• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,659
173
इस पोस्ट के साथ आप ही न्याय कर सकती थीं, इस पोस्ट में मैंने एक अलग वातावरण, बँसवाड़ी, महुआ और आम के पेड़, चूता हुआ महुआ महुआ और आम के बौर की महक, और एक नशीला सा माहौल बनाने की कोशिश की थी, लेकिन जो बात शायद मेरी पोस्ट नहीं कह पायी, वो आपकी इन पंक्तियों ने कह दिया

महुआ की शराब सा नशा भाभी के योवन रस में
दौर रहा है बन के लहू कमल की हर एक नस में

सेज बनी है फूलों की और महक आम के बौर से
महक रही है फिजा सारी मदमस्त हवा के शोर से

देह संबंधो के वर्णन में कई बार दुहराव सा आ जाता है, आखिर क्रिया तो एक ही है, पर मन के आँगन में जो स्मृतियाँ रहती हैं वो ऐसे ही

पलों की रहती हैं, कभी आंगन में बारिश में नहाते हुए, कभी चांदनी में डूब कर, और उस समय युगल दम्पति नहीं बोलते यही माहौल बोलता है

जो अनकहा रह गया, सिर्फ मह्सूस किया गया उसे शब्दों का रूप देने की कोशिश इस पोस्ट ने की थी, जिसे आपने पूरा किया, बहुत बहुत आभार
महुआ के नशे में मदमाते दो यौवन ..
शाम के धुंधलके में दो जिस्म एक जान...
और ऊपर से रेनुआ साली कमीनी....
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,659
173
आरुषि जी जो अनकहा रह जाता है, जो गूंगे का गुड़ है, जिसके लिए कहा जाता है ' गिरा अनयन, नयन बिनु बानी' उन्हें शब्द देती हैं।

उनका लिखा एक एक शब्द अरसे तक गूंजता रहता है।
आरुषि जी.. शब्दों के साथ यूँ खेलती हैं...
जैसे वो उनके इशारे पर नाच रहा हो...
और सारी भावनाएं कम पंक्तियों में हीं व्यक्त हो जाती है...
 

Shetan

Well-Known Member
14,814
39,415
259
ननद मेरी, चम्पे का फूल

37bf04b7adac8bb1376daba0555994b9.jpg


---

----
ननद मेरी एकदम मेरी नकल,... मैं अपनी सास की चिढ़ाती भी थी

" लगता है कभी हमारे बाऊ जी आये थे इधर, वरना हमारी और आपकी बेटी की शकल एकदम मिलती कैसे है "

कभी वो प्यार दुलार से मुझे पकड़ के दबा लेती,... और नम आँखों से कहतीं,

" पागल है तू अरे मेरी असली बेटी तो तू ही है, हरदम रहेगी मेरे पास। बाकी सब तो नीम की चिरैया हैं, आज यहाँ कल उड़ के कहीं और अपना घोंसला बनाने लगेंगी, तिनके तिनके जोड़ कर"

लेकिन थीं तो मेरी सास ही. वो छोड़ दें मैं उन्हें छेड़ने का मौका नहीं छोड़ने वाली थी. मैंने चिढ़ाया,

" फिर तो आपका बेटा पक्का बहन चोद है,... "

" वो अकेला थोड़े ही होगा और न पहला, अरे इस गाँव के सब मरद, बहनचोद पहले हैं,... " सास मेरी हंस के जवाब देतीं ,
Teej-MIL-IMG-20231012-021759.jpg


और बात उनकी सही थी, बात ये थी की पहले दिन से मेरी और मेरे सास की दोस्ती पक्की हो गयी थी, आखिर हम दोनों ही तो इस गाँव की बहू थे,... उनका डोला बाइस चौबीस साल पहले उतरा था, मेरा साल भर हुए लेकिन थे तो हम दोनों ही बहू हैं और इस गाँव की लड़कियां हमारी ननदें।

तो आज उनका बेटा असली बहनचोद बनने जा रहा, वो भी मेरे सामने। और पक्का बहनचोद, एकदम खुल्ल्म खुल्ला वाला, सिर्फ एक दिन के बाद मैं थोड़ी छोड़ने वाली थी अपनी ननद को अपने मरद के नीचे लिटा के,...



लेकिन मैं भी न बात कहाँ से शुरू करती हूँ कहाँ पहुंचा देती हूँ इसलिए तो ऐसी कहानियों को न कोई पढता है न कमेंट करता है,



बात हो रही थी ननद के रूप की जोबन की,... मैंने कहा था न एकदम मेरी नक़ल, लम्बाई में एकदम मेरे बराबर, ५-५ से आधा सूत कम, वो भी मैं भी,...



उमर में मुझसे डेढ़ दो साल बरस बड़ी थीं, ... शादी हमारी शादी के दो साल पहले हो गयी थी,

गोरी चम्पई भी मेरी तरह, और जोबन भी एकदम चोली फाड़, थे तो ३४ के लेकिन २८ की कमर पर अच्छे खासे बड़े लगते थे और चोली भी एकदम टाइट पहनती थीं,...
Teej-z-Archanna-Guptaa-11.jpg


बस फरक दो था, एक तो वो हंसती थी तो गाल में जबरदस्त गड्ढे पड़ते थे, ... सगाई में आयी थीं तो माँ ने ये गाल का गड्ढा देखकर बोला,

" छिनार क निशानी "

Dimples-900-rbrb-0742-girl-looking.jpg


और दूसरा फरक था तिल. मेरी ठुड्डी पर एक जबरदस्त तिल था और ननद के गाल पर. लेकिन गौने आने के तीन चार महीने बाद हम ननद भौजाई एक मेले में गए, गुदना गुद रहा था। उन्होंने एकदम मेरे तिल की तरह अपनी ठुड्डी पर गुदवा लिया,... और मैं काहें पीछे रहती तो मैंने भी उनके गाल की तरह अपने गाल ओर ठीक उसी जगह, उतना ही बड़ा।

बहुत मजा आया मेले में, और मेले में क्या पूरे सावन में,

सावन में सब लड़कियां अपने मायके जाती हैं, तो मेरी ननद भी आने वाली थीं, और मेरी सास मेरे पीछे पड़ी थीं की मैं मायके जाऊं, और मैंने साफ़ मना कर दिया सास से

" मैं नहीं जाउंगी, मेरी ननद आएँगी, "

मेरी सास कभी हँसे कभी गुस्सा हों, कहने लगी,


" मैं भी न तेरी सकल सूरत देख के ले आयी, थोड़ा सर पर ठक ठक कर के देख लेती अंदर कुछ दिमाग विमाग भी है की नहीं। सब बहुये, मायके जाने के नाम पे बिना सास से बोले सामान बाँध के बैठी रहती हैं और ये लड़की है, चार महीने हो गए, गौने आये, आज तक मायके जाने की बात नहीं और सास बोल भी रही हैं तो साफ़ मना कर रही है, वो भी सावन में "

Teej-MIL-desktop-wallpaper-monalisa-bhojpuri-actress-thumbnail.jpg


उस समय, घर में खाली सास ही थीं,

जेठानी मेरी तो,... एक पैर उनका बंबई में, जेठ जी तो बंबई में ही रहते थे, कुछ काम धंधा था, मेरी शादी और गौने में आये थे, उसके बाद एक दो दिन के लिए एक दो बार, तो जेठानी पंद्रह बीस दिन के लिए जेठ जी के पास गयी थीं साथ में मेरी छोटी ननद भी, तो बस मैं सास और ये,

और मैंने भी सास को साफ़ साफ़ समझाया,


" देखिये मायके में एक तो ज्यादा झूला उला होता नहीं, बहुत हुआ तो बरामदे में एक रस्सी टांग के, यहाँ बाग़ में खुले में झूला झूलने का मजा वो भी ननदों के साथ,


jhula-2.gif


दूसरे हम सुने हैं की गाँव में मेला, और शहर में कौन मेला, और तीज की तो बात मत करियेगा, हमारे यहां भादो की तीज होती है, अपने बेटे को बोल दीजियेगा, तीज के एक दिन पहले मुझे ले जायँ और अगले दिन वापस ले आएं, बस वो भी आप इतना कह रही हैं नहीं तो क्या ससुराल में तीज नहीं कर सकते ?

लेकिन मेरी सास भी एकदम पीछे पड़ी थीं, पहला सावन, अंत में मैंने उन्हें बोल ही दिया,

" आप बार बार कह रही थीं न सावन में मायके जाने को, कितने साल हो गए आपको इनके मामा के यहाँ गए, तो हो आइये और पन्दरह दिन के पहले लौटीं न तो दरवाजा नहीं खुलेगा, बस मेरी ननद के आने के अगले दिन, और अपने बेटे को भी साथ ले जाइयेगा, आप इनके मामा के साथ झूला झुलियेगा और ये अपनी ममेरी बहनो के साथ, मेरी ननदो के साथ, साथ जाइये साथ आइये, तब तक हम ननद भौजाई यहाँ "
Teej-103259846-285389939496432-5457728628452036950-o.jpg


एक दिन मजाक मजाक में है मैंने असली कारण भी बता दिया,

" देखिये हमारी जेठानी जी आ जाये, दो चार दिन बंबई की थकान मिटा लें, फिर देखा जाएगा, आपको अकेली छोड़ के मैं नहीं जाने वली धक्का देके भी भेजेंगी तो भी नहीं, आपके सर में दर्द होगा तो तेल कौन लगाएगा, फिर मैं मायके में, और लौटी तो देखा की मेरी सास को कोई उठा ले गया, तो दूसरी सास कहाँ से लाऊंगी, आठ दस रूपया देके भी मंगल वाली बजार में नहीं मिलेंगी "
वाह मेने कहा था एक बार समधी समधन के नाम का मज़ाक होना चाहिये. लगता है हमारे बाउजी कभी आए थे यहाँ. तभी तो मेरी और सासुमा की बेटी की सकल मिलती है.

क्या छेड़ा है सासु माँ को.

सास भी मस्त हे. मेरी बेटी तो अब तू है. लेकिन मौका छोड़ दे वो कोमलिया नहीं. पूरा गांव बहन चो.....

पर आखिर सास भी तो कभी बहु थी. बेटी ही बहु को बना लिया और ताना परफेक्ट. माझा ला दिया. और कबूल लिया.

अमेज़िंग नांदिया के छिनार्पन की तो पीएचडी. कुछ भी नहीं छोड़ा जबरदस्त.

IMG-20240430-114845
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,659
173
आपने इन पांच लाइनों में ननद भाभी के रिश्ते के बारे में वो सब कह दिया जो मैं शायद कई कहानियों में नहीं कह पायी। और गाँव की बात तो एकदम सोलहों आना सच, खेत खलिहान की बात भी और ट्रैक्टर ड्राइवर से लेकर गाँव के डाक्टर तक,

आप ऐसे पाठक पा कर कहानी धन्य हो जाती है।
और कई बार तो दिशा-मैदान के खातिर जाते समय ..
या फिर स्कूल के संगी साथी... या फिर स्कूल के रस्ते के भंवरे...
मास्टर(गुरु जी) भी कुछ कम रंगीले नहीं होते...
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,659
173
अरे हिना और पठानटोली वालियों का किस्सा अभी विस्तार से आएगा जैसे कबड्डी और उसके बाद वाला था आठ दस पार्ट्स में और एक पार्ट में पांच छ पोस्ट से कम, कुछ पटा के कुछ बहला फुसला के, और कुछ की जबरदस्ती, लेकिन ली सबकी जायेगी और तस्सलीबक्श तरीके से ली जायेगी।
हर उम्र की पठानटोली वालियों की ..
और सारे छेद लबालब भरे होने चाहिए...
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,659
173
अब ये फोटो ही पठानटोली वाले हिस्से का आधार बनेगी, हिना ने ले लिया, तो बाकी सब क्यों तरसें
This is called networking..
और अपनी जमात के बढ़ोतरी के लिए सारा जोर लगाएगी हीना रानी...
 

motaalund

Well-Known Member
9,165
21,659
173
महुआ और आम के बौर की महक ही बौरा देती है, इसलिए इस प्रसंग के लिए मैंने यह जगह चुनी, बाकी लोगो से अलग, सिर्फ तीन, रेनू, कमल और जिसने रेनू कमल की गाँठ जुड़वायी,
वो सोंधी खुश्बू ...
अब तो बस यादें हीं रह गईं हैं...
 
Top