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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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सुपर टर्बो चार्जड मेगा अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें

गुंजा



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भाग १९ गुंजा और गुड्डी पृष्ठ 255
गुंजा की चीखों की गूंज रह गई....:vhappy1::perfect::applause::superb:
संध्या अभी तक चुदने के बाद शाम की सूरज की लालिमा ऐसी चूत से वंचित हैं....
 
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VutterCutch

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आज हरिहुँ न शस्त्र गहाऊं

आजु जो हरिहिं न शस्त्र गहाऊँ ।
तौ लाजौं गंगा जननी कों, सांतनु सुत न कहाऊँ ।।
स्यंदन खंडि महारथ खण्डों, कपिध्वज सहित डुलाऊँ ।
इती न करौं सपथ तौ हरि की, क्षत्रिय गतिहि न पाऊँ

बस यही कह सकती हूँ।

मैंने बार बार इस कहानी पर कहा है की कमेंट्स बहुत कम हैं यहाँ तक की इस प्रसंग के बाद अगर कमेंट्स न बढे तो मुझे कहानी को विराम देना पड़ेगा।

और आप जो लाइक्स के जरिये ही बहुत कुछ कह देते हैं उनकी लेखनी से ये शब्द, बस यही कह सकती हूँ की आप ने लेखनी उठा ही ली है तो कम से कम अगली दो तीन पोस्टों पर जरूर अपना मत दीजियेगा।

आभार
Komal Ji Ignore marne ki jagah Moholla Mohabbat Wala de dijiye please post nahi toh Personally hi uski pdf dedo jyada bhaw mat khaao
 

motaalund

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आपने एकदम सही कहा, इस कहानी में जैसे सावन में कोई रच रच में मेंहदी लगाए, और इन्सेस्ट के इलाके में तो कैसे कोई खूब भीगे, गीले, काई लगे आंगन में सम्हल के सम्हल के कदम रखे, हलकी सी साड़ी उठा के, नीचे देखते हुए, अब फिसले, तब फिसले,

कमेन्ट्स की कमी , खास तौर पर इस कहानी में बहुत खलती है और मैं बार बार अपने मन का दुःख कहती भी हूँ। बहुत से दयावान आते हैं , पढ़ते हैं, बादलों की तरह एक नजर डाल के मुंह बिचका के, बिना कमेंट की एक दो बूँद टपकाये, कही और चले जाते हैं।

और ऐसे सूखा ग्रस्त क्षेत्र में यह कृपा, आपका एक एक कमेंट, एक एक शब्द स्वाति की बूंदो की तरह है, पानी नहीं अमृत ।

इस प्रसंग में सास बहू के सम्बन्धो पर मैंने कुछ लिखने और उससे ज्यादा कहने की कोशिश की है, आपको अच्छा लगा, इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता। सास निश्चित रूप से ज्यादा अनुभवी है और अपने अनुभव की गठरी बहू के सामने खोल रही है, एकदम सखी वत, वैसे भी मेरा निजी अनुभव है, देह संबंधो और देह सुख के बारे में जितना औरते खुल के बात करती हैं, विशेष रूप से ग्राम्या, बिना किसी अपराधबोध के कभी मजाक में कभी चिढ़ाने में तो कभी बस ऐसे ही, वो पुरुष नहीं करते।

सास बहू की ये बात चीत रिश्तों की नयी खुलती परतें, अगली दो तीन पोस्टों में भी आती रहेंगी। बस यही विनम्र निवेदन है की स्नेह की यह बारिश इसी तरह उन पोस्टों पर भी जरूर करियेगा।

अगली पोस्ट भी जल्द ही।
अपनी तरफ से तो अति-वृष्टि की कोशिश रहती है...
तभी तो एक मुश्त बरसात कर देता हूँ...
 
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motaalund

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आज हरिहुँ न शस्त्र गहाऊं

आजु जो हरिहिं न शस्त्र गहाऊँ ।
तौ लाजौं गंगा जननी कों, सांतनु सुत न कहाऊँ ।।
स्यंदन खंडि महारथ खण्डों, कपिध्वज सहित डुलाऊँ ।
इती न करौं सपथ तौ हरि की, क्षत्रिय गतिहि न पाऊँ

बस यही कह सकती हूँ।

मैंने बार बार इस कहानी पर कहा है की कमेंट्स बहुत कम हैं यहाँ तक की इस प्रसंग के बाद अगर कमेंट्स न बढे तो मुझे कहानी को विराम देना पड़ेगा।

और आप जो लाइक्स के जरिये ही बहुत कुछ कह देते हैं उनकी लेखनी से ये शब्द, बस यही कह सकती हूँ की आप ने लेखनी उठा ही ली है तो कम से कम अगली दो तीन पोस्टों पर जरूर अपना मत दीजियेगा।

आभार
अरे ऐसा जुल्म हम पाठकों मत करिए कोमल जी...
प्रोटेस्ट शुरू करेंगे...
धरना प्रदर्शन करके नारे लगाएंगे... हमारी मांगे पूरी करो...
भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे...
आमरण अनसन...
 
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motaalund

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Komal Ji Ignore mat kariye agar aap apni Story Moholla Mohabbat Wala yaha pe ya kahi pe bhi Post nahi kar sakti toh please mujhe Personally hi Send kar dijiye Email ke through ya jese bhi apko sahi lage
हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अपनी प्रथम रचना "तरुणोपदेश" को काल कोठरी की सजा दे दी थी...
शायद इतने हंगामे के बाद आजीवन कारावास भोग रहा हो...
 

motaalund

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कोमल जी

पता नहीं क्यों कमेंट्स करने में भी आप की लेखनी से होड़ करने लग जाते है और फिर वही होता है जो अपेक्षित है यानि कि पूर्ण पराजय।

मुझ जैसे पाठकों की भी शायद यही मानसिक स्थिति रहती होगी कि कमेंट्स में आपके स्तर तक पहुंचना तो दूर आसपास भी आ जाए तो गनीमत है तो चुप रहने मे ही भलाई है।

मात्र शानदार, जोरदार जैसे शब्द कमेंट्स में लिख देना तो चलताऊ सा लगता हैं। आप निश्चित तौर पर इससे कहीं ज्यादा की हकदार हैं लेकिन समस्या फिर वही मुझ जैसे पाठकों का सीमित ज्ञान।

कृपया कहानी को विराम ना दे और ऐसा तो सोचे भी नहीं। हमारी स्थिति पर भी दया का भाव रखें।

पता नहीं अपनी बात समझा भी पाया हूं या नहीं।

सादर
जैसे "फागुन के दिन चार" में आनंद बाबू ने गुड्डी और भाभियों के सामने कंप्लीट सरेंडर कर दिया था....😜😜
और कभी कुछ न मिले लिखने को तो शानदार.. अद्भुत इत्यादि शब्द भी आपकी भावनाओं को प्रकट कर देंगे....
जो बहुत कहना चाह कर भी शब्द की कमी के कारण न कह पा रहे हों...
 
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komaalrani

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कोमल जी,
बहुत खूब, जानदार, कामुकता से परिपूर्ण लेखन है
सास बहू का प्यार है, आखिर अपने साजन के लिए
उन्हे B C से MC जो बनाना है

उम्दा लेखन कला का परिचय दिया है

कोटि कोटि नमन आप को और आप आप की लेखनी को
बहुत बहुत आभार, धन्यवाद

आपने एकदम सही कहा सास बहू की समझ, दोनों का एक दूसरे के लिए ख्याल, इसलिए ये रिश्ता देह से बढ़कर मन का भी और और मष्तिष्क का भी, बस साथ बनाये रखिये और अगली दो पोस्टों में इन रिश्तों के और रंग दिखेंगे, आप के कमेंट्स का इन्तजार रहेगा।
 
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