जान के साथ माल भी निकाल दिया....Bahoot bahoot thanks, such words from a gifted and talented writer like you make me really happy,... i am so thrilled.
बादल, बरसात, पेड़-पौधे, गौरेया...कहां तो अरविंद्र की पहली बार रात में भी गीता को हाथ लगाते हुए गांड फट रही थी और एक बार उसे चोदने के बाद अब तो बहन चोद दिनदहाड़े खाट पर नंगा करके टांगे हवा में आसमान की तरफ उठाकर बहुत जबरदस्त तरीके से धक्के पर धक्के मार रहा है और गीता की चीखे दिन दहाड़े निकलवा रहा है
अब आंगन तो जाना पहचाना है...सावन का असली मजा तो झूले पर ही है और उस पर चढ़ती जवानी का असली मजा चुदाई में ही है
यहां तो गीता और अरविंद दोनों सावन और चढ़ती जवानी का मजा झूले पर चुदाई करके ले रहे हैं
बहन चोद अपनी ही सगी,कच्ची कली, बिल्कुल ताजा चोदी गई 16 साल की हसीन कन्या को इतने अच्छे तरीके से कौन रगड़ता है कि बहन चोदा आंगन में ही जहां पर उसके साथ वह बचपन से खेला वहीं पर उसके साथ जवानी की असली खेल आंगन में दौड़ा-दौड़ा कर खेल रहा है
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विशिष्ट आलेख....अरविंद ने जिस तरीके से गीता कि शम्र निकाली है वह सबसे शानदार लगा
बहन चोद इन लड़कियों को कुंवारी चुत* फडवा लेंगे
गांड फड़वा लेंगे
मुंह में लन्ड ले लेंगे
लेकिन बहन चोद चुत चुदाई बोलते हुए इनकी मां चोद जाती है लेकिन अरविंद भी एक नंबर का चुदक्कड इंसान हैं बहन चोद चोद चोद कर अपनी बहन की साडरी सरम ही उसकी भोसड़ी में बांड दी
बहुत शानदार तरीके से बारिश में की गई चुदाई* का यह विशेष वर्णन केवल कोमल भाभी ही कर सकती हैं
बाकी के छेद की भी बारी आनी चाहिए....धीरे-धीरे jaise ine donon ki jhijhak khul rahi hai Usi hisab se ine donon ki aapas mein ki Gai chudai ka alag hi Maja a raha hai
आपने दिल की बात कह दी...Wow. Badi sharati he chhutki ki bahena. Pati se esa masti bhara sambhog. Dill kar raha tha. Ye update khatam hi na ho. Bas chamach chamach chasni pite hi rahe.
Sari bhauji taiyar he mukable ko. Maza aa gayaमेरी पिलानिंग
और आखिरी बात, कोई स्ट्रेटजी प्लानिंग भी नहीं होती थी और बना बेईमानी के कौन जीतता है तो लेकिन बेईमानी के लिए बहुत जुगत लगानी पड़ती है और वो यहाँ दिख नहीं रहा था,... अंत में सब लोगों ने मुझसे पूछा ,
असल में जो सबसे नयी होती थी , जिसकी पहली होली होती थी वो कप्तान तो नहीं, छोटा कप्तान जरूर रहती थी , फिर मिश्राइन भाभी के यहाँ जो मैंने सबकी रगड़ाई की थी तो थोड़ा बहुत मेरे नाम से ननदें,... और यह तय हो गया था की अबकी मंजू भाभी कप्तान रहेंगी तो उनका प्यार दुलार तो रहता था,...
तो मैंने अपनी प्लानिंग,...
नहीं पूरी नहीं बताउंगी, फिर तो मैच का मजा ही ख़तम हो जाएगा , हाँ बस थोड़ी सी झलक,...
तो बात शुरू की मैंने टीम बदलने से,...
किसी तरह से मुझे ज्यादा जवान , कम उमर वाली खूब तगड़ी औरतें चाहिए थीं और जो एकदम बेसरम हों , ...
और मैंने जुगत लगा ली,... लेकिन मेरी प्लानिंग में दो बड़ी अड़चने थीं एक तो टीम में बदलाव दूसरा थोड़ा बहुत रूल्स , और मैच की अम्पायर को तो मैं सम्हाल लेती , आखिर मेरी सास ही थीं, और उन्हें मैंने छुटकी ऐसी बड़ी सी घूस थमा दी थी, और उनके साथ जो एक दो और होंगी , छुटकी सुबह से ही उनका मन बहला रही थी , लेकिन ज्यादा बड़ी दिक्कत थी मेरी टोली की ही, भौजाइयों की टीम की जो पुरानी खिलाड़ी थी हर बार हारती थीं , उन्हें मनाना,
और इस मामले में मंजू भाभी ने पूरा मेरा साथ दिया,
टीम ११ की ही थी,.... तो कम से ४ -५ तो जवान खूब तगड़ी, और ऐसी भौजाइयां होनी चाहिए जो न गरियाने में पीछे हटें न ननदों के इधर उधर छूने रगड़ने उँगरियाने में,...
और वैसे भी ननद भौजाई की इस होली वाली कबड्डी में कुछ भी फाउल नहीं होता था, ... कपडे तो सबके फटते थे और पूरी तरह, आधे टाइम तो वैसे ही , लेकिन उस समय कोई मरद चिड़िया भी नहीं रहती थी तो औरतों लड़कियों में क्या शर्म, वो भी होली के दिन,...
लेकिन मैं सोच रही थी की कम से कम आधी ऐसी हों जिनके अभी बच्चे न हों, शादी के चार पांच साल से ज्यादा न हुए हों पर गाँव में पिछले दो तीन साल में तो सिर्फ मेरी ही डोली उतरी थी , और चार पांच साल में पांच छह बहुएं आयी तो थी,... लेकिन मेरे अलावा तीन ही थीं जिन्होंने गाँव को अपना अड्डा बनाया था बाकी की सब अपने मर्दों के साथ, काम पर,....
फिर एक बार दिल्ली बंबई पहुँचने के बाद कौन गाँव लौटता है,...
होली के इस खेल में गाँव में हम लोगो की ही, मलतब भरौटी, अहिरौटी और बाकी सब टोले वाली नहीं,... वैसे तो गाँव में औरतों के बीच के बीच पूरा समाजवाद चलता है, जब मैं आयी थी तो उम्र और रिश्ते के हिसाब से जो भी सास और जेठानी लगती थीं, सब का पैर मैंने हाथ में आँचल ले के दोनों हाथ से पूरा झुक के छूआ था, और गाँव में जो मेरी अकेली देवरानी लगती थी, कुसमा, ...
उस का मर्द कुंए पे पानी भरता था और वो पानी अंदर लाती थी, हाथ पैर भी दबाती और अपने मर्द के किस्से सुनाती थी , कैसे रगड़ रगड़ के, उसे बर्थ कंट्रोल पिल्स भी मैंने ही दिया था और होली के दिन उसके टोले में जा कर होली भी अपने देवर, उसके मरद के साथ खेली थी,... तो उसी की तरह की और भी थीं कुछ अगर दो तीन उस तरह की टीम में हमारी आ जाएँ तगड़ी तगड़ी,...
जैसे ही मैंने उसका नाम लिया,
वही मेरी जेठानी जो हारने में कोई बुराई नहीं देखती थी ४० -४५ की रही होंगी देह भी एकदम ढीली ढाली,... उचक के बोलीं
" अरे उ कलुआ क मेहरारू,... "
मैं तो समझ गयी, गयी भैंस पानी में,... मेरी पतंग की डोर उड़ने से पहले ही उन्होंने काट दी,...
लेकिन मेरी जेठानी मंजू भाभी थी न , उन्होंने अपनी सहेली की ओर देखा, और बस मोर्चा उन्होंने सम्हाल लिया,... और मेरी ओर तारीफ़ की निगाह से देखते बोलीं,
"नयको को इतने दिन में ही कुल बात , ... एकदम सही कह रही है,... अरे बहुत जांगर ओहमें हैं देह दबाती है तो देह तोड़ के रख देती है, एकदम बड़ी ताकत है,... सही है। "
ये तो मुझे मालूम था रोज रात भर मेरे ऊपर इनके चढ़ने के बाद जब उठा नहीं जाता तो कटोरी भर तेल ले के मेरी देह मेरी जाँघों में , दोनों पैर या तो रात भर उठे रहते या निहुरी रहती , और इनके धक्के भी हर धक्के में पेंच पेंच ढीली हो जाती,...
और उसकी मालिश के बाद तो मन यही करता की, अब एक दो बार और हो जाए तो कोई बात नहीं,...
असली खेल था जांघ की मालिश की बाद बात बात में वो हथेली से रगड़ रगड़ के सीधे गुलाबो पे , और हर चढ़ाई का किस्सा सुन के ही , फिर उँगलियों से दोनों फांको को रगड़ के, दो ऊँगली एकदम जड़ तक अंदर,... दो चार मिनट में तो कोई भी झड़ने के कगार पर पहुँच जाए , ....
और खाली शादी शुदा ही नहीं कुंवारियां भी , आज स्कूल में मैच है की आज पी टी में कमर पिराने लगी , और पांच मिनट में उस लड़की के पोर पोर का दर्द , मालिश करवाने वाली भी जानती थी और कुसुमा भी की मालिश कहाँ की होनी है,...
असल में नाम तो उसका कुसुमा था लेकिन मेरी एक सास लगती थीं उनका भी मिलता जुलता नाम तो अब सबने नाम उसका बदल के चमेली कर दिया था तो मैं भी उसी नाम से पुकार के,...
" हाँ उहे चमेलिया,... अरे गाँव में हमारी अकेली देवरान , हमरे बाद तो वही आयी बियाह के और ओकरे साथ,... '
मैंने बात आगे बढ़ाने की कोशिश की तो एक बार फिर मेरी बात काट दी गयी वही मंजू भाभी की सहेली , मेरी जेठानी और उन्होंने सही बात काटी,...
" अरे छोडो , समझ गए हम सब चमेलिया और ठीक है तू और मंजू आपस में बात करके तय कर लो ,... सही बात है यह बार कुछ नया होना चाहिए और ननदों को हराना चाहिए "
मैं समझ गयी , अगर मैं बाकी का नाम लेती और वो जेठानी जो कुछ भी नए के खिलाफ थीं वो फिर.... अगर किसी के खिलाफ हो जातीं तो ,...
अब मैंने टीम की बाकी मेंबर्स का नाम एनाउंस किया , मेरे अलावा जो तीन भौजाइयों की टीम में वही जो लड़कोर नहीं थीं,... मंजू भाभी , वो जो हमारा साथ दे रहे थी और एक दो और
फिर मैंने जो बड़ी बुजुर्ग भाभी लोग थीं उनकी ओर मुंह कर के बोला, खूब आदर के साथ ५०० ग्राम मक्खन मार के,
" और आप लोग थोड़ा हम लोगों का का कहते हैं उ, मार्गदर्शक रहिएगा,... आप लोगों का जो इतना एक्सपीरियंस है, एक एक ननद क त कुल हाल चाल आप लोगों को मालूम होगा ही, तो बस आप लोग जैसे कहियेगा,... एकदम वैसे वैसे , और आप लोगन क आसीर्बाद और पिलानिंग से कहीं जीत गए,... तो जितने कच्चे टिकोरे होंगे न सब आप लोगों की झोली में,... "
वो भी मेरी बात से सहमत होती बोलीं , " ठीके कह रही हो , अब सांस फुला जाती है, चूल्हा झोंकते बच्चे पैदा करते,... "
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इस कहानी का इंसेस्ट पार्ट बहुत सारे पाठकों की फरमाईश पर कोमल रानी ने लिखा है.....Ye kahani ab incest ban gai hai maza nhi aa rha
सही कहा आपने....Ye bhi me aap ka badhpan hi samzungi. Vese padhne vala kuchh kahene pe manzur ho jata he. Aap vo sayar ho jo kisi tarif ka mohtaj nahi. Khud khud chal kar bande se puchhe bata teri raza kya he.