चंद्रमुखी .. सूरजमुखी जैसी...सैया बने नंदोई. वाह तो ननंद बनी सौंतन. गलत तो दोनों मे से कुछ भी नहीं.
रे कोमलिया तेरे सैया तो चढ़ कर झड गए. फिर भी धक्के नहीं रुके. कही एक ख़तम दूसरा दौर शुरू करने के चक्कर मे तो नहीं. JKG की गुड्डी तो कच्ची कली थी. पर ये तो खेली खाई है. देखा पूरा घोंट के एक बून्द नहीं नहीं निकला अपनी मुनिया से. जब की तेरे साजन झडे तब तू ही पिचकारी की गिनती कर रही थी. 5 बार 6बार.. लगता है पूरा आधा गिलाश पानी घोंट के बैठी है तेरे सैया का.
तू भी बड़ी सोखिन है. नरी रस की. नांदिया की चूतड़ों जैसी उठी चुत देखि नहीं की हाथ फेरने लगी. देखा फिर गरमा गई तेरी सौतन कम नांदिया रानी.
गुड्डी की चंदारमुखी और इसकी चुत सूरजमुखी का फूल. चुत नहीं भोसड़ा.
कैसा लगा नांदिया रानी मेरे सैया का लोडा घोंट के.
बोलने मे बड़ी तेज है. तेरे सैया मेरे बचपन के भईया.
बात भी सही. जब तेरे भईया थे तो थी नुनी. अब हे लोडा.
री भौजी तो तू ब्याह के आई तब तुझे नुनी मिली या लोडा.
खेली खाई नांदिया है. याद दिला दी ना तुझे अपनी पहेली रात. उठा ना गया था तुजसे. और तेरी नंदियाओ ने तेरी निचे वाली मुँह दिखाई की जो.
माझा आ गया. बहोत सारे पॉइंट्स तो लिखना भूल गई.
नांदिया बनी सौतन.
जिधर लंड उधर भोंसडा...