• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Rajizexy

❣️and let ❣️
Supreme
51,679
53,704
354
चार बूँद कडुवा तेल
Mustard-Oil-600x600.png


लेकिन इमरतिया, इमरतिया थी। चाशनी में डूबी, रस में पगी।

और देवर को तड़पाना जानती भी थी और चाहती भी थी, स्साला खुद अपने मुंह से मांगे, बुर बुर करे, तो बस अंगूठे और तर्जनी को तेल में चुपड़ के खूंटे के बेस पे, और सोच के मुस्कराने लगी, अभी थोड़ी देर पहले बुच्ची के हाथ में जो पकड़ाया था दोनों कैसे घबड़ा रहे थे,

यही शरम लाज झिझक तो खतम करवा के पक्का चोदू बना देना है इसे बरात जाने के पहले,

मरद की देह के एक एक नस का, एक एक बटन का पता था इमरतिया को।

कहाँ दबाने से झट्ट खड़ा होता है, कहाँ तेल लगाने से लोहे का खम्भा हो जाता है, और बस वहीँ वो तेल लगा रही थी, दबा रही थी और खूंटा एकदम कुतुबमीनार हो रहा था। लेकिन देवर था एकदम आज्ञाकारी, कल उसने सुपाड़ा खोल के जो हुकुम दिया था, 'एकदम खुला रखना उसको' तो एकदम खुला ही था, चोदने के लिए तैयार। बस गप्प से इमरतिया ने मोटे लाल सुपाड़ा को दबाया, उसने मुंह चियार दिया, और

टप्प, टप्प, टप्प, टप्प, चार बूँद कडुवा तेल की सीधे उसी खुले छेद में, और लुढ़कते पुढ़कते अंदर तक।
holding-cock-jkg-3.jpg


लंड फड़फड़ाने लगा।

और फिर दोनों हथेलियों में तेल लगा के जैसे कोई ग्वालिन मथानी चलाये, उसी तरह और सीधे इमरतिया की मुस्कराती उकसाती आँखे सीधे सूरजु की आँखों में, उसे छेड रही थीं, चिढ़ा रही थी।

सूरजु की आँखें इमरतिया के भारी भारी ३६ साइज के जोबन से चिपकी थीं जो आधे से ज्यादा चोली से छलके पड़ रहे थे

" चाही का, अरे तोहरी महतारी का और बड़ा है, बहुते जोरदार, आज ललचा रहे थे न देख देख के, अरे मांग लो, पिलाय देंगी दूध "

इमरतिया ने सूरजु की माई का नाम लगा के चिढ़ाया लेकिन बातें दोनों सही थीं। सूरजु की माई का ३८ था, लेकिन था एकदम टनक कितनी बार इमरतिया और सूरजु की माई के बीच में दंगल होता था लेकिन जोबन की लड़ाई में सूरजु की माई हरदम बीस पड़ती थीं , अपनी बड़ी बड़ी चूँची से इमरतिया को कुचल देती थीं।

" बल्कि मांगने की बात भी नहीं, ले लेना चाहिए " इमरतिया ने और आग लगायी और सूरजु के दोनों हाथ पकड़ के अपनी चोली पे

और पहलवान के हाथ के बाद चुटपुटिया बटन कहाँ टिकती, चुटपुट चुटपुट चटक के खुल गयी।

ब्लाउज उसी खूंटी पे जहां सुरुजू का तौलिया और इमरतिया की साडी टंगी थीं, और दोनों बड़े बड़े कड़े जोबना सूरजु के हाथ में
nipple-milki-0-522.jpg


कुंवारे जवान मरद का हाथ पड़ते ही इमरतिया पिघलने लगी , लेकिन ये चाहती भी थी। अब सूरजु का दोनों हाथ लड्डू में फंसा था इमरतिया कोई बदमाशी करती, वो हाथ लगा के रोक नहीं पाता। लेकिन वो साथ साथ सूरजु को सिखा भी रही थीं की नयकी दुलहिनिया को कैसे कचरे।कैसे उसके चोली के अनार को पहली रात में ही मिस मिस के पिसान (आटा ) कर दे,

" अरे ऐसे हलके हलके नहीं , ये कउनो बुच्ची क टिकोरा नहीं है और उस की भी कस के रगड़ना। मेहरारू के मरद के हाथ में सख्ती पसंद है कैसे पहलवान हो ? कहीं तोहार महतारी तो कुल ताकत नहीं निचोड़ ली ?
Teej-101702357-145250503777988-1846394182713737216-n.jpg


और अब सूरजु ने थोड़ा जोर लगा के चूँची मसलना शुरू किया और इमरतिया ने लंड को मुठियाना शुरू किया, लेकिन थोड़ी देर में ही सूरजु बाबू उचकने लगे,

" नहीं भौजी, मोर भौजी, छोड़ दा, छोड़ दा "

खूंटे पे हथेली का दबाव बढ़ाते इमरतिया ने चिढ़ाया, " क्या छोड़ दूँ ? स्साले मादरचोद, नाम लेने में तो तोहार गाँड़ फट रही है का दुलहिनिया को चोदोगे? बोल, का छोडूं, "

Holding-cock-Wet-handjob-929754.gif


अब सूरजु भी समझ गए थे और सुबह से तो गाँव की औरतें तो खुल के बोल रही थीं और सबसे बढ़ के उनकी माँ और बुआ और उन्ही का नाम ले के और माँ कभी बूआ की गारी का जवाब नहीं देती तो बूआ छेड़तीं,

" का सूरजु क माई,... मुंह में दुलहा क लंड भरा है का जो बोल नहीं निकल रहा है "

तो झिझकते हुए बोल दिया, " भौजी, लंड, हमार लंड, "

" तोहार न हो, हमार हो, तोहरी भौजी के कब्जे में है जहाँ जहाँ भौजी कहिये, वहां वहां घुसी, जेकरे जेकरे बिलिया में जैसे भौजी कहिये, बोलै मंजूर "


" एकदम भौजी " कस कस के चूँची मसलते सुरुजू बाबू बोले और अब वो भी मूड में आ रहे थे और जोड़ा, " लेकिन पहले, ...."

इमरतिया खुश नहीं महा खुस, सूरजु तैयार हैं लेकिन ऐसा इमरतिया के जोबन का जादू पहले यही मिठाई चाहिए देवर को, तो मिलेगी आज ही मिलेगी, दो इंच की चीज के लिए देवर को मना नहीं करेगी, बल्कि वो नहीं कहते खुद ऊपर चढ़ के पेल देती वो

बिन बोले इमरतिया के चेहरे की ओर देख के अपने मन की बात कह दी उन्होंने, और इमरतिया ने मुस्करा के हामी भर दी और खूंटा छोड़ भी दिया, वो डर समझ रही थीं, जो हर कुंवारे लड़के के मन में होता है, ' कहीं जल्दी न झड़ जाऊं " और वो जानती थीं की ये लम्बी रेस का घोडा है लेकिन उसे अभी खुद अपनी ताकत का अहसास नहीं है, किस स्पीड से दौड़ेगा, कितनी देर तक दौड़ेगा, दो चार पर इसे चढ़ाना जरूरी है ,


फिर भी खूंटा उसने छोड़ दिया लेकिन इमरतिया के तरकश में बहुत तीर थे।

Teej-abeca8a7c1908ae846816f6795478bcb.jpg


खूंटा छोड़ के उसने रसगुल्लों में तेल लगाना शुरू किया, मलाई का कारखाना यही तो थे, यही तो दुलहिनिया को पहली रात को गाभिन करेंगे और सबेरे चादर पर खून के साथ इसी की मलाई बहती मिलेगी, जब छोटी कुँवारी ननदें जाएंगी उठाने। और फिर हथेली से सुपाड़ी पे


असली खेल था सुपाड़े को एकदम तगड़ा, पत्थर ऐसा करना, भाला कितना लम्बा हो लेकिन अगर उसका फल भोथरा हो तो शिकार कैसे करेगा। और सूरजु देवर का सुपाड़ा तो एकदम ही मोटा, एकदम मुट्ठी ऐसा, बुच्चीया यही तो सोच के घबड़ा रही थीं, भैया क इतना मोत कैसे घुसी, और एक बार सुपाड़ा घुस जाए तो फिर लंड तो घुस ही जाता है।

holding-cock-IMG-9850.jpg


सूरजु सिसक रहे थे और इमरतिया ने बुच्ची की बात चलाई, " हे तोर बहिनिया, बुच्ची पकडे थीं तो कैसा लग रहा था ?

" अरे भौजी, आप जबरे उसकी मुट्ठी में पकड़ा दी थीं " हँसते हुए सूरजु बोले।

और एक बार फिर से हथेली में तेल चुपड़ के कस के खूंटा दबोच लिया, इमरतिया ने।

वास्तव में बहुत मोटा था, जब इमरतिया की मुट्ठी में नहीं समा रहा था तो नयकी दुलहिनिया की कोरी कच्ची बिलिया में कैसे धँसेगा ? इमरतिया मुस्करायी। चाहे जितनी रोई रोहट हो, चिल्ल पों करे, घोंटना तो पड़ेगा ही और वो भी जड़ तक। और ओकरे पहले बुच्ची ननदिया को।
Kadve tel se malish toh achi ki hai Imratia ne 🌶️🌶️🌶️🌶️🔥🔥🔥✅✅💯
 
  • Like
Reactions: Sutradhar

Rajizexy

❣️and let ❣️
Supreme
51,679
53,704
354
गुरुआइन,

Teej-Cleavage-a9103babe2a5870193aa0875071d2db4.jpg

" बोल स्साले, अपनी माई के भतार, पेलेगा न बुच्ची को आज तो वो खुदे हाँ कर के गयी है "

हलके हलके मुठियाते इमरतिया बोली। अब सूरजु की झिझक थोड़ी कम हो रही थीं, कस कस के इमरतिया की चूँची मसलते बोला,

" लेकिन भौजी बुच्चिया बोली थीं की पहले, ////और आप भी हाँ की थीं "

" तो चलो तुंही दोनों लोगों की बात रहेगी , उसके बाद तो नंबर लगाओगे न अपनी छुटकी बहिनिया पे, तो चलो सोचो बुच्चिया की बुरिया में पेल रहे हो, अरे जैसे उसकी कसी, टाइट है, वैसे तोहरे दुलहिनिया की भी कसी होगी और दरवजा बंद होने के घंटे भर के अंदर, फाड़ फूड़ के चिथड़ा करनी होगी, नहीं तो तोहार तो नाक कटी ही हमार और तोहरी माई की भी नाक कटेगी। तो समझो बुच्ची की बुरिया में पेलना है, लगाओ नीचे से धक्का कस के "


Joru-K-holding-cock-11.gif


और सच में सूरजु ने नीचे से कस के धक्का मारा।

इमरतिया ने पकड़ बढ़ा दी, और कसी कर दी, सूरजु ने और जोर लगाया / कभी इमरतिया कस के मुठियाती और कभी मुठियाना बंद कर के सूरजु को बोलती,

" पेल स्साले बुचिया की बुर में "

और सुरजू आँखे बंद कर के पूरी ताकत से चूतड़ के जोर से धक्का मारता लेकिन इमरतिया की पकड़, एकदम रगड़ते, घिसते



पांच दस मिनट में वो बोलने लगा,

" अरे भौजी छोड़ दो, गिर जाएगा, भौजी, मोर भौजी,.... रुकेगा नहीं "



इमरतिया सोच रही थीं स्साला और कितनी देर रुकेगा। हाथ कल्ला रहा था , दस पंद्रह मिनट से ऊपर हो गए थे पूरी ताकत से मुट्ठ मारते एक से एक कड़ियल जवान भी चुदाई में सात आठ मिनट के ऊपर नहीं रुकता और ये,

" तो झड़ जाने दे न, अरे हमरे देवर क लंड है। झड़ जाएगा तो फिर पानी भर उठेगा। आँख बंद कर के सोच बुच्ची क बुर में आपन पानी छोड़ रहा है " वो बोली और अपनी एक चूँची उसने सीधे सुरजू के मुंह में डाल दी और दूसरे को उसकी हाथ में पकड़ा के जोर जोर से बोलने लगी

" पेल न, और कस के चोद दे, झाड़ दे, झड़ जा बुच्ची की बुरिया में हाँ हाँ "



लग रहा था अब निकला तब निकला, इमरतिया तैयार थीं लेकिन तब भी चार पांच मिनट और मुठियाने के बाद, जैसे कोई फव्वारा छूटा हो,



jerk-cum-IMG-20230629-192956.gif


लेकिन इमरतिया पहले से तैयार थीं, मिटटी के सकोरे को लेकर और एक एक बूँद उसमे रोप लिया।

पर वो जानती थीं अभी बहुत मलाई बची है अंदर, तो सुपाड़े को हलके से दबा दबा के, फिर से जो बूँद बूँद निकला वो भी उसी में और फिर सुपाड़े और आसपास जो लगा था उसे हाथ से काँछ के उसी सकोरे में, और वो गाढ़ी सफ़ेद बूंदे लुढ़क के सकोरे के अंदर,




यही समय होता है सम्हालने का, और एक अनुभवी खिलाड़ी की तरह बिना कुछ बोले, बस हलके हलके सहलाते पुचकारते शेर को छोड़ दिया।

यह समय मरद का होता है चार पांच मिनट सुस्ताने के, उन पलों का मजा लेना का और उस समय वो सिर्फ हल्का स्पर्श सुख चाहता है तो बस इमरतिया सुरजू को पकडे रही और फिर पांच मिनट बाद, बिन बोले, बुकवा का कटोरा उठाया और पैर के पंजे के पास बस हलके हलके पंजो में पहले बुकवा लगाना शुरू किया फिर पैरों में और बात शुरू की, पहले अखाड़े के बारे में, सुरजू के दंगल जीतने के बारे में, सेक्स के बारे में एकदम नहीं, जिससे वो सहज हो जाए, और फिर बात धीरे धीरे मोड़ दी।


' देवर कभी किसी का पेटीकोट का नाडा खोले हो "?

सुरुजू अभी भी शरमाते झिझकते थे लेकिन इमरतिया से धीरे धीरे खुल रहे थे, बोले,

" का भौजी, आप भी न। गुरु जी लंगोटे की, अखाड़े की कसम धराये थे, माई के अलावा कउनो औरत की परछाई से भी दूर रहना, मतलब छूना भी नहीं, तो जब बियाह तय हुआ तो माई बोलीं की पहले अपने गुरु जी से बोल के आवा तो वो हंस के बोले,

' माई का हुकुम, गुरु से भी ऊपर। मेरे लिए भी माई ही हैं तोहार माई। तो चलो आज से अपने कसम से तोहें आजाद किये और तिलक के एक दिन पहले आना, माई से बता देना वो समझ जाएंगी।"

तो तिलक के एक दिन पहले जो हम गए तो आखिर बार अखाड़े में उतरे, ओहि मिटटी से हमारा तिलक किये और एक लुंगी दिए, बोले

"अब लंगोट खोल के ये लुंगी पहन लो। आज से लंगोट से आजाद हो, लंगोट की शर्त से आजाद हो। लेकिन अब अखाड़े की ये मिटटी में उतर के दंगल नहीं लड़ सकते हो, हाँ तोहार घर है, आओ कुश्ती देखो, नए नए लौंडो को दांव पेंच समझाओ, पर लंगोट की कसम से आजाद हो। लेकिन हमारा आशीर्वाद है की जिस तरह इस अखाड़े में हर दंगल जीते हो, तुम्हारी माई की कृपा से जिंदगी के अखाड़े में भी हर दंगल जीतो, हाँ वहां के लिए तुन्हे अलग गुरु चाहिए होगा। "

" तो मिली कउनो गुरुआइन " आँखों से चिढ़ाते, उकसाते इमरतिया ने पुछा और अब बुकवा लगाते हाथ जाँघों तक पहुँच गए थे ,

"भौजाई से बड़ी कौन गुरुआइन, ऊपर से माई क हुकुम, भौजी क कुल बात मानना "


Teej-6cc2c2d758e728c882946b2954dd3477.jpg


हँसते हुए सूरजु ने मजाक किया। और इमरतिया फिर बात पेटीकोट के नाड़े पे ले आयी और बोली

" अइसन नौसिखिया अनाड़ी देवर, अब सिखाना तो पड़ेगा ही, तो ये समझ लो की कोहबर में सलहज कुल पहले यही जांचेगी की नन्दोई उन्हें पेटीकोट का नाड़ा खोल पाते हैं की नहीं। तो पहला काम तोहें ये देंगे की आँख बंद करके बाएं हाथ से एक गाँठ खोलो, नहीं खोलोगे तो बहिन महतारी कुल गरियाई जाएंगी "

लेकिन ये बाएं हाथ से काहें भौजी " सूरजु को भी अब मजा आ रहा था, थे वो क्विक लर्नर लेकिन इस सब बातों से अभी पाला नहीं पड़ा था वरना समझाने की जरूररत नहीं पड़ती।

" अरे हमार बुद्धू देवर कभी लौंडिया चोदे होते तो पूछते नहीं, अच्छा ये बताओ, हमार चोली कौन हाथे से खोले थे दाएं की बाएं "

" दाएं हाथ से भौजी " सूरजु बोले।

" बस तो पहली रात में तो दायें हाथ से तो दूल्हा दुल्हिन की चोली खोलने के चक्कर में रहता है और दुल्हन उसे खोलने नहीं देती। अपने दोनों हाथों से उसका दाए हाथ पकड़ के हटाती है। तो बस सोचो दूल्हा का करेगा ? "


Bhabhi-2d1909aec0222f30396ef3624f976dc2.jpg


" बाएं हाथ से पेटीकोट क नाड़ा " हँसते हुए सुरजू देवर भौजी से बोले, और अब भौजी का हाथ क बुकवा हलके हलके खूंटा पे

" एकदम, चलो कुछ तो समझे, और दुल्हन का महतारी, भौजाई, तोहार सलहज कुल उसको सीखा के भेजेंगी की सात गाँठ लगा के पेटीकोट का नाड़ा बांधना, और वो भी न खाली बाएं हाथ से खोलना होगा बल्कि अँधेरे में। रौशनी में तोहार दुलहिनिया पास नहीं आने देगी। पहले बोलेगी की रौशनी एकदम बंद करो। इसलिए अँधेरे में बाएं हाथ से तो वही जांचने के लिए सलहज सब गाँठ बाँध के देंगी आँख बंद कर के बाये हाथ से खोलने के लिए "

इमरतिया एक एक दांव पेंच सूरजु देवर को समझा रही थी, पहले थ्योरी फिर प्रैक्टिकल, तभी तो देवर पक्का होगा, बिआइह के पहले नंबरी चोदू बनाना है इसको

" तो कैसे हो पायेगा " सुरजू के समझ में नहीं आया।

" अरे कैसी नहीं हो पायेगा, हमर देवर हो, मजाक है। चोद चोद के पहली रात को रख देगा उनकी ननद को। देखो एक तरीका तो यही है दाएं से चोली और बाएं से पेटीकोट लेकिन जब वो पेटीकोट का हाथ रोकने लगे तो बस पेटीकोट छोड़ के दोनों हाथ से चोली खोल दो।

फिर दस पन्दरह मिनट पे दोनों जुबना का रस लो, छू के सहला के चूम के , जब थोड़ी गरमा जाए तो एक साथ ही दोनों हाथ एक हाथ से पकड़ लो और कुछ देर तक और कुछ नहीं , वो छुड़ाने की कोशिश कर के थक जायेगी , फिर दूसरे हाथ से , बाएं हाथ पेटीकोट क नाड़ा, और नाड़ा खोलना नहीं सीधे निकाल के दूर फेंक दो। जिससे दुबारा पकड़ के चढ़ा के बाँध न ले।"

सुरजू बहुत ध्यान से बिस्तर के अखाड़े के दांव पेंच समझ रहा था, और इस खेल की जबरदस्त खिलाड़न इमरतिया उसको सब गुर सिखा रही थी।


" लेकिन ये मत समझो की भरतपुर इतनी आसानी से लूट लोगे। उसको भी उसकी भौजाई, घर की नाउन, माई मौसी सिखा रही होंगी। दोनों गोड़ में गोड़ फंसा के बाँध लेगी जिससे भले नाड़ा खुल जाए, लेकिन पेटीकोट उतर न पाए। फिर शहर वाली है तो पेटीकोट के नीचे भी का पता चड्ढी पहनती हो, या उस दिन जानबूझ के पहने। दूसरी बात, पेटीकोट की गाँठ, एक गाँठ नहीं भौजाई सब सिखा के भेजेंगी, सात सात गाँठ, और न खोल पाए, तो अगले दिन जब तोहार बहिनिया सब हाल चाल पूछेंगी न तो न हंस के वही चिढ़ाएगी,

' तोहार भाई तो पूरी रात लगा दिए, मुर्गा बोलने लगा, गाँठ खोलने में तो का कर पाते बेचारे। तुम सब कुछ सिखाये पढ़ाये नहीं थीं का।"

और उससे ज्यादा तोहार सास अपनी समधन का, तोहरी माई क चिढ़ाएँगी,

' बेटवा जिन्नगी भर पहलवानी करता रह गया और हमार बिटिया जाए के,... रात भर,.... नाड़ा क गाँठ ढूंढे में लग गयी, "


Teej-a5bccc3e9c5ef1f0711dcfa6ab1b9ca4.jpg


अब भौजी सीने पे हाथ पे बुकवा लगी रही थीं फिर ढेर सारा बुकवा लेके जो थोड़ा सोया थोड़ा जाएगा मूसल था उसके ऊपर, और बस हलके हलके लें भौजाई की उँगलियों की छुअन लेकिन इतना काफी था, वो फिर से फुफकारने लगा।



सुरजू भौजी के गदराये जोबना को निहार रहा था, लालटेन की हलकी हलकी पीली रौशनी, जमीन पर छितरायी थी। गोरा चम्पई मुखा, छोटी सी नथ, बड़ी सी बिंदी, लाल लाल खूब भरे रसीले होंठ,



" क्यों खोलना है नाड़ा " भौजी एकदम उसके सीने पे चढ़ी, अपने पेटीकोट का नाड़ा दिखा रही थीं,
Sabhi dao pech sikha diye lagte hain Imratia ne apne Suraj devar ko.
So sexy , hot , gazab updates didi
✅✅✅✅✅
🌶️🌶️🌶️🌶️
💦💦💦
💯💯
 
  • Like
Reactions: Sutradhar

Sutradhar

Member
306
899
93
शानदार अपडेट कोमल जी


कहानी में सांझ
गुरुआइन,

Teej-Cleavage-a9103babe2a5870193aa0875071d2db4.jpg

" बोल स्साले, अपनी माई के भतार, पेलेगा न बुच्ची को आज तो वो खुदे हाँ कर के गयी है "

हलके हलके मुठियाते इमरतिया बोली। अब सूरजु की झिझक थोड़ी कम हो रही थीं, कस कस के इमरतिया की चूँची मसलते बोला,

" लेकिन भौजी बुच्चिया बोली थीं की पहले, ////और आप भी हाँ की थीं "

" तो चलो तुंही दोनों लोगों की बात रहेगी , उसके बाद तो नंबर लगाओगे न अपनी छुटकी बहिनिया पे, तो चलो सोचो बुच्चिया की बुरिया में पेल रहे हो, अरे जैसे उसकी कसी, टाइट है, वैसे तोहरे दुलहिनिया की भी कसी होगी और दरवजा बंद होने के घंटे भर के अंदर, फाड़ फूड़ के चिथड़ा करनी होगी, नहीं तो तोहार तो नाक कटी ही हमार और तोहरी माई की भी नाक कटेगी। तो समझो बुच्ची की बुरिया में पेलना है, लगाओ नीचे से धक्का कस के "


Joru-K-holding-cock-11.gif


और सच में सूरजु ने नीचे से कस के धक्का मारा।

इमरतिया ने पकड़ बढ़ा दी, और कसी कर दी, सूरजु ने और जोर लगाया / कभी इमरतिया कस के मुठियाती और कभी मुठियाना बंद कर के सूरजु को बोलती,

" पेल स्साले बुचिया की बुर में "

और सुरजू आँखे बंद कर के पूरी ताकत से चूतड़ के जोर से धक्का मारता लेकिन इमरतिया की पकड़, एकदम रगड़ते, घिसते



पांच दस मिनट में वो बोलने लगा,

" अरे भौजी छोड़ दो, गिर जाएगा, भौजी, मोर भौजी,.... रुकेगा नहीं "



इमरतिया सोच रही थीं स्साला और कितनी देर रुकेगा। हाथ कल्ला रहा था , दस पंद्रह मिनट से ऊपर हो गए थे पूरी ताकत से मुट्ठ मारते एक से एक कड़ियल जवान भी चुदाई में सात आठ मिनट के ऊपर नहीं रुकता और ये,

" तो झड़ जाने दे न, अरे हमरे देवर क लंड है। झड़ जाएगा तो फिर पानी भर उठेगा। आँख बंद कर के सोच बुच्ची क बुर में आपन पानी छोड़ रहा है " वो बोली और अपनी एक चूँची उसने सीधे सुरजू के मुंह में डाल दी और दूसरे को उसकी हाथ में पकड़ा के जोर जोर से बोलने लगी

" पेल न, और कस के चोद दे, झाड़ दे, झड़ जा बुच्ची की बुरिया में हाँ हाँ "



लग रहा था अब निकला तब निकला, इमरतिया तैयार थीं लेकिन तब भी चार पांच मिनट और मुठियाने के बाद, जैसे कोई फव्वारा छूटा हो,



jerk-cum-IMG-20230629-192956.gif


लेकिन इमरतिया पहले से तैयार थीं, मिटटी के सकोरे को लेकर और एक एक बूँद उसमे रोप लिया।

पर वो जानती थीं अभी बहुत मलाई बची है अंदर, तो सुपाड़े को हलके से दबा दबा के, फिर से जो बूँद बूँद निकला वो भी उसी में और फिर सुपाड़े और आसपास जो लगा था उसे हाथ से काँछ के उसी सकोरे में, और वो गाढ़ी सफ़ेद बूंदे लुढ़क के सकोरे के अंदर,




यही समय होता है सम्हालने का, और एक अनुभवी खिलाड़ी की तरह बिना कुछ बोले, बस हलके हलके सहलाते पुचकारते शेर को छोड़ दिया।

यह समय मरद का होता है चार पांच मिनट सुस्ताने के, उन पलों का मजा लेना का और उस समय वो सिर्फ हल्का स्पर्श सुख चाहता है तो बस इमरतिया सुरजू को पकडे रही और फिर पांच मिनट बाद, बिन बोले, बुकवा का कटोरा उठाया और पैर के पंजे के पास बस हलके हलके पंजो में पहले बुकवा लगाना शुरू किया फिर पैरों में और बात शुरू की, पहले अखाड़े के बारे में, सुरजू के दंगल जीतने के बारे में, सेक्स के बारे में एकदम नहीं, जिससे वो सहज हो जाए, और फिर बात धीरे धीरे मोड़ दी।


' देवर कभी किसी का पेटीकोट का नाडा खोले हो "?

सुरुजू अभी भी शरमाते झिझकते थे लेकिन इमरतिया से धीरे धीरे खुल रहे थे, बोले,

" का भौजी, आप भी न। गुरु जी लंगोटे की, अखाड़े की कसम धराये थे, माई के अलावा कउनो औरत की परछाई से भी दूर रहना, मतलब छूना भी नहीं, तो जब बियाह तय हुआ तो माई बोलीं की पहले अपने गुरु जी से बोल के आवा तो वो हंस के बोले,

' माई का हुकुम, गुरु से भी ऊपर। मेरे लिए भी माई ही हैं तोहार माई। तो चलो आज से अपने कसम से तोहें आजाद किये और तिलक के एक दिन पहले आना, माई से बता देना वो समझ जाएंगी।"

तो तिलक के एक दिन पहले जो हम गए तो आखिर बार अखाड़े में उतरे, ओहि मिटटी से हमारा तिलक किये और एक लुंगी दिए, बोले

"अब लंगोट खोल के ये लुंगी पहन लो। आज से लंगोट से आजाद हो, लंगोट की शर्त से आजाद हो। लेकिन अब अखाड़े की ये मिटटी में उतर के दंगल नहीं लड़ सकते हो, हाँ तोहार घर है, आओ कुश्ती देखो, नए नए लौंडो को दांव पेंच समझाओ, पर लंगोट की कसम से आजाद हो। लेकिन हमारा आशीर्वाद है की जिस तरह इस अखाड़े में हर दंगल जीते हो, तुम्हारी माई की कृपा से जिंदगी के अखाड़े में भी हर दंगल जीतो, हाँ वहां के लिए तुन्हे अलग गुरु चाहिए होगा। "

" तो मिली कउनो गुरुआइन " आँखों से चिढ़ाते, उकसाते इमरतिया ने पुछा और अब बुकवा लगाते हाथ जाँघों तक पहुँच गए थे ,

"भौजाई से बड़ी कौन गुरुआइन, ऊपर से माई क हुकुम, भौजी क कुल बात मानना "


Teej-6cc2c2d758e728c882946b2954dd3477.jpg


हँसते हुए सूरजु ने मजाक किया। और इमरतिया फिर बात पेटीकोट के नाड़े पे ले आयी और बोली

" अइसन नौसिखिया अनाड़ी देवर, अब सिखाना तो पड़ेगा ही, तो ये समझ लो की कोहबर में सलहज कुल पहले यही जांचेगी की नन्दोई उन्हें पेटीकोट का नाड़ा खोल पाते हैं की नहीं। तो पहला काम तोहें ये देंगे की आँख बंद करके बाएं हाथ से एक गाँठ खोलो, नहीं खोलोगे तो बहिन महतारी कुल गरियाई जाएंगी "

लेकिन ये बाएं हाथ से काहें भौजी " सूरजु को भी अब मजा आ रहा था, थे वो क्विक लर्नर लेकिन इस सब बातों से अभी पाला नहीं पड़ा था वरना समझाने की जरूररत नहीं पड़ती।

" अरे हमार बुद्धू देवर कभी लौंडिया चोदे होते तो पूछते नहीं, अच्छा ये बताओ, हमार चोली कौन हाथे से खोले थे दाएं की बाएं "

" दाएं हाथ से भौजी " सूरजु बोले।

" बस तो पहली रात में तो दायें हाथ से तो दूल्हा दुल्हिन की चोली खोलने के चक्कर में रहता है और दुल्हन उसे खोलने नहीं देती। अपने दोनों हाथों से उसका दाए हाथ पकड़ के हटाती है। तो बस सोचो दूल्हा का करेगा ? "


Bhabhi-2d1909aec0222f30396ef3624f976dc2.jpg


" बाएं हाथ से पेटीकोट क नाड़ा " हँसते हुए सुरजू देवर भौजी से बोले, और अब भौजी का हाथ क बुकवा हलके हलके खूंटा पे

" एकदम, चलो कुछ तो समझे, और दुल्हन का महतारी, भौजाई, तोहार सलहज कुल उसको सीखा के भेजेंगी की सात गाँठ लगा के पेटीकोट का नाड़ा बांधना, और वो भी न खाली बाएं हाथ से खोलना होगा बल्कि अँधेरे में। रौशनी में तोहार दुलहिनिया पास नहीं आने देगी। पहले बोलेगी की रौशनी एकदम बंद करो। इसलिए अँधेरे में बाएं हाथ से तो वही जांचने के लिए सलहज सब गाँठ बाँध के देंगी आँख बंद कर के बाये हाथ से खोलने के लिए "

इमरतिया एक एक दांव पेंच सूरजु देवर को समझा रही थी, पहले थ्योरी फिर प्रैक्टिकल, तभी तो देवर पक्का होगा, बिआइह के पहले नंबरी चोदू बनाना है इसको

" तो कैसे हो पायेगा " सुरजू के समझ में नहीं आया।

" अरे कैसी नहीं हो पायेगा, हमर देवर हो, मजाक है। चोद चोद के पहली रात को रख देगा उनकी ननद को। देखो एक तरीका तो यही है दाएं से चोली और बाएं से पेटीकोट लेकिन जब वो पेटीकोट का हाथ रोकने लगे तो बस पेटीकोट छोड़ के दोनों हाथ से चोली खोल दो।

फिर दस पन्दरह मिनट पे दोनों जुबना का रस लो, छू के सहला के चूम के , जब थोड़ी गरमा जाए तो एक साथ ही दोनों हाथ एक हाथ से पकड़ लो और कुछ देर तक और कुछ नहीं , वो छुड़ाने की कोशिश कर के थक जायेगी , फिर दूसरे हाथ से , बाएं हाथ पेटीकोट क नाड़ा, और नाड़ा खोलना नहीं सीधे निकाल के दूर फेंक दो। जिससे दुबारा पकड़ के चढ़ा के बाँध न ले।"

सुरजू बहुत ध्यान से बिस्तर के अखाड़े के दांव पेंच समझ रहा था, और इस खेल की जबरदस्त खिलाड़न इमरतिया उसको सब गुर सिखा रही थी।


" लेकिन ये मत समझो की भरतपुर इतनी आसानी से लूट लोगे। उसको भी उसकी भौजाई, घर की नाउन, माई मौसी सिखा रही होंगी। दोनों गोड़ में गोड़ फंसा के बाँध लेगी जिससे भले नाड़ा खुल जाए, लेकिन पेटीकोट उतर न पाए। फिर शहर वाली है तो पेटीकोट के नीचे भी का पता चड्ढी पहनती हो, या उस दिन जानबूझ के पहने। दूसरी बात, पेटीकोट की गाँठ, एक गाँठ नहीं भौजाई सब सिखा के भेजेंगी, सात सात गाँठ, और न खोल पाए, तो अगले दिन जब तोहार बहिनिया सब हाल चाल पूछेंगी न तो न हंस के वही चिढ़ाएगी,

' तोहार भाई तो पूरी रात लगा दिए, मुर्गा बोलने लगा, गाँठ खोलने में तो का कर पाते बेचारे। तुम सब कुछ सिखाये पढ़ाये नहीं थीं का।"

और उससे ज्यादा तोहार सास अपनी समधन का, तोहरी माई क चिढ़ाएँगी,

' बेटवा जिन्नगी भर पहलवानी करता रह गया और हमार बिटिया जाए के,... रात भर,.... नाड़ा क गाँठ ढूंढे में लग गयी, "


Teej-a5bccc3e9c5ef1f0711dcfa6ab1b9ca4.jpg


अब भौजी सीने पे हाथ पे बुकवा लगी रही थीं फिर ढेर सारा बुकवा लेके जो थोड़ा सोया थोड़ा जाएगा मूसल था उसके ऊपर, और बस हलके हलके लें भौजाई की उँगलियों की छुअन लेकिन इतना काफी था, वो फिर से फुफकारने लगा।



सुरजू भौजी के गदराये जोबना को निहार रहा था, लालटेन की हलकी हलकी पीली रौशनी, जमीन पर छितरायी थी। गोरा चम्पई मुखा, छोटी सी नथ, बड़ी सी बिंदी, लाल लाल खूब भरे रसीले होंठ,



" क्यों खोलना है नाड़ा " भौजी एकदम उसके सीने पे चढ़ी, अपने पेटीकोट का नाड़ा दिखा रही थीं,


शानदार अपडेट कोमल मैम

गुरुआइन,

Teej-Cleavage-a9103babe2a5870193aa0875071d2db4.jpg

" बोल स्साले, अपनी माई के भतार, पेलेगा न बुच्ची को आज तो वो खुदे हाँ कर के गयी है "

हलके हलके मुठियाते इमरतिया बोली। अब सूरजु की झिझक थोड़ी कम हो रही थीं, कस कस के इमरतिया की चूँची मसलते बोला,

" लेकिन भौजी बुच्चिया बोली थीं की पहले, ////और आप भी हाँ की थीं "

" तो चलो तुंही दोनों लोगों की बात रहेगी , उसके बाद तो नंबर लगाओगे न अपनी छुटकी बहिनिया पे, तो चलो सोचो बुच्चिया की बुरिया में पेल रहे हो, अरे जैसे उसकी कसी, टाइट है, वैसे तोहरे दुलहिनिया की भी कसी होगी और दरवजा बंद होने के घंटे भर के अंदर, फाड़ फूड़ के चिथड़ा करनी होगी, नहीं तो तोहार तो नाक कटी ही हमार और तोहरी माई की भी नाक कटेगी। तो समझो बुच्ची की बुरिया में पेलना है, लगाओ नीचे से धक्का कस के "


Joru-K-holding-cock-11.gif


और सच में सूरजु ने नीचे से कस के धक्का मारा।

इमरतिया ने पकड़ बढ़ा दी, और कसी कर दी, सूरजु ने और जोर लगाया / कभी इमरतिया कस के मुठियाती और कभी मुठियाना बंद कर के सूरजु को बोलती,

" पेल स्साले बुचिया की बुर में "

और सुरजू आँखे बंद कर के पूरी ताकत से चूतड़ के जोर से धक्का मारता लेकिन इमरतिया की पकड़, एकदम रगड़ते, घिसते



पांच दस मिनट में वो बोलने लगा,

" अरे भौजी छोड़ दो, गिर जाएगा, भौजी, मोर भौजी,.... रुकेगा नहीं "



इमरतिया सोच रही थीं स्साला और कितनी देर रुकेगा। हाथ कल्ला रहा था , दस पंद्रह मिनट से ऊपर हो गए थे पूरी ताकत से मुट्ठ मारते एक से एक कड़ियल जवान भी चुदाई में सात आठ मिनट के ऊपर नहीं रुकता और ये,

" तो झड़ जाने दे न, अरे हमरे देवर क लंड है। झड़ जाएगा तो फिर पानी भर उठेगा। आँख बंद कर के सोच बुच्ची क बुर में आपन पानी छोड़ रहा है " वो बोली और अपनी एक चूँची उसने सीधे सुरजू के मुंह में डाल दी और दूसरे को उसकी हाथ में पकड़ा के जोर जोर से बोलने लगी

" पेल न, और कस के चोद दे, झाड़ दे, झड़ जा बुच्ची की बुरिया में हाँ हाँ "



लग रहा था अब निकला तब निकला, इमरतिया तैयार थीं लेकिन तब भी चार पांच मिनट और मुठियाने के बाद, जैसे कोई फव्वारा छूटा हो,



jerk-cum-IMG-20230629-192956.gif


लेकिन इमरतिया पहले से तैयार थीं, मिटटी के सकोरे को लेकर और एक एक बूँद उसमे रोप लिया।

पर वो जानती थीं अभी बहुत मलाई बची है अंदर, तो सुपाड़े को हलके से दबा दबा के, फिर से जो बूँद बूँद निकला वो भी उसी में और फिर सुपाड़े और आसपास जो लगा था उसे हाथ से काँछ के उसी सकोरे में, और वो गाढ़ी सफ़ेद बूंदे लुढ़क के सकोरे के अंदर,




यही समय होता है सम्हालने का, और एक अनुभवी खिलाड़ी की तरह बिना कुछ बोले, बस हलके हलके सहलाते पुचकारते शेर को छोड़ दिया।

यह समय मरद का होता है चार पांच मिनट सुस्ताने के, उन पलों का मजा लेना का और उस समय वो सिर्फ हल्का स्पर्श सुख चाहता है तो बस इमरतिया सुरजू को पकडे रही और फिर पांच मिनट बाद, बिन बोले, बुकवा का कटोरा उठाया और पैर के पंजे के पास बस हलके हलके पंजो में पहले बुकवा लगाना शुरू किया फिर पैरों में और बात शुरू की, पहले अखाड़े के बारे में, सुरजू के दंगल जीतने के बारे में, सेक्स के बारे में एकदम नहीं, जिससे वो सहज हो जाए, और फिर बात धीरे धीरे मोड़ दी।


' देवर कभी किसी का पेटीकोट का नाडा खोले हो "?

सुरुजू अभी भी शरमाते झिझकते थे लेकिन इमरतिया से धीरे धीरे खुल रहे थे, बोले,

" का भौजी, आप भी न। गुरु जी लंगोटे की, अखाड़े की कसम धराये थे, माई के अलावा कउनो औरत की परछाई से भी दूर रहना, मतलब छूना भी नहीं, तो जब बियाह तय हुआ तो माई बोलीं की पहले अपने गुरु जी से बोल के आवा तो वो हंस के बोले,

' माई का हुकुम, गुरु से भी ऊपर। मेरे लिए भी माई ही हैं तोहार माई। तो चलो आज से अपने कसम से तोहें आजाद किये और तिलक के एक दिन पहले आना, माई से बता देना वो समझ जाएंगी।"

तो तिलक के एक दिन पहले जो हम गए तो आखिर बार अखाड़े में उतरे, ओहि मिटटी से हमारा तिलक किये और एक लुंगी दिए, बोले

"अब लंगोट खोल के ये लुंगी पहन लो। आज से लंगोट से आजाद हो, लंगोट की शर्त से आजाद हो। लेकिन अब अखाड़े की ये मिटटी में उतर के दंगल नहीं लड़ सकते हो, हाँ तोहार घर है, आओ कुश्ती देखो, नए नए लौंडो को दांव पेंच समझाओ, पर लंगोट की कसम से आजाद हो। लेकिन हमारा आशीर्वाद है की जिस तरह इस अखाड़े में हर दंगल जीते हो, तुम्हारी माई की कृपा से जिंदगी के अखाड़े में भी हर दंगल जीतो, हाँ वहां के लिए तुन्हे अलग गुरु चाहिए होगा। "

" तो मिली कउनो गुरुआइन " आँखों से चिढ़ाते, उकसाते इमरतिया ने पुछा और अब बुकवा लगाते हाथ जाँघों तक पहुँच गए थे ,

"भौजाई से बड़ी कौन गुरुआइन, ऊपर से माई क हुकुम, भौजी क कुल बात मानना "


Teej-6cc2c2d758e728c882946b2954dd3477.jpg


हँसते हुए सूरजु ने मजाक किया। और इमरतिया फिर बात पेटीकोट के नाड़े पे ले आयी और बोली

" अइसन नौसिखिया अनाड़ी देवर, अब सिखाना तो पड़ेगा ही, तो ये समझ लो की कोहबर में सलहज कुल पहले यही जांचेगी की नन्दोई उन्हें पेटीकोट का नाड़ा खोल पाते हैं की नहीं। तो पहला काम तोहें ये देंगे की आँख बंद करके बाएं हाथ से एक गाँठ खोलो, नहीं खोलोगे तो बहिन महतारी कुल गरियाई जाएंगी "

लेकिन ये बाएं हाथ से काहें भौजी " सूरजु को भी अब मजा आ रहा था, थे वो क्विक लर्नर लेकिन इस सब बातों से अभी पाला नहीं पड़ा था वरना समझाने की जरूररत नहीं पड़ती।

" अरे हमार बुद्धू देवर कभी लौंडिया चोदे होते तो पूछते नहीं, अच्छा ये बताओ, हमार चोली कौन हाथे से खोले थे दाएं की बाएं "

" दाएं हाथ से भौजी " सूरजु बोले।

" बस तो पहली रात में तो दायें हाथ से तो दूल्हा दुल्हिन की चोली खोलने के चक्कर में रहता है और दुल्हन उसे खोलने नहीं देती। अपने दोनों हाथों से उसका दाए हाथ पकड़ के हटाती है। तो बस सोचो दूल्हा का करेगा ? "


Bhabhi-2d1909aec0222f30396ef3624f976dc2.jpg


" बाएं हाथ से पेटीकोट क नाड़ा " हँसते हुए सुरजू देवर भौजी से बोले, और अब भौजी का हाथ क बुकवा हलके हलके खूंटा पे

" एकदम, चलो कुछ तो समझे, और दुल्हन का महतारी, भौजाई, तोहार सलहज कुल उसको सीखा के भेजेंगी की सात गाँठ लगा के पेटीकोट का नाड़ा बांधना, और वो भी न खाली बाएं हाथ से खोलना होगा बल्कि अँधेरे में। रौशनी में तोहार दुलहिनिया पास नहीं आने देगी। पहले बोलेगी की रौशनी एकदम बंद करो। इसलिए अँधेरे में बाएं हाथ से तो वही जांचने के लिए सलहज सब गाँठ बाँध के देंगी आँख बंद कर के बाये हाथ से खोलने के लिए "

इमरतिया एक एक दांव पेंच सूरजु देवर को समझा रही थी, पहले थ्योरी फिर प्रैक्टिकल, तभी तो देवर पक्का होगा, बिआइह के पहले नंबरी चोदू बनाना है इसको

" तो कैसे हो पायेगा " सुरजू के समझ में नहीं आया।

" अरे कैसी नहीं हो पायेगा, हमर देवर हो, मजाक है। चोद चोद के पहली रात को रख देगा उनकी ननद को। देखो एक तरीका तो यही है दाएं से चोली और बाएं से पेटीकोट लेकिन जब वो पेटीकोट का हाथ रोकने लगे तो बस पेटीकोट छोड़ के दोनों हाथ से चोली खोल दो।

फिर दस पन्दरह मिनट पे दोनों जुबना का रस लो, छू के सहला के चूम के , जब थोड़ी गरमा जाए तो एक साथ ही दोनों हाथ एक हाथ से पकड़ लो और कुछ देर तक और कुछ नहीं , वो छुड़ाने की कोशिश कर के थक जायेगी , फिर दूसरे हाथ से , बाएं हाथ पेटीकोट क नाड़ा, और नाड़ा खोलना नहीं सीधे निकाल के दूर फेंक दो। जिससे दुबारा पकड़ के चढ़ा के बाँध न ले।"

सुरजू बहुत ध्यान से बिस्तर के अखाड़े के दांव पेंच समझ रहा था, और इस खेल की जबरदस्त खिलाड़न इमरतिया उसको सब गुर सिखा रही थी।


" लेकिन ये मत समझो की भरतपुर इतनी आसानी से लूट लोगे। उसको भी उसकी भौजाई, घर की नाउन, माई मौसी सिखा रही होंगी। दोनों गोड़ में गोड़ फंसा के बाँध लेगी जिससे भले नाड़ा खुल जाए, लेकिन पेटीकोट उतर न पाए। फिर शहर वाली है तो पेटीकोट के नीचे भी का पता चड्ढी पहनती हो, या उस दिन जानबूझ के पहने। दूसरी बात, पेटीकोट की गाँठ, एक गाँठ नहीं भौजाई सब सिखा के भेजेंगी, सात सात गाँठ, और न खोल पाए, तो अगले दिन जब तोहार बहिनिया सब हाल चाल पूछेंगी न तो न हंस के वही चिढ़ाएगी,

' तोहार भाई तो पूरी रात लगा दिए, मुर्गा बोलने लगा, गाँठ खोलने में तो का कर पाते बेचारे। तुम सब कुछ सिखाये पढ़ाये नहीं थीं का।"

और उससे ज्यादा तोहार सास अपनी समधन का, तोहरी माई क चिढ़ाएँगी,

' बेटवा जिन्नगी भर पहलवानी करता रह गया और हमार बिटिया जाए के,... रात भर,.... नाड़ा क गाँठ ढूंढे में लग गयी, "


Teej-a5bccc3e9c5ef1f0711dcfa6ab1b9ca4.jpg


अब भौजी सीने पे हाथ पे बुकवा लगी रही थीं फिर ढेर सारा बुकवा लेके जो थोड़ा सोया थोड़ा जाएगा मूसल था उसके ऊपर, और बस हलके हलके लें भौजाई की उँगलियों की छुअन लेकिन इतना काफी था, वो फिर से फुफकारने लगा।



सुरजू भौजी के गदराये जोबना को निहार रहा था, लालटेन की हलकी हलकी पीली रौशनी, जमीन पर छितरायी थी। गोरा चम्पई मुखा, छोटी सी नथ, बड़ी सी बिंदी, लाल लाल खूब भरे रसीले होंठ,



" क्यों खोलना है नाड़ा " भौजी एकदम उसके सीने पे चढ़ी, अपने पेटीकोट का नाड़ा दिखा रही थीं,

शानदार अपडेट कोमल मैम

आपके सांझ के गीतों शेयर किए गए वीडियो देखे और सुने भी। विवाह के अवसर पर गाए जाने वाले ये गीत अन्य गीतों से थोड़े अलग है।

जहां विवाह के अन्य गीत तेज और भड़कीले होते हैं वहीं सांझ गीत थोड़े धीमे होते हैं बिल्कुल धीमी आंच की तरह जो देर तक बनी रहती हैं, क्षमा करें ये मेरा आंकलन है।
लेकिन सांझ गीत माहौल बना देते हैं कि घर में मंगल कार्य हो रहा है।

रही कहानी के इस अपडेट की तो आपकी वही भौजी जैसी शरारत, बस ऐसी जगह रोको की व्यक्ति छनछनाता रहे।

सादर
गुरुआइन,

Teej-Cleavage-a9103babe2a5870193aa0875071d2db4.jpg

" बोल स्साले, अपनी माई के भतार, पेलेगा न बुच्ची को आज तो वो खुदे हाँ कर के गयी है "

हलके हलके मुठियाते इमरतिया बोली। अब सूरजु की झिझक थोड़ी कम हो रही थीं, कस कस के इमरतिया की चूँची मसलते बोला,

" लेकिन भौजी बुच्चिया बोली थीं की पहले, ////और आप भी हाँ की थीं "

" तो चलो तुंही दोनों लोगों की बात रहेगी , उसके बाद तो नंबर लगाओगे न अपनी छुटकी बहिनिया पे, तो चलो सोचो बुच्चिया की बुरिया में पेल रहे हो, अरे जैसे उसकी कसी, टाइट है, वैसे तोहरे दुलहिनिया की भी कसी होगी और दरवजा बंद होने के घंटे भर के अंदर, फाड़ फूड़ के चिथड़ा करनी होगी, नहीं तो तोहार तो नाक कटी ही हमार और तोहरी माई की भी नाक कटेगी। तो समझो बुच्ची की बुरिया में पेलना है, लगाओ नीचे से धक्का कस के "


Joru-K-holding-cock-11.gif


और सच में सूरजु ने नीचे से कस के धक्का मारा।

इमरतिया ने पकड़ बढ़ा दी, और कसी कर दी, सूरजु ने और जोर लगाया / कभी इमरतिया कस के मुठियाती और कभी मुठियाना बंद कर के सूरजु को बोलती,

" पेल स्साले बुचिया की बुर में "

और सुरजू आँखे बंद कर के पूरी ताकत से चूतड़ के जोर से धक्का मारता लेकिन इमरतिया की पकड़, एकदम रगड़ते, घिसते



पांच दस मिनट में वो बोलने लगा,

" अरे भौजी छोड़ दो, गिर जाएगा, भौजी, मोर भौजी,.... रुकेगा नहीं "



इमरतिया सोच रही थीं स्साला और कितनी देर रुकेगा। हाथ कल्ला रहा था , दस पंद्रह मिनट से ऊपर हो गए थे पूरी ताकत से मुट्ठ मारते एक से एक कड़ियल जवान भी चुदाई में सात आठ मिनट के ऊपर नहीं रुकता और ये,

" तो झड़ जाने दे न, अरे हमरे देवर क लंड है। झड़ जाएगा तो फिर पानी भर उठेगा। आँख बंद कर के सोच बुच्ची क बुर में आपन पानी छोड़ रहा है " वो बोली और अपनी एक चूँची उसने सीधे सुरजू के मुंह में डाल दी और दूसरे को उसकी हाथ में पकड़ा के जोर जोर से बोलने लगी

" पेल न, और कस के चोद दे, झाड़ दे, झड़ जा बुच्ची की बुरिया में हाँ हाँ "



लग रहा था अब निकला तब निकला, इमरतिया तैयार थीं लेकिन तब भी चार पांच मिनट और मुठियाने के बाद, जैसे कोई फव्वारा छूटा हो,



jerk-cum-IMG-20230629-192956.gif


लेकिन इमरतिया पहले से तैयार थीं, मिटटी के सकोरे को लेकर और एक एक बूँद उसमे रोप लिया।

पर वो जानती थीं अभी बहुत मलाई बची है अंदर, तो सुपाड़े को हलके से दबा दबा के, फिर से जो बूँद बूँद निकला वो भी उसी में और फिर सुपाड़े और आसपास जो लगा था उसे हाथ से काँछ के उसी सकोरे में, और वो गाढ़ी सफ़ेद बूंदे लुढ़क के सकोरे के अंदर,




यही समय होता है सम्हालने का, और एक अनुभवी खिलाड़ी की तरह बिना कुछ बोले, बस हलके हलके सहलाते पुचकारते शेर को छोड़ दिया।

यह समय मरद का होता है चार पांच मिनट सुस्ताने के, उन पलों का मजा लेना का और उस समय वो सिर्फ हल्का स्पर्श सुख चाहता है तो बस इमरतिया सुरजू को पकडे रही और फिर पांच मिनट बाद, बिन बोले, बुकवा का कटोरा उठाया और पैर के पंजे के पास बस हलके हलके पंजो में पहले बुकवा लगाना शुरू किया फिर पैरों में और बात शुरू की, पहले अखाड़े के बारे में, सुरजू के दंगल जीतने के बारे में, सेक्स के बारे में एकदम नहीं, जिससे वो सहज हो जाए, और फिर बात धीरे धीरे मोड़ दी।


' देवर कभी किसी का पेटीकोट का नाडा खोले हो "?

सुरुजू अभी भी शरमाते झिझकते थे लेकिन इमरतिया से धीरे धीरे खुल रहे थे, बोले,

" का भौजी, आप भी न। गुरु जी लंगोटे की, अखाड़े की कसम धराये थे, माई के अलावा कउनो औरत की परछाई से भी दूर रहना, मतलब छूना भी नहीं, तो जब बियाह तय हुआ तो माई बोलीं की पहले अपने गुरु जी से बोल के आवा तो वो हंस के बोले,

' माई का हुकुम, गुरु से भी ऊपर। मेरे लिए भी माई ही हैं तोहार माई। तो चलो आज से अपने कसम से तोहें आजाद किये और तिलक के एक दिन पहले आना, माई से बता देना वो समझ जाएंगी।"

तो तिलक के एक दिन पहले जो हम गए तो आखिर बार अखाड़े में उतरे, ओहि मिटटी से हमारा तिलक किये और एक लुंगी दिए, बोले

"अब लंगोट खोल के ये लुंगी पहन लो। आज से लंगोट से आजाद हो, लंगोट की शर्त से आजाद हो। लेकिन अब अखाड़े की ये मिटटी में उतर के दंगल नहीं लड़ सकते हो, हाँ तोहार घर है, आओ कुश्ती देखो, नए नए लौंडो को दांव पेंच समझाओ, पर लंगोट की कसम से आजाद हो। लेकिन हमारा आशीर्वाद है की जिस तरह इस अखाड़े में हर दंगल जीते हो, तुम्हारी माई की कृपा से जिंदगी के अखाड़े में भी हर दंगल जीतो, हाँ वहां के लिए तुन्हे अलग गुरु चाहिए होगा। "

" तो मिली कउनो गुरुआइन " आँखों से चिढ़ाते, उकसाते इमरतिया ने पुछा और अब बुकवा लगाते हाथ जाँघों तक पहुँच गए थे ,

"भौजाई से बड़ी कौन गुरुआइन, ऊपर से माई क हुकुम, भौजी क कुल बात मानना "


Teej-6cc2c2d758e728c882946b2954dd3477.jpg


हँसते हुए सूरजु ने मजाक किया। और इमरतिया फिर बात पेटीकोट के नाड़े पे ले आयी और बोली

" अइसन नौसिखिया अनाड़ी देवर, अब सिखाना तो पड़ेगा ही, तो ये समझ लो की कोहबर में सलहज कुल पहले यही जांचेगी की नन्दोई उन्हें पेटीकोट का नाड़ा खोल पाते हैं की नहीं। तो पहला काम तोहें ये देंगे की आँख बंद करके बाएं हाथ से एक गाँठ खोलो, नहीं खोलोगे तो बहिन महतारी कुल गरियाई जाएंगी "

लेकिन ये बाएं हाथ से काहें भौजी " सूरजु को भी अब मजा आ रहा था, थे वो क्विक लर्नर लेकिन इस सब बातों से अभी पाला नहीं पड़ा था वरना समझाने की जरूररत नहीं पड़ती।

" अरे हमार बुद्धू देवर कभी लौंडिया चोदे होते तो पूछते नहीं, अच्छा ये बताओ, हमार चोली कौन हाथे से खोले थे दाएं की बाएं "

" दाएं हाथ से भौजी " सूरजु बोले।

" बस तो पहली रात में तो दायें हाथ से तो दूल्हा दुल्हिन की चोली खोलने के चक्कर में रहता है और दुल्हन उसे खोलने नहीं देती। अपने दोनों हाथों से उसका दाए हाथ पकड़ के हटाती है। तो बस सोचो दूल्हा का करेगा ? "


Bhabhi-2d1909aec0222f30396ef3624f976dc2.jpg


" बाएं हाथ से पेटीकोट क नाड़ा " हँसते हुए सुरजू देवर भौजी से बोले, और अब भौजी का हाथ क बुकवा हलके हलके खूंटा पे

" एकदम, चलो कुछ तो समझे, और दुल्हन का महतारी, भौजाई, तोहार सलहज कुल उसको सीखा के भेजेंगी की सात गाँठ लगा के पेटीकोट का नाड़ा बांधना, और वो भी न खाली बाएं हाथ से खोलना होगा बल्कि अँधेरे में। रौशनी में तोहार दुलहिनिया पास नहीं आने देगी। पहले बोलेगी की रौशनी एकदम बंद करो। इसलिए अँधेरे में बाएं हाथ से तो वही जांचने के लिए सलहज सब गाँठ बाँध के देंगी आँख बंद कर के बाये हाथ से खोलने के लिए "

इमरतिया एक एक दांव पेंच सूरजु देवर को समझा रही थी, पहले थ्योरी फिर प्रैक्टिकल, तभी तो देवर पक्का होगा, बिआइह के पहले नंबरी चोदू बनाना है इसको

" तो कैसे हो पायेगा " सुरजू के समझ में नहीं आया।

" अरे कैसी नहीं हो पायेगा, हमर देवर हो, मजाक है। चोद चोद के पहली रात को रख देगा उनकी ननद को। देखो एक तरीका तो यही है दाएं से चोली और बाएं से पेटीकोट लेकिन जब वो पेटीकोट का हाथ रोकने लगे तो बस पेटीकोट छोड़ के दोनों हाथ से चोली खोल दो।

फिर दस पन्दरह मिनट पे दोनों जुबना का रस लो, छू के सहला के चूम के , जब थोड़ी गरमा जाए तो एक साथ ही दोनों हाथ एक हाथ से पकड़ लो और कुछ देर तक और कुछ नहीं , वो छुड़ाने की कोशिश कर के थक जायेगी , फिर दूसरे हाथ से , बाएं हाथ पेटीकोट क नाड़ा, और नाड़ा खोलना नहीं सीधे निकाल के दूर फेंक दो। जिससे दुबारा पकड़ के चढ़ा के बाँध न ले।"

सुरजू बहुत ध्यान से बिस्तर के अखाड़े के दांव पेंच समझ रहा था, और इस खेल की जबरदस्त खिलाड़न इमरतिया उसको सब गुर सिखा रही थी।


" लेकिन ये मत समझो की भरतपुर इतनी आसानी से लूट लोगे। उसको भी उसकी भौजाई, घर की नाउन, माई मौसी सिखा रही होंगी। दोनों गोड़ में गोड़ फंसा के बाँध लेगी जिससे भले नाड़ा खुल जाए, लेकिन पेटीकोट उतर न पाए। फिर शहर वाली है तो पेटीकोट के नीचे भी का पता चड्ढी पहनती हो, या उस दिन जानबूझ के पहने। दूसरी बात, पेटीकोट की गाँठ, एक गाँठ नहीं भौजाई सब सिखा के भेजेंगी, सात सात गाँठ, और न खोल पाए, तो अगले दिन जब तोहार बहिनिया सब हाल चाल पूछेंगी न तो न हंस के वही चिढ़ाएगी,

' तोहार भाई तो पूरी रात लगा दिए, मुर्गा बोलने लगा, गाँठ खोलने में तो का कर पाते बेचारे। तुम सब कुछ सिखाये पढ़ाये नहीं थीं का।"

और उससे ज्यादा तोहार सास अपनी समधन का, तोहरी माई क चिढ़ाएँगी,

' बेटवा जिन्नगी भर पहलवानी करता रह गया और हमार बिटिया जाए के,... रात भर,.... नाड़ा क गाँठ ढूंढे में लग गयी, "


Teej-a5bccc3e9c5ef1f0711dcfa6ab1b9ca4.jpg


अब भौजी सीने पे हाथ पे बुकवा लगी रही थीं फिर ढेर सारा बुकवा लेके जो थोड़ा सोया थोड़ा जाएगा मूसल था उसके ऊपर, और बस हलके हलके लें भौजाई की उँगलियों की छुअन लेकिन इतना काफी था, वो फिर से फुफकारने लगा।



सुरजू भौजी के गदराये जोबना को निहार रहा था, लालटेन की हलकी हलकी पीली रौशनी, जमीन पर छितरायी थी। गोरा चम्पई मुखा, छोटी सी नथ, बड़ी सी बिंदी, लाल लाल खूब भरे रसीले होंठ,



" क्यों खोलना है नाड़ा " भौजी एकदम उसके सीने पे चढ़ी, अपने पेटीकोट का नाड़ा दिखा रही थीं,
 
Top