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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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एकदम सही कहा आपने, जो भाभी ननद के मोलेस्टेशन का मौका छोड़ दे, वो भौजी नहीं 😂 😂


और ये व्लाग का वीडियो विशेष रूप से आपके कमेंट के संदर्भ में

विशेष रूप से २ मिनट ३० सेकेण्ड के बाद पूरा या कम से कम उसके बाद ३ मिनट के बाद,
लेकिन तीन बातें गौर करने की हैं, पहली पूरी रस्म में सिर्फ महिलायें या लड़कियां ही हैं, दूसरी बात व्लॉगर ने पूरी रसम रिकार्ड करने की कोशिश की है और सबसे बड़ी बात ३ मिनट के बाद जब पेट पे हल्दी लगाते हुए गाँव की कोई बुजुर्ग महिला, शायद रिश्ते में भाभी ही रही हों, नाड़ा खोलती है तो दुल्हन/लड़की कोई प्रतिरोध नहीं करती न किसी को कुछ अटपटा लगता है लेकिन सब औरते उसे छाप लेती हैं और कैमरे को कुछ नहीं दिखता, बस रसम का रस और परम्परा की गति नजर आती है।

मेरा अपना मानना है की इसके शायद दो कारण हो, पहली बात जो देह संबंध पहले एक लड़की के लिए वर्जना का विषय था, वही देह संबंध शादी का मूल उद्देश्य है, और वह देह संबध एक प्रयास है न सिर्फ वंश को बल्कि मानव जाती को अक्षुण रखने के लिए, परागण केसमय जो काम वनस्पतियां भी करती हैं, हर जीव करता है तो कैसे गलत हो सकता है

तो यह जो संक्रमण है कन्या से दुल्हन और फिर पत्नी बनने का, उसमें ये रीत रिवाज उसके मन के विशवास के सोच के, बदलाव के मील के पत्थर होते हैं। जिसे मारग्रेट मीड ने Rites of Passage कहा, पारम्परिक समाज के संदर्भ में

दूसरी बात, विशेष रूप से गाँव में या जहाँ अभी भी परम्पराये हैं पुरानी, लड़कियां उन की कोई भी उम्र क्यों न हो ये सारे रीत रिवाज अटेंड करती हैं, रतजगा हो, शादी ब्याह हो, इस व्लाग में भी देख सकती हैं और अवचेतन में वो परम्पराये उन के मन में रचती बसती हैं

मैं कोई जजमेंट नहीं पास करती आज कल की शादियों में जो इवेंट ज्यादा है सैक्रामेंट कम, हल्दी की रस्म, मात्र स्त्रियों की नहीं होती एक ड्रेस कोड होता है उसका टाइम, लंच का मेनू, वीडियोग्राफी और ये शायद नयी परम्परा है

परम्परा टूटती भी है बदलती भी है

लेकिन कई बार जब गाँव की यादें आती है तो वो कहीं कहीं से मेरी कहानियों में रिस जाती हैं और ये वीडियों दस्तावेज के लिए

एक बार फिर से आभार कमेंट के लिए कथा यात्रा का साथ देने के लिए
आपने सारा निचोड़ इस पोस्ट में डाल दिया है..
बहुत बहुत धन्यवाद....
 

motaalund

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Rites of passage are much less important in those societies that emphasize the "individual" as the most pivotal social unit, in contrast to the family, clan or some other association, which rely upon knowledge-based exclusively upon empiricism and rationalism. That probably explains the withering away of most of the customs, added by nuclear families, fast urbanization, migration and the glitz of Bollywood, which became the role model for fat Indian weddings. But that is just my opinion.
And less time to spare...
 

motaalund

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एकदम सही कहा आपने

देखिये इन्सेस्ट की हर दूसरी कहानी में भाई बहन का किस्सा तो होता ही है

असल बात तो ये है की भाई अपनी सगी, शादीशुदा बहन की न सिर्फ सेज चढ़े
बल्कि उसे गाभिन भी कर दे, और ये पक्का रहे की पेट से वो अपने भाई के बीज से हुयी है,

फिर नौ महीने बाद अगर बेटी निकले तो फिर, जब वो जवान हो, तो,...

इसलिए भौजाई का फोकस ननदिया को अपने मरद से गाभिन कराने पे है, इस लिए वीर्य वर्धक चूर्ण खीर में मिला के, फिर वही वही पोजीशन, जिसमे गाभिन होने का चांस सबसे ज्यादा हो
और ऐसी बूटी की लड़की हीं हो...
और बड़ी होके पापा बोले...
 

motaalund

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एकदम, भौजी चाहे डाकटर हों या कुछ और ननद के लिए भौजी ही रहेंगी और डाक्टर मीता, शहर की सबसे बड़ी लेडी डाक्टर, अपनी ननद के लिए तो भौजी ही रहेंगी।
और ननद बनाने का फायदा भी तो...
 

motaalund

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अच्छा हुआ फागुन के दिन के बाद आप इस सूत्र पर आये, मुझे इसी सूत्र पर अगला अपडेट देना है, तो पहले आपके कमेंट्स पढ़ के, कुछ कह सुन के तब अपडेट दूंगी,
जल्द से जल्द पोस्ट करें...
धन्यवाद सहित....
 

8cool9

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"क्यों भैया बहुत चोद रहे थे अपनी बहिनिया को न, अब बहन चोदेगी भाई को "

wow awesome erotic narration......
very vert hot.....
 

arushi_dayal

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भैया और बहिनी - खेल चालू


तो उनकी शुक्राणु के ताकत की बात आज देखनी थी मिश्राइन भाभी की बात मुझे मालूम था ये भी सही होगी।

भैया बहिनी चिपक के लेटे थे, थोड़ा बहुत चुम्मा चाटी भी,... और मेरी ननद मेरे साजन को छेड़ रही थी, कान पकड़ के पान बना रही थीं.

“मुझे मालूम ही तू रोज बिना नागा मेरी ब्रा में मलाई छोड़ता था है न,... “

थोड़ा सा झेंपते हुए, वो बोले, " तुझे पता था तो टोका क्यों नहीं "

" क्यों टोकती, मेरे मीठे भइया की मीठी मलाई,... मैं तो वैसे ही गीली गीली पहन के कालेज जाती थी " हँसते हुए उनकी बहन ने अपना राज भी खोला।

तबतक मैं भी पहुँच गयी थी, मैंने ननद से पूछा,

" मलाई का मजा सिर्फ आपकी ब्रा को ये देते थे की अपनी महतारी की ब्रा को भी " हँसते हुए खीर का कटोरा टेबल पर रखते हुए मैंने पूछा।

" उनकी ब्रा में भी, लेकिन गलती भौजी आपकी थी, आप आयी देर से वरना मेरा भाई सही जगह में मलाई डालता "

टिपिकल ननद, जो भौजाई की टांग खींचने का कोई मौका न छोड़े।

" अरे गलती न आपकी न आपके भैया से ज्यादा भतार मेरे मरद की, आपके ये दूध के कटोरे ऐसे रसीले हैं, ... "

और मैंने खीर ननद के गदराये जोबन पर ही लपेट दिया और अपने सैंया का मुंह खींच के उनके ऊपर,... और हँसते हुए उनसे बोली,

" अभी ऊपर ऊपर से खा लो, ठीक नौ महीने बाद जब हमार ननद बियायेंगी तो दूध एही चूँची से पीना। एक चूँची से इनकी बिटिया और दूसरे से इनके भैया। और नहीं होगा निचोड़ निचोड़ के निकाल के दोगे तो एक कटोरी ओहि दूध की खीर भी बना देंगे। "

" अरे भौजी तोहरे मुंह में घी गुड़, एकदम पियाऊंगी तोहरे मर्द को दूध अगर ये तोहरे रंडी महतारी क दामद हमको गाभिन कर दिया तो " बोली ननद।

बिना गारी क ननद क बोली मीठी भी नहीं लगती।

मैंने दूसरी चूँची पर भी खीर पोत दी।

ननद ने ढेर सारी खीर अपने मुंह में लेकर थोड़ी देर चुभलाने के बाद सब की सब अपने भैया के मुंह में।

कुछ देर में ही कटोरा खाली हो गया और खूंटा भी खड़ा होने लगा, लेकिन आज हम ननद भौजाई बदमाशी पर आमादा थे।

कौन लौंडिया होगी जिसके मुंह में बित्ते भर का लंड देख कर पानी न आये,

और ये तो सगी बहिनिया, बचपन से ललचा रही थी, भैया कब खूंटा अंदर गाड़ें। लेकिन दो बार सगे भाई से चुदने के बाद अब मेरी ननद को भी कई जल्दी बाजी नहीं थी. बुर में भाई का बीज बजबजा रहा था, बच्चेदानी भरी हुयी थी. और बदमाशी भी उनकी बहिनिया ने ही शुरू की,

" भौजी तोहार छिनार बहिनियन क जीजा, बहुत लिबरा रहे हैं, इनका हाथ गोड़ न छान दें, "

" एकदम जो आपन बहिन महतारी क तडपावे उसके साथ यही होना चाहिए "

उन्हें तंग करने के हर प्रस्ताव पर मेरी सहमति थी चाहे वो मेरी छिनार ननद की ओर से क्यों न आएं। और जब तक वो समझें उनके हाथ पैर चारों पलंग के चारों पाए से बंधे, और गाँठ मैंने कस के लगायी, प्रेजिडेंट गाइड थी स्कूल में। तड़पें।



तड़पाने वाली बहन भी बीबी भी, जबरदस्त थ्रीसम।

शुरुआत मैंने ही . हाथ पैर बांधते ही, खूंटा खड़ा होने लगा, बस बची हुयी खीर मैंने कटोरे से बूँद बूँद उसपे चुआ और उनकी बहन को इशारा भर कर दिया,



बस पहले तो वो जीभ से अपने सगे भाई का लंड, .. सिर्फ जीभ की टिप से बस छू छू के जैसे सिर्फ खीर में उसकी दिलचस्पी हो, ... फिर चार चाट के,... बहन की जीभ हो भाई का खूंटा,... कैसे न खड़ा हो,.. एकदम कुतबमीनार, ...

और गप्प से ननद ने मुंह में भर लिया और बस कभी चुभलाती कभी चूसती। कभी अपने दीये जैसे बड़ी बड़ी आँखों से उन्हें देखती, जैसे पूछ रही हो,

" आ रहा है न मजा भैया "

हाथ पैर ही तो बंधे थे, कमर तो फ्री थे, क्या हचक के धक्का मारा मेरे मर्द ने मेरी आँख के सामने अपनी बहन के मुंह में,
गप्पांक, आधे से ज्यादा बांस ननद के मुंह में। ननद का मुंह फूल गया, मोटे सुपाडे से. गाल फटा जा रहा था, आँखे उबली पड़ रही थीं लेकिन वो कस कस के चूस रही थीं।



पर ये तो साझा खेल था, मैं भी आ गयी मैदान में,

गन्ना मेरी ननद के हिस्से में तो दोनों रसगुल्ले मेरे मुंह में। एक साथ बहन और बीबी दोनों चूसे, एक साथ मोटा मूसल और बॉल्स दोनों चूसी जाएँ , क्या हाल होगी किसी मरद की। वही हाल मेरे मरद की हो रही थी, एकदम बेताब।

फिर ननद भाभी ने लंड बाँट लिया,... दायीं और से ननद चाट रही थीं, वामा मैं, बायीं ओर से मैं. पर कुछ देर में खूंटा मेरे हिस्से में गया पूरा और रसगुल्ले दोनों ननद के हिस्से में।

मुझे एक बदमाशी सूझी,

मैंने जो तकिये कुशन ननद के चूतड़ के नीचे लगाए थे, इनके नीचे लगाए थे और ननद का मुंह दबा के सीधे इनके पिछवाड़े।

मान गयी मैं इनकी बहिनिया को, सपड़ सपड़ उनका पिछवाड़ा चूस चाट रही थी, मैंने सर पर से हाथ हटा लिया था तब भी उसका चूसना जारी थी,

और मैंने अब अपने साजन का फड़फड़ाता तड़पता लंड अपने मुंह में ले लिया, इनकी बहन की तरह आधा तीहा नहीं, पूरा,... सीधे हलक तक।



" ओह्ह नहीं उफ़ छोड़ दो मुझे, एक बार ओह्ह "

वो चीख रहे थे, चिल्ला रहे थे और उनके मुंह को बंद करने का ढक्क्न था मेरे पास, बस अपनी रसमलाई रख दी उनके मुंह पे जैसे बच्चे जब बहुत रोते हैं तो माँ निपल उनके मुंह में ठूंस देती है।

मुंह तो उनका बंद हो होगया, लेकिन उनके दुष्ट होंठ और जीभ जिस तरह से मेरी फड़फड़ाती चुनमुनिया को पागल कर रहे थे मैं ही जानती थी, लेकिन मेरी मुट्ठी में, मेरा मतलब मेरे मुंह में उनका मोटू था, और मेरे होंठ और जीभ कौन शरीफ थे. जिस तरह से मैं चूस रही थी, चाट रही थी, मेरी उँगलियाँ मुंह से बाहर खूंटे को रगड़ रही थीं, सहला रही थीं, और वो तड़प रहे थे धक्के लगा रहे थे।



उनकी हालत मुझसे भी खराब थी क्योंकि उनके पिछवाड़े के गोल दरवाजे पर उनकी सगी बहिनिया चुम्मी ले रही थी, उसकी सांकल खटखटा रही थी, कभी जीभ से बंद दरवाजे को खोलने की भी कोशिश करती। रीमिंग भी, ब्लो जॉब भी।
कोमल जी...अनाचार पर आपकी पकड़ का अब कोई मुकाबला नहीं है। ऐसे ऐसे कामुक दृश्य आपने अपनी लेखनी से बनाए हैं जो किसी और लेखक के लिए लिखना इतना सरल नहीं होगा। ऐसा नहीं है कि उनके मन में ऐसे विचार नहीं होंगे लेकिन उन विचारों को अमली जामा कैसे पहनया जाता है वो आपसे बेहतर कोई नहीं जानता.
कितने ही भाई होंगे जो सुबह-सुबह अपनी बहन की बाथरूम में लटकी हुई ब्रा या पैंटी सूंघ कर अपनी मलाई उसपर बहाते हैं लेकिन उस सोच को केवल आप ही इतने सुंदर ढग से प्रस्तुत कर सकती है और बहन भी ये सब जानते हुए हुए कि ये सब किसका किया धरा है....उस ब्रा को पहन कर स्कूल या कोलाज चली जाती है और उस रस को पूरे दिन भर अपनी स्तन पे महसूस कर के अपना योवन रस बहती रहती है..बहुत सुंदर और बहुत की कामुक
 
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