दोनों बहनें अपनी दीदी के साथ छेड़ छाड़ में सबसे आगे..मेरी सास, ननद, जेठानी
और शादी क्या ऐसे तय होती है,
और शादी तो छोड़िये लड़की देखना भी ऐसे थोड़ी होता है जैसे इनके मायके वालों ने किया। न हम लोगों को नए परदे लगाने का मौका मिला, न आस पास से कुशन सेट टेबल क्लाथ मांग के लगाने का, न नया टी सेट खरीदने का।
दोनों मेरी दुश्मन जब से बात शुरू हुयी थी, चिढ़ाती रहती थीं,
" दीदी, ट्रे ले कर चलने की प्रैक्टिस शुरू कर दीजिये, खाली नहीं भरी केटली टी सेट, समोसे की प्लेट,... और आँखे नीचे कर के बात करियेगा। हँसियेगा एकदम मत,... "
दोनों आपस में मुझे दिखा के प्रैक्टिस करतीं। एक सास बनती, एकदम गुस्सैल नकचढ़ी, चल के दिखाओ, अखबार पढ़ो, खाने में क्या क्या बना लेती हो, भजन गाओ "
माँ ने कुंडली मिलने की खबर भिजवाई और अगले दिन वो लोग हाजिर,... बताया था की देर शाम तक लेकिन तिझरिये में ही, और मैं अभी पूरी तरह तैयार भी नहीं थी, दरवाजा भी मैंने ही खोला। न ट्रे में चाय ले जाने का मौका मिला,... समोसे वो लोग खुद ही ले के आये थे, हमारे बगल वाले झटकु की दूकान से।
मेरी सास, यही ननद और जेठानी,
माँ ने पूछ लिया दामद जी नहीं आये तो मेरी जेठानी ने पट्ट जवाब दिया, " वो क्या करेंगे, देवरानी मुझे ले जानी है की उसे "
लेकिन सबसे बड़ा धमाका किया मेरी सास ने ये बोल के " हम लड़की देखने नहीं आये हैं "
हम सब लोगो को सांप सूंघ गया, क्या हो गया ये, लेकिन मेरी यही ननद बोलीं,
" हम लोग भाभी को ले आने आये हैं, "
और सास ने जिस तरह से मीठे बोल से मुझसे कहा, बेटी इधर आओ, ..
मेरे कदम अपने आप उनके पास, बगल में उन्होंने बैठा लिया, ... और अपने गले की सतलड़ी निकाल के मेरे गले में डाल दी और माँ से कहा की उनकी सास ने उनकी मुंह दिखाई में दिया था। मैं सास ननद के बीच बैठी।
मेरी माँ के कुछ समझ में नहीं आ रहा था। पड़ोस से मांग के आयी क्रोशिया की कढ़ाई, मैट वर्क अभी अंदर ही पड़े थे, जिसे दिखा के वो कहती मेरी बेटी ने काढ़ा है, दबी जबान से वो बोली और, शादी,...
मेरी ननद हमेशा से जुबान की तेज, मेरे ऊपर हाथ रख के,( जैसे लोग खाली सीट पे रुमाल रख देते हैं ) बोली,
" ये आप बड़े लोग तय करिये, मैं तो अपनी भाभी को ले जाने आयी हूँ। और जब भी शादी की तारीख तय हो जाए, रस्म वसम शुरू होने की बात तो मैं खुद भाभी को पहुंचा दूँगी, एक दम सील टाइट, चाक चौबंद, जैसे ले जारही हूँ उसी तरह। "
" और क्या, मेरा देवर मिठाई देख के ललचाता रहेगा, मिलेगी शादी के बाद, जब मैं कंगन खुलवा दूंगी। "
जेठानी कौन कम थीं, वो बोलीं।
माँ को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा लेकिन सास ने जब लेन देन की बात की तो उनकी फूंक सरकी।
मेरी सास बोलीं, देखिये लेन देन भी तय कर लें,... मेरी माँ चुप,
सास ने ही आगे की बात बोल दी,... देखिये जो मुझे लेना था मैंने ले लिया, मेरी बेटी मुझे मिल गयी, अब उसके बदले में जो मुझे देना है, .... तो बरात में लड़के के चाचा, ताऊ, फूफा, मामा मौसा, जो जो आप को पंसद आये, बस रख लीजियेगा, आप कहेंगी तो गदहे, घोड़े, हाथी,... सब पूरी बरात, समधन के लिए तो सब कुछ हाजिर है,... हाथ गोड़ या जो कुछ दबवाना हो उसके लिए हमारा नाउ, आपकी कुइंया में पानी भरने के लिए कन्हार,... जो कहिये सब,... लेकिन अपनी बेटी तो मैंने ले ली,...
और मजाक के मामले तो मेरी माँ भी कम नहीं थी, फिर खाने के समय ये गारियां गयीं माँ ने अपनी समधन के लिए
लगन की बात थी तो मिश्राइन भाभी थीं ही लेकिन उन्हें मेरी बारहवें के बोर्ड की भी तारीख मालुम थीं तो बोलीं की इम्तहान के बाद तो फिर दिन ठीक नहीं है, फिर चैत लग जाएगा, ... जेठ में ही २१ जून के बाद लग्न है।
लेकिन मेरी सास के मीठे बोल,... उन्होने रास्ता भी निकाल दिया। गौने में तो इतना ज्यादा लगन का चक्कर नहीं है तो
और मेरे होम साइंस के प्रैक्टिकल के दो दिन पहले शादी,... फरवरी में और जिस दिन इम्तहान ख़तम हुआ उसके चौथे दिन गौना। होली के हफ्ते भर बाद। चार दिन में साल पूरा होगा।
खीर अब ठंडी हो गयी थी।
मुझे याद आया मिश्राइन भाभी की एक एक बात सही निकली यहाँ तक की इनके कमर पे नाभि से एक बित्ते नीचे बायीं ओर तिल भी उन्होंने बताया था।
मैं भी न खीर के चक्कर में एक बात बतानी भूल ही गयी। मिश्राइन भाभी, इनके उच्च शुक्र और शुक्राणु की बात तो बता के चली गयी, मुझे कुछ भी गुदगुदी भी लग रही थी, कुछ कहीं कहीं डर भी लग रहा था, और मिश्राइन भाभी के जाते ही मैं माँ से चिपक गयी, मेरी सबसे बड़ी, सबसे अच्छी सहेली वही थीं,
" माँ मुझे, " मेरी समझ में नहीं आ रहा था कैसे कहूं, बस मैं उनकी गोद में घुस के बैठ गयी और कस के दबोच लिया।
" ये मत कहना की तुझे शादी नहीं करनी, मैंने तो उन्हें हाँ भी कर दी, " माँ मुझे दुलराती बोलीं,
कैसे कहूं, नहीं समझ में आ रहा था, लेकिन मैंने माँ की परेशानी कम करते हुए, साफ़ कर दिया, " नहीं उसकी बात नहीं, वो आपने हाँ कर दिया तो ठीक है, शादी की नहीं, वो उसके बाद, "
अब माँ समझी, दुलार से मुझे चूमती बोलीं, " अरे अपनी मिश्राइन भौजी की बात से डर गयी तू " बड़ी देर तक वो खिलखिलाती रही फिर एकदम सीरियस हो के जैसे ससुराल जाती बेटी को माँ समझाती हैं, उसी तरह समझाते बोलीं
" देख मेरी बात एक सुन, गौने वाली रात, थोड़ा बहुत तो ठीक है, हर लड़की कुछ नखड़ा करती है, लेकिन ज्यादा नहीं। मरद को अगर कही पहले दिन मना कर दिया न तो जिंदगी भर के लिए खटास हो जाती है। और दर्द वर्द तो सब लड़की झेल लेती हूँ, किसी को कम, किसी को ज्यादा, और चीखे चिल्लायेगी भी उसमें भी कुछ बुराई नहीं है, लेकिन मेरे दामाद को इन्तजार मत कराना। बल्कि एक बात मेरी मान ले, लड़को को बड़ी जल्दीबाजी रहती है तो तो अपनी बुलबुल में थोड़ा सा कडुवा तेल पहले से डाल के जाना, दामाद मेरा तुझे छोड़ेगा तो है नहीं, छोड़ना चाहिए भी नहीं, इसलिए, हाँ और तेरी भौजाई, नाउन की नयकी बहुरिया, जब बुकवा करेगी न, लगन लगने पे तो वैसे भी मेरे कहने की जरूरत नहीं, वहां बिना तेल पानी किये छोड़ेगी नहीं। "
माँ भी मेरी न, शादी के पहले ही बेटी का पाला छोड़ के दामाद की ओर खिसक ली थीं।
लेकिन बात वो नहीं थी, इतना तो मुझे भी मालूम था। अब मैं झुँझला रही थी, कैसे समझाऊं माँ को , मिश्राइन भौजी ने इशारा भी दिया था लेकिन माँ के जिम्मे पचास काम वो भी भूल गयी थीं।
" माँ, वो नहीं, आप की बात ठीक है, मैं उसके बाद की बात कर रही हूँ " झुंझला के मैं बोली
अब माँ थोड़ा हंसी, थोड़ा सीरियस हुईं। फिर एक बार मुझे गोद में दुबकाया और बोलीं
" मेरी बिटिया सच में भोरी है, आज कल तो नौवें दसवे में पढ़ने वाली लड़कियां बस्ते में गोली लेलेकर टहलती हैं। लेकिन तू सही कह रही है तोर मिश्राइन भौजी भी कही थीं की किसी लेडी डाकटर को एक बार दिखा लें जैसा वो कहे, मैं ही भूल गयी थी। "
फ़िल्म खूबसूरत की रेखा की तरह.... "सुन सुन सुन दीदी तेरे लिए एक रिश्ता आया है..."
लेकिन सारी की सारी तैयारी धरी की धरी रह गई...
और समधनों के बीच इस तरह के मजाक भी ... कहानी के फ्लो को वास्तविकता का पुट देते हैं...
साथ हीं माँ की सलाह डॉक्टर के पास जाने के लिए... ताकि मिश्राइन भौजी के कहे अनुसार उच्च शुक्र का असर लड़की पर असर तब तक ना हो जब तक वो ना चाहे...