छक्के छुड़ाने की कूवत रखती है...Chame
Chameliya ne beshak sirf ek mard , apne pati ke sath abhi tk kabaddi ki hai lekin wo is khel ki pakku khiladin nikli
छक्के छुड़ाने की कूवत रखती है...Chame
Chameliya ne beshak sirf ek mard , apne pati ke sath abhi tk kabaddi ki hai lekin wo is khel ki pakku khiladin nikli
जिस पर सबकी नजरें टिकी है...N
Lekin ek bhabhi to reh gayi, jiska sabko intejar hai, jispar sab devar chadhenge
छुटकू के नथ उतारने का मजा जो लेना है...Komal bhabhi to itna garma gayi yeh sab dekhkar ki koi nhi mila to chhote devar pr jabardasti chadh gyi
अब बंटी घंटा बजाएगा...Apne ekdam miss nahi kiya, din men itti jyada ghantnaaye ho rhi thi to kuch flash back men bhi aayengi aur isme to 4 -5 din pahle vaali holi ka bhi jikra hai jo is ke prequel men hai
Maja Pahli holi ka sasuraal meErotica - मजा पहली होली का ससुराल में
मजा पहली होली का, ससुराल में( इस कहानी के सभी पात्र वयस्क हैं और सभी चित्र इंटरनेट से लिए गए हैं यदि किसी को कोई आपत्ति हो तो टिप्पणी कर सकता है। अंडर एज सेक्स न सिर्फ इस फोरम के नियमों के खिलाफ है बल्कि वैधानिक रूप से भी निषिद्ध है , और मैं वयक्तिगत रूप से भी इसे नहीं पसंद करती।)मुझे...exforum.live
हर कुटाई क्या..देखिये दो बातें साफ़ साफ़
एक तो पांच अपडेट लगे पन्दरह लगे
दूसरे किसी को अच्छा लगे बुरा लगे,
पठान टोली वालियों की तो कुटाई जम के होगी, ज़ीनत, जन्नत, शमा, मुमताज,
आयशा, तमन्ना और बाकी जितनी हैं सब की सब ,
और सब का, एक एक का हाल खुलासा सुनाया जाएगा, जब तक सब की सब चंदा ( जो खुलेआम लंगर चलाती है, बिना भेदभाव के समरसता से जो भी मांगता है ,मना नहीं करती ) का सब के सब नंबर नहीं डकायेंगी,
हाँ हर कुटाई पर आपको कमेंट करना होगा
नदी किनारे ..एकदम सही कहा आपने
जोड़ा बनाने के लिए जोरा करनी होगी तो वो भी होगी, गन्ने के खेत में अरहर के खेत में, नदी के किनारे, सरपत और बँसवाड़ी के पीछे, आम की बगिया में टिकोरे लुटे जाएंगे।
सही कहा...हाँ लेकिन चरम उत्कर्ष और चरम ( चर्म ) सुख फागुन में ही मिलता है देवर को भी भाभी को बाकी तो बतकही और नैन मटक्का में निकल जाता है।
महतारी सब को भी तो कुछ इच्छा होगी....और एक एक करके अपनी टोली वालियों, को सारी सैयदाइन को, चचेरी बहनों, पडोसीनो, सहेलियों को भी ले आएगी, और जो हिचकचायेंगी उनका नाड़ा अपने हाथ से खोलेगी।
कोई छेद खाली नहीं छूटना चाहिए...ननदें भी तो भौजाइयों की सिखाई हैं, इसलिए वो भी छेद छेद में भेद नहीं करती, फिर देवर ज्यादा भौजाई कम, तो बस एक एक पर तीन तीन,... तीन नहीं तो दो और बचे छेद पर ननदें अपना हक जताएंगी।
मेला लगेगा...कोमल जी लगता है कि कुछ बड़ा होने वाला है।
होली की शुभकामनाएं
सादर