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एकदम आखिर सबसे बड़ी है, सबकी जेठानी।अब जाके जीत का सेहरा जिन लोगों पर है उनका भी मजे लेने का वक्त आ गया...
और दूबे भाभी की कैपेसिटी .. तो अपरंपार है...
सारी की सारी देवरानियाँ फेल....
एकदम आखिर सबसे बड़ी है, सबकी जेठानी।अब जाके जीत का सेहरा जिन लोगों पर है उनका भी मजे लेने का वक्त आ गया...
और दूबे भाभी की कैपेसिटी .. तो अपरंपार है...
सारी की सारी देवरानियाँ फेल....
बहुत बढ़ियाभाभी -देवर का खेल....
सबसे होगा इनका मेल...
और शिलाजीत की गोली भी दूबे भाभी सौजन्य से हैललचाने वाली चीज देख के ललचाएगा हीं..
आखिर मौका भी है और दस्तूर भी...
पहले जब ननदें जीतती थीं तो उन्हें भौजाइयों को साल भर नीचा दिखाने का मौका मिलता था, उन्हें घर के अंदर और बाहर हुकुम चलाने का अवसर मिल जाता था . बहुत हुआ तो कबड्डी जीतने के बाद नाक रगड़वाना, या इस तरह के और लेकिन लड़के मैदान में नहीं आते थे।विनोदवा और दूबे भौजी लगता है...
एक दूसरे के पूरक बने हुए हैं...
लेकिन दूबे भौजी इतने दिनों से अछूती कैसे रह गई...
जबकि भौजाइयां पहले कई बार हार चुकी थीं...
अरे छुटकी गाँव में ही है और कहानी में लौटेगी तो धूम धड़ाके के साथ,ऐसे में सुनता कौन है...
सबके सब इनाम के लालच में ..
खास करके.. छुटकी...
जो इस बार के बाद पता नहीं कब गाँव आएगी...
Overtime karegiरोजाना .. एक दर्जन....
बाप रे.... हीना को तो फुरसत हीं नहीं मिलेगी....