Shetan
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Wah man gae. Apni nandiya ko gambhin karne ka bida utthaya hai. Bharosa to sahi hai. Chhinar to apne bhaiya se paheli bar hi gambhin ho gai hogi. Magar man gae. Nandoi ji se kabul karwa liya. Unhe nanad se dur rakhne ke lie kya teer chalaya hai. Aur teer bhi ek teer se do shikar. Nadiya ko dur bhi. Aur pyari shasu maa ko bhi rang me lane ka. Nandoi ji sas to sahalaj ki bhi vahi hai. Unka sas ko dekhne ka najariya hi badlava diya.भाग 93
नन्दोई, सलहज और सास -जबरदस्त ट्रिपलिंग
लेकिन असली परेशानी अगले दिन थी जब शाम को ननदोई जी आये, मैं
ने अपनी ननद से वायदा किया था की पांच दिन उन्हें नन्दोई जी की परछाईं से भी बचाऊंगी और वो हर रात मेरे मरद के साथ, जबतक पांच दिन के बाद चेक में उनका गाभिन होना पक्का नहीं हो जाता।
पांच दिन में तीन दिन तो बीत चुके थे, मेरा तो मानना था की मेरे मरद ने पहले दिन ही अपनी सगी बहन को गाभिन कर दिया था, दूसरा दिन ननद अपनी सहेलियों के साथ रहीं, कल फिर भैया बहिनी ने जम कर रात भर कबड्डी खेली, गौने की रात झूठ, एक बार मैं पानी पीने के लिए उठी, तो ये कुतिया बना के रगड़ रगड़ के अपनी बहिनिया को पेल रहे थे, सर मेरी ननद का बिस्तर में धंसा, चूतड़ हवा में और बुर में गपागप, गपागप, ये तो नहीं देख पाए लेकिन मेरी ननद ने देख लिया और ऊँगली से इशारा किया तीन का यानी तीसरी बार वो अपने भाई से चुद रही थीं।
लेकिन आज मामला टेढ़ा था, नन्दोई जी से ननद को बचाने का,
होलिका माई का आर्शीवाद था पांच दिन के अंदर नन्द मेरी गाभिन हो जाएंगी, वो दिन पहला दिन भी हो सकता था और पांचवा भी। आज चौथा दिन था और मैं और मेरी ननद दोनों चाहती थीं की ननद के पेट के अंदर बच्चा मेरे मर्द के बीज का ही हो।
और इसलिए आज की रात भी उन्हें अपने भैया के साथ ही सोना था, लेकिन नन्दोई जी के रहते,….?
नन्दोई जी के आते ही मैंने चाल चलनी शुरू कर दी थी, मेरी सास रसोई में जा रही थीं और ननदोई की निगाह उनके पिछवाड़े,
गलती मेरे नन्दोई की कत्तई नहीं थी, मेरे सास के चूतड़ थे ही एकदम कसर मसर, जैसे दो तरबूज आधे आधे, खूब बड़े लेकिन उतने ही कड़े, किसी भी मरद का खड़ा हो जाता और मेरे नन्दोई तो पिछवाड़े के जबरदस्त रसिया।
और मैंने उन्हें अपनी सास का पिछवाड़ा देखते ललचाते पकड़ लिया । पीछे से मैंने जकड़ लिया, आँचल ढुलक गया था मेरे जोबन की नोक नन्दोई जी की पीठ में धंस रही थी और मैंने चिढ़ाया,
" क्यों नन्दोई जी, माल है न मस्त, खूब हचक के लेने लायक, ...क्या देख रहे हैं सास का पिछवाड़ा "
बेचारे शर्मा गए, चोरी पकड़ी गयी। किसी तरह से बोले, नहीं नहीं अरे ऐसा कुछ नहीं है,
" अरे काहें लजा रहे हैं, आप की सास तो मेरी भी सास है , और आप ना ना कर रहे हैं और ये हाँ कर रहा है "
और मैंने उनके पाजामे के ऊपर से खूंटे को पकड़ लिया, फनफना रहा था। ऊपर से मैं रगड़ने लगी और उनसे हाँ बुलवाने की कोशिश करने लगी।
" साफ़ साफ़ बोलिये चाहिए की नहीं , सलहज से ससुराल में सरम करियेगा न तो घाटे में रहिएगा, अच्छा ये बताइये की इनकी बेटी की गांड मारी की नहीं "
" गौना करवा के काहें ले गए थे , इनकी बिटिया को , गौने के चार दिन के अंदर,… बहुत ना ना कर रही थी, लेकिन निहुरा के पटक के पेल दिए , हफ्ते भर के अंदर, आठ दस बार मरवाने के बाद,… आदत पड़ गयी। "ननदोई जी हंस के बोले। अपने साले की तरह वो भी पिछवाड़े के दीवाने थे।
" और इनकी छोटी बहु की, "
अब मेरा हाथ पजामे के अंदर घुस गया था, एक झटके में मैंने सुपाड़ा खोल दिया था और अब कस के सुपाड़ा रगड़ रही थी, नन्दोई जी का सुपाड़ा था भी खूब मोटा, गांड में घुसते ही गांड फाड़ देता था,
" उह्ह्ह, उह्ह्ह सलहज जी, आप मानेंगी नहीं , मैंने सैकड़ों की गाँड़ मारी होंगे, लड़की लड़के, औरतें लेकिन मेरी सलहज ऐसी, अरे मेरी इस सलहज के आस पास भी किसी की नहीं होगी, "
नन्दोई जी ने कबूल किया और मैं पहले दिन से ही ये जान गयी थी की ये मेरे पिछवाड़े के जबरदस्त रसिया हैं तो मैं ललचाती भी थी, और ऐन होली के दिन ली भी थी उन्होंने,
" चाहिए छोटी सलहज की "
कस के मुठियाते हुए मैंने उकसाया, और साथ में मेरे बड़े बड़े कड़े जोबन उनकी पीठ पीछे से रगड़ रहे थे,
बेचारे नन्दोई की हालत खराब, इस हालत मैं तो उनकी माँ बहन सब लिखवा लेती तो वो लिख देते, बड़ी मुश्किल से बोले
: सच्ची, अरे उसके लिए तो,...."
और वो आगे बोलते उसके पहले कस के खूंटे को दबा के मैंने बात काट दी,
" उसके लिए मेरी और आपकी दोनों की सास की , ....सच में बोलिये सास की लेने का मन कर रहा है की नहीं , सोच लीजिये अगर झूठ बोला तो न सास मिलेगी न सलहज, अरे मैं बता रही हूँ, सालो से पीछे कुदाल नहीं चली है, एकदम टाइट कसी, और छिनरपना करेगी तो आपकी सलहज रहेगी न साथ में, देह की करेर हूँ, कस के दोनों हाथ पैर दबोच लूंगी और एक बार ये मोटू अंदर घुस गया न मेरे नन्दोई का , फिर तो हमारी आपकी सास लाख चूतड़ पटकें बिना गाँड़ मारे मेरा ननदोई निकलने वाला नहीं। नन्दोई जी मेरा भी मन कर रहा था की बहुत दिन से एक बार मेरी सास की मेरे सामने कोई कस के हचक के गाँड़ कूटे, और एक के साथ एक फ्री वाला ऑफर , सास भी सलहज भी। "
" मन तो मेरा कर रहा है लेकिन, लेकिन आपकी ननद कहीं उन्हें पता चल गया तो, "
बेचारे घबड़ा रहे थे। उन्हें क्या मालूम था सारा चक्कर इसी बात के लिए था की मेरी ननद उनके साले से रात भर कुटवाये,
" नन्दोई जी आप भी न ससुराल में है , सलहज आपके साथ फिर क्या, ननद का इंतजाम मैं कर लुंगी न। लेकिन मन करता है न सास का,…’
" एकदम सही बोली आप, पिछवाड़े के साथ इतनी बड़ी बची चूँचियाँ और एकदम कड़ी, उनकी चूँची चोदने का भी जबरदस्त मन करता है :
नन्दोई जी ने मन की बात कबूल की
" अरे ननदोई जी आप एक बार कह के देखते,.... आप के लिए तो मैंने अपनी कच्ची कुँवारी दर्जा नौ वाली छुटकी की गाँड़, तो मेरी सास कौन चीज हैं…. तो हो जाय आज रात मेरी और आपकी सास की गाँड़ मरवाई, चूँची चुदवाने का काम, अब आप अगर पीछे हटे तो सलहज को भूल जाइये, अरे ननद की तो रोज लेते हैं आज उनकी भौजाई, महतारी पे नंबर लगाइये।
एक दो दिन में ननद ससुरे जाएंगी फिर तो दिन रात उन्ही के बिल में मूसल चलेगा, और आज आप ने मेरी सास की, ले ली मेरे सामने तो बस, सलहज साले के पहले नन्दोई की, "
कोई आ रहा था और उनको ये लाइफ टाइम ऑफर देकर मैं हट गयी,
हर बार मैं देख रही थी की अब वो सास को नयी नजर से देख रहे थे, और सास भी नजर पहचानती थीं, तो बस दामाद को देखकर उनका आँचल बिना बात के गिर पड़ता था, वो गहराई, उभार,



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