नीलुआ मजा लेना भी जानती है...नीलू की दोहरी रगड़ाई
मुझे देख छेड़ते बोली,
" मिली मिली, लेकिन पहले बोला की हम सब के सामने, अभिन आज ही एही बाग़ में नयकी भौजी को रगड़ रगड़ के चोदबे की ना, हम सब ननदन के सामने तब मिली वरना तड़पा, "
पंकज कुछ बोल पाता की मैं ही हंस के अपने देवर की ओर से बोली,
" हाँ बोल दे पंकजवा हाँ..... देवर भौजी के बीच में नंदों का क्या काम "
और पंकज ने हाँ बोल दिया लेकिन नीलू इतनी आसानी से थोड़ी छोड़ने वाली थी झुक के उसके मुंह पे चुम्मा ले के बोली
" हाँ का आपन महतारी चोदबे ओकरे लिए हाँ बोल साफ़ साफ़,... केके चोदबे आज यही बाग़ में हम सब लड़कियन के सामने। "
और पंकज ने बोल दिया
" हाँ चोदब नयकी भौजी के और अभी तोहनन के सामने आजे यही बगिया में "
बस खुश होके नीलू ने एक हाथ से पंकज के गाल दबाये, पंकज का मुंह खुला और नीलू ने अपनी बड़ी बड़ी कड़ी कड़ी चूँची पेल दी अंदर।
पंकज चुसूर चुसूर चूसने लगा, नीलू ने पंकज के दोनों हाथों को पकडे पकडे एक धक्का और मारा और अबकी पूरा लंड अंदर , धक्के वो नहीं मार रही थी लेकिन ये साफ़ लग रहा था की अपनी चूत में पंकज का लंड निचोड़ रही है।
मस्ती से पंकज की हालत खराब हो रही थी , मुंह में एक इंटर में पढ़ने वाली की चूँची, लंड उसकी चूत में जड़ तक घुसा,...
पर थोड़ी देर चुसाने के बाद चूँची उसने खींच ली, और मज़ा लेते बोली,
" मजा आया भौजी के देवर को,... अच्छा चल अभी नयकी भौजी क बुर हम सब लड़कियन के सामने एही बगीचा में चोदोगे लेकिन हमरी छिनार नयकी भौजी के देवर ये बोल स्साले, ... की हमरे नयकी भौजी क इतना मस्त मस्त मोट मोट कसा चूतड़, चलती हैं तो पिछवाड़ा देख के मनई कौन गदहा घोडा क टनटनाय जाता है,
तो तोहरे नयकी भौजी क बुर तो तू चोदबा लेकिन ओनकर गाँड़ कौन मारे, ... हमरे भैया क सार,... "
अब सब ननदें वो भी जिनकी आज ही पहली बार फटी थी टांग सीधी नहीं की जा रही थी, बोल पड़ीं और सबसे तेज आवाज हिना की थी पठान टोली वाली की
" स्साला खुद ही गांडू है, पक्का गंडुवा वो का गाँड़ मारेगा हमरी भौजी का "
बात एकदम सही थी. ऐन होली के दिन इन्होने कितनी हचक के गाँड़ मारी थी उसकी, उस समय एकदम कोरी थी और मैं झांक रही थी। उसी दिन रात में फिर मेरे सामने ही ट्रेन में दो बार इन्होने अपने साले की , मेरे ममेरे भाई की ( सगा तो कोई है नहीं लेकिन सगे से बढ़कर राखी भी हम सब बहने उसकी को बांधती है और मेरी शादी में लावा परछाई की, भाई की सब रसम उसी ने की ) गाँड़ जबरदस्त मारी।
मेरा छोटा भाई है तो तो मैं क्यों छोड़ देती, एक बार मैंने भी उसे खुद ऊपर चढ़ के चोदा, लेकिन ट्रेन से उतरते समय जब मैंने उससे पूछा की बोल दीदी के साथ मजा आया ज्यादा या जीजू के साथ। तो शर्माते हुए हंस के वो बोला, दी
" आप बड़ी हो, बुरा मत मानना, आपके साथ भी मजा आया लेकिन जीजू के साथ ज्यादा मजा आया। "
जबतक मैं नीलू के जवाब में खुद अपने देवर की ओर से हाँ बोलती, पंकज ने खुद बोल दिया,
" हाँ मारूंगा न भौजी की गाँड़ और आज ही, " मैं उसके सर के बगल में ही बैठी थी , फिर मुझे देख के हंस के वो बोला,
" काहें भौजी हाँ न "
" एकदम हाँ , नहीं तो हम तोहार गाँड़ मार लेब मुट्ठी से कोहनी तक , लेकिन पहले हमरी ननदिया को चोदा। " मैं भी हंस के बोली।
नीलू ने पंकज को को कस कस के ऊपर चढ़ के चोदना शुरू कर दिया था। सच में विपरीत रति में पक्की एक्सपर्ट थी मेरी ननद,... और अब मैं नीलू के पीछे उसके ऊपर नीचे होते चूतड़ देख रही थी। दो चार धक्के वो जोर से मारती लेकिन जब एक बार पंकज का लंड अंदर ले लेती तो पन्दरह बीस सेकेण्ड के लिए रुक जाती उसे तड़पाती ,
और थोड़ी देर में खूंटा बिल के अंदर था,.. लेकिन ये सब खेली खायी ननदें थी इनका काम एक से नहीं चलना था मैंने पंकज के एक दोस्त को ललकारा,...
" अरे देख का रहे हो, पिछवाड़े के लिए भरौटी अहिरौटी से किसी को बुलाऊँ की अपने मायके से,.. अइसन चाकर चूतड़, चिक्कन, भूरी भूरी कसी गाँड़, अरे तुम नहीं गाँड़ मारोगे तो हम सब भौजाई मिल के तोहार गाँड़ मार देंगीं। "
और खुद जाके नीलू का चूतड़ सहलाते उसकी गाँड़ का छेद खोल दिया,.. अभी भी टाइट थी , मारी तो गयी थी लेकिन ज्यादा नहीं।
मैं पहले तो थोड़ी देर नीलू की दुबदुबाति कसी गाँड़ देख रही , थी भूरा भूरा संकरा कसा कसा छेद, और हचक के गाँड़ मारने के लिए लंड का लम्बा मोटा होने से ज्यादा जरूरी है खूब कड़क होना, हाँ मोटा भी खूब हो, गाँड़ के छल्ले को फाड़ते हुए दरेरते रगड़ते घुसे तो मजा मारने वाले और मरवाने वाले/ वाली दोनों का दुगना हो जाता है,
पंकज के दोस्त पे मेरी निगह टिक गयी, एकदम लोहे का रॉड और मोटा भी खूब था, खास तौर से सुपाड़ा जबरदस्त मोटा था, अपने दोस्त और नीलू की चुदाई देख के बौरा रहा था, मैंने सब लौंडो को ललकारा
" अरे देख का रहे हो, पिछवाड़े के लिए भरौटी अहिरौटी से किसी को बुलाऊँ की अपने मायके से,.. अइसन चाकर चूतड़, चिक्कन, भूरी भूरी कसी गाँड़, अरे तुम नहीं गाँड़ मारोगे तो हम सब भौजाई मिल के तोहार गाँड़ मार देंगीं। "
और खुद जाके नीलू का चूतड़ सहलाते उसकी गाँड़ का छेद खोल दिया,.. टाइट थी , और सीधा पंकज के दोस्त को बोला,
" अरे तोहार दोस्त अगवाड़े क छेद मजा ले रहे हैं, तुम पिछवाड़े क मजा लो, की कहीं तुन्ह गाँड़ मारने से ज्यादा गाँड़ मरवाने में मजा लेते हो तो हम सब भौजाई पकड़ के,... "
मेरी बात पूरी होने के पहले पंकज के दोस्त ने पूरी ताकत से नीलू के दोनों चूतड़ पकड़ के कस के ठोंक दिया, एक धक्के में ही सुपाड़ा अंदर, मैं कस के नीलू की दोनों चूतड़ फैलाये हुए थी,
" उईईई " नीलू जोर से चीखी,
उसके हाथ का जोर पंकज की कलाई के ऊपर से कम हो गया बस पंकज को मौका मिल गया, उसके हाथ छूट गए , एक हाथ से पंकज ने नीलू की चूँची पकड़ी और कस कस के निचोड़ने लगा और दूसरे हाथ से नीलू की कमर पकड़ी और पूरे जोर से धक्का मारा, लंड एक बार फिर से नीलू की बुर में आधा से ज्यादा,
धक्के पर धक्के और अब नीचे से पंकज ने चोदना शुरू कर दिया था पीछे से उसका दोस्त सिर्फ सुपाड़ा घोंटा के पूरी ताकत से नीलू को अपने दोस्त के लंड पे पंकज के खूंटे पे दबा रहा था। और जब पंकज का लंड पूरी तरह से नीलू ने लील लिया, पंकज ने अपने दोनों हाथों से कस के नीलू की कमर को भींच लिया और पीछे से पंकज के दोस्त ने नीलू की कसी गांड में अपना लंड धीरे धीरे ठेलना, पेलना शुरू कर दिया।
पंकज का दोस्त गाँड़ मारने का जबरदस्त शौक़ीन लग रहा था, कभी हलके से पीछे खींच के एक ही जगह पर बार बार रगड़ता, दरेरता तो कभी आलमोस्ट बाहर निकाल के पूरी ताकत से नीलू की गोल गोल चूँची पकड़ के ऐसा कस के धक्का मारता की नीलू की जोर से चीख निकल जाती,
" ओह्ह्ह्हह्ह उह्ह्ह नहीं , रुक स्साले ओह्ह धीरे कर, भौजी बोलो न इसको,... "
नीलू अब चीख रही थी और सब भौजाई मजे ले रही थीं सुगना भौजी चिढ़ा रही थीं
" अरे ठीक तो है, ससुरारी में ऐसे देवर नन्दोई मिल के होली में पिचकारी ठेलंगे अभी से प्रैक्टिस कर लो ननद रानी , अरे अभी सब ननदों पर दो दो तीन चढ़ेंगे"
हिना उन्ही के साथ बैठी थी उसे आगे कर के दिखाते बोलीं,
" देख लो नजदीक से कैसे गपागप जा रहा है, आगे पीछे एक साथ ऐसे मजा आएगा तुझे भी, ... "
और चार पांच मिनट गांड मारने के बाद पंकज का दोस्त रुक गया और फिर नीचे से पंकज चोदने लगा। लेकिन थोड़ी देर बाद दोनों साथ , पंकज और उसका दोस्त साथ में लंड निकलते, साथ में लंड डालते जैसे दोनों मूसल के बीच पतली सी चमड़ी थी , दो दो मूसल से रगड़ी जा रही थी , दो दो बार नीलू झड़ चुकी थी
और देना भी...
अब तो नीलुआ गांड के एक्सपर्ट से आगे पीछे दोनों ओर का मजा ले रही है....
पूरी देह गनगना उठी होगी.. इस नीलुआ की...