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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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एकदम ऐसा ही होगा,पहली बार फटने के बाद .. सरपट घोड़े दौड़ने चाहिए..
आगे-पीछे .. ऊपर नीचे सब तरफ...
इसलिए तो कहा है अहा ग्राम्य जीवन भी क्या, ...नेचुरल वातावरण.. नेचुरल बिछावन... नेचुरल लुब्रिकेंट..
और नेचुरल चमड़े का डंडा...
मनमोहक... मनभावन...
एकदम सही कहा आपने खेत में फसल लहलहा रही हो , उसे काटा न जाए, पेड़ पर फल लग के पक रहे हों उन्हें तोड़ के खाया न जाए, तो काहें की खेती और काहें के फल,...सचमुच फसल तो झूम रही ... लहलहा रही है..
बस काटने वाले का इंतजार है...
और सिर्फ इसी कहानी में नहीं, बाकी कहानियों में भीओ... सच...
१४ से ४४ का सफर तय होगा...
एकदम और शुरू में थोड़ी बहुत जबरदस्ती न हो तो बाद में वही कहेंगी, " मेरे मना करने से क्या हुआ, ... तुम मान क्यों गए. "और बाद में दोनों को मजा आता है.....
अरे नहीं, एकदम कच्ची कोरी भी, ... रेनू के बाद हिना पर भी तो कमल में नंबर लगाया था। एकदम कच्ची कोरी, आगे और पीछे दोनों ओर का फीता उसी ने तो काटा था,खेली खाई ननदें और भौजाइयां हीं सामना कर पाएंगी...
दूज के चाँद से पूरनमासी का चाँदऔर नीचे छेद भी चाँद जैसा गोल हो गया...
आगे आगे देखियेसंध्या भाभी का सीन कट हुआ तो लगा जैसे KLPD हो गया...
इस बार अच्छे से संध्या भाभी का ... साथ में दूबे भाभी के साथ गर्हित प्रसंग भी चार चाँद लगा देगी...
आम्र मंजरी सिर्फ पुष्प धन्वा के पंच शरो में से एक नहीं है, वह ग्राम मन्यताओं और विश्वासों से भी जुड़ा, और जीवन चक्र, पेड़ पौधों से अलग नहीं रहता, इसलिए आम्र मंजरी, पुष्पित होना, किसी कन्या के युवती होने से, रजस्वला होने से जोड़ कर देखा जाता है और फल का आना गर्भवती होने से। होलिका के प्रसंग को इसलिए एक बार इस पोस्ट में रेखांकित किया गया की ग्राम जीवन की कहानी है तो उसके मिथक, प्रतीक, मान्यताएं और विश्वास का भी कहीं कहीं जिक्र होता है। और हर गांव में एक ऐसा पेड़ होता है जिसपे या तो बरम बाबा ( ब्रह्मराक्षस ) रहते हैं या वो आशीष देता है .गुलबिया और दूबे भाभी कन्या रस का रसास्वादन...
और पुरानी मान्यताओं के न मानने से उत्पन्न संकट...
इस बार सबकुछ सही-सही होगा...
और जैसा रज्जो भाभी ने बताया,बिना मस्टराइन के पढ़ाए-सिखाए..
और ट्रेनिंग दिए ..
इन सबका कल्याण नहीं होने वाला है...