Shetan
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Bap re. Ye to pichhli janam to chhodo is janam me bhi nagin hai. Aur vo bhi bahot zaherili. Jor dekar apne bitva ko bula rahi hai. Fir hafte bhar bahar ragegi. Aur uske bad guruji ke asram ki gadi aaegi.4 bouncer ladkiya vo bhi lesbo. Kya kya chir garan honge bechari ke. Ab kuchh to karna padega. Maike mai ke ashirvad ho jae to kuchh ho. Ka hoga hamar nandiya ka.आश्रम और सास का प्लान
दोपहर, मतलब दस बजे के पहले पहले नन्दोई जी ननद को लेके और कल ही तो सारा असली, कल सुबह तो पता चलेगा, कुछ भी हो मुझे ननद की सास की काट ढूंढनी होगी, नन्दोई जी कल नहीं जा सकते, अगर कल सुबह, फिर तो इतने दिनों की मेहनत, मैं सोच में थी, कुछ समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन ननदोई जी की आवाज ने मुझे एक झटका और दिया,
" एकदम, कोशिश करूँगा की भले देर रात लगे, पर शहर का सब काम ख़तम करके आज ही यहां लौट आऊंगा, और कल मुंह अँधेरे निकल जाऊंगा, "
ये एक और झटका था, आज की रात तो ननदोई जी से ननद को बचाना था , आज पांचवी रात थी, कल मुंह अँधेरे, लेकिन झटके अभी और लगने थे और असली झटका बाकी था,
" परसों, मंगल की रात नहीं तो नरसो बुध के भिन्सारे लखनऊ चले जाना अपने मामा के यहाँ, उनका फोन आया था, कोई ट्रैकटर की एजेंसी की बात कर रहे थे, हो सका तो दिल्ली भी जाना पड़ेगा, हफ्ते भर की तैयारी से जाना होगा। और गुरु जी से बात हो गयी तो बुध को तोहरी महरानी को आश्रम,
अब ननदोई जी सनके उनके मुंह से निकल ही पड़ा, " लेकिन मैं नहीं रहूंगा तो, " बड़े धीमे से उन्होंने प्रतिरोध किया फिर तो इतने कोड़े पड़े
" मेहरारू क तलवा चाटोगे का, गोदी में उठा के ले जाओगे, महारानी को। अब बहुत सेवा सत्कार, हो गया महरानी का, अरे काम धंधा से पेट भरेगा की मेहरारू क तलवा चाट चाट के, ....तलवा चाटने लायक करम की होतीं, अब तक दो तीन पोती-पोता दी होतीं तो हमहुँ उनकी आरती उतारते,
ओह बाँझिन क नाम मत लेवावा सबेरे, परसों पहली बस से लखनऊ, बड़ी मुश्किल से कुछ ले देके एजेंसी वाले से बात हुयी है और ये बाँझिन के चक्कर में,। "
गुस्से में वो बोल नहीं पा रही थी और ननदोई की बोलने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी लेकिन सन्नाटे को तोड़ती हुयी सास जी की आवाज आयी मेरी बस जान नहीं निकली, सामने होती तो मैं मुंह नोच लेती उनका। ''
" तुम्हारे रहने की कोई जरूरत नहीं, तुम रहोगे तो वो और नौटंकी करेगी, और खबरदार उसको कानों कान खबर न हो, जाउंगी तो मैं भी नहीं । गुरूजी बड़े अच्छे हैं उन्होंने कहा है की अपनी चार प्रमुख सेविकाएं भेजंगे, उनका वाहन आएगा, झांगड़, बस वो चार सेविकाएं ले जाएंगी और एक हफ्ते के लिए, बस कल दोपहर के पहले तुम दोनों आ जाना, "
" एकदम " नन्दोई जी बोले लेकिन उसके पहले उनकी माँ फोन काट चुकी थीं।
प्रमुख सेविकाएं, झांगड़, मेरी तो पैरो के नीचे की ज़मीन सरक गयी और मैं जो जानती थी न ननद से कह सकती थी न अपनी पूरा कमरा घूम रहा था, चक्कर आ रहा था, बार बार वही प्रमुख सेविकाएं, झांगड़ सुनाई पड़ रहा था,
कुछ तो मेरी ननद ने सुनाया था लेकिन बाद में मैंने अपनी एक सहेली से, जो उसी गाँव में ब्याही थी जिसके पास वो आश्रम था और उसने बताया था
' प्रमुख सेविकाओं ' का किस्सा, ये सब लेडीज बाउंसर थी जो दिल्ली के आसपास से बार से आती थीं, और उनमे भी सबसे खूंख्वार, पक्की लेस्बो,
और झांगड़ चलता फिरता टार्चर चैंबर, एक छोटा ट्रक कंटेनर की तरह का, एकदम साउंड प्रूफ, वो चारों किसी लड़की को पहले तो गंगा डोली करके पकड़ के उस ट्रक के पीछे, और ड्राइवर पीछे से बंद कर देता।
पहले तो उस लड़की को दो दो झापड़ सब बारी बारी से, और उसके बाद नोच नोच के उसके कपडे, फिर दो पकड़ के उसके हाथ बाँध देती, झांगड़ की छत में चुल्ले लगे थे इस काम के लिए। फिर एक बड़े से कटोरे में आसव, जबरदस्ती मुंह खुलवा के, ...जरा भी मना करने पर, फिर से चांटे। वो एक कटोरा आसव ही देह की सब ताकत धीरे धीरे ख़तम कर देता, और सब से बढ़ कर उस लड़की की देह में जबरदस्त कामाग्नि जगाता, दस मिनट रुक के दुबारा वही आसव, और उस के बाद चारो मिल के उस के बदन को नोचती जब तक हर काम के लिए वो हाँ न कर देती।
मेरी फूल सी ननद, इत्ती प्यारी दुलारी, रूपे का तन, सोने का जोबन और ये, और इसी लिए हफ्ते भर के लिए ननदोई जी को बाहर किया जा रहा था, हफ्ते भर में आश्रम में, और वहां जो गिद्ध नोचते,....
अब मुझे समझ में आया होली की मस्ती में भी बीच में उनका चेहरा उदास क्यों हो गया था, एकदम बुझा जब वो बोलीं,
अबकी भौजाई से होली खेल लूँ, फिर पता नहीं ननद भौजाई की कब होली हो,
उन्हें अंदाज था यहाँ से लौटने पर क्या होने वाला है ।
मैंने सर को झटका,
पहले पहली परेशानी,
नन्दोई जी रात को जो लौटने का जो प्रोग्राम बनाये हैं उन्हें किसी तरह शहर में हस्पताल में ही उलझाना, किसी भी हालत में आज उन्हें नहीं आना था, मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था इस परेशानी का हल,
लेकिन तभी वो आगये,... जिसके साथ मेरी माँ ने भेजा था, मेरी सब परेशानियों का हल करने के लिए,
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