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आभारवाह कोमल जी
"हेराक्लाइटस की एक उक्ति है की आप किसी नदी में दुबारा पाँव नहीं डाल सकते "
क्या बात कही है।
सादर
आभारवाह कोमल जी
"हेराक्लाइटस की एक उक्ति है की आप किसी नदी में दुबारा पाँव नहीं डाल सकते "
क्या बात कही है।
सादर
Congratulations Komal didi in advance for 5 million views, wow breathtaking achievementMadam, Advance Congratulations on 2 counts:
1) This story of yours is racing towards achieving 2 million views shortly..hopefully it'll achieve soon.
2) All your stories (this one + JKG + Phagun) are nearing (within touching distance) 50 L views...5 Million...wow!!!
Hopefully, your stories will achieve many more milestones and keep on continue to scale new heights.
komaalrani Rajizexy
एकदम कई खतरनाक चीजों का मिक्सचर जो हो गयाभईया-बहिनी की जोड़ी अब भौजाई के पिछवाड़े पड़ गई..
लेकिन आज कुछ ज्यादा ही लग रहा था,... पिछवाड़े की दीवाल फटी जा रही थी, ... और मेरी ननद मेरी चीखे सुन के खिलखिला रही थी.
आज भईया को बहिन का मजा मिल रहा है तो खुशी के मारे लंड भी खूब कड़क और जोरदार भी तगड़ा...
और मेरे पिछवाड़े से इनका खूंटा निकल के सीधे मेरी ननद के मुंह में,... वो लाख सर पटकती रही लेकिन ये घोंटा के ही माने
और मैंने चिढ़ाना शुरू कर दिया,
" अरे ननद रानी अपने पिछवाड़े का स्वाद तो खूब लिया होगा जब गाँड़ मरवाने के बाद लंड चूसा चाटा होगा, तनी आज अपनी भौजी के पिछवाड़े क भी स्वाद ले लो,... आराम से प्यार से चाटो मजे ले ले कर "
इसका असर तो वियाग्रा से भी कई गुना ज्यादा है...
ननद को भी दुहरा मजा आ रहा था, भैया के साथ भी और भौजी के साथ, और मजे ले भी रही थी, दे भी रही थी। आखिर कबड्डी हार गयी थीं ननदें तो अब साल भर तक सब ननदों को भौजी की हर बात माननी ही थी।दोहरा मजा लिया जा रहा है...
जवानी के ये खिलौने और सुहाने दिन-रात...
दो तरफा मजा...
ननद भौजाई दोनों राजी हैं की जो बीज बो रहा है सबसे पहले फल वही चखेगा तो फिर चखने वाले को क्या परेशानी।" अरे जो आपन बहिन न छोड़ा, महतारी न छोड़ेगा तो बेटी कैसे छोड़ेगा। "
" छोड़ना भी नहीं चाहिए, बहुत पाप लगेगा, " ननद मुझसे भी दो हाथ आगे इनको उकसाने में,
आगामी भविष्य की झांकी...
अब तो भाई को भी इस पाप से बचने के लिए पूरा जोर लगाना पड़ेगा...
और बेटी-भांजी भी कब्जे में...
एकदम सही कहा आपने इन्सेस्ट की घोषित कहानियों में भी भाई न तो बहन को गाभिन करने के चक्कर में होता है और न बहन कोशिश करती है की उसका पेट रह जाए और न भाभी उत्प्रेरक की तरह काम करती हैआधा दर्जन बार... अब तो बीज अपना असर दिखा के रहेगा..
चुदती तो सब बहने अपने भाइयों से हैं लेकिन भौजाई के सामने, भौजाई को दिखा दिखा के, असली भाई चोद तो वही होती हैं,
असली भाई-चोद है साली ननद...
चंपाकली पर चांपा-कल धडाधड चल रहा है...
नया रिश्ता तो तभी पक्का होगा, जब समाज की मोहर लग जाए और इस के लिए समाज को मालूम होना भी जरूरी है और उसके बाद तो कभी गन्ने के तो कभी अरहर के खेत में भाई बहना पर चढ़ा रहेगा तो किसी को अचरज नहीं होगा, अरे भाई है हक़ है उसका। और रही दूसरी बात तो पल पल में दुनिया बदल जाती है तो फिर तय कुछ भी नहीं है,क्या होगा, सास के साथ ये तो अगली पोस्ट में ही पता चलेगा।लेकिन मैं समझ गयी की दोपहर तक मेरे मरद मेरे नन्दोई बन गए, ये बात सारे गाँव में फ़ैल जायेगी।
ओहो .. ये ग्वालिन भौजी तो गाँव की BBC निकली...
फिर तो सास के कानों में भी कल के रात की पूरी कहानी....
और आज की रात... सास की भी बारी... तो बेटे के औजार का दम-खम भी परख लेगी..
मतलब साजन का मादरचोद बनना तय है...
अरे अगर गाँव भर की कुँवारी ननदो पर दिन भर सब भौजाइयों ने उन नंदों के सगे चचेरे भाइयों को चढ़ाया तो बेचारी घर में बैठी ननद ने कौन सा पाप किया था, उनका भी नंबर उनके भाई के साथबिना कोमल जी के प्रयास के ये संभव नहीं था...
आखिर कबड्डी की जीत ने ननदों को देवरों से चुदवाने का रास्ता खोल दिया तो...
गाँव की ननदें और देवर मैदान में हीं..
लेकिन अपनी ननद घर में.. रात भर जीत का जश्न..
और ये जीत की सबसे बड़ी ट्रॉफी थी...
लेकिन फाइनल रिजल्ट नौ महीने बाद...