सास बहू की जुगलबंदी
वो तो सिसक रहे थे तड़प रहे थे लेकिन जवाब उनकी सास ने दिया, मुझे घूरते हुए
" ऐसे काटते हैं ? "
एक पल के लिए मैं घबड़ा गयी लेकिन सास ने दुबारा बोला तो मैं समझ गयी हम दोनों पैदा ही सास बहू होने के लिए हैं, वो भी एक जनम नहीं सात जनम।
" इतनी हलकी चीख,.... मुश्किल से भरौटी, पठानटोला तक पहुंची होगी, अरे जब तक नन्दोई की चीख उनके मायके तक न पहुंचे और महतारी समझ जाय की उनके लाल की, दुलरुआ की ससुराल में गाँड़ मारी जा रही है हचक हचक के, ....अरे गनीमत मानो ये तुम्हारी ये सलहज नहीं थी तोहरे बियाहे में नहीं तो कोहबर में बिना गाँड़ मारे छोड़ती नहीं "
" और क्या सलहज का काम ही है कोहबर में नन्दोई की गाँड़ मारना और उसका नेग भी जबरदस्त होता है, ननदोई की कुँवारी बहन। "
मैंने सास जी की बात में हामी भरी लेकिन एक प्रस्ताव भी अपनी ओर से दे दिया, हम तीनों में सबसे बड़ी सास थी, मेरी भी उनकी भी इसलिए उन्ही से पूछा
" तो अब से मार लूँ, अब उस समय नहीं थी, तो नहीं थी,... "
लेकिन मेरी बात मेरी सास ने काट दी थोड़ा दुलराते थोड़ा हड़काते
" कितनी सोझ बहू है हमारी, अरे ये कोई पूछे की बात है. नन्दोई पूछते हैं का, सलहज की गाँड़ मारने से पहले, ,,,"
ये बात एकदम सही थी की नन्दोई अगर साली सलहज की मारने के पहले पूछें तो रिश्ते की बेइज्जती,
और उन्होंने तो मेरी दर्जा नौ वाली फूल सी कोमल बहन की एकदम कोरी गाँड़ बिना कडुवा तेल लगाए फाड़ दी थी, थूक भी ठीक से नहीं लगाया था, उसकी चीख तो मैंने भी सुनी थी तो मैं क्यों मौका छोडूं , फिर सास का हुकुम,
" दाएं वाले को खूब चूसे हो ज़रा अब बाएं वाले को चूस" और जब तक नन्दोई कुछ समझे उनके मुंहे में मेरी सास की बड़ी बड़ी चूँची,
और मैं एक बार फिर बिस्तर पर नीचे की ओर
मेरी सास और मेरी जुगलबंदी गजब की थी, बिन बोले हम दोनों समझ जाते थे किसको क्या करना है। अब ननदोई जी का मुंह सास ने अपनी मोटी चूँची से बंद कर दिया था मतलब मुझे लाइसेंस मिल गया था उनकी रगड़ाई करने का, उन्हें गरियाने का।
जैसे गांड मारने की तैयारी की जाती है, एकदम उसी तरह, दो चार मोटी मोटी तकिया मैंने नन्दोई जी के चूतड़ के नीचे लगा के उठा दिया, और प्यार से दोनों नितम्ब सहलाते हुए छेड़ा,
" चलिए कोहबर में तो आपकी गांड बच गयी, आपकी छोटी सलहज अभी आयी नहीं थी, लेकिन अब नहीं बचेगी, और ये मत सोचिये की मैं मारूंगी कैसे, अरे मारने वाली चीज है, चिकनी मक्खन जैसी तो मारी ही जायेगी, और बहुत प्यार से मारी जायेगी, "
मैंने दो ऊँगली में खूब ढेर सारा थूक लगाया और उनके पिछवाड़े के गोल दरवाजे पे दस्तक दी, बेचारे कुण्डी खटकाते ही छेद दुबक दुबक करने लगा, लेकिन मैंने ऊँगली हटा ली, इरादा मेरा तो अभी उन्हें तड़पाना था, मेरे होंठ मैदान में आ गए, और दोनों नितम्बो पर सैकड़ो चुम्मियों की बरसात होने लगी और धीमे बारिश सीधे सेंटर की ओर, दोनों चूतड़ फैला के एक खूब गीला सा चुम्मा मैंने सीधे गोल दरवाजे पर ले लिया ।
बेचारे नन्दोई जी, आँखे बंद, हाथ बंधे और मुंह उनके सास के जोबन के नीचे दबा, कुछ कर भी नहीं सकते और जवान सलहज उनके पिछवाड़े के पीछे,
चुम्मा तो शुरआत थी,
मैंने लम्बी सी जीभ निकाली और सीधे पिछवाड़े की दरार पे, आगे पीछे, ऊपर नीचे, जैसे इनके उस स्साले के साथ करती थी जो अभी ननदोई जी की बीबी चोद रहा था।
नन्दोई जी बोल तो नहीं सकते थे लेकिन तड़पते हुए चूतड़ उछाल रहे थे,
थोड़ी देर तक रिम्मिंग करने के बाद मेरे जोबन मैदान में आ गए, और अब वो दोनों कभी नन्दोई जी की चूतड़ पे रगड़ते कभी उस दरार और मैंने जब अपने खड़े निपल उनकी दरार में रगड़ना शरू कर दिया तो अब लगा की मारे जोश के वो दोनों हाथों में बंधे सास और सलहज के पेटीकोट के नाड़े को तोड़ देंगे,
सास ने मुझे इशारा किया, बहुत हो गया अब मजा देने का टाइम आ गया और मैंने बदमाशी बंद कर दी, और जैसे ही सासू जी ने निपल उनके मुंह से बाहर निकाला वो बोले,
" सासु माँ कुछ करिये, न "
सासु ने उनके मुंह पे एक जबरदस्त चुम्मा लिया और बोलीं
मादरचोद,
और उन्होंने मेरी जगह ले ली नीचे खूंटे के पास, मैं नन्दोई जी के सर के पास, और क्या जबरदस्त चुदाई की सास ने मेरी अपनी चूँचियों से नन्दोई जी की।
इसका मतलब ये नहीं मैंने कभी चूँची से चोदा नहीं था या देखा नहीं था, इनके मोबाइल में कितनी फ़िल्में थी, और मैं भी हफ्ते में एक दो दिन तो इन्हे ललचाने तड़पाने के लिए,
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लेकिन जिस तरह से मेरी सास मेरे नन्दोई की रगड़ाई अपनी बड़ी बड़ी चूँचियों से कर रही थीं, वैसा मैंने कभी
कोमल मैम
शानदार अपडेट और आपकी वही मीठी सी शरारत, कहानी को ऐसी जगह रोको कि बस।
सादर