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भाग ८५
इन्सेस्ट कथा
ननद के भैया बन गए सैंया
17,25,416
उनसे नहीं रहा जा रहा था, वो तड़प रहे थे, कभी चूतड़ पटकते थे कभी सिसकते थे, कसमसा रहे थे,
लेकिन मजा तो मुझे उनकी यही हालत देख कर होती थी,
पर अब मुझसे भी बिना चूसे नहीं रहा जा रहा था, मैंने दोनों बॉल्स एक साथ मुंह में भर ली और लगी चूसने, और मेरी तर्जनी बस एक लाइन सी खींच रही थी लम्बे नाख़ून से सैयां के लंड पे नीचे से ऊपर तक,... कभी उसी तर्जनी से सुपाड़े को रगड़ दे रही थी और मना रही थी, उस बांस को,
"आज मेरी ननद के चिथड़े चिथड़े कर देना,... अगर कल ननद बिस्तर से उठने के लायक न रही न, तो बस तुझे तेरी महतारी, ... तेरे मायके वाली सब औरतों लड़कियों की दिलवाऊंगी। कुँवारी,भोंसडे वाली, बच्चों वाली, सब की बिल में घुसवाऊँगी अगर आज मेरी ननद की,..."
मेरी ननद की हालत भी बहुत खराब थी. बेचारी की बुर रानी नौ नौ आंसू रो रही थीं,
इत्ता मस्त खूंटा सामने और मिल नहीं रहा था,...
अब ननद का ख्याल भौजाई नहीं रखेगी तो कौन रखेगा, उसकी खराब हालत को और खराब करने की जिम्मेदारी तो भौजाई की है, बस मैंने ननद की दोनों गीली फांकों को एक हाथ से पकड़ा कर कस कस के रगड़ने लगी, थोड़ी देर में एक तार की चासनी निकलने लगी.
मुड़ के मैंने ननद का एक खूब गीला चुम्मा लिया और उसी भीगे होंठ से सीधे ननद के भैया के खुले सुपाड़े को चूम लिया,...
और गप्पांक एक झटके में पूरा नहीं आधा सुपाड़ा गप्प, ननद को दिखा दिखा के चूस रही थी और थूक के सहारे, गीले होंठों के सहारे पूरा सुपाड़ा गप,
और इशारे में ननद से पूछा चाहिए, उसने जोर से सर हाँ में हिलाया,...
बस मैं हट गयी और उनकी बहन अपनी गीली बुर की दोनों फांको को फैला के अपने भैया के मोटे सुपाड़े के ऊपर, बस किसी तरह फंसा दिया,...
नीचे से बहन के भैया ने धक्का मारा,
ऊपर से ननद की भौजाई ने भी ननद के कंधे पकड़ के जोर से दबाया,... और सूत सूत करके बहन की बुर ने भैया का सुपाड़ा घोंट लिया,... वो भी कोशिश करके पुश कर रही थी, चेहरे पर दर्द भी था मज़ा भी, लेकिन मैंने बोल रखा था,
आवाज एकदम नहीं।
मोटा तो नन्दोई जी का भी काफी था इनसे बहुत होगा १९ होगा, १८ तो एकदम नहीं, लेकिन मेरे साजन का एक तो कड़ा बहुत था दूसरे ताकत बहुत थीं उनमे एकदम हथोड़ा,
लेकिन मेरी ननदिया भी कम नहीं थी, ससुराल में न जाने कितने मरदों का, घोंटा होगा। देवर नन्दोई का तो हिस्सा ही होता है, कई बार ससुर भी हाथ मार लेते हैं नए जोबन पर,... और उसने तो मायके में भी कितनों को स्वाद चखाया होगा तो बेचारा मेरा मरद ही काहें, देख देख के,...
और आज उसका नंबर लगा है तो खूब छक के मज़े दिलवाऊंगी उसको,...
मजामेरी ननद को भी खूब आ रहा था,
ऊपर चढ़ी वो, आधे में अटक गया था, जैसे किसी शीशी के मुंह में मोटा कार्क अटक जाये, वो दोनों हाथों से पलंग की पाटी पकड़ के खूब जोर लगा के अपने को नीचे की ओर प्रेस कर रही थी, और तिल तिल कर रगड़ते दरेरते, घिसटते उसके भाई का मोटा खूंटा अंदर सरक सरक कर,...
करीब दो तिहाई तो मेरी ननदिया ने अपने प्यारे भैया का घोंट ही लिया था, इनकी आँखों पर तो पट्टी बंधी थी, पर उसकी तो आँखे खुली ही थीं.
मुझे भी मजे लेने की सूझी अपनी ननद के बीरन से,... अपने दोनों जुबना उनकी छाती पर रगड़ते उनके कान में मैंने पूछा,
" आ रहा है न मजा सैंया जी "
और जवाब उन्होंने नीचे से अपनी बहिनिया की बुर में कस के धक्का मार के दिया, घुस गया दो इंच और, ननद की चीख निकलते निकलते बची.
और मेरी हंसी निकलते बची,
यही रिश्ता तो मैं चाहती थी भाई बहिनिया के बीच वो भी खुल्ल्म खुला मेरे सामने, सबके सामने,... उनके कानों में मैंने जीभ की टिप से सुरसुरी की और कान की लर चूमते बोली,
"बहुत हो गया, चढ़ जा यार..."
और गाड़ी नाव पर थी,...
इन्सेस्ट कथा
ननद के भैया बन गए सैंया
17,25,416
उनसे नहीं रहा जा रहा था, वो तड़प रहे थे, कभी चूतड़ पटकते थे कभी सिसकते थे, कसमसा रहे थे,
लेकिन मजा तो मुझे उनकी यही हालत देख कर होती थी,
पर अब मुझसे भी बिना चूसे नहीं रहा जा रहा था, मैंने दोनों बॉल्स एक साथ मुंह में भर ली और लगी चूसने, और मेरी तर्जनी बस एक लाइन सी खींच रही थी लम्बे नाख़ून से सैयां के लंड पे नीचे से ऊपर तक,... कभी उसी तर्जनी से सुपाड़े को रगड़ दे रही थी और मना रही थी, उस बांस को,
"आज मेरी ननद के चिथड़े चिथड़े कर देना,... अगर कल ननद बिस्तर से उठने के लायक न रही न, तो बस तुझे तेरी महतारी, ... तेरे मायके वाली सब औरतों लड़कियों की दिलवाऊंगी। कुँवारी,भोंसडे वाली, बच्चों वाली, सब की बिल में घुसवाऊँगी अगर आज मेरी ननद की,..."
मेरी ननद की हालत भी बहुत खराब थी. बेचारी की बुर रानी नौ नौ आंसू रो रही थीं,
इत्ता मस्त खूंटा सामने और मिल नहीं रहा था,...
अब ननद का ख्याल भौजाई नहीं रखेगी तो कौन रखेगा, उसकी खराब हालत को और खराब करने की जिम्मेदारी तो भौजाई की है, बस मैंने ननद की दोनों गीली फांकों को एक हाथ से पकड़ा कर कस कस के रगड़ने लगी, थोड़ी देर में एक तार की चासनी निकलने लगी.
मुड़ के मैंने ननद का एक खूब गीला चुम्मा लिया और उसी भीगे होंठ से सीधे ननद के भैया के खुले सुपाड़े को चूम लिया,...
और गप्पांक एक झटके में पूरा नहीं आधा सुपाड़ा गप्प, ननद को दिखा दिखा के चूस रही थी और थूक के सहारे, गीले होंठों के सहारे पूरा सुपाड़ा गप,
और इशारे में ननद से पूछा चाहिए, उसने जोर से सर हाँ में हिलाया,...
बस मैं हट गयी और उनकी बहन अपनी गीली बुर की दोनों फांको को फैला के अपने भैया के मोटे सुपाड़े के ऊपर, बस किसी तरह फंसा दिया,...
नीचे से बहन के भैया ने धक्का मारा,
ऊपर से ननद की भौजाई ने भी ननद के कंधे पकड़ के जोर से दबाया,... और सूत सूत करके बहन की बुर ने भैया का सुपाड़ा घोंट लिया,... वो भी कोशिश करके पुश कर रही थी, चेहरे पर दर्द भी था मज़ा भी, लेकिन मैंने बोल रखा था,
आवाज एकदम नहीं।
मोटा तो नन्दोई जी का भी काफी था इनसे बहुत होगा १९ होगा, १८ तो एकदम नहीं, लेकिन मेरे साजन का एक तो कड़ा बहुत था दूसरे ताकत बहुत थीं उनमे एकदम हथोड़ा,
लेकिन मेरी ननदिया भी कम नहीं थी, ससुराल में न जाने कितने मरदों का, घोंटा होगा। देवर नन्दोई का तो हिस्सा ही होता है, कई बार ससुर भी हाथ मार लेते हैं नए जोबन पर,... और उसने तो मायके में भी कितनों को स्वाद चखाया होगा तो बेचारा मेरा मरद ही काहें, देख देख के,...
और आज उसका नंबर लगा है तो खूब छक के मज़े दिलवाऊंगी उसको,...
मजामेरी ननद को भी खूब आ रहा था,
ऊपर चढ़ी वो, आधे में अटक गया था, जैसे किसी शीशी के मुंह में मोटा कार्क अटक जाये, वो दोनों हाथों से पलंग की पाटी पकड़ के खूब जोर लगा के अपने को नीचे की ओर प्रेस कर रही थी, और तिल तिल कर रगड़ते दरेरते, घिसटते उसके भाई का मोटा खूंटा अंदर सरक सरक कर,...
करीब दो तिहाई तो मेरी ननदिया ने अपने प्यारे भैया का घोंट ही लिया था, इनकी आँखों पर तो पट्टी बंधी थी, पर उसकी तो आँखे खुली ही थीं.
मुझे भी मजे लेने की सूझी अपनी ननद के बीरन से,... अपने दोनों जुबना उनकी छाती पर रगड़ते उनके कान में मैंने पूछा,
" आ रहा है न मजा सैंया जी "
और जवाब उन्होंने नीचे से अपनी बहिनिया की बुर में कस के धक्का मार के दिया, घुस गया दो इंच और, ननद की चीख निकलते निकलते बची.
और मेरी हंसी निकलते बची,
यही रिश्ता तो मैं चाहती थी भाई बहिनिया के बीच वो भी खुल्ल्म खुला मेरे सामने, सबके सामने,... उनके कानों में मैंने जीभ की टिप से सुरसुरी की और कान की लर चूमते बोली,
"बहुत हो गया, चढ़ जा यार..."
और गाड़ी नाव पर थी,...
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