उन के घर में सुख शान्ति के लिए भी जरूरी था, जिस तरह से कमल की माँ ने कहा था ,
ललिया ने कैसे रेनू और कमल के बीच अम्बुजा सीमेंट वाली दीवाल खड़ी की थी फेविकोल का जोड़ लगा के जिसे खली भी न तोड़ सके ( पोस्ट ६९२३, दीवाल भाई बहिन के बीच में भाग ७१, पृष्ठ ६९३ ),
और जिस तरह से वो बोलीं,
" लेकिन एक बार फिर वो उदास हो गयी थीं, बहुत धीमी आवाज में बोली
लेकिन तोहरे देवर की किस्मत तो बिगड़ी गयी न, अइसन सोना अस देह सांड़ अस ताकत,.. और महीना दो महीना में कउनो काम वाली, घास वाली , कभी वो भी नहीं, .... हरदम उदास रहता या गुस्से में,.... बहुत चिंता है।
रेनू की चाची ने बताया फिर एकदम चुप, चेहरा झांवा,... बस रो नहीं रही थीं।फिर बहुत धीरे धीरे बोलीं, रेनुआ वो अब एकदम चुप्प, कतो गाना रतजगा होता है तो वहां भी नहीं जाती, मैं सोचती हूँ सादी बियाह होगा गौना होगा तो वहां भी कैसे, ऐसी हदसी डरी घबड़ायी रहेगी तो कैसे और कमल की भी हालात, अइसन सोना अस देह, जांगर ताकत लेकिन हम लोगन तो तो पूरे घर पे जैसे गरहन ,
तो उस पोस्ट के संदर्भ में तो अब पूरा परिवार खुश रहेगा