Wah man gae. Apni nandiya ko gambhin karne ka bida utthaya hai. Bharosa to sahi hai. Chhinar to apne bhaiya se paheli bar hi gambhin ho gai hogi. Magar man gae. Nandoi ji se kabul karwa liya. Unhe nanad se dur rakhne ke lie kya teer chalaya hai. Aur teer bhi ek teer se do shikar. Nadiya ko dur bhi. Aur pyari shasu maa ko bhi rang me lane ka. Nandoi ji sas to sahalaj ki bhi vahi hai. Unka sas ko dekhne ka najariya hi badlava diya.भाग 93
नन्दोई, सलहज और सास -जबरदस्त ट्रिपलिंग
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लेकिन असली परेशानी अगले दिन थी जब शाम को ननदोई जी आये, मैं
ने अपनी ननद से वायदा किया था की पांच दिन उन्हें नन्दोई जी की परछाईं से भी बचाऊंगी और वो हर रात मेरे मरद के साथ, जबतक पांच दिन के बाद चेक में उनका गाभिन होना पक्का नहीं हो जाता।
पांच दिन में तीन दिन तो बीत चुके थे, मेरा तो मानना था की मेरे मरद ने पहले दिन ही अपनी सगी बहन को गाभिन कर दिया था, दूसरा दिन ननद अपनी सहेलियों के साथ रहीं, कल फिर भैया बहिनी ने जम कर रात भर कबड्डी खेली, गौने की रात झूठ, एक बार मैं पानी पीने के लिए उठी, तो ये कुतिया बना के रगड़ रगड़ के अपनी बहिनिया को पेल रहे थे, सर मेरी ननद का बिस्तर में धंसा, चूतड़ हवा में और बुर में गपागप, गपागप, ये तो नहीं देख पाए लेकिन मेरी ननद ने देख लिया और ऊँगली से इशारा किया तीन का यानी तीसरी बार वो अपने भाई से चुद रही थीं।
लेकिन आज मामला टेढ़ा था, नन्दोई जी से ननद को बचाने का,
होलिका माई का आर्शीवाद था पांच दिन के अंदर नन्द मेरी गाभिन हो जाएंगी, वो दिन पहला दिन भी हो सकता था और पांचवा भी। आज चौथा दिन था और मैं और मेरी ननद दोनों चाहती थीं की ननद के पेट के अंदर बच्चा मेरे मर्द के बीज का ही हो।
और इसलिए आज की रात भी उन्हें अपने भैया के साथ ही सोना था, लेकिन नन्दोई जी के रहते,….?
नन्दोई जी के आते ही मैंने चाल चलनी शुरू कर दी थी, मेरी सास रसोई में जा रही थीं और ननदोई की निगाह उनके पिछवाड़े,
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गलती मेरे नन्दोई की कत्तई नहीं थी, मेरे सास के चूतड़ थे ही एकदम कसर मसर, जैसे दो तरबूज आधे आधे, खूब बड़े लेकिन उतने ही कड़े, किसी भी मरद का खड़ा हो जाता और मेरे नन्दोई तो पिछवाड़े के जबरदस्त रसिया।
और मैंने उन्हें अपनी सास का पिछवाड़ा देखते ललचाते पकड़ लिया । पीछे से मैंने जकड़ लिया, आँचल ढुलक गया था मेरे जोबन की नोक नन्दोई जी की पीठ में धंस रही थी और मैंने चिढ़ाया,
" क्यों नन्दोई जी, माल है न मस्त, खूब हचक के लेने लायक, ...क्या देख रहे हैं सास का पिछवाड़ा "
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बेचारे शर्मा गए, चोरी पकड़ी गयी। किसी तरह से बोले, नहीं नहीं अरे ऐसा कुछ नहीं है,
" अरे काहें लजा रहे हैं, आप की सास तो मेरी भी सास है , और आप ना ना कर रहे हैं और ये हाँ कर रहा है "
और मैंने उनके पाजामे के ऊपर से खूंटे को पकड़ लिया, फनफना रहा था। ऊपर से मैं रगड़ने लगी और उनसे हाँ बुलवाने की कोशिश करने लगी।
" साफ़ साफ़ बोलिये चाहिए की नहीं , सलहज से ससुराल में सरम करियेगा न तो घाटे में रहिएगा, अच्छा ये बताइये की इनकी बेटी की गांड मारी की नहीं "
" गौना करवा के काहें ले गए थे , इनकी बिटिया को , गौने के चार दिन के अंदर,… बहुत ना ना कर रही थी, लेकिन निहुरा के पटक के पेल दिए , हफ्ते भर के अंदर, आठ दस बार मरवाने के बाद,… आदत पड़ गयी। "ननदोई जी हंस के बोले। अपने साले की तरह वो भी पिछवाड़े के दीवाने थे।
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" और इनकी छोटी बहु की, "
अब मेरा हाथ पजामे के अंदर घुस गया था, एक झटके में मैंने सुपाड़ा खोल दिया था और अब कस के सुपाड़ा रगड़ रही थी, नन्दोई जी का सुपाड़ा था भी खूब मोटा, गांड में घुसते ही गांड फाड़ देता था,
" उह्ह्ह, उह्ह्ह सलहज जी, आप मानेंगी नहीं , मैंने सैकड़ों की गाँड़ मारी होंगे, लड़की लड़के, औरतें लेकिन मेरी सलहज ऐसी, अरे मेरी इस सलहज के आस पास भी किसी की नहीं होगी, "
नन्दोई जी ने कबूल किया और मैं पहले दिन से ही ये जान गयी थी की ये मेरे पिछवाड़े के जबरदस्त रसिया हैं तो मैं ललचाती भी थी, और ऐन होली के दिन ली भी थी उन्होंने,
" चाहिए छोटी सलहज की "
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कस के मुठियाते हुए मैंने उकसाया, और साथ में मेरे बड़े बड़े कड़े जोबन उनकी पीठ पीछे से रगड़ रहे थे,
बेचारे नन्दोई की हालत खराब, इस हालत मैं तो उनकी माँ बहन सब लिखवा लेती तो वो लिख देते, बड़ी मुश्किल से बोले
: सच्ची, अरे उसके लिए तो,...."
और वो आगे बोलते उसके पहले कस के खूंटे को दबा के मैंने बात काट दी,
" उसके लिए मेरी और आपकी दोनों की सास की , ....सच में बोलिये सास की लेने का मन कर रहा है की नहीं , सोच लीजिये अगर झूठ बोला तो न सास मिलेगी न सलहज, अरे मैं बता रही हूँ, सालो से पीछे कुदाल नहीं चली है, एकदम टाइट कसी, और छिनरपना करेगी तो आपकी सलहज रहेगी न साथ में, देह की करेर हूँ, कस के दोनों हाथ पैर दबोच लूंगी और एक बार ये मोटू अंदर घुस गया न मेरे नन्दोई का , फिर तो हमारी आपकी सास लाख चूतड़ पटकें बिना गाँड़ मारे मेरा ननदोई निकलने वाला नहीं। नन्दोई जी मेरा भी मन कर रहा था की बहुत दिन से एक बार मेरी सास की मेरे सामने कोई कस के हचक के गाँड़ कूटे, और एक के साथ एक फ्री वाला ऑफर , सास भी सलहज भी। "
" मन तो मेरा कर रहा है लेकिन, लेकिन आपकी ननद कहीं उन्हें पता चल गया तो, "
बेचारे घबड़ा रहे थे। उन्हें क्या मालूम था सारा चक्कर इसी बात के लिए था की मेरी ननद उनके साले से रात भर कुटवाये,
" नन्दोई जी आप भी न ससुराल में है , सलहज आपके साथ फिर क्या, ननद का इंतजाम मैं कर लुंगी न। लेकिन मन करता है न सास का,…’
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" एकदम सही बोली आप, पिछवाड़े के साथ इतनी बड़ी बची चूँचियाँ और एकदम कड़ी, उनकी चूँची चोदने का भी जबरदस्त मन करता है :
नन्दोई जी ने मन की बात कबूल की
" अरे ननदोई जी आप एक बार कह के देखते,.... आप के लिए तो मैंने अपनी कच्ची कुँवारी दर्जा नौ वाली छुटकी की गाँड़, तो मेरी सास कौन चीज हैं…. तो हो जाय आज रात मेरी और आपकी सास की गाँड़ मरवाई, चूँची चुदवाने का काम, अब आप अगर पीछे हटे तो सलहज को भूल जाइये, अरे ननद की तो रोज लेते हैं आज उनकी भौजाई, महतारी पे नंबर लगाइये।
एक दो दिन में ननद ससुरे जाएंगी फिर तो दिन रात उन्ही के बिल में मूसल चलेगा, और आज आप ने मेरी सास की, ले ली मेरे सामने तो बस, सलहज साले के पहले नन्दोई की, "
कोई आ रहा था और उनको ये लाइफ टाइम ऑफर देकर मैं हट गयी,
हर बार मैं देख रही थी की अब वो सास को नयी नजर से देख रहे थे, और सास भी नजर पहचानती थीं, तो बस दामाद को देखकर उनका आँचल बिना बात के गिर पड़ता था, वो गहराई, उभार,
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Wah man gae. Migraine ka bahana banakar Nandiya ko nandoi se dur. Koi bat nandoi ji. Tumhari biwi ka to tumhara sala pura ilaj kar dega. Akhir uski bahen hai. Nadiya turant kamre me ghus gai.छिनार ननद का छिनरपन
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लेकिन असली खेल किया ननद ने रात को खाते समय, खाना करीब खतम हो गया था, सास मेरी खीर लाने गयीं थीं
" उह, जबरदस्त सर दर्द हो रहा है " ननद ने जो चेहरा बनाया की एक बार मैं भी घबड़ा गयी, उनके भैया ने भी,
“क्या हुआ कैसा लग रहा”
बार कभी उनका माथा सहलाते कभी चेहरे को देखते,
" उफ़ लगता है माइग्रेन लौट आया, ओह्ह सर फटा जा रहा है " वो बड़ी मुश्किल से बोलीं।
साल डेढ़ साल पहले उन्हें माइग्रेन होता था लेकिन ठीक हो गया था, उनके भैया ने डाकटर को फोन लगाया और ब हाँ , अभी एकदम बोलते रहे, तबतक उनकी माँ भी खीर लेके लौट आयी थीं, वो भी परेशान, अपने बेटे की ओर देख रही थीं।
" डाक्टर ने बोला है , इन्हे अभी तुरंत लेट जाना चाहिए, रौशनी आवाज से एकदम बचें, एक दवा बताई है नींद की वो मेरे पास है, बस वो दे देनी है, कुछ भी कर के छह सात घंटे इसे तुरंत सो जाना चाहिए, और हाँ सुबह उठने पर एक दवा खानी है वो मैं अभी जा के ले आता हूँ ,
मुझे लौटने में घंटे दो घंटे लग जाएंगे, खाना मैंने खा लिया है आप लोग भी, "
और मुझसे बोले
" अपनी ननद को अपने कमरे में ले जाके सुला दो रौशनी आवाज कुछ भी नहीं , और वो दवा खिला देना,… सुबह तक पक्की नींद आ जायेगी , अगर नहीं सोयेगी तो बड़ी परेशानी हो सकती है "
" एकदम मैं अभी ले जाके सुला देती हूँ और बाहर से ताला भी बंद कर दूंगी , "
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ननदोई जी को देखते हुए कुछ चिढ़ाते हुए मैंने नन्द को ले के कमरे में गयी,
और कमरे में उस बिस्तर पर पहुँचते ही जहाँ दो दिन उनके भैया ने बड़ी जालिम चुदाई की थी, ननद मुस्कराने लगीं,
मैंने चुप रहने का इशारा किया, और उनकी साडी पकड़ के खिंच दी
फिर ब्लाउज, पेटीकोट उनके भाई के उतारने के लिए छोड़ दिया,
लेकिन ननद को फिर एक परेशानी याद आयी,
" भैया कैसे, ..."
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मैंने खिड़की दिखाई, बाहर की ओर खुलती थी और मुश्किल से दो ढाई फिट ऊँची, पांच दस मिनट ननद के साथ बैठ के समझा के अभी आधे घंटे तक एकदम चुप रहें, बत्ती बंद की, बाहर से ताला बंद किया,
और चाभी अपने उस बेटीचोद साजन को पकड़ा दी और कसम भी धरा दी की आज खूब हचक के ननद की लें,
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Bahut satin kabab diya hai Komal ji. Maa to ghar par hi hai kabhi chi chadh jayega beta.आप की बात एकदम सही है १०० फीसदी, बेटे के हक़ की
लेकिन असल में मज़बूरी थी। नन्दोई को रोकना था ननद के पास पहुँचने से, होलिका माई का आसीर्बाद था की पांच दिन के अंदर ननद गाभिन हो जाएंगी, तो बहन को भाई से गाभिन करवाने का लालच, और बहन की कोख से सगे भाई की बिटिया, पहलौठी की पैदा हो और ननद उसे देखा के अपने भैया को ललचाये की बस थोड़ी सी बड़ी होने दे इसे,
अगर कहीं ननदोई जी ननद के पास पहुँच जाते उन पांचदिनों में तो बहन की कोख में भाई का बीज डालने का प्लान गड़बड़ा जाता और माँ तो यही रहेगी आज नहीं तो कल,
इसलिए ननदोई को ननद के पास पहुँचने से रोकने के लिए सास बहु ने मिल के ये जाल बुना
माँ का भी नंबर आएगा, देर है अंधेर नहीं
Ekdam garmaya huaa update. Nandoi ji ko apni biwi matlab unki bahen ki aavaj nahi aani chahiye.सास और दामाद
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ननदोई जी बेचारे उदास बैठे थे और साथ में उनकी सास खीर का कटोरा ले के,
" सुला के आ रहीं हूँ, सुबह तक एकदम ठीक हो जाएंगी, हाँ आप का उपवास हो गया " उन्हें चिढ़ाते मैं बोली,
लेकिन सास ने बात काट दी, " अरे उपवास क्यों, सास और सलहज के रहते दामाद जी का उपवास क्यों होगा, हाँ स्वाद बदल जाएगा , "
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अब ननदोई जी के चेहरे पर मुस्कान आयी , सुबह वाली बात उनको याद आ गयी , और मेरी सास ने एक लेवल बात और आगे बढ़ाई । और मैं नन्दोई जी का साथ दे रही थी।
पहले तो मैंने,जहाँ हम लोगो खाना खा रहे थे, वहां का दरवाजा मैंने बंद किया की ननद जी की नींद न उखड़ जाए हम लोगों की आवाज से ( असली बात ये थी की मैं नहीं चाहती थी की अभी थोड़ी देर में मेरा मरद जो मेरी ननद की रगड़ाई करेगा, तो उनकी सिसकी, चीख न सुनाई दे, हालंकि वो कमरा घर के एकदम दूसरे कोने में था और किसी भी हालत में उन लोगों की आवाज नहीं आ सकती थी) ।
फिर ननदोई जी के आलमोस्ट गोद में बैठ के उनका हाथ अपने उभार पर ( और नन्दोई जब बगल में हो तो किस सलहज का आँचल जोबन के ऊपर रहता है ) और सासू जी को छेड़ा,
" आप न हम दोनों को, अपने दामाद को और बहू को हरदम बाहर वाला समझती हैं और बेटा बेटी को अंदर वाला, क्योंकि वो दोनों आपके अंदर से निकले हैं, है ना। अपने बेटे बेटी को तो आपने हाथ से खिलाया होगा और हमारे ननदोई जी को कभी दिया है हाथ से ? "
मैं हम दोनों की ओर से उन्हें चिढ़ाते बोली ।
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" अरे मैं देने में पीछे नहीं हटने वाली, यही तोहार ननदोई ही अपने महतारी के भोंसडे में जाय के छिप जाते हैं, " मौका पा के अपनी समधन को गरियाते हुए मेरी सास ने अपने हाथ से खीर अपने दमाद को खिलाने के लिए उनके मुंह में डाला,
" काट लीजिये, ऐसी मीठी ऊँगली काटने का मौका नहीं मिलेगा, " मैंने नन्दोई जी को चढ़ाया, लेकिन मेरी सास तो मेरी भी सास थीं, बोलीं
" अरे कइसन सलहज हो, काटे क होई तो खाली सास क ऊँगली मिली है, बहुत चीज है काटे, चाटे और चूसे वाली, “
अपने बड़े बड़े उभारो की और देखती जिस तरह से वो बोलीं, साफ़ था की वो किस चीज के काटने चूसने और चाटने की दावत अपने दामाद को दे रही है
और ऊँगली में लगी खीर उन्होंने दामाद के गाल में लपेट दी और छेड़ा
“जाय के अपनी बहिन महतारी से चटवा के साफ़ करवा लेना, वैसे गाल तो खूब नमकीन काटने चूसने लायक है, “
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लेकिन मैं थी न अपने ननदोई के साथ, मैं बोली,
" अरे ससुरार में सलहज है सास है, बहिन मंहतारी पे तो अपने मायके में जाके चढ़ेंगे उनसे चटवाएंगे अभी तो मेरा हक़ पहले है, "
और मैंने गाल खूब प्यार से चुम्मा लेते हुए चाट लिया। नन्दोई जी अब खूब कस के खुल के जोबन मेरा दबा रहे थे और खूंटा पजामे में तम्बू बना रहा था, उसे सहलाते हुए, सास को मैंने दिखा के कहा,
" और सासू जी ये भी नन्दोई जी का खूब चूसने लायक है "
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सासू जी भी खूब ललचायी निगाह से देख रही थी अपने दामाद का गरमाया खूंटा। लेकिन मुझे चिढ़ाते बोलीं,
" तो चुसो न, ननदोई का सलहज नहीं चूसेगी तो का ननदोई क महतारी चूसेगी "
" मैं तो बहुत बार चूस चुकी हूँ लेकिन अबकी नन्दोई की सास का नंबर है, बोलिये चूसने का मन कर रहा है न "
" मेरा प्यारा दामाद है, मेरी जो मर्जी करूँ उसके साथ, " सास लिबराते हुए बोलीं और अपने हाथ से दुबारा खीर ननदोई जी के मुंह में और अबकी गलती से या जानबूझ के थोड़ी सी खीर उनके कुर्ते पर,
" अरे या आप ने का कर दिया, बाहर गिरा दिया, मेरे नन्दोई तो एक एक बूँद एकदम अंदर गिराते है, न बिस्वास तो अपने समधन को फोन लगा के पूछ लीजिये, और नन्दोई जी मैं ये कुरता उतार देती हूँ , नहीं तो दाग पड़ जाएगा " मैं सास का अपने इशारा समझ गयी थी और जब तक नन्दोई जी रोकते मैंने कुर्ते के साथ बनयाइंन भी उतार दी और अब वो सिर्फ पाजामे में।
" अरे छिनार मेरे दामाद क कुरता उतारेगी तो मैं छोडूंगी "
और सास ने खींच के मेरी साडी और फिर मैंने भी सास की साडी अब ननदोई जी सिर्फ पाजामे में और हम सास बहु चोली, ब्लाउज में , दोनों की चोली एकदम टाइट और खूब लो कट, पेटीकोट भी बस कूल्हे पर टिका,
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" तुम कह रही थी न बेटी बेटे में अंतर की बात तो जो मेरे बेटी बेटे छोटे थे तो मेरे पास सोते थे, चलो तुम दोनों मेरे पास मेरे कमरे में सोऔ " सास बोली और उनके दामाद तो यही चाहते थे उन्होंने तुरंत हामी भर दी , खुश होके बोले
" एकदम "
लेकिन मेरा इरादा कुछ और था, " अरे सासु जी आपके दामाद सोने के पहले एक दवाई पीते हैं, उसके बिना, "
मेरी सास भी ये बात जानती थीं की बिना दारु पिए, और एक बार दारु पी लिए तो झिझक ख़त्म, वो मुझे हड़का के बोलीं
" तो जाके लाती काहें नहीं मैं तोहरे नन्दोई को अपने कमरे में ले चल रही हूँ "
Bilkul sahi kaha. Nandoi ji ka unki sasu maa ne vahi hal kiya jo tere marad ka tere mayke me huaa. Akhir vo vaha ke to ye yaha ke danad hai. Khub khinchegi sasumaa to. Unki maa bahen ke name se.अरे उपवास क्यों, सास और सलहज के रहते दामाद जी का उपवास क्यों होगा, हाँ स्वाद बदल जाएगा
अरे छिनार मेरे दामाद क कुरता उतारेगी तो मैं छोडूंगी "


Man gae chhinar nandiya ko. Apni beti ko bata rahi hai ki uska bap jisne apni sagi bahen ko nahi chhoda vo apni beti ko kaha chhodega. Aur upar se kahe rahi hai chhinar hai teri maa tere samne hi apne bhaiya kam bhatar se chudvaegi. Amezing erotic. Udhar nandoi ji shasu maa ke sath hai. Khel aage badha ya nahi.बेटीचो
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असली बात ये थी की मैं ज़रा अपने कमरे का एक चक्कर लगा के देखना चाहती थी की मेरी ननद पर चढ़ाई अभी शुरू हुयी की नहीं।
ननद मेरी मेरे बिस्तर पे मेरे मरद के साथ,
खिड़की हलकी सी खुली थी, दिख भी रहा था और सुनाई भी दे रहा था, खेल बस शुरू हो रहा था। मेरे मरद का हाथ अपने पेट पे रख के ननद मेरी बड़े दुलार से अपने पेट में की बिटिया से बोल रही थी,
" देख बेटी तेरा बेटीचोद बाप, केतना इन्तजार करा के आया है, लेकिन तेरे साथ इन्तजार नहीं कराने दूंगी जैसे ही जवानी के फूल खिलेंगे न, "
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और मेरे मरद ने, जिसे मेरी ननद बेटीचोद बाप कह रही थीं, ननद के पेट को चूम लिया, और मेरी ननद को छेड़ते हुए पेट से बोला,
" ये तेरी महतारी न नम्बरी छिनार है "
" हे ये तोहार बिटिया हमरो नंबर डकायेगी, मैं छिनार तो ये महाछिनार, और सबसे पहले अपने बाप के साथ " ननद चुप रहने वाली थोड़ी थी,
" तो का हुआ," पेट सहलाते वो बोले मेरी ननद से,
" बीज मैं लगा रहा हूँ तो फल कौन खायेगा, और फल क्या कच्ची अमिया भी आय गयी तो बिना कुतरे "
" एकदम " इनका सर सहलाते हुए प्यार से मेरी ननद ने वायदा किया, " अपने हाथ से अपने सामने, खुद खोल के, लेकिन सबसे पहले जहाँ से नौ महीने बाद तोहार बिटिया निकली उहाँ चूम चाट के, चुसो न भैया कस के "
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मेरी तरह से मेरी ननद भी जानती थी की मेरा मरद कितना बड़ा चूत चटोरा है , वो अपनी सगी बहन की दोनों चिकनी मख़मली जाँघों को फैला के
और मेरी ननद अपने पेट को सहला के जैसे अपनी होने वाली बेटी से बात कर रही हों,
" देख रही है इस स्साले बेटीचोद को,... कैसे अभी से तेरे लिए ललचा रहा है। अरे जिस बहनचोद ने अपनी सगी बहन नहीं छोड़ा वो बेटी को कैसे छोड़ेगा और छोड़ना चाहिए भी नहीं। अरे जब बाहर निकलेगी न नौ महीने बाद तब देखना अपने इस बेटीचोद बाप की बदमाशी, तेरे सामने चढ़ेगा तेरी माँ पे,... "
और यह सब सुन के मेरे सैंया और ननद के भैया और गरमा रहे थे, जिस मस्ती मेरी ननद की बातें सुन के मेरे मर्द को और जोश आ रहा था और वो कस कस के अपनी बहन की बुर चाट रहे थे।
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मेरी ननद अपने भाई को और उकसाते, आगे में घी डालते, अपने पेट को सहलाते बोली,
' जिस उमर में तेरी सहेलियां गुड्डे से खेलेंगी न तुझे अपने हाथ से असली मोटा मस्त लौंड़ा पकडाउंगी, तेरे बाप का, ऐसा मस्त मिलेगा नहीं "
और ये बात मेरी ननद की सोलहो आने सही थी,
मैंने इनके पहले तो किसी और का, और साल भर, लेकिन इस फागुन में तो मैंने किसी देवर को मना नहीं किया, ऐन होली के दिन ननदोई जी और उनके दोस्त ने, फिर पड़ोस वाले सुनील और उसके दोस्तों ने भी भी और होली के पहले मैंने खुद चंदू को, और मायके से लौटने के बाद एकदम कच्चा केला, चुन्नू, फिर कबड्डी के अगले दिन तो मैंने गिनना ही छोड़ दिया, देवर है तो फागुन में भौजी को तो , और अगर कोई देवर झिझकता तो मैं खुद उसके ऊपर, लेकिन बात असली यही थी की ननद जो इस बेटी चोद मेरे मरद की होने वाली बेटी को समझा रही थीं, मेरा मरद सबसे बीस ।
खाली लम्बाई मोटाई में ही नहीं, उसमें नन्दोई जी का उनसे उन्नीस होगा अट्ठारह नहीं और कड़ा भी जबरदस्त था, और चंदू का तो करीब करीब बराबर ही और सुपाड़ा बहुत ही मोटा, इसलिए तो भोंसडे वालियों की भी फटती थी और कमल का भी वही हाल,
लेकिन मेरे मरद की सबसे बदमाशी वाली बात थी चोदने के साथ साथ जो वो तंग करता था, तड़पाता था, कभी ऊँगली से कभी होंठों से कभी जीभ से, लड़की खुद ही बोलती थी, ' चोद स्साले', मारे गरमी के पागल हो जाती थी। खुद मैं, पहली रात को ही इन्होने कभी चूम के कभी चूस चूस के कभी ऊँगली से कभी होंठों से, मेरी ये हालत कर दी थी की झिल्ली तो बाद में फटी, मेरी शर्म लाज पहले उतर गयी और पांच बार इस बदमाश ने मुझसे कहलवाया, ' पेलो न, अंदर डालो, पूरा डालो, हाँ और " तब जा के,
और अब जो उनकी बहन ने बेटीचोद होने का कह के उन्हें उकसाया तो ऐसे उन्होंने अपनी बहन को गरमाया उससे दस बार कबुलवाया की अपनी पहलौठी बेटी के सामने ही चुदवायेगी, खुल के चुदववायेगी जिससे वो भी, और अपने से अपनी बेटी को उनके लिए और उस के बाद क्या धकापेल चुदाई शुरू हुयी भाई बहन की और मेरी ननद बेटी को उनसे जोड़ के क्या मस्त गालियां दे रही थी, " चल बेटीचोद, मेरी तो तुझे चुदी मिली, तेरी बेटी की तो जब एकदम कच्ची कली रहेगी तभी तुझसे, और सबके सामने मामा बोलेगी लेकिन पिलवाते समय बापू। "
तभी मुझे याद आया की मैं ननदोई जी को अपनी और उनकी सास के पास अकेले छोड़ के आयी हूँ और उनका स्टॉक लेने आयी हूँ
और मैं अपनी ननद के कमरे की ओर,
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मुझे मालूम था ननदोई जी का स्टॉक कहाँ रखा रहता था, व्हिस्की की दो बोतल निकाल के मैं सासू जी के कमरे की ओर चल दी,

Man gae Komalji. Are pila dungi. Ek lota to danad hai. Par uski sahalaj ko nahi chhoda. Khud bhi topples aur uski sahlaj ko bhi. Maza aa gaya.मेरी सास, मेरे ननदोई
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सासु जी और नन्दोई जी अभी पहुंचे ही थे।
और मेरे नन्दोई मेरी सास्सू के जोबन को ललचायी नजरों से देख रहे थे, लेकिन मेरे सासू के जोबन थे ही ऐसे ललचाने लायक, रस भरी इमरती टप टप रस चूता रहता था, मर्दों का टनटनाता रहता था, और आज तो जो अंगिया पहनी थी उन्होंने किसी का भी खड़ा हो जाता ये तो दामाद थे, सास की बेटी बहू सब चोद चुके थे, रिश्ता ही ऐसा था,
एकदम कसी कसी छोटी सी चोली, उभार को दबाये दबोचे और उभार, सिर्फ गहराई ही नहीं दोनों निपल के भी दर्शन करा रही थीं, खूब बड़े ४० तो नहीं लेकिन ३८ से ज्यादा ही, जो एम् आई एल ऍफ़ बोलते हैं न एकदम वैसे ही, पर एकदम गोल गोल और कड़ी कड़ी,
सास मेरी सिर्फ उस छोटी सी चोली और साया में
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और मैं भी, नन्दोई जी भी सिर्फ पाजामे में और खूंटा खड़ा,
पीछे से आके मैंने सासू जी के जोबन दबोच लिए और नन्दोई जी को ललचाते बोला,
" नन्दोई जी,.... देखना है कौन सा दूध पीके आपकी सजनिया ऐसी गद्दर जवान हुयी है. अरे आज आप भी पी लीजिये, "
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" अरे पिला दूंगी, मेरा एकलौता दामाद है, लेकिन बहू पहली इसकी आँखे बंद करो बहुत नजर लगा रहा है । "
मैं आज्ञाकारी बहू, तुर्रंत बोली ,
" एकदम मां जी "
और उनके कान में फुसफुसाया आपके ब्लाउज से बढ़िया क्या होगा, दामाद जी अपनी सास की अंगिया आँख पे महसूस भी करते रहेंगे, और जब तक सास कुछ बोलतीं ननदोई जी कुछ समझते मैंने पीछे से सास की चोली के बंध खोल दिए और चोली धीरे धीरे सास के बदन से दूर मेरे हाथ और
लेकिन मैंने ननदोई जी की आँखे तुरंत नहीं बंद की उन्हें अपनी सास के मुक्त जोबन दर्शन ठीक से कर लेने दिए,
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और सास को चिढ़ाया भी
" देखिये आपके जुबना ने मेरे नन्दोई की का हालत कर दी, " और उसी चोली से पाजामे के ऊपर से खड़े खूंटे को कस कस के रगड़ दिया
वो और जोर से फनफना गया,
" इसलिए तो कह रही हूँ की इसकी आँख बंद कर दो जल्दी, वरना कही देख देख के ही कुछ, " और मेरी सास खिलखिलायीं
" अरे नहीं मेरे ननदोई को समझा का है आपने. अब बेटी नहीं है आपकी यहाँ तो तो इनकी सलहज तो है, तीन पानी झाड़ के झड़ने वाला औजार है ये, "
मैंने नन्दोई जी की तारीफ़ की और सच में चुदाई तो जबरदस्त करते थे, होली के दिन ही तीन बार चोदा था उन्होएँ मुझे खूब रगड़ रगड़ के,
" अरे तेरी ननद की सास की तरह, तेरी और इसकी सास का ताल पोखर नहीं है , जल्दी आँख बंद कर इसकी "
सास बिना अपने जोबन छुपाने की कोई कोशिश किये बोलीं,
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और मैंने सासू जी की चोली से नन्दोई जी की आँखे बंद कर दी , तगड़ा ब्लाइंड फोल्ड, लेकिन सासू जी तो हरदम एकदम झलकौवा
ब्लाउज पहनती थी, जबतक गोरा गोरा उभार न झलके, तो नन्दोई जी की हल्का फुल्का कुछ कुछ और मेरी सास बोली, तुम दोनों नन्दोई सलहज की जोड़ी बहुत जबरदस्त है, जबतक सलहज का ब्लाउज न उतरे, तबतक नन्दोई को मजा नहीं आता"
और सास ने मेरे ब्लाउज से भी उनकी आँखे बाँध दी, सास और सलहज दोनों की चोली नन्दोई के आँखों पर मतलब दोनों टॉपलेस
और हम दोनों सास बहू ने धक्का देकर नन्दोई जी को सास जी की खूब चौड़ी सी पलंग पर जहाँ सासू माँ सोती थी अपने बेटे बेटी के साथ
लेकिन ननदोई जी फड़फड़ा रहे थे, हम दोनों को छूने की पकड़ने की कोशिश कर रहे थे और अबकी मैंने उन्हें हड़काया, उनकी सास तो उनके ऊपर चढ़ी लेटी उन्हें अपने जोबना से दबाये
" हे हमारे ननद के ननद के भतार, चुपचाप लेटे रहो, कोहबर में लगता है आपकी अच्छी तरह से ली नहीं गयी थी , मैं नहीं आयी थीं न तब ता , अभी हाथ बाँध देती हूँ तो ये उछल कूद बंद हो जायेगी, आपकी सास के साये के नाड़े से तगड़ा कुछ नहीं होगा, आप भी क्या याद करोगे ससुराल में सास के साये के नाड़े से हाथ बाँधा गया "
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और मैंने सास के साये को नाड़े को पहले खोला फिर खिंच कर साये से बाहर, अब वो चाह के भी साया नहीं बंद कर सकती थी , और दामाद पास में हो तो सास का साया बंद होना भी नहीं चाहिए
और उसी नाड़े से मैंने नन्दोई जी का एक हाथ पलंग के सिरहाने बाँध दिया लेकिन तब तक सास ने मेरे साये का भी नाडा खिंच लिया
और नन्दोई जी का दायां हाथ सास के साये के नाड़े से और बांया हाथ सलहज के नाड़े से हम दोनों का साया सरक के फर्श पे तो नन्दोई जी का पजामा कैसे बचता वो भी हम दोनों के साये के ऊपर और खड़ा मस्ताया खूंटा बाहर, मैंने उसे छूने की कोशिश की तो सास ने आँख से बरज दिया
अभी ननदोई जी को तड़पाने का काम होना था और सास ने मेरी, कमान अपने हाथ में ले ली।

Man gae. Bilkul sahi kaha. Purana chawal purana hi hota hai. Jindagi ka experience. Amezing. Sas ne to danad par pura kabu kar rakha hai. Aur unka hal bhi bilkul vesa hi jesa tere vale ka apne sasural me.मान गयी मैं अपनी सास को
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आखिर पुराना चावल पुराना ही होता है, वो अपने दामाद के ऊपर, लेकिन इस तरह की सिर्फ उनके जोबन, बल्कि जोबन की नोक, दोनों बड़े बड़े निपल ही दामाद की देह छू रहे थे, रगड़ रहे थे घिस रहे थे, दोनों कंधो के पास से शुरू हो के थोड़ा और नीचे, फिर क्या रगड़ा है उन्होंने अपने दामाद के दोनों मेल टिट्स को अपनी बड़ी बड़ी चूँचियों से,
वो तड़प रहे थे, उछल रहे थे, सिसक रहे थे वो तो मैंने और मेरी सास ने कस कस के चार चार गाँठ न लगाई होती तो वो कबका हाथ छुड़ा लेते,
उफ़ उफ्फ्फ कर रहे थे सिसक रहे थे , लेकिन मेरी सास चाहती भी यही थीं खूब तड़पाना, जिस जोबन को देखने के लिए छूने के लिए मेरे नन्दोई ललचाते रहते थे आज वो खुले खुद ही उनके सीने को रगड़ रहे थे, लेकिन न वो देख सकते थे न छू सकते थे न पकड़ सकते थे सिर्फ मजे से पागल हो सकते थे,
और मेरी सास भले ही ४० पार कर रही हों लेकिन जोबन एकदम टनाटन, खूब कड़े एकदम ठोस, चार चार बच्चों को दूध पिलाया लेकिन आज भी एकदम कड़े, बिना ब्रा के भी चोली फाड़ते थे,
थोड़ा नीचे सरक के कभी वो मेरे नन्दोई के पेट पे कभी जाँघों पे सहला देतीं और एक दो बार जैसे गलती से अनजाने में खड़े खूंटे पे छू गया
और नन्दोई जी चिल्ला उठे,
" अरे सासू माँ, कुछ करिये बहुत मन कर रहा है, " और सास मेरी अपने दामाद के सर के पास बैठ गयीं, झुक के साफ़ साफ़ पूछा उन्होंने
" अरे दामाद जी, का मन कर रहा है साफ साफ़ बोलिये न ससुराल में थोड़े कोई लजाता है "
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" वो वो " अभी भी वो हिचक रहे थे तो मैंने हड़का लिया, " इतना तो तोहार बहिनियो नहीं लजाती, गर्माती है तो खुदे लंड ढूंढ़ती है बोलो साफ़ नहीं तो रात इसी में निकल जायेगी "
" वो आपकी, आपकी,आपका जोबन, चूँची, देख क बहुत मन करता है " वो हकलाते हिचकते बोले,
" अरे का मन करता है जमाई राजा,"
प्यार से गाल सहलाते हुए मेरी सास ने अपने एकलौते दामाद को दुलराया ।
" वो आपकी चूँची चूसने का चूमने का, पहले दिन से ही " उनके दामाद ने कबूला।
और एक हलकी सी चपत उनके गाल पे पड़ी और गालियों की झड़ी भी उनकी सास की,
" अबे चूतिये, स्साले, खानदानी रंडी के जने, तेरी महतारी की गांड मारुं, तीन साल हो गयी बियाह हुए, अभी तक एक बार बोल नहीं फूटे. ....अरे कोहबर में बोल दिए होते तो वही चूसा देती, तेरी बियाहता चूसती थी तो तुझे चूसने में का,.... मैंने पहले दिन ही बोल दिया था बेटे दामाद में फर्क नहीं करती मैं, ले चूस, चूस मनभर के और अब दुबारा पूछा न तो बहोत मारूंगी, न मेरी बेटी से पूछते हो,..."
" न अपनी सलहज से और सलहज से पूछेंगे जिस दिन न उलट के उनकी गांड मार लूंगी, सलहज पे साले से पहले साले के जीजा का हक है" मैंने भी जोड़ा
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और अब सास जी ने अपनी बड़ी बड़ी चूँची नन्दोई जी के मुंह में डाल दी, और नन्दोई जी चुसूर चुसूर चूसने लगे। सास ने मुझे इशारा क्र दिया अब मेरी बारी नन्दोई जी को गरमाने की , मैं मान गयी सास की चालाकी। मैं उन्हें अब कितना भी गरम करूँ तड़पाऊं, बेचारे सिक्स भी नहीं सकते थे उनके मुंह में तो उनकी पत्नी की माँ की बड़ी बड़ी चूँची भरी थी।
मेरी सास ने अपनी बड़ी बड़ी चूँची का इस्तेमाल किया था अपने दामाद की ऐसी की तैसी करने में तो मैंने अपने रसीले लाल लाल भरे भरे होंठों का इस्तेमाल किया, अरे उनकी बीबी मेरे मरद से चुद रही थी, गाभिन हो रही थी तो कुछ मेरी भी तो जिम्मेदारी थी।
मेरे होंठ बस छोटी छोटी चुम्मी, मेरे नन्दोई की जाँघों के पास कभी होंठ रगड़ भी देती, धीरे धीरे चुम्बन के पग धरते मेरे होंठ उसी बदमाश मोटू की ओर बढ़ रहे थे। दो चुम्मी के बीच कभी कभी मैं जीभ से लिक भी कर लेती थी, और जैसे कुतुबमीनार के नीचे पहुंची, बस खूब लम्बी सी जीभ निकाल के, नहीं नहीं 'उस मोटू ' को नहीं चूमा, उसे छुया भी नहीं, बस उसके बेस पे, चारो ओर जीभ की टिप से, फिर बेस पे ढेर सारी चुम्मियाँ,
बेचारे कसमस हो रहे थे, हाथ छुड़ाने की कोशिश कर रहे थे, अपने चूतड़ पटक रहे थे लेकिन सिसक भी नहीं सकते थे, उनके मुंह में तो उनकी सास ने अपनी खूब मोटी सी चूँची पेल रखी थी और दोनों हाथों से दामाद का सर भी पकड़ रखा था,
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कोशिश कर के भी वो नहीं नकाल सकते थे और वैसे भी कौन दामाद अपने मुंह से सास की बड़ी बड़ी रसीली चूँची निकालना चाहता है।
" मोटू' तड़प रहा था, फड़क रहा था, सास भी, सलहज भी लेकिन बेचारे को घुसने को छेद नहीं मिल रहा था।
जैसे गलती से खूंटे के बेस पे चाटते हुए एक बार मेरी जीभ नन्दोई के पगलाए बौराये लंड पे छू गयी जैसे बेचारे को ४४० वोल्ट का झटका लगा हो लेकिन अभी उसे इंतजार करना था, मेरी सास बड़ी थीं पहला नंबर तो इस पर उन्ही का लगना था और वैसे मैं तो न जाने कितने बार हर छेद में नन्दोई का घोंट चुकी थी , इसलिए उसे अभी इन्तजार ही करना था,
और अब मेरे होंठ, कमर के ऊपर और उनका साथ देने के लिए मेरे नाख़ून, जब मेरी जीभ नन्दोई जी की जीभ की गहराई नाप रही थी और साथ में मेरे नाख़ून उनके मेल टिट्स खरोंच रहे थे, ननदोई जी की हालत बहुत खराब हो रही थी तो मेरे होठों ने नाखूनों की जगह ले ली , कुछ देर तक तो मैं चूसती रही और मेरे नाख़ून अब बहुत हलके हलके सिर्फ कभी ऊँगली की टिप कभी नाख़ून उनके खड़े खूंटे के निचले दो तीन इंच पर हलके हलके, कभी जोर से,
और मैंने कस के दांत लगा के उनके मेल टिट्स को काट लिया,
उसी समय मेरी सास ने उनके मुंह से अपनी चूँची निकाल ली और मेरे नन्दोई जोर से चीखे, खूब जोर से। एक पल के लिए तो में भी शाम गयी की कहीं मैंने बहुत जोर से तो नहीं काट लिया और कहीं मेरी सास तो नहीं गुस्सा हो जाएंगी।

Are wah maza la diya. Ye rivaj to purana hai. Bhabhi sirf dewaro ki hi nahi nadoi ki bhi gand mar sakti hai. Kohabhar ka intjar nahi. Sudha 2 ungliyo se gap ghap. Kya erotic seen likha hai. Maza aa gaya.सास बहू की जुगलबंदी
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वो तो सिसक रहे थे तड़प रहे थे लेकिन जवाब उनकी सास ने दिया, मुझे घूरते हुए
" ऐसे काटते हैं ? "
एक पल के लिए मैं घबड़ा गयी लेकिन सास ने दुबारा बोला तो मैं समझ गयी हम दोनों पैदा ही सास बहू होने के लिए हैं, वो भी एक जनम नहीं सात जनम।
" इतनी हलकी चीख,.... मुश्किल से भरौटी, पठानटोला तक पहुंची होगी, अरे जब तक नन्दोई की चीख उनके मायके तक न पहुंचे और महतारी समझ जाय की उनके लाल की, दुलरुआ की ससुराल में गाँड़ मारी जा रही है हचक हचक के, ....अरे गनीमत मानो ये तुम्हारी ये सलहज नहीं थी तोहरे बियाहे में नहीं तो कोहबर में बिना गाँड़ मारे छोड़ती नहीं "
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" और क्या सलहज का काम ही है कोहबर में नन्दोई की गाँड़ मारना और उसका नेग भी जबरदस्त होता है, ननदोई की कुँवारी बहन। "
मैंने सास जी की बात में हामी भरी लेकिन एक प्रस्ताव भी अपनी ओर से दे दिया, हम तीनों में सबसे बड़ी सास थी, मेरी भी उनकी भी इसलिए उन्ही से पूछा
" तो अब से मार लूँ, अब उस समय नहीं थी, तो नहीं थी,... "
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लेकिन मेरी बात मेरी सास ने काट दी थोड़ा दुलराते थोड़ा हड़काते
" कितनी सोझ बहू है हमारी, अरे ये कोई पूछे की बात है. नन्दोई पूछते हैं का, सलहज की गाँड़ मारने से पहले, ,,,"
ये बात एकदम सही थी की नन्दोई अगर साली सलहज की मारने के पहले पूछें तो रिश्ते की बेइज्जती,
और उन्होंने तो मेरी दर्जा नौ वाली फूल सी कोमल बहन की एकदम कोरी गाँड़ बिना कडुवा तेल लगाए फाड़ दी थी, थूक भी ठीक से नहीं लगाया था, उसकी चीख तो मैंने भी सुनी थी तो मैं क्यों मौका छोडूं , फिर सास का हुकुम,
" दाएं वाले को खूब चूसे हो ज़रा अब बाएं वाले को चूस" और जब तक नन्दोई कुछ समझे उनके मुंहे में मेरी सास की बड़ी बड़ी चूँची,
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और मैं एक बार फिर बिस्तर पर नीचे की ओर
मेरी सास और मेरी जुगलबंदी गजब की थी, बिन बोले हम दोनों समझ जाते थे किसको क्या करना है। अब ननदोई जी का मुंह सास ने अपनी मोटी चूँची से बंद कर दिया था मतलब मुझे लाइसेंस मिल गया था उनकी रगड़ाई करने का, उन्हें गरियाने का।
जैसे गांड मारने की तैयारी की जाती है, एकदम उसी तरह, दो चार मोटी मोटी तकिया मैंने नन्दोई जी के चूतड़ के नीचे लगा के उठा दिया, और प्यार से दोनों नितम्ब सहलाते हुए छेड़ा,
" चलिए कोहबर में तो आपकी गांड बच गयी, आपकी छोटी सलहज अभी आयी नहीं थी, लेकिन अब नहीं बचेगी, और ये मत सोचिये की मैं मारूंगी कैसे, अरे मारने वाली चीज है, चिकनी मक्खन जैसी तो मारी ही जायेगी, और बहुत प्यार से मारी जायेगी, "
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मैंने दो ऊँगली में खूब ढेर सारा थूक लगाया और उनके पिछवाड़े के गोल दरवाजे पे दस्तक दी, बेचारे कुण्डी खटकाते ही छेद दुबक दुबक करने लगा, लेकिन मैंने ऊँगली हटा ली, इरादा मेरा तो अभी उन्हें तड़पाना था, मेरे होंठ मैदान में आ गए, और दोनों नितम्बो पर सैकड़ो चुम्मियों की बरसात होने लगी और धीमे बारिश सीधे सेंटर की ओर, दोनों चूतड़ फैला के एक खूब गीला सा चुम्मा मैंने सीधे गोल दरवाजे पर ले लिया ।
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बेचारे नन्दोई जी, आँखे बंद, हाथ बंधे और मुंह उनके सास के जोबन के नीचे दबा, कुछ कर भी नहीं सकते और जवान सलहज उनके पिछवाड़े के पीछे,
चुम्मा तो शुरआत थी,
मैंने लम्बी सी जीभ निकाली और सीधे पिछवाड़े की दरार पे, आगे पीछे, ऊपर नीचे, जैसे इनके उस स्साले के साथ करती थी जो अभी ननदोई जी की बीबी चोद रहा था।
नन्दोई जी बोल तो नहीं सकते थे लेकिन तड़पते हुए चूतड़ उछाल रहे थे,
थोड़ी देर तक रिम्मिंग करने के बाद मेरे जोबन मैदान में आ गए, और अब वो दोनों कभी नन्दोई जी की चूतड़ पे रगड़ते कभी उस दरार और मैंने जब अपने खड़े निपल उनकी दरार में रगड़ना शरू कर दिया तो अब लगा की मारे जोश के वो दोनों हाथों में बंधे सास और सलहज के पेटीकोट के नाड़े को तोड़ देंगे,
सास ने मुझे इशारा किया, बहुत हो गया अब मजा देने का टाइम आ गया और मैंने बदमाशी बंद कर दी, और जैसे ही सासू जी ने निपल उनके मुंह से बाहर निकाला वो बोले,
" सासु माँ कुछ करिये, न "
सासु ने उनके मुंह पे एक जबरदस्त चुम्मा लिया और बोलीं
मादरचोद,
और उन्होंने मेरी जगह ले ली नीचे खूंटे के पास, मैं नन्दोई जी के सर के पास, और क्या जबरदस्त चुदाई की सास ने मेरी अपनी चूँचियों से नन्दोई जी की।
इसका मतलब ये नहीं मैंने कभी चूँची से चोदा नहीं था या देखा नहीं था, इनके मोबाइल में कितनी फ़िल्में थी, और मैं भी हफ्ते में एक दो दिन तो इन्हे ललचाने तड़पाने के लिए,
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लेकिन जिस तरह से मेरी सास मेरे नन्दोई की रगड़ाई अपनी बड़ी बड़ी चूँचियों से कर रही थीं, वैसा मैंने कभी

एकदम सही कहा आपनेHar ghar ki ek hi kahani. Sas bhi kabhi bahu thi.
Nandiya ki sas ko surf bacha chahiye. Bhale kese bhi. Vo to guriji ki bhakt hai. Apni bahu ka chadhava chadhane ke chakkar me hai. Aur gadiya Nandiya ki fat rahi hai. Lekin nandiya ko bhabhi devi ka ashirwad mil gaya hai. Uske baiya bahen chod fir beti chod. Vese bhi sas beta beti me to fark rakhti nahi. Bhabhi ne bata diya aur unko bhi bol di hai. Gand mat marvauyega. Maza aa gaya. Lagta hai nandiya chhinar ka pet ful kar hi rahega.
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aisa saa sirf sasuraal men hi mil skati hai aur bahoot saa thankooo apake saath ke liyeAchi saza thi![]()
सही बात है अदला बदलीMan gae. Bilkul sahi kaha. Purana chawal purana hi hota hai. Jindagi ka experience. Amezing. Sas ne to danad par pura kabu kar rakha hai. Aur unka hal bhi bilkul vesa hi jesa tere vale ka apne sasural me.
Are nandoi ji sharamaoge to kese kam chalega. Vese vo line thik kahi sale se pahele uski biwi par uske jija ka hak hota hai. Vaha uski biwi sahlaj se chud rahi hai to sahlaj ka bhi to farz banta hai ki nadoi ji ki sewa kare. Maza aa gaya.
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best way to share photos on internet
Are wah maza la diya. Ye rivaj to purana hai. Bhabhi sirf dewaro ki hi nahi nadoi ki bhi gand mar sakti hai. Kohabhar ka intjar nahi. Sudha 2 ungliyo se gap ghap. Kya erotic seen likha hai. Maza aa gaya.
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