सही कहा...
मानव जीवन उतार-चढ़ाव भरा है...
इसमें सुख दुःख अपने क्रम से आते रहते हैं..
लेकिन साथ हीं अपनों की
खाने-पीने और स्वास्थ्य की चिंता...
कहीं कोई मुसीबत...
किसी अंजाने खतरे का पूर्वाभास...
यही कहानी को कहानी का रूप देते हैं...
और पात्रों से जुड़ाव भी...
आखिर कई सीरियल्स/फिल्म में भी कोई-कोई पात्र अपना एक प्रतिबिंब लगने लगता है..
और रिलीजियसली उसे फ़ॉलो करने लगते हैं..
वरना बाकी कहानियों में तो इतना मैकेनिकल हो जाता है...
दो-तीन एपिसोड के बाद तो सिर्फ चुदाई गाथा हीं बचती है...
और न केवल आपने मानवीय संबंधों और उनसे जुड़े आशंका और व्यग्रता .. दिल में उपजा कोई खटका... को बाखूबी दिखाया है...
बल्कि के पुलिस के किरदार को भी भलीभांति उकेरा है...
इसी कारण तो आपकी कहानियों को बड़े चाव से पढ़ते आ रहे हैं...
धन्यवाद सहित आभार....