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Lajawab and hot update komal Ji. Jis chij ki kabhi kabhi kami lgti thi apki story me " conversation during sex", wo yahan poori ho gyiमस्ती ननद भौजाई की
और मैं अपनी बुर फैला के सीधे ननद के मुंह पे ,
" हे मेरे मरद की बहिना, तोहार बुर तो मेरे मर्द का लंड घोंट के मजे ले रही है मेरी बुर का क्या होगा चल चूस "
चूसना तो उन्होंने शुरू कर दिया, पर ननद कौन जो बिस बोल न बोले, बोल दिया उन्होंने,
" अरे मर्द तो तोहार बाद में हुआ, भाई तो हमार जनम से है "
हंस के वो बोली और कस कस मेरी बुर चूसने लगी।
ननद को मैंने और मेरे साजन ने बाँट लिया,
एक जोबन उनके हिस्से में आया एक मेरे हिस्से में, चोदने का काम उनके जिम्मे क्लिट रगड़ने का काम मेरे जिम्मे,...
मैं चूत से भी कस के घिस्से मार रही थी, उनके भाई ने एक बार फिर से चुदाई शुरू कर दी, ननद भी चूतड़ उठा के चुदवाना शुरू कर दिया ,
बहन को सगे भाई से चुदवाती देखने से बड़ा मजा क्या होगा, मैं भी पिघल रही थी,
थोड़ी देर में हम दोनों ननद भौजाई साथ साथ झड़े,
हाँ उन्होने चोदने की रफ्तार थोड़ी धीमी कर दी थी पर रुके नहीं।
चूसने में मेरी ननद माहिर थी, लेकिन काम अभी आठ आने का ही हुआ था, हम ननद भौजाई तो झड़ गए थे
लेकिन मेरे मर्द का तो अभी जस का तस अपनी बहन की बुर में तन्नाया घुसा था,
मैं ननद का खुस खुस चेहरा देख रही थी कितना मजा आ रहा था उसे खुल्ल्म खुला अपने भाई से चुदवाने में, बचपन से दोनों एक दूसरे को देख देख के सोच के...
एक मुट्ठ मारता होगा, एक ऊँगली करती होगी,
और आज मिला मौका,... और एक काम और बचा था,
भौजाई का चाहती है, उसे सबसे अच्छा का लगेगा, उसकी आँख के सामने उसकी ननद चुदे अपने सगे भाई, भौजाई के मरद से, ... भाई बहन को हचक के पेले मस्त होके चोदे,
लेकिन उससे भी अच्छा का होगा,
अगर भाई अपनी सगी बहिनिया को गाभिन कर दे, वो भी अपनी बहन की भौजाई के सामने,
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दूबे भाभी के यहाँ जो आशा बहू आयी थीं, उनसे मैंने अकेले में पूछा था कौन सा तरीका होगा स्योर साट किसी को गाभिन करने के लिए, कौन सा आसान, तो वो हंस के बोलीं ,
"अरे सबसे आसान, बात का है मलाई बच्चेदानी में जाए, फिसल के बाहर न निकल आये. बस। तो ये समझो की बच्चेदानी का मुंह नीचे रहे और चूत का उससे कम से कम तीन इंच ऊपर,..."
मतलब चूतड़ खूब उठा रहे,... उनकी बात समझ कर मैं बोली,...
एकदम वो हंस के बोलीं और फिर उन्होंने आगे समझाया,
देखो, ढलान हो तो पानी अपने आप ही ढलान की ओर जाएगा, तो चाहे मरद ऊपर चढ़ के पेले, चाहे निहुरा के मारे , लेकिन चूतड़ जितना ऊपर उतना अच्छा। दूसरी बात, अगर झड़ते समय, सुपाड़ा एकदम अंदर घुसा हो, लंड लम्बा हो तो बच्चेदानी से एकदम सटा हो तो और अच्छा।
और आखिरी बार, झड़ने के बाद जल्दी औजार बाहर न निकाले, ऐसे ही उठा उठा, रहे। . अरे बीज में से एक ही शक्राणु तो चाहिए न जो अंदर घुस जाए, तो ढलान होगी सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी से सटा होगा, और गिरने के बाद भी निकालेगा नहीं तो हो ही जाएगा,
मान गयी मैं उनको लेकिन आसा बहू फिर बोलीं,
उन्होंने औरत का मामला भी समझा दिया बोलीं, माहवारी ख़तम होने के दस दिन से पंद्रह दिन चांस ज्यादा रहता है और हाँ एक बात और जिस समय औरत झड़ती है उस समय उस का बच्चेदानी का मुंह खुला रहता है और फिर तीन चार मिनट तक, ... अगर उसी समय मरद भी अपनी पिचकारी छोड़े तो चांस बहुत रहता है,...
मैंने झट से जोड़ा, होली के हफ्ते भर पहले ननद ने बाल धोया था, तो दस दिन तो कल पूरा होगया , आज ग्यारहवा दिन है यानी एकदम सही समय।
एक पल के लिए मैंने भैया बहिनी की ओर देखा।
क्या मस्त जोड़ी थी, जोर से चुम्मा चाटी चिपका चिपकी चल रही थी, बहिनिया एक बार अच्छी तरह झड़ गयी थी, लेकिन उसके भैया और मेरे मरद को लौंडिया को गरम करने के १०१ तरीके आते थे, कभी वो चुम्मा लेते मेरी ननद के मीठे मीठे मालपुआ के गाल पे तो कभी होंठ चूसते और एक हाथ तो हलके हलके जोबन को लगातार सहला रहे ही थी,
और मेरी ननद छिनार उनकी बहन भी कम नहीं थी, अब वो भी गरमा रही थी चुम्मे का जवाब चुम्मे से दे रही थी. भैया उनके एक चुम्मा लेते वो दस देती, और बीच बीच में बोल भी रही थी,...
" भइया बदमाशी नहीं चुम्मा चाहे जितना लो, पर गाल जिन काटो, कल सब सहेली चिढ़ाएँगी,... दर्द अलग हो रहा है "
" अच्छा वहां काट लूँ जहाँ सहेली नहीं देखेंगी "
चिढ़ाते हुए उनके भैया बोले और कचकचा के चूँची के ऊपर, ... मैंने मुश्किल से मुस्कान रोकी,... चूँची पर तो लेकिन एकदम ऊपर की ओर, लो कट चोली जो उनकी बहन पहनती थीं उसमे एकदम साफ़ साफ़ दिखेगा,.. और बहन उनकी जोर से चीखी, उनके पीठ के ऊपर मुक्के बरसाने लगीं।
" बदमाश बदमाश,... " बोली वो.
" अच्छा यहाँ चूम लूँ ठीक है न बहना " कह के बहना के भैया उनकी चूँची चूसने लगे,...
नौ महीने बाद यही बहन इसी चूँची से दूध पिलायेंगी भैया को अपने मेरे मन में आया, और जैसा आसा बहू ने कहा था, चूतड़ खूब ऊपर, ...
जितना तकिया था उस पलंग पे इधर उधर इक्टठा कर के, अपनी ननद के चूतड़ के नीचे डेढ़ दो बित्ते पलंग से ऊपर, चूतड़ उनके,...
भाई बहन दोनों गरमा गए थे और एक बार फिर से चुदाई कस के चालू हो गयी थी,
मैं अपने साजन के पीछे खड़ी अपने उभार उनकी पीठ पर रगड़ के उन्हें और गरमा रही थी, वो भी कभी कस कस अपनी बहन के जोबन रगड़ते कभी उसे चूमते और धक्के कभी धीरे तो कभी तेज,...
मैंने उनके कान में कुछ बोला, और वो मुस्करा दिए,...
फिर दो चार करारे धक्को में उन्होंने पूरा लंड अपनी बहन की बुर में ठूंस दिया और कस के चूम के बोला,
" हे सुन, गाभिन कर दूँ तुझे, .... "
" अरे भैया नेकी ओर पूछ पूछ, तोहरे मुंहे में गुड़ घी, पहिला दूध तोहिं के पियाऊंगी "
हंस के खूब खुस होक उनकी बहिन बोली और जोर से अपने बड़े बड़े चूतड़ ऊपर उछाल दिए, कस के भैया को लंड को चूत में निचोड़ लिया।
" पक्का, " थोड़ा सा पीछे खींच के लंड से एक जोरदार धक्का मारते हुए उनके भैया ने पूछा,और उनसे भी तेज धक्का नीचे से बहिनिया ने मारा और
बोली, " पक्का "
" बेटा चाहिए की बेटी " तेजी से चोदते हुए मेरे सैंया ननद के भैया ने अपनी बहिनी का मन टटोला।
" बेटी, एकदम तोहरे अस,... "
अपने जोबन उभार के अपने भैया के सीने में रगड़ती हुयी मेरी ननद ने अपने मन की बात कह दी।