- 23,181
- 62,267
- 259
छुटकी - होली दीदी की ससुराल में भाग १०३ इमरतिया पृष्ठ १०७६
अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें।
अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें।
Last edited:
सचमुच अनुपम....मैं सिर्फ यह कहना चाहती थी की आरुषि जी के चित्र और वर्णन दोनों ही नायिका भेद और भारतीय सौंदर्य शास्त्र की परम्परा के अनुरूप हैं
बहुत बहुत आभार और हम सब की ओर से आभार आरुषि जी का की इस थ्रेड पर आ कर उन्होंने इस थ्रेड को ये इज्जत दी।![]()
माँ अलग थलग नहीं पदनी चाहिए.. वो भी अपने फुल फॉर्म में...अब आपने ये आइडिया दे दिया है तो बेचारी गितवा की माँ कैसे बच सकती है लेकिन मैं उन्हें बता दूंगी की ये आइडिया किस का था बस अगली पोस्ट में माँ की बारी
कुछ इशु तो है...is marj se ham sab pareshaan hain![]()
ये पुरसुकून चेहरा... ये होंठों की लाली.. सचमुच सुहानी और मदमस्त है...एक लंबे जुनूनी और सेक्स से भरे वीकेंड की रात के बाद पति सुबह उठकर कॉफी के कप के साथ अपने जोशीले सुबह के प्यार काइजहार करते हुए हम पर मुस्कुरा देते हैं.. रात भर बिस्तर पे हुई मस्ती और सहवास आंखों में शरारत के नए एहसास का अनुभव करवतीहै. मजबूत और मर्दाना आदमी जानता है कि अंधेरी रात में और सुहानी और मदमस्त सुबह में अपनी महिलाओं को कैसे संभालना है
![]()
![]()
![]()
Nanad ki to bahut buri halat krdi geeta ke bhai ne. Bilkul rehem nhi kiyaभाग ४८ - रोपनी -
फुलवा की ननद
ननदें कौन चुप रहने वाली थीं , एक बियाहिता अभी अभी गौने के बाद ससुराल से लौटी ननद सावन मनाने मायके आयी, चिढ़ाते बोली,...
" अरे तो भौजी लोगन को खुस होना चाहिए,की सीखा पढ़ा, खेला खेलाया मिला,... वरना निहुराय के कहीं अगवाड़े की बजाय पिछवाड़े पेल देता, महतारी बुरिया में चपाचप कडुवा तेल लगाय के बिटिया को चोदवाये के लिए भेजी थी और यहाँ दमाद सूखी सूखी गाँड़ मार लिया,... "
फिर तो ननदों की इतनी जोर की हंसी गूंजी,... और उसमें सबसे तेज गीता की हंसी थी, एक और कुँवारी ननद बोली,...
" अरे भौजी, तबे तो यहाँ के मरद एतने जोरदार है की सब भौजाई लोगन क महतारी दान दहेज़ दे की चुदवाने के लिए आपन आपन बिटिया यहां भेजती हैं ,... "
इस मस्ती के बीच रोपनी भी चल रही थी हाँ गन्ने के खेत से आने वाली चीखें अब थोड़ी देर पहले बंद हो गयी थीं और वहां से कभी कभी रुक के सिसकियाँ बस आतीं।
डेढ़ दो घण्टे से ऊपर हो गया था, भैया को फुलवा की बारी ननदिया को गन्ने के खेत में ले गए,... जब रोपनी शुरू हुयी थी, बस आसमान में ललाई छानी शुरू भी नहीं हुयी थी ठीक से,... और अब सूरज निकल तो आया था, लेकिन बादल अभी भी लुका छिपी खेल रहे थे, सावन भादो की धूप छाँह का खेल, और काले काले घने बादल जब आसमान में घिर जाते तो दिन में रात होने सा लगता,... और कभी धूप धकिया के नीचे खेत में रोपनी करने वालियों की मस्ती देखने, झाँकने लगती और कभी उन की शैतानियों से शरमा के बादलों के पीछे मुंह छिपा लेती,...
और तभी सबसे पहले एक भौजाई ने देखा, ...
फिर एक लड़की ने फिर बाकी लड़कियों ने और खिलखिलाहट हंसी, बिन कहे सब को मालूम पड़ गया की फुलवा की ननदिया का उसकी भौजाई के मायके में अच्छे से ख़ातिर हो गयी, जब गयी तो इठलाती, खिलखिलाती तितली की तरह उड़ती अरविंदवा के आगे आगे मचकती, मचलती, चला नहीं जा रहा था, कभी किसी पेड़ की टहनी पकड़ के सहारा लेती तो कभी चिलख के मारे एक दो कदम चल के रुक जाती, ...
गाँव वाली , उसे गाँव की पतली पतली मेंड़ों चलने का अभ्यास था, दौड़ती उछलती चलती थी, पर अभी, दोनों ओर पानी में डूबे , पौध के खेत, बीच बीच में बगुले,... पर अभी, फुलवा की ननदिया, ... उमर में गितवा की ही समौरिया होगी,... सम्हल सम्हल के पैर रख रही थी, मेंड़ पर तब भी दो चार बार फिसली और एक पैर घुंटने तक कीचड़ में,... किसी तरह मुंह के बल गिरने से बची,
लड़कियां खिलखिलाने लगीं, ... “बहुत बोल रही थीं , अरविंदवा ने सारी अकड़ ढीली कर दी,... “
" हमरे गाँव क सांड़ है उ, आज ननद रानी को पता चला होगा केकरे नीचे आयी हैं, देखो चला नहीं जा रहा है अइसन हचक हचक के फाड़ा है,... "
चमेलिया ने अपनी दीदी फुलवा की ननद की हालत देख के खिलखिलाते हुए कहा
" गितवा के खसम ने "
एक भौजाई ने गीता को चिढ़ाते हुए, गीता को आँख मार के बात पूरी की।
गीता भी बहुत जोर से मुस्करा रही थी, लेकिन फुलवा की माई ने आँख तरेर कर देखा और सब की सब चुप,...
असली खेल तो फुलवा की माई का ही था, वही फुलवा की ननद को रोपनी के लिए लायी थी, उसे मालूम था माल तैयार है लेकिन अभी कोरी गगरिया है, हाँ उमर की थोड़ी बारी है तो क्या हुआ,... और फुलवा की माई ने ही अरविंदवा को समझा बुझा के इस कच्ची कली के साथ गन्ने के खेत में भेजा था. उसे मालूम था एक बार अपनी भौजाई के गाँव क सबसे मोटा गन्ना घोंट लेगी और उहो कुल लड़कियन भौजाई के सामने तो बस,... और ये तो शुरुआत थी,... अभी तो रोपनी कई दिन चलनी थी,
फुलवा की ननदिया थोड़ी नजदीक आयी तो लड़कियों के साथ भौजाइयां भी खिलखिलाने लगीं,
वैसे तो फुलवा के पीछे गाँव की लड़कियां ही पड़ी थीं, फुलवा की ननद तो उनकी ननद,... लेकिन अब भौजाइयां भी, आखिर ननद की ननद तो डबल ननद और कच्ची कोरी ननदिया जब पहली बार चुद के आ रही हो तो कौन भौजाई चिढ़ाने का छेड़ने का मौका छोड़ेगी।
नाग पंचमी के दिन जैसे लड़के बहनों की गुड़िया की पीट पीट के बुरी हाल कर देते हैं बस वही हाल फुलवा की उस बारी उमर की ननदिया की हो रही थी, ब्लाउज जो कस के छोटे छोटे जोबन को दबोचे था और फुलवा के गाँव के लौंडो को चुनौती दे रहा था, ज्यादातर बटन टूट चुके थे , बस एक दो बटनों के सहारे किसी तरह से ब्लाउज में जोबन छुपने की बेकार कोशिश कर रहे थे.
जगह से जगह से फटा नुचा, ब्लाउज,गोरे गोरे उभार दिख ज्यादा रहे थे, छुप कम रहे थे और उस पे नाख़ून से नुचने के दांतों से कस कस के काटे जाने के निशान,
गोरे गुलाबी गालों पर जिस पे गाँव के सब लौंडे लुभाये,गितवा के भाई ने काट काट के , गाल से ज्यादा दांत के निशान और ऐसे गाढ़े की हफ़्तों नहीं जाए,...गुलाब से होठों को न सिर्फ कस के चूसा था उस भौरें ने बल्कि उस को भी काट के, कई जगह खून छलछला आया था,... जिस तरह टाँगे फैला के वो चल रही थी, लग रहा था लकड़ी की कोई मोटी खपच्ची जैसे अभी भी उसकी दोनों जांघों के बीच फंसी हुयी हो,... किसी तरह चलती,... रोपनी वालियों के पास आते आते लगा की वो फिसल के गिर जायेगी, पर
फुलवा की माई ने आगे बढ़ के उसका हाथ पकड़ के अपने पास खींच लिया, ... और सीने से दुबका लिया, आखिर उनकी बेटी की ननद थी और पहली चुदाई के बाद,... आँखों के इसारे से उन्होंने सब लड़कियों को बरज दिया था की उसे चिढ़ाए, छेड़े नहीं,... और उसे गीता के बगल में खड़ी कर दिया,... और फुलवा की ननद से बोला,
“सुन ये नयकी रोपनी वाली, अरविंदवा क बहिनी है, तानी ओहि को हाथ बटाय दो,.. हलके हलके हाथ से,... कल से तोहें यहीं सब के साथ,... “
Kuwari thi but Himmat wali h fulwa ki nanad, dubara lene ko taiyar,गीता -फुलवा की ननद
फुलवा की माई ने आगे बढ़ के उसका हाथ पकड़ के अपने पास खींच लिया, ... और सीने से दुबका लिया, आखिर उनकी बेटी की ननद थी और पहली चुदाई के बाद,... आँखों के इसारे से उन्होंने सब लड़कियों को बरज दिया था की उसे चिढ़ाए, छेड़े नहीं,... और उसे गीता के बगल में खड़ी कर दिया,... और फुलवा की ननद से बोला,
“सुन ये नयकी रोपनी वाली, अरविंदवा क बहिनी है, तानी ओहि को हाथ बटाय दो,.. हलके हलके हाथ से,... कल से तोहें यहीं सब के साथ,... “
मन तो बहुत कर रहा था सब लड़कियों का, गितवा की भी की फुलवा की ननदिया एतना जबरदस्त चोदवा के आ रही थी उसे छेड़ें, ... चिढ़ायें, आखिर फुलवा की ननद तो पूरे गाँव भर की लड़कियों का भी वही रिश्ता लगेगा चिढ़ाने का छेड़ने का, ... और अभी तो मौका भी है,.. लेकिन फुलवा की माँ ने जिस तरह से तरेर के देखा था सब चुप थीं,... पर कुछ देर बाद फुलवा की माई दूसरी ओर रोपनी का काम देखने चली गयी, की सब औरतें रोपनी कर रही हैं , की खाली मस्ती कर रही हैं,...
और उसके हटते ही लड़कियों को मौका मिल गया, बस सब फुलवा की ननदी के पीछे , और साथ में दो चार भौजाइयां भी, ननदो को उकसा रही थीं,...
“कहो मजा आया हमरे भैया के साथ,”
किसी लड़की ने पूछा तो दूसरी बोली,
“बहुत दर्द हुआ फटने पे ,... “फुलवा की ननद खाली खिस्स से मुस्करा दी ,
पर जब गीता ने चिढ़ाया तो हंस के पलट के फुलवा की ननद ने खिलखिलाते हुए जवाब दिया,
" हमरे भइया के सारे से तोहें चोदवाइब तो तोहें खुद पता चल जाई "
और ननद को छेड़ने का मौका कौन भौजाई छोड़ती तो भरौटी क कोई भौजाई , फुलवा की नन्द से गीता के बारे में बोली, ...
" अरे तोहरे भैया क सारे क चोदल है ये यह, ये पक्की भाईचोद , ओहि अरविंदवा बहनचोद क चोदी ओकर सगी छोट बहिन है , अभिन खुदे चोकर चोकर के सबसे कह रही थी,... "
" बहिन ना रखैल है अपने भैया क, ओकर माल है "...
दूसरी भौजी भी गीता के पीछे पड़ गयीं,...
रोपनी का काम बस थोड़ा सा ही बचा था , जो फुलवा की माई ने गीता को दिया था और अब उसमें फुलवा की ननद भी उसका हाथ बटा रही थी , ..बाकी रोपनी वालियों काम भी अब ख़तम होने वाला था , धूप भी निकल आयी थी,... फुलवा की माई भी लौट आयी थी, भौजाइयों का साथ पाके फुलवा क ननदिया का भी हौसला बढ़ गया था था, गितवा के साथ रोपनी करती वो भी भौजाइयों के साथ गितवा को चिढ़ाने लगी आखिर अभी उसी गितवा के सगे भाई ने उस की ये दुर्गत की थी, तो उसे भी मजा आ रहा था गितवा को उसके भाई से जोड़ जोड़ जोड़ के चिढ़ाने में
गीता ने फुलवा की ननद को छेड़ते हुए पूछा,..
" हे ननदो, तोहरे भाई क बड़ा था की हमरे भैया क और ये मत बोलना की अपने भैया क देखी पकड़ी नहीं हो "
फुलवा की ननद पहले तो देर तक खिलखिलाती रही , फिर गीता की ठुड्डी पकड़ के उसका चेहरा अपनी ओर कर के , मुस्कराती हुयी बोली,
" हमरे भैया क सारे क माल,... हमरे भैया क बड़ा है "
( गाँव के रिश्ते से , फुलवा गाँव की लड़की थी,... तो फुलवा के मरद और फुलवा के ननद के भाई का तो सार ही लगता न , तो इसमें बुरा मांनने की बात नहीं थी और रिश्ता भी मजाक वाला )
और गीता के गाल पे चिकोटी काटते हुए चिढ़ाया
" अरे हमरे भैया क सारे क रखैल, मुकाबला मनई मनई का होता है , ओह हिसाब से तोहरे जीजा का ही बड़ा है, हमारे भैया क , और जो उनके सारे का,... कउनो आदमी का थोड़ो है , गदहा घोडा,... बल्कि गदहा से भी बीस होगा,... लेकिन ये बात बतावा,... की तोहार महतारी कउनो पंचायती सांड़ के पास गयी थीं का गाभिन होने जो ऐसा लड़का बियाई हैं,... आदमी क जामल तो नहीं लग रहा तोहार भाई। "
गीता भी अब बोलने में , और,...आज रोपनी वालियों के साथ वो भी अब एकदम खुल गयी थी,... पट से जवाब दिया,
" अरे हमार भैया न उसी गदहा छाप लंड से तोहार,... जो कच्ची चूत लेके आयी थी न, ... चोद चोद के अइसन भोंसड़ा बनाय के यहाँ से बिदा करेगा न की तोहार बचपन क छिनार महतारी क भोंसडे से भी चाकर होय जायेगी,.. जिसमें से तू सब भाई बहिन निकली हो न ओहु से ज्यादा चौड़ी, लौट के अपनी महतारी क भोंसड़ा खोल के नाप के देख लेना "
गीता ने महतारी का मजाक सूद के साथ वापस कर दिया था।
तब तक चमेलिया गीता का साथ देते बोली,... अभी तो भैया ने तोहार गाँड़ नहीं मारी न , उहो तोहार महतारी क भोंसड़ा अस,... "
लेकिन फुलवा की ननद ने बेपरवाही से जवाब दिया ,..
" अरे तो का हुआ , हमरे भैया क सार है , आपन बहिन दिए है,.. और फिर आज चोद चोद के स्साले ने चूत का चबूतरा बना दिया, तो गाँड़ कौन छोड़ने वाला है,... अरे मैं महीने भर से पहले जाने वाली नहीं हूँ , ... देख लूंगी तोहरे भाई क ,.. और ये हमरे भैया क सारे क जो रखैल हैं , तो तनी हमहुँ हिस्सा बटा लेंगी, ... "
रोपनी ख़तम होने वाली थीं, लेकिन लड़कियां सब फुलवा की ननद को चिढ़ाने में जुटी थीं तो फुलवा की माई ने सबको हड़काया,
" अरे तनी जल्दी जल्दी,... और बिना गाना गाये रोपनी नहीं होती, चुप काहें हो सब,... "
लेकिन लड़कियां सब तो फुलवा की ननद के पीछे पड़ी थीं बोलीं, " अब इनका नंबर है गाने का, खाली चुदवाने आयी थीं का एनकर महतारी अपनी तरह से खाली बुर चोदवाना सिखाई हैं की कुछ गाना वाना,...
और अब गितवा भी एकदम खुल गयी थी, चमरौटी, भरौटी की लड़कियों से। वो भी उन्ही की ओर से अपने बगल में रोपनी करती फुलवा की ननद को कोहनी से मार के चिढ़ाते हुए बोली,
" हमरे भैया क लौंड़ा अभी भी मुंह में है का गाना नहीं निकल रहा है "
" अरे हमरे भाई क सारे क चोदी, भाईचोद,... गाना तो हम जरूर सुनाइब और तोहार नाम ले ले के, लेकिन साथ साथ सब को गाना होगा और सबसे पहले तोंहे "