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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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shetan ji शायद अभी फुरसत नहीं पा सकी होंगी...
नहीं तो रंगीन चित्रों के साथ कमेंट्स की भी बौछार हो जाती...
वह अभी कुछ व्यक्तिगत समस्याओं से जूझ रही हैं, अपनी कहानी के थ्रेड पे उन्होंने लिखा भी है, हम सब की दुआ उनके साथ है और स्थिति सामने होते ही वह तुरंत वापस आएँगी और आपने एकदम सही कहा उनकी अनुपस्थिति का असर तो महसूस हो रहा है लेकिन उनकी मजबूरी भी है।
 

komaalrani

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If you have visited any book fair, there are many person who visits stalls but rarely speaks and comments.
Kindly see the dedicated readers who visits your thread for your style of writing.
:thanks: :thanks:
 

komaalrani

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साला मानेगा कैसे नहीं...
साजन की सजनी ने और उसके साथ की भौजाइयों ने घर की पुरनकी भौजाई को नया और अंजाना सुख देने का ठान जो लिया है...
नहीं मानेगा तो मनवाया जाएगा
 

komaalrani

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सास ये पूछ कर अपने दिनों को याद कर रही है...
और अपने अनुभव भी साझा कर रही है...

ताकि बहु बेटे को बता दे कि सास को क्या-क्या अच्छा लगता है...
और यह भाग, सास बहू की निकटता को उनके रिश्तों के खुलेपन को और देह से जुडी या कोई और बात हो उसे भी बिना छिपाव के कहने के संबंध को भी दिखाता है। बहू सास से छुप छुप के नहीं बल्कि लौट के रस ले ले के सास को बता रही है और सास भी मजे ले के उसे बढ़ावा दे रही है। पहले की भी कई पोस्टों में सास और बहू के इस कहानी में निकटता के प्रंसंग आये हैं जो देह के साथ आपसी समझ और मन के भी हैं
 

komaalrani

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" पहली बार खूंटे पे चढ़ के चोदा था तो क्या एक बार में ही सब गुर सीख गयी थी का ? अरे चुद तो हर कोई जाती है गौने की रात, ... लेकिन असली खेल तो तब शुरू हो जाता है जब औरत खुद चढ़ के चोदना शुरू करती है, मर्द को मजे दे दे के, खुद मजे ले ले के चुदवाती है और उसको सीखने में टाइम लगता ही है.
ये पहली सीख जो सास ने बताई ..कि आगे कैसे करना है...
और चौदह आने सीखी है क्योंकि चुदवाना जो है...
और सिर्फ पश्चिम पट्टी की .. पूरब पट्टी की औरतों ने क्या गुनाह किया था...
" आपके लिए पंच गव्य लायी हूँ " मेरी बुर में मलाई बजबजा रही थी कुछ रोकने के बाद भी छलक के बुर की फांको पे चिपकी
ये तो सबसे अच्छा प्रसाद दिया सास को...
नहीं नही।

पश्चिम पट्टी वाली मतलब पक्षिम पट्टी वाली मुन्ना क महतारी, सास तो पूरब पट्टी वाली भी थीं और न उन्होंने कोई कमी की और न मैंने लकिने मुन्ना का महतारी हमरी सास क कुछ ख़ास हैं इसलिए उनका अलग से नाम लिया

और सिखाया भी सास ने ही था की कैसे कुप्पी को चिपका के रखना है, अपनी सहेलियों के साथ, पूरे गाँव की साल लोगों के साथ तो रात भर मेरी सास ने महिला रस लिया ही था और अब नए नए लौंडो का भी मरद रस
 

komaalrani

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" सबसे बाद में तो कमल का तो लेकिन सबसे पहले किसकी मलाई गपकी मेरी बहुरिया ने "
सास भी कमल का पहचानती हैं..
मतलब पहले से हीं स्वाद ले रखा था...

मतलब अब बिट्टू का चखने को तैयार

सास का मन रख दिया आपने..
अपने जमाने में सारे करम कर रखी होंगी...
अरे कहाँ बेचारा कमल, उसकी बहन रेनू ने जो उसको मना कर दिया था तो गाँव की बाकी लड़कियों ने भी, और वो खाली घासवालियों के साथ

कमल वाली बात तो सास को खुद बतायी थी, और कमल और रेनू की माँ की तरह मेरी सास भी चाहती थीं की कमल की गाँठ अगर रेनू से बंध जाए तो उस घर में ख़ुशी लौट आये तो बस इसलिए सबसे पहले उन्हें कमल और रेनू का किस्सा बताया फिर हिना का
 
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komaalrani

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चंदरवा ने तो नयकी भौजाई का अगवाड़ा-पिछ्वाडा सब चाँद लेखा कर दिया....
एकदम

और चंदरवा और सुनीता की कहानी से ये शिक्षा मिलती है बहन चाहे छोटी हो या बड़ी, उसका मन रखना भाई का काम है
 

komaalrani

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बहुत दिन बाद जवान लौंडो की मलाई चखने का उन्हें मौका मिला था वो भी बहू की बुर से, ...
एकदमे एक्सपिरियंस होल्डर हैं सास भी...
नए-नए माल की जुगत लगाते रहती हैं...

इसमें नया खाली ये कि अपनी नयकी बहुरिया के बिल से...

आ गया.. सांड .. रात को सास का रतजगा कराने..
अरे कहाँ आया सांड, आखिरी की लाइने एक बार फिर से देखिये न

लेकिन बाइक की जैसी ही रुकने की आवाज आयी, मेरा मन कुछ आशंका से भर गया,...

ये उनकी बाइक की आवाज तो नहीं थी, फिर मैंने मन को समझाया। क्या पता उनकी बाइक खराब हो गयी हो इसलिए किसी दोस्त की बाइक से या, कोई दोस्त छोड़ने आया हो,

जल्दी से मैंने और सासू जी ने अपनी साड़ी ठीक की,

लेकिन, लेकिन, ....एकदम पक्का उनकी बाइक की आवाज नहीं थी, उनके कदमो की भी नहीं, ...और सबसे बड़ी बात उनके आने की आहट से मेरी देह कसमसाने लगती थी, एकदम मस्ती सी भर जाती थी, खूब अच्छा अच्छा लगता था, पर आज, ...

कौन आया, आगे क्या होगा, कैसी खबर है सब अगले हिस्से में लेकिन सांड नहीं है ये साफ़ है
 

komaalrani

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आगे का इन्तजार...
करे और बेकरार...
कोमल जी के कलम की धार..
सबसे शानदार...
लगाए बेड़ापार...
:thanks: :thanks: :thanks: :thanks: :thanks:
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम -भाग २२९ - बहिनिया बनी रंडी -गुड्डी बाई-पृष्ठ १३४८

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