आप दूरंदेशी हैं...आप की बात एकदम सही है १०० फीसदी, बेटे के हक़ की
लेकिन असल में मज़बूरी थी। नन्दोई को रोकना था ननद के पास पहुँचने से, होलिका माई का आसीर्बाद था की पांच दिन के अंदर ननद गाभिन हो जाएंगी, तो बहन को भाई से गाभिन करवाने का लालच, और बहन की कोख से सगे भाई की बिटिया, पहलौठी की पैदा हो और ननद उसे देखा के अपने भैया को ललचाये की बस थोड़ी सी बड़ी होने दे इसे,
अगर कहीं ननदोई जी ननद के पास पहुँच जाते उन पांचदिनों में तो बहन की कोख में भाई का बीज डालने का प्लान गड़बड़ा जाता और माँ तो यही रहेगी आज नहीं तो कल,
इसलिए ननदोई को ननद के पास पहुँचने से रोकने के लिए सास बहु ने मिल के ये जाल बुना
माँ का भी नंबर आएगा, देर है अंधेर नहीं
सैंया के बारे में दूर तक सोचा...
और ननद का भी उद्धार...