Shubam goel
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Ab delhi dur nahi hai ab hamare hero delhi ko fateh kar hi dega
बहुत बहुत धन्यवाद, जोरू का गुलाम में भी अपडेट पोस्ट हो गया है, एक दृष्टि वहां भी डाल लें, वहां भी आपके कमेंट का इन्तजार है।Ab delhi dur nahi hai ab hamare hero delhi ko fateh kar hi dega
बहुत बढ़िया अपडेट कोमल जी. मुझे वाकई मज़ा आया। आज शायद पहली बार मैंने आपकी कहानी में चूची चुदाई का जिक्र देखा है और वो भी अत्यंत सुंदर तस्वीरों के साथ …क्या लिखा है . इस अपडेट में और भी बहुत कुछ है. कुछ ऐसी उपमाएं या कुछ ऐसे तर्क दिए हैं जो वाकाई लाजवाब है जिसको केवल आप जैसा लेखक ही महसूस कर सकता है और लिख सकता है। किसी नौसिखिये के लिए वो सब कहना कभी भी मुमकिन नहीं है…और,...
सास मेरी जो अब तक सांस थामे अपनी बहू और चन्दर की पेड़ के नीचे खड़े होकर चुदवाने का किस्सा मजे ले ले कर सुन रही थीं, हंस के बोली
" वैसे चूतड़ ऊपर किया जैसे लौंडे गाँड़ मरवाने के लिए करते हैं न "
मैं भी खिलखिला के बोली,
" हाँ एकदम वैसे ही,... आगे का हिस्सा एकदम नीचे और पिछवाड़ा ऊपर, धक्का जोरदार लगता है और पूरा अंदर तक,...
लेकिन खुले आम बगिया में जहाँ कउनो लड़का लड़की कभी भी आ सकता था ऐसे मरवाने में अलग ही मजा आ रहा था ,
कुछ देर में ही मेरी दोनों चूँची पकड़ के चंदरवा जोर जोर से धक्का मार रहा था और मैं भी उसका लंड निचोड़ लेती कभी चूतड़ से धक्के का जवाब धक्के में देती,... पन्दरह बीस मिनट रगड़ के चोदा होगा,... पहले मैं झड़ी फिर वो,... ऐसे ही मैं चूतड़ ऊपर किये उचकाए, निहुरे।
एक एक बूँद उसकी मलाई की मेरी कुप्पी में, और वो निकाल भी लिया तो भी पांच मिनट तक मैं बुर अपनी कस के निचोड़े रही, एक एक बूँद मलाई चंदरवा क आपके लिए लाइ हूँ "
आज्ञाकारी ,अच्छी बहू की तरह मैं बोली।
सास ने कैसे कोई जीभ से आइसक्रीम की कोन में से कुरेद कुरेद के, उसी तरह मेरी चुनमुनिया में से कुरेद के एक एक बूँद मलाई की खा रही थीं ,
बहुत दिन बाद जवान लौंडो की मलाई चखने का उन्हें मौका मिला था वो भी बहू की बुर से, ...
लेकिन सास कौन जो थोड़ी बहुत बदमाशी न करे और मेरी सास तो इस तरह के खेल में नंबरी थी. उनकी जीभ मेरी बिल के अंदर उन प्वॉयंट्स को भी कस कस के रगड़ रही थी जो मुझे पागल करने के लिए काफी थे , कभी वो सपड़ सपड़ चाटती तो कभी क्या कोई मर्द लंड पेलेगा उस ताकत से अपनी पूरी जीभ मेरे अंदर और होंठ उनके कस के दोनों फांकों को पकड़ के चूसते,...
मेरी हालत खराब हो रही थी, कभी चूतड़ पटकती तो कभी सिसकती तो कभी पलंग की पाटी को हाथ से पकड़ लेती,
" अरे सासू जी थोड़ा बहू को भी सेवा करने का मौका दीजिये न अभी तो आपका बेटा आपकी कुइंया में डुबकी लगाएगा ही, ... "
मैंने सासू जी से कहा,
और थोड़ी देर में हम दोनों 69 की मुद्रा में थे. चुसम चुसाई के मामले में मैं कम नहीं थी।
एक से एक खेली खायी ननद को भी पांच मिनट के अंदर चूस के झाड़ देती थी चाहे वो लाख नखड़ा करे,... लेकिन अपनी सास के आगे मैं भी हार मानती थी।
उनकी गुलाबो थी बहुत रसीली, एकदम पावरोटी की तरह फूली फूली फांके, एकदम चिपकी और खूब रसीली, खूब ताकत लगाने पर फ़ैल तो जाती थी, थी तो भोंसड़ा ही, लेकिन दसो सालों से कोई मूसल उसके अंदर नहीं गया था, सिर्फ औरतों लड़कियों से चुसवा, चटवा के इसलिए टाइट खूब थी
लेकिन इतने दिन मैं भी समझ गयी थी की मेरी सास की चुनमुनिया कहाँ से और कैसे चिल्लाती है, ...
जीभ की टिप से मैंने हलके से दोनों फूली हुयी फांको को फैलाया, जिसमे कोई मोटा लंड गया होगा तो मेरे साजन इनके पेट में आये होंगे और इसी रस्ते से निकले होंगे। साथ में अपनी लम्बी नाक से सास की क्लिट को सहला दिया,
वो एकदम बौरा गयीं,
मेरी जीभ ने उस रसकूप में डुबकी मारी, और जो शैतानी वो कर रही थीं बुर के अंदर की दीवाल पर जहाँ जहां नर्व एंडिंग्स होती हैं वहीँ कस कस के रगड़ने का
वो कांपने लगीं, बुर उनकी पनिया गयी , एक तार की चाशनी धीरे धीरे निकलने लगी और मैंने जीभ की टिप से चाट लिया
बहुत रसीली थी , शहद मात,...
मैं उन्हें किनारे ले जा के रोक देती, बेचारी सास बार बार मुझसे कहतीं
" अरे बहू झाड़ दे न एक बार, ... मेरी अच्छी बहू बस एक बार "
देह उनकी काँप रही थी एकदम कगार पर वो पहुँच जाती और मैं जीभ बाहर निकाल लेती,... चूसना रोक देती। और जैसे कांपना कम होता फिर चुसाई चालू , और थोड़ी देर में सास की हालत खराब
अबकी जो सास बोलीं तो मैं चिढ़ाते बोली
" अरे अभी हमरे सास क पूत आ रहा है, नम्बरी बहनचोद, मादरचोद, झड़वा लीजियेगा न उससे जो मजा बेटे के साथ है वो बहू के साथ थोड़ी है , ..."
ऊँगली के टिप से खूब गरमाई उनकी मुलायम बुर कुरेदते बोली,
" आ रहा होगा न मेरी सासु का लाड़ला, अपने मामा का जना, एक बार उस सांड़ का घोंट लीजिये, अपने मायके के सब मर्दों को उसके मामा को सब को भूल जाइयेगा, ये दोनों बड़ी चूँचियाँ पकड़ के जो हचक हचक के पेलेगा न, अब वही झाड़ेगा, आपको, "
मेरी सास की आँखे पूरी देह कह रही थी उन्हें भी उसी का इन्तजार है,
मैं, बल्कि हम दोनों, मैं और मेरी सास बस यही एक बात सोच रहे थे, जेठानी तो गयीं, मेरी छोटी ननद को लेकर मुम्बई, दूसरी ननद भी ससुरातिन, पांच छह दिन में वो भी अपने ससुरे, ....तो बस तो घर में खाली हम तीनो,... मैं, मेरी सास और ये, ....फिर तो दिन दहाड़े,
और मैं खुद पकड़ अपनी सास को निहुरा के चढ़ाउंगी उन्हें, कोई दिन नागा नहीं जाएगा जब माँ की बिल में बेटे का, आज तो बस,...
तबतक बाइक की आवाज सुनाई पड़ी, हल्की सी दूर से आती हुयी,
मेरी सास खिलखिलायीं, " आ गया तेरा खसम, अभी ठोकेगा मेरी समधन की बिटिया को "
"एकदम आपकी समधन ने दामाद किसलिए बनाया था उनको, इसीलिए तो लेकिन आज मेरी सास का पूत पहले मेरी सास को,... "
हँसते हुए सास की बिल में एक साथ दो ऊँगली ठेलते हुए मैंने उन्हें चिढ़ाया।
लेकिन बाइक की जैसी ही रुकने की आवाज आयी, मेरा मन कुछ आशंका से भर गया,...
ये उनकी बाइक की आवाज तो नहीं थी, फिर मैंने मन को समझाया। क्या पता उनकी बाइक खराब हो गयी हो इसलिए किसी दोस्त की बाइक से या, कोई दोस्त छोड़ने आया हो,
जल्दी से मैंने और सासू जी ने अपनी साड़ी ठीक की,
लेकिन, लेकिन, ....एकदम पक्का उनकी बाइक की आवाज नहीं थी, उनके कदमो की भी नहीं, ...और सबसे बड़ी बात उनके आने की आहट से मेरी देह कसमसाने लगती थी, एकदम मस्ती सी भर जाती थी, खूब अच्छा अच्छा लगता था, पर आज, ...
मेरा मन आशंका से भर गया, लेकिन इनकी तरह मेरे सास को भी बिन बोले मेरे मन का डर पता चल जाता था, उन्होंने कस के अपने हाथ से मेरे हाथ को दबा दिया, जैसे कह रही हों, कुछ नहीं होगा, कुछ नहीं सब ठीक है, मैं हूँ न,
सांकल की आवाज, साथ में जोर से दरवाजे को खड़काने की आवाज आयी, मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया,नौ साढ़े नौ हो गया था, पूरे गाँव में सोता पड़ा था, और सामने मेरे,....और
यह भाग, भाग ८९, पिछले पृष्ठ (919) के अंत से शुरू होता है, कृपया वहां से लिंक कर के पढ़े। और कमेंट जरूर दें. भाग ८९ की पहली पोस्ट पृष्ठ ९१९ के सबसे अंत में है और शेष आगे के भाग यहाँ, कृपया पढ़ना पिछले पृष्ठ ९१९ से शुरू करें। धन्यवाद और कमेंट जरूर दें, बिना कमेंट के कहानी लिखने में मजा नहीं आता।
Aapke munh men Ghee Gud aapka ashirvaad safal hoTumar mard kaun sa koi Rishi muni hai jo nhi maanega,jarur chadhega vo tumari saas par
Gazab update
You are a Pillar of support, strength and inspiration. Apse prerana le ke hi Incest ke aangan men kadam rakhane ki himmat ki hai maine, aur aapke aise commnt meri himmat badhaate hain aur readers ko bhi vihswas dilaate hain ki kahani padhne laayak hogi agar itnai badi aur popular writer endorse kar rhai hai , ek baar fir se thanks
बस साथ बनाये रखिये, अगले अपडेट्स में देखिये कहानी किधर मुड़ती है। इस पोस्ट के अंतिम भाग की आखिरी लाइन से कुछ अंदाज तो लग ही गयाaaj noon me hi update dekha jaise hi time mila read kiya. jaldi jaldi me. but review nahi de paya. mujhe laga tha ki aaj kuch ho hi jayega lekin phir samajh aya ki aap koi new writer thode hi hai, pahle kuch bhumika to banegi tabhi to logical end hoga. ... well aaj to mujhe bhi nirasa hui morning me update aya read to bahuto ni kiya hoga but reply bahut kam aate hai.
Didi mujhe itna sanmaan deke kahe chane ke jhaad pr chadha rhi ho. Me to aapki cheli hu aur mujhe aaise hi rehne do. Mujhe kahe aap itna aap aap karke bulati ho, me bhala tum jesi great writer ko kya prerna de sakti hu. Mene to aap se hi seekhi hai jo bhi writing mujhe aati hai. Thanks anyways didi uYou are a Pillar of support, strength and inspiration. Apse prerana le ke hi Incest ke aangan men kadam rakhane ki himmat ki hai maine, aur aapke aise commnt meri himmat badhaate hain aur readers ko bhi vihswas dilaate hain ki kahani padhne laayak hogi agar itnai badi aur popular writer endorse kar rhai hai , ek baar fir se thanks
Thanks so much for your comments and appreciation. jitana bhi aapko thanks dun come hai . Update to mere regualr tino stories pe aate hain haan agar comments jyada mileen aur aap aise kuch aur patahk ho jaayen to unki frequency badh saktai hai ek baar fir se thanks.Ab aag bhadkegi... Bahut hi shandar update, please keep updating