आपने इस कहानी की व्यथा समझी इसके लिए क्या और कितना आभार वयक्त करूँ समझ में नहीं आता।
इस कहानी पर मैं हर महीने कम से कम दो अपडेट पोस्ट कर रही हूँ और यह कहानी पहले कहीं पोस्ट भी नहीं हुयी, पढ़ने वाले भी मेरी कहानी के हिसाब से कम नहीं है करीब पच्चीस तीस हजार व्यूज हर भाग के बाद आ ही जाते हैं लेकिन बिना कमेंट के कहानी आगे बढ़ाना लगा है सूने हाल में कोई सितार बजा रहा हो।
मैं कहानी बंद तो नहीं करुँगी हाँ समर्थन के अभाव में हो सकता है इसे ज्यादा आगे न बढ़ाऊं। अभी जो प्रंसग चल रहा है उसे पूरा कर के बंद दूँ। और जो कुछ भाग आगे के सोचे थे जैसे सुगना और उसके ससुर की कहानी या इस तरह के और प्रसंग उन्हें छोड़ के कहने को पटाक्षेप की ओर दो चार पोस्टो में इस प्रसंग के बाद बढ़ा दूँ।
कुछ दो चार मित्र हैं जो न सिर्फ नियमित बल्कि हर पोस्ट पर टिप्पणी करते हैं लेकिन उनकी कुछ अपनी व्यस्ताओं के कारण अगर वो नहीं आ पाते तो लगता है कहानी रुक सी गयी है, मैं एक समान्य आग्रह करती हूँ पाठको से की लेखक से संवाद बनाये रखें , एक दो शब्द की भी टिप्पाणी दे तो कहानी आगे बढ़ती रहती है।
एक बार फिर आप का आभार।