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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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आपके कमेंट्स एकदम जबरदस्त होते हैं, इस हफ्ते कुछ दिनों में ही इस कहानी का भी अपडेट और उस के बाद जोरू के गुलाम का नंबर भी इसी हफ्ते।
सचमुच पढ़ कर पूरा रस लेकर कमेंट किया है...
 

motaalund

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इतनी अच्छी याददाश्त के लिए आप क्या लेते हैं, शंखपुष्पी या बादाम या कुछ और ये रहस्य बाकी पाठक मित्रों से भी शेयर करिये
नहीं.. नहीं... इतना कुछ नहीं...
बस थोड़े थोड़े समय के पश्चात...
आपकी कहानियों का कोर्स बुक की तरह रिवीजन चलता रहता है...
इसलिए सारे सीन कंठस्थ हो गए हैं...
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने, मेरे साजन अगर थोड़ा ज्यादा हिचकिचाते तो उनकी बहिनिया सीधे रेप कर देती ऐसी गर्मायी थी।
सही में..
एकाध सीन ऐसा भी ... जिसमें बहिन गरियाते हुए धक्का देकर बिस्तर पर गिरकर... जबरदस्ती चढ़ते हुए चोद डाले..
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने, अब तो भाई के पास बच निकलने का कोई रास्ता बचा ही नहीं। और वैसे कौन भाई बचना चाहता है, लिबराते सब रहते हैं, और इसका सबसे बड़ा सबूत तो इस फोरम की इन्सेस्ट की कहानियां है, कितनो की फैंटेसी, लेकिन कुछ कुछ ननद के भाई जैसे होते हैं जिनकी पूरी भी हो जाती है।
इंसेस्ट कहनियों पर व्यूज .. कमेंट .. और लेखकों की भरमार ...
आपकी कथन के सत्यता की ओर इंगित करते हैं...
 

motaalund

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क्या कमेंट लिखते हैं आप

एक एक लाइन पर आपके कमेंट के मेरी पूरी कहानी न्योछावर,

"भाई को बहन से प्रेम होता है तभी तो गुड़ुई फगुई खिचरी पर सामान पहुंचाने जाता है । इसीलिए ननद भी भौजी के सैयां के आगे घोड़ी और कुतिया बनके प्यार करती हैं। भौजी तो सिर्फ सैयां और ननद के बीच कड़ी का काम करती हैं ।"

जो कहा नहीं जाता उसे कहना, कहानी का काम है, लेकिन जो काम कहानी लम्बे दृश्यबंध बाँध कर, डायलॉग जोड़ के बहुत सायास करती है, आपके कमेंट सहज ही कह देते हैं, एक रस सिद्ध रसज्ञ होने की पहचान, बहुत बहुत आभार
और भाई-बहन के अनकहे संबंधों को व्यक्त करता है...
 

motaalund

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भाग ८७ - इन्सेस्ट कथा -इंटरवल और थोड़ा सा फ्लैश बैक

१८,०१,४०२

भाई बहन दोनों थक के बिस्तर पर पड़े थे सुध बुध खोये, और साथ में मैं भी,... बाहर चांदनी झर रही थी , आम के बौर की, महुए की मादक महक हवा के साथ आ रही थी।


रात आधी से ज्यादा गुजर गयी थी, मेरी ननद दो बार अपने सगे भाई की सेज चढ़ चुकी थी, और जिस तरह से चूतड़ उठा उठा के उसने मलाई घोटी थी अपने भैया की मुझे पक्का अंदाज था की वो अपने भैया से गाभिन हो गयी होगी।

भाई बहिन एक दूसरे से चिपके मस्ती में लेटे थे,

लेकिन लम्बी ड्राइव में गाड़ी की टंकी हरदम फुल रहनी चाहिए तो मैं भाई बहिन को एक दूसरे की बाँहों में छोड़कर, ... पेट्रोल पम्प मतलब किचेन की ओर,



खीर बहुत बची थी अभी,

लेकिन दूबे भाभी की जड़ी बूटी भी तो डालनी थी उसमे वीर्यवर्धक वाली, ... और तरीका जो उन्होंने बताया था की दुबारा इस्तेमाल करने के लिए खीर को पहले पांच मिनट हल्का गुनगुना गरम करना, धीमी आंच पर , फिर पांच फूल केसर, थोड़ी सी अश्व्गन्धा और दूबे भाभी वाली जड़ी बूटी जो औरत मर्द दोनों पर असर करती थी,

मर्द को दस सांड की ताकत देती थी, वीर्य की मात्रा और शुक्राणु की ताकत दोनों बढाती थी

और औरत को भी गर्म करती थी और सबसे बड़ी बात उसकी बच्चेदानी खोल देती थी।

पांच मिनट धीमी आंच के बाद ये सब डालने के बाद उसे दस मिनट तक ठंडा भी करना था जिससे असर अच्छी तरह भिन जाए।



उनके वीर्य की बात सोच के मुझे हंसी आ गयी, पिछले साल ही तो, जनवरी था शायद, दो दिन पहले खिचड़ी पड़ी थी.

कुछ दिन बाद ही मेरे इंटर का बोर्ड का इम्तहान शुरू होने वाला था।

मिश्राइन भौजी आयी थीं, हमारे स्कूल की वाइस प्रिंसिपल, ... और माँ की पक्की सहेली। मुझे कोई हिंदी की कविता समझा रही थीं। तभी माँ इनकी कुंडली लेकर आ गयीं, ये तो मुझे मालूम था की मेरी शादी की बात चल रही है, ... पर मेरी माँ और उनकी समधन दोनों कुंडली मानती थी इसलिए तय हुआ की पहले लड़के की कुंडली आएगी. मिलाई जाएगी उसके बाद लड़के वाले देखने आएंगे, फिर अगर बात जमी तो,...

माँ बीच में आ गयी और कुंडली लड़के की निकाल के मिश्राइन भाभी के हवाले कर दी। मिश्राइन भाभी ज्योतिषी खानदान की थीं और पत्रा पचांग बांचने के साथ कुंडली भी पढ़ लेती थीं , जनम पत्री मिला लेती थीं,

थोड़ा बहुत माँ भी समझ लेती थीं,...

बस कुंडली , जन्म पत्री आने के बाद, माँ के पीछे पीछे मेरी जन्म से मेरी दुश्मन,... दोनों, और कौन मेरी दोनों दुष्ट बहने,... हम भी सुनेगे, हम भी सुनेंगे जीजू के बारे में, अभी लड़की पसंद भी नहीं आयी थी और इन दोनों शैतानो के ये जीजू हो गए थे। तब से दोनों जीजू की चमची।

बिहारी एक ओर मिश्राइन भाभी ने धर दिया और कुंडली उठा ली। वो कुंडली पढ़ रही थीं, माँ और मेरी दोनों बहने उनका चेहरा पढ़ रही थीं। मैं जबरदस्ती उलटी किताब देख रही थी, लेकिन दिल धकधक कर रहा था, जैसे बोर्ड का रिजल्ट देख रही हूँ। कान मिश्राइन भाभी की ओर चिपका, क्या फैसला सुनाती हैं।

उनका चेहरा बहुत खुश लग रहा था, जैसे जैसे आगे बढ़ती जा रही थीं चेहरे की चमक बढ़ती जा रही थी, फिर अचानक तेजी से वो मुस्करायी, मेरी ओर मुड़ी और कस के मेरे गाल पे चिकोटी काट के बोलीं,

" ननद रानी , ठीक नौ महीने में लल्ला होगा,"

दोनों बहने और खुश, दोनों मौसी बन जायेगीं। कहा न मेरी जन्म की बैरन, मेरी परेशानी नहीं सोच रही थी खाली मौसी कहलाने की पड़ी थी।

माँ ने बिना कहे मिश्राइन भाभी से आँखों ही आँखो में पूछ लिया और मिश्राइन भाभी ने कुंडली आगे कर दी,

" देख रही हैं, शुक्र किस घर में है और अभी अगले पांच साल की दशा, दशांतर, शुक्र प्रबल ही नहीं महा प्रबल है। लिखा भी है वीर्यवान, प्रबल शुक्राणु,... एक बूँद भी अंदर गया तो गाभिन होने से कोई रोक नहीं सकता।

मैं जोर से उछली, नहीं इतनी जल्दी नहीं, मुझे अभी आगे पढ़ना है।

" तो पढ़ न कल ही तुझे तेरी डाक्टर भाभी के पास ले चलती हूँ , दवा दे देंगी वो , साल दो साल के बाद, देखना जब जैसा दामाद जी कहेंगे " माँ ने मुझे जोर से हड़काया और मिश्राइन भाभी से आगे का हाल पूछा, लेकिन मिश्राइन भाभी अब एकदम भाभी वाले मूड में आ गयी थीं, मुझे छेड़ते बोलीं


" बस यही लिखा है की रोज तेरी टाँगे उठी रहेंगी,... "

माँ मुस्कराते हुए बोली, " अरे वो तो,...सादी बियाह होता किसलिए है, लेकिन गुन कितने मिलते हैं "

" बहुत ज्यादा, बस यही एक बात है की मेरी ननद रगड़ी कस के जायेगी रोज दिन रात "मेरी दोनों बहने मुझे देख के खिलखिला रही थीं तो मिश्राइन भाभी ने अपनी तोप का रुख उनकी ओर मोड़ दिया,

" बहुत हिनहिना रही हो न दोनों , तुम दोनों की भी फाड़ेगा वो "

" हमारे जीजू जो उनकी मर्जी वो करें " दोनों होने वाली सालिया एक साथ बोली।

उसी समय मैं समझ गयी, अभी शादी तय भी नहीं हुयी,.. और मेरा पूरा परिवार दल बदल कर गया, मेरी बहने अपने जीजू की ओर और माँ, दामाद के पास। मैं बेचारी मायके में भी अकेली।
शादी की बात पर लड़की की मनोदशा क्या खूब व्यक्त की है...
" बस यही लिखा है की रोज तेरी टाँगे उठी रहेंगी,... "

माँ मुस्कराते हुए बोली, " अरे वो तो,...सादी बियाह होता किसलिए है, लेकिन गुन कितने मिलते हैं "

आखिर माँ भी तो इन रास्तों से गुजर चुकी होती है...
और कैसा पति चाहिए इसका अनुभव भी होता है...
तो ऐसे वर के पूरा का पूरा एकमत...
 
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