के लिए अभी हफ्ता दस दिन बाकी था कटनी शुरू होने में और कटनी तो एक पहर रात रहते शुरू हो जाती,


मैंने निकल के दरवाजा बंद किया और सीधे ननद के कमरे में।


ननद थेथर पड़ी थी।


sleeptumblr-3ac6d9d7afc02b10e5fedcfc6267892a-3c80c7f0-640.jpg


हिलने को कौन कहे, आँख खोलने की ताकत नहीं लग रही थी, मेरे मर्द ने आज अपनी बहिनिया को कुचल के रख दिया था, जाँघों पर, मेरे मरद के वीर्य के थक्के पड़े थे, बुर से अभी भी बूँद बूँद कर मलाई रिस रही थी।


creampie-17788-creampie.jpg



मैंने उनका हाथ पकड़ के सहारा देकर उठाया, उनकी मुस्कराती आँखों ने मेरे बिन पूछे सवाल को समझ लिया था, बुदबुदाते बोलीं,

' पूरे पांच बार, हिला नहीं जा रहा है "


नीचे पड़ी साडी उठा के बस अपने बदन पे उन्होंने डाल लिया, लेकिन अबकी उन्होंने जो अपनी दीये जैसे बड़ी बड़ी आँखों को उठा के देखा मैं उनका डर समझ गयी, बस हाथ दबा के, अपनी ओर दुबका के मैंने बिस्वास दिलाया, बिन कहे,


' होलिका माई की बात याद रखिये बस'

कुछ देर में हम लोग कच्चे आंगन में जहाँ पांच दिन पहले रात में मैंने ननद ने बच्चे वाली पट्टी से चेक किया था, साथ साथ मूत के, दोनों की एक लाइन, न मैं गाभिन न वो। आज फिर उकडू मुकड़ू हम दोनों बैठ गए, जाँघे फैला के, ननद के जाँघों के बीच मैंने गुदगुदी लगाई, और छेड़ा,

" अरे मूता कस के, रोकी काहें हो "


Teej-6c6052efbae7fc2697b938f6fddb6b83.jpg



पहले तो एक दो बूँद, फिर तेज धार, अब ननद चाह के भी रोक नहीं सकती थीं,

बस मैंने उस जांच वाली पट्टी को, जैसे आशा बहु ने समझाया था सीधे मूत की धार में, और फिर हटा लिया, और मैं भी ननद के साथ

जब हम दोनों उठे, तो बड़ी देर तक मैं वो जांच पट्टी हाथ में लिए देवता पित्तर, होलिका माई की दुहाई, फिर खोल के देखा, दो लाइन लग तो रही थी,

ननद परेशान का हुआ, लेकिन आंगन के उस कोने में अँधेरा सा था, जिधर रौशनी थी, हम दोनों उधर आये,

भोर बस हुआ चाहती थी, हलकी सफेदी सी लग रही थी, एकाध चिड़िया चिंगुर बोलने लगे थे,

ननद को मैंने दूर कर दिया और अब साफ़ साफ़ देखा,

पक्का दो लाइन,


Pregnent-e7f2ez-GPRIQNt2-GN3-Ttm-Wc2-Fg-Xg5-Gj-ECF5-MJu39-Q.jpg


मेरी मुस्कान से ही वो समझ गयीं, एक बार पूरब मुंह हो के मैंने हाथ जोड़ा और दौड़ के ननद को बाँहों में भर लिया और वो मारे ख़ुशी के चिल्लाई,


" भौजी, हमार भौजी.... "
Teej-126054893-4041322385911904-596345387626881633-o.jpg


ख़ुशी के मारे न मुझसे बोला जा रहा था न मेरी ननद से, जैसे छोटे छोटे बच्चे आंगन में बादल आने पर गोल गोल घूमते हैं हाथ फैला के, गोल गोल चक्कर काटते हुए बस हम दोनों ननद भौजाई, उसी तरह

फिर मैंने अपनी ननद को बाहों में भर लिया, क्या कोई मर्द किसी औरत को दबोचता होगा, और कस कस के उनको चूमते, होंठों को चूसते बोली,

" मिठाई खाउंगी, पेट भर, "


" एकदम खियाइब लेकिन तबतक नमकीन खारा ही, "

सच में पक्की बदमाश ननद, और मेरा सर खींच के अपनी जाँघों के बीच, जहां अभी भी, लेकिन कौन भौजाई ननद क रसमलाई छोड़ती है, जो मैं छोड़ती, बस बिना ये सोचे की वहां अभी,

कस कस के चूसने चाटने लगी, और फिर दोनों फांको को फैला के ननद की चूत से बोली,

" अरे चूत महरानी, आपकी जय हो, जउन बढ़िया खबर आप दिहु, जउने चूत में हमरे मरद क लंड गपागप गया, जेकर मलाई खाऊ, ओहि चूत में से नौ महीने के बाद अँजोरिया अस गोर गोर बिटिया हो, खूब सुन्दर "


Pussy-IMG-20230719-061229.gif


नन्द मेरी बात सुन के खिलखिला रही थीं, हंस रही थीं, लेकिन हँसते खिलखिलाते आगे की बात मेरी ननद ने ही पूरी की,

" और ओह बिटिया की चूत में हमरे भाई क,हमरे भौजाई के मरद क लंड गपागप सटासट जाए "

और मैंने नन्द को अँकवार में लेटे लेटे ही भेंट लिया।



थोड़ी देर में हम दोनों बोलने लायक हुए तो उसी हालत में लथर पथर,... सास के सामने हम दोनों,

हम दोनों को देख के वो समझ गयीं खुशखबरी, उनके चेहरे की चमक मुस्कान रुक नहीं रही थी, उन्होंने हाथ बढ़ाया और मेरी ननद उनकी बाहों में

देर तक माँ बेटी भेंटती रही, न बेटी बोली न माँ, बस माँ कभी बेटी के खुले बालों पे हाथ फेरतीं, कभी पीठ सहलातीं, फिर उन्होंने मेरी ओर हाथ बढ़ाया,



lez-frnds-IMG-20240516-044353.jpg


लेकिन मैंने मना कर दिया, " आज आपकी बात नहीं मानूंगी "

उन्होंने मेरे गौने उतरने के अगले दिन ही मना कर दिया था की मैं उनके गोड़ न छूउ, वो मुझे बेटी की तरह ले आयी हैं।



घूंघट माथे से नीचे लाकर, दोनों हाथों से आँचल पकड़ के माथे को सास के दोनों पैरों पर लगाकर पांच बार मैंने सास के पैर छुए और बस यही मन में मांग रही थी,

" मेरी ननद खुश रहे, नौ महीने में बिटिया ठीक से हो अच्छे से हो, किसी की नजर न लगे हमरे ननद के सुख पे "
Congratulations didi for new baby
 

Aarti sharma

My behavior is Naughty, i m always Prankish and sa
19
48
13
खुसखबरी



Lez-frnds-IMG-20240516-044342.jpg



मेरी भी आँख लग गयी,

एक घडी मैं सोई होउंगी मुश्किल से और जब नींद खुली तो रात ने अपने कदम समेटने शुरू कर दिए थे।


आसमान जो गाढ़ी नीली स्याही से पुता लगता था अब स्लेटी हो गया था, पेड़ जो सिर्फ छाया लग रहे थे वो थोड़ा बहुत दिखने लगे थे, लेकिन भोर होने में अभी भी टाइम था,


night-78437d131c21e5a92bcaa6c024c1fac4.jpg


तभी कुछ आहट सी हुयी, दरवाजा खुलने बंद होने की, और मुझे याद आया आज भोर होने के पहले करीब चार बजे ही इन्हे खेत पे जाना था, गेंहू की कटनी की तैयारी के लिए अभी हफ्ता दस दिन बाकी था कटनी शुरू होने में और कटनी तो एक पहर रात रहते शुरू हो जाती,


मैंने निकल के दरवाजा बंद किया और सीधे ननद के कमरे में।


ननद थेथर पड़ी थी।


sleeptumblr-3ac6d9d7afc02b10e5fedcfc6267892a-3c80c7f0-640.jpg


हिलने को कौन कहे, आँख खोलने की ताकत नहीं लग रही थी, मेरे मर्द ने आज अपनी बहिनिया को कुचल के रख दिया था, जाँघों पर, मेरे मरद के वीर्य के थक्के पड़े थे, बुर से अभी भी बूँद बूँद कर मलाई रिस रही थी।


creampie-17788-creampie.jpg



मैंने उनका हाथ पकड़ के सहारा देकर उठाया, उनकी मुस्कराती आँखों ने मेरे बिन पूछे सवाल को समझ लिया था, बुदबुदाते बोलीं,

' पूरे पांच बार, हिला नहीं जा रहा है "


नीचे पड़ी साडी उठा के बस अपने बदन पे उन्होंने डाल लिया, लेकिन अबकी उन्होंने जो अपनी दीये जैसे बड़ी बड़ी आँखों को उठा के देखा मैं उनका डर समझ गयी, बस हाथ दबा के, अपनी ओर दुबका के मैंने बिस्वास दिलाया, बिन कहे,


' होलिका माई की बात याद रखिये बस'

कुछ देर में हम लोग कच्चे आंगन में जहाँ पांच दिन पहले रात में मैंने ननद ने बच्चे वाली पट्टी से चेक किया था, साथ साथ मूत के, दोनों की एक लाइन, न मैं गाभिन न वो। आज फिर उकडू मुकड़ू हम दोनों बैठ गए, जाँघे फैला के, ननद के जाँघों के बीच मैंने गुदगुदी लगाई, और छेड़ा,

" अरे मूता कस के, रोकी काहें हो "


Teej-6c6052efbae7fc2697b938f6fddb6b83.jpg



पहले तो एक दो बूँद, फिर तेज धार, अब ननद चाह के भी रोक नहीं सकती थीं,

बस मैंने उस जांच वाली पट्टी को, जैसे आशा बहु ने समझाया था सीधे मूत की धार में, और फिर हटा लिया, और मैं भी ननद के साथ

जब हम दोनों उठे, तो बड़ी देर तक मैं वो जांच पट्टी हाथ में लिए देवता पित्तर, होलिका माई की दुहाई, फिर खोल के देखा, दो लाइन लग तो रही थी,

ननद परेशान का हुआ, लेकिन आंगन के उस कोने में अँधेरा सा था, जिधर रौशनी थी, हम दोनों उधर आये,

भोर बस हुआ चाहती थी, हलकी सफेदी सी लग रही थी, एकाध चिड़िया चिंगुर बोलने लगे थे,

ननद को मैंने दूर कर दिया और अब साफ़ साफ़ देखा,

पक्का दो लाइन,


Pregnent-e7f2ez-GPRIQNt2-GN3-Ttm-Wc2-Fg-Xg5-Gj-ECF5-MJu39-Q.jpg


मेरी मुस्कान से ही वो समझ गयीं, एक बार पूरब मुंह हो के मैंने हाथ जोड़ा और दौड़ के ननद को बाँहों में भर लिया और वो मारे ख़ुशी के चिल्लाई,


" भौजी, हमार भौजी.... "
Teej-126054893-4041322385911904-596345387626881633-o.jpg


ख़ुशी के मारे न मुझसे बोला जा रहा था न मेरी ननद से, जैसे छोटे छोटे बच्चे आंगन में बादल आने पर गोल गोल घूमते हैं हाथ फैला के, गोल गोल चक्कर काटते हुए बस हम दोनों ननद भौजाई, उसी तरह

फिर मैंने अपनी ननद को बाहों में भर लिया, क्या कोई मर्द किसी औरत को दबोचता होगा, और कस कस के उनको चूमते, होंठों को चूसते बोली,

" मिठाई खाउंगी, पेट भर, "


" एकदम खियाइब लेकिन तबतक नमकीन खारा ही, "

सच में पक्की बदमाश ननद, और मेरा सर खींच के अपनी जाँघों के बीच, जहां अभी भी, लेकिन कौन भौजाई ननद क रसमलाई छोड़ती है, जो मैं छोड़ती, बस बिना ये सोचे की वहां अभी,

कस कस के चूसने चाटने लगी, और फिर दोनों फांको को फैला के ननद की चूत से बोली,

" अरे चूत महरानी, आपकी जय हो, जउन बढ़िया खबर आप दिहु, जउने चूत में हमरे मरद क लंड गपागप गया, जेकर मलाई खाऊ, ओहि चूत में से नौ महीने के बाद अँजोरिया अस गोर गोर बिटिया हो, खूब सुन्दर "


Pussy-IMG-20230719-061229.gif


नन्द मेरी बात सुन के खिलखिला रही थीं, हंस रही थीं, लेकिन हँसते खिलखिलाते आगे की बात मेरी ननद ने ही पूरी की,

" और ओह बिटिया की चूत में हमरे भाई क,हमरे भौजाई के मरद क लंड गपागप सटासट जाए "

और मैंने नन्द को अँकवार में लेटे लेटे ही भेंट लिया।



थोड़ी देर में हम दोनों बोलने लायक हुए तो उसी हालत में लथर पथर,... सास के सामने हम दोनों,

हम दोनों को देख के वो समझ गयीं खुशखबरी, उनके चेहरे की चमक मुस्कान रुक नहीं रही थी, उन्होंने हाथ बढ़ाया और मेरी ननद उनकी बाहों में

देर तक माँ बेटी भेंटती रही, न बेटी बोली न माँ, बस माँ कभी बेटी के खुले बालों पे हाथ फेरतीं, कभी पीठ सहलातीं, फिर उन्होंने मेरी ओर हाथ बढ़ाया,



lez-frnds-IMG-20240516-044353.jpg


लेकिन मैंने मना कर दिया, " आज आपकी बात नहीं मानूंगी "

उन्होंने मेरे गौने उतरने के अगले दिन ही मना कर दिया था की मैं उनके गोड़ न छूउ, वो मुझे बेटी की तरह ले आयी हैं।



घूंघट माथे से नीचे लाकर, दोनों हाथों से आँचल पकड़ के माथे को सास के दोनों पैरों पर लगाकर पांच बार मैंने सास के पैर छुए और बस यही मन में मांग रही थी,

" मेरी ननद खुश रहे, नौ महीने में बिटिया ठीक से हो अच्छे से हो, किसी की नजर न लगे हमरे ननद के सुख पे "
Bhabhi aap ne sabse bada punye ka kam kiya hai
 
Top