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भाग ९६
ननद की सास, और सास का प्लान
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ननद की सास, और सास का प्लान
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Kya likha hai, til til kar ragadte ghasit te hue khunta andar sark rha tha. Adbhutभाग ८५
इन्सेस्ट कथा
ननद के भैया बन गए सैंया
17,25,416
उनसे नहीं रहा जा रहा था, वो तड़प रहे थे, कभी चूतड़ पटकते थे कभी सिसकते थे, कसमसा रहे थे,
लेकिन मजा तो मुझे उनकी यही हालत देख कर होती थी,
पर अब मुझसे भी बिना चूसे नहीं रहा जा रहा था, मैंने दोनों बॉल्स एक साथ मुंह में भर ली और लगी चूसने, और मेरी तर्जनी बस एक लाइन सी खींच रही थी लम्बे नाख़ून से सैयां के लंड पे नीचे से ऊपर तक,... कभी उसी तर्जनी से सुपाड़े को रगड़ दे रही थी और मना रही थी, उस बांस को,
"आज मेरी ननद के चिथड़े चिथड़े कर देना,... अगर कल ननद बिस्तर से उठने के लायक न रही न, तो बस तुझे तेरी महतारी, ... तेरे मायके वाली सब औरतों लड़कियों की दिलवाऊंगी। कुँवारी,भोंसडे वाली, बच्चों वाली, सब की बिल में घुसवाऊँगी अगर आज मेरी ननद की,..."
मेरी ननद की हालत भी बहुत खराब थी. बेचारी की बुर रानी नौ नौ आंसू रो रही थीं,
इत्ता मस्त खूंटा सामने और मिल नहीं रहा था,...
अब ननद का ख्याल भौजाई नहीं रखेगी तो कौन रखेगा, उसकी खराब हालत को और खराब करने की जिम्मेदारी तो भौजाई की है, बस मैंने ननद की दोनों गीली फांकों को एक हाथ से पकड़ा कर कस कस के रगड़ने लगी, थोड़ी देर में एक तार की चासनी निकलने लगी.
मुड़ के मैंने ननद का एक खूब गीला चुम्मा लिया और उसी भीगे होंठ से सीधे ननद के भैया के खुले सुपाड़े को चूम लिया,...
और गप्पांक एक झटके में पूरा नहीं आधा सुपाड़ा गप्प, ननद को दिखा दिखा के चूस रही थी और थूक के सहारे, गीले होंठों के सहारे पूरा सुपाड़ा गप,
और इशारे में ननद से पूछा चाहिए, उसने जोर से सर हाँ में हिलाया,...
बस मैं हट गयी और उनकी बहन अपनी गीली बुर की दोनों फांको को फैला के अपने भैया के मोटे सुपाड़े के ऊपर, बस किसी तरह फंसा दिया,...
नीचे से बहन के भैया ने धक्का मारा,
ऊपर से ननद की भौजाई ने भी ननद के कंधे पकड़ के जोर से दबाया,... और सूत सूत करके बहन की बुर ने भैया का सुपाड़ा घोंट लिया,... वो भी कोशिश करके पुश कर रही थी, चेहरे पर दर्द भी था मज़ा भी, लेकिन मैंने बोल रखा था,
आवाज एकदम नहीं।
मोटा तो नन्दोई जी का भी काफी था इनसे बहुत होगा १९ होगा, १८ तो एकदम नहीं, लेकिन मेरे साजन का एक तो कड़ा बहुत था दूसरे ताकत बहुत थीं उनमे एकदम हथोड़ा,
लेकिन मेरी ननदिया भी कम नहीं थी, ससुराल में न जाने कितने मरदों का, घोंटा होगा। देवर नन्दोई का तो हिस्सा ही होता है, कई बार ससुर भी हाथ मार लेते हैं नए जोबन पर,... और उसने तो मायके में भी कितनों को स्वाद चखाया होगा तो बेचारा मेरा मरद ही काहें, देख देख के,...
और आज उसका नंबर लगा है तो खूब छक के मज़े दिलवाऊंगी उसको,...
मजामेरी ननद को भी खूब आ रहा था,
ऊपर चढ़ी वो, आधे में अटक गया था, जैसे किसी शीशी के मुंह में मोटा कार्क अटक जाये, वो दोनों हाथों से पलंग की पाटी पकड़ के खूब जोर लगा के अपने को नीचे की ओर प्रेस कर रही थी, और तिल तिल कर रगड़ते दरेरते, घिसटते उसके भाई का मोटा खूंटा अंदर सरक सरक कर,...
करीब दो तिहाई तो मेरी ननदिया ने अपने प्यारे भैया का घोंट ही लिया था, इनकी आँखों पर तो पट्टी बंधी थी, पर उसकी तो आँखे खुली ही थीं.
मुझे भी मजे लेने की सूझी अपनी ननद के बीरन से,... अपने दोनों जुबना उनकी छाती पर रगड़ते उनके कान में मैंने पूछा,
" आ रहा है न मजा सैंया जी "
और जवाब उन्होंने नीचे से अपनी बहिनिया की बुर में कस के धक्का मार के दिया, घुस गया दो इंच और, ननद की चीख निकलते निकलते बची.
और मेरी हंसी निकलते बची,
यही रिश्ता तो मैं चाहती थी भाई बहिनिया के बीच वो भी खुल्ल्म खुला मेरे सामने, सबके सामने,... उनके कानों में मैंने जीभ की टिप से सुरसुरी की और कान की लर चूमते बोली,
"बहुत हो गया, चढ़ जा यार..."
और गाड़ी नाव पर थी,...
Khunte ke base se to ragad hi rahe the apni behn ki clit ko lekin ab anguthe se bhi masal dia. Gajab writing didi- ननद पर, चढ़ा मेरा मरद
--
---
उनके कानों में मैंने जीभ की टिप से सुरसुरी की और कान की लर चूमते बोली, बहुत हो गया चढ़ जा यार...
और गाड़ी नाव पर थी,...
इनके साथ कितनी बार मैंने विपरीत रति की थी, ... ऊपर चढ़ के, लकिन बस थोड़ी देर फिर वही ऊपर आ जाते थे और इस बार भी वही लेकिन मैं भी तो थी,
ननद की भौजाई साथ में,
--ननद की दोनों गोरी लम्बी टाँगे, मैंने खुद पकड़ के इनके कंधे पर सेट कर दी करीब दुहरी हो गयी थीं
वो औ ये पलटी जब भी मारते थे, नीचे से ऊपर होते थे मजाल जो की खूंटा एक इंच भी बाहर सरक जाए,... ऑलमोस्ट पूरा अंदर वैसे भी धंसा था ८ इंच के ऊपर ही बस थोड़ा ही बाहर था,... मेरे साजन ने भी एक हाथ से ननद जी की पतली कमर पकड़ी और दूसरे हाथ से गदराया जोबन,...
और मैंने एक झटके से उनकी आँख पर बंधी पट्टी खोल दी,
क्या रूप था उनकी बहन का, क्या जोबन, रच रच के सिंगार, जैसे सुहागरात की सेज चढ़ने आयी हों,...
और सिंगार किया भी मैंने था, मांग में खूब चौड़ा सिन्दूर, नाक तक झरता,... माथे पर चौड़ी सी बिंदी, बड़ी बड़ी दीये ऐसी आँखों में भर के काजल,... नाक में बड़ी सी नथ और उसकी मोती की लड़ कान के झुमके तक,... नथ ऐसी चमक रही थी जैसे आज ही उतर रही हो,.... खूब गाढ़ी लिपस्टिक लाल लाल, जो ननद के दूधिया चम्पई रंग पे खूब फब रही थी,
गले में मंगल सूत्र जिसका लाकेट उनकी बहन के दोनों गजब के उभारों के बीच, चूड़ियां भी जिद्द करके मैंने लाल हरी पूरी कोहनी तक पहनाई थी, जब तक सेज पर चुरुर मुरुर न हो भाई बहन की चुदाई में, आधी से ज्यादा चूर चूर न हो जाए, कुछ पलंग पर बिखरें कुछ फर्श पर तो क्या मजा,...
और सबसे बड़ा सिंगार होता है सुहागन का जब वो मस्तायी, गर्मायी चुदवासी, मरद से ज्यादा बेचैन होती है लंड पूरा अंदर घोंटने के लिए,....
और मेरे मरद की बहिन की यही हालत थी, गरम तावे पर जैसे कोई दो चार बूंदो का छींटा मार दे और वो छिनछिना उठे, बस वही..
मेरी तरह उन्हें भी लगा की कहीं उनका भाई सामने अपनी बहन को देख के एक पल के लिए,..
तो पहल उनकी बहन ने ही की,...
हल्का सा मुस्करायी, अपने उभारों को और उभार के उनके झुके सीने पर रगड़ दिया, जैसे निपल की दो बर्छियों ने बेध दिया हो ,
सीधे दिल मे कटार उतर गयी उनके भाई के. और जैसे ये काफी न हो लता की तरह उनकी बहन के दोनों हाथों ने अपने भाई को को पकड़ के अपनी ओर खींच लिया, और अपने होंठों से अपने भाई के होंठों को चूम के नए रिश्ते पर मोहर लगा दी,... गवाही में मैं थी ही।
बस, इसके बाद कौन मरद रुकता है,...
और मेरा मरद तो वैसे ही पूरा सांड़ था,...
बहन की दोनों मस्तायी गदरायी चूँची को पकड़ के पेल दिया पूरी ताकत से उनके भाई, मेरे मरद ने, ... मैं अपने मरद के पीछे खड़ी खेल तमासा देख रही थी, खुश हो रही थी, बस थोड़ा सा पीछे खींच के क्या ताकत से पेला अपनी बहनिया की बुरिया में मेरे मरद ने,...
रोकते रोकते भी ननद की चीख निकल गयी.
कस के दोनों हाथों से उन्होंने पलंग की पाटी पकड़ रखी थी, पहाड़ी आलू ऐसा उनके भाई का मोटा सुपाड़ा जब बहिनिया की बच्चेदानी में लगा तो उनकी चूल चूल ढीली हो गयी,
लेकिन बहन की बच्चेदानी पर भाई के सुपाड़े का धक्का, इससे ज्यादा मज़ा क्या हो सकता है, और अगर भाई ऐसा जबरदस्त चुदकक्ड़, खिलाडी नंबर वन,... वो पूरे जड़ तक घुसे लंड के बेस से अपनी बहन की बुर के ऊपर रगड़ने लगे, बहन की क्लिट फूल कर कुप्पा,
लेकिन बहन उनकी ननद मेरी कम छिनरा नहीं थी, बचपन की खेलाड़, उनके चेहरे को देख मैं समझ गयी उनकी शैतानी, वो अपनी चूत को कस के सिकोड़ के दबोच के अपने भाई का लंड अपनी बुर में निचोड़ रही थी,...
पीछे से अपने राजा को पकडे, अपने साजन की पीठ पे अपने अपने जोबन को रगड़ते चिढ़ाते मैं बोली,... मुझे मालूम था जब उनके बहिन महतारी का नाम ले ले के मैं छेड़ती थी तो का हालत होती थी उनकी और आज तो सामने सामने कुश्ती हो रही थी,..
" क्यों कैसा मजा आ रहा है बहिनिया के साथ, कैसा लग रहा है,... "
वो शायद टाल जाते, न भी बोलते, लेकिन नीचे से अपने छोटे छोटे चूतड़ उचकाती, एक बार फिर से उन्हें चूम के उनकी बहिन भी बोली,
" अरे भैया बोल न दे, भौजी कुछ पूछ रही हैं, कैसा लग रहा है,... "
जैसे मुझे न जवाब दे के अपनी बहन से बोल रहे हों वो बोले,
" बहुत अच्छा, बहुत मस्त "
और भाई बहिन के बीच बातचीत चालू हो गयी थी
लेकिन बदमाश तो वो पैदायशी थे, माँ की कोख से सीख के पैदा हुए थे,...
बस उनसे रहा नहीं गया, अपने खूंटे के बेस से अपनी बहिनिया की बुर को उसकी क्लिट को रगड़ ही रहे थे अब अंगूठे से भी उस फूली मस्तायी गर्मायी क्लिट को रगड़ने लगे, खूंटा उसी तरह पूरा अंदर घुसा हुआ, बहिन उनकी कुछ देर में ही पगलाने लगी, मस्ती से कभी अपना चूतड़ पलंग पे रगड़ती कभी उन्हें अपनी ओर खींचती, कभी सिसकिया भरती, कभी लम्बे नाख़ून उनके कन्धों में धंसा देती,...
मैं समझ रही थी अपनी ननद की हालत, मेरे साथ तो अक्सर इसी तरह, लेकिन मैं अब तक उनकी बहन महतारी सात पुश्त गरिया देती, ...
" करो न भैया " बहन से नहीं रहा गया, चूतड़ उचकाते हुए वो बोल पड़ी,...
" क्या करूँ बोल न साफ़ साफ़ " शैतानी से अपनी बहन को देखते हुए वो बोले।
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Superduper gazab updates Komal didiUpdates are posted, please, read, enjoy, like and comment.
Thanks so much
Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में
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- Thread starterkomaalrani
- Start dateMar 16, 2022
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komaalrani
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भाग ८५
ननद के भैया बन गए सैंया
17,25,416
उनसे नहीं रहा जा रहा था, वो तड़प रहे थे, कभी चूतड़ पटकते थे कभी सिसकते थे, कसमसा रहे थे,
लेकिन मजा तो मुझे उनकी यही हालत देख कर होती थी,
पर अब मुझसे भी बिना चूसे नहीं रहा जा रहा था, मैंने दोनों बॉल्स एक साथ मुंह में भर ली और लगी चूसने, और मेरी तर्जनी बस एक लाइन सी खींच रही थी लम्बे नाख़ून से सैयां के लंड पे नीचे से ऊपर तक,... कभी उसी तर्जनी से सुपाड़े को रगड़ दे रही थी और मना रही थी, उस बांस को,
"आज मेरी ननद के चिथड़े चिथड़े कर देना,... अगर कल ननद बिस्तर से उठने के लायक न रही न, तो बस तुझे तेरी महतारी, ... तेरे मायके वाली सब औरतों लड़कियों की दिलवाऊंगी। कुँवारी,भोंसडे वाली, बच्चों वाली, सब की बिल में घुसवाऊँगी अगर आज मेरी ननद की,..."
मेरी ननद की हालत भी बहुत खराब थी. बेचारी की बुर रानी नौ नौ आंसू रो रही थीं,
इत्ता मस्त खूंटा सामने और मिल नहीं रहा था,...
अब ननद का ख्याल भौजाई नहीं रखेगी तो कौन रखेगा, उसकी खराब हालत को और खराब करने की जिम्मेदारी तो भौजाई की है, बस मैंने ननद की दोनों गीली फांकों को एक हाथ से पकड़ा कर कस कस के रगड़ने लगी, थोड़ी देर में एक तार की चासनी निकलने लगी.
मुड़ के मैंने ननद का एक खूब गीला चुम्मा लिया और उसी भीगे होंठ से सीधे ननद के भैया के खुले सुपाड़े को चूम लिया,...
और गप्पांक एक झटके में पूरा नहीं आधा सुपाड़ा गप्प, ननद को दिखा दिखा के चूस रही थी और थूक के सहारे, गीले होंठों के सहारे पूरा सुपाड़ा गप,
और इशारे में ननद से पूछा चाहिए, उसने जोर से सर हाँ में हिलाया,...
बस मैं हट गयी और उनकी बहन अपनी गीली बुर की दोनों फांको को फैला के अपने भैया के मोटे सुपाड़े के ऊपर, बस किसी तरह फंसा दिया,...
नीचे से बहन के भैया ने धक्का मारा,
ऊपर से ननद की भौजाई ने भी ननद के कंधे पकड़ के जोर से दबाया,... और सूत सूत करके बहन की बुर ने भैया का सुपाड़ा घोंट लिया,... वो भी कोशिश करके पुश कर रही थी, चेहरे पर दर्द भी था मज़ा भी, लेकिन मैंने बोल रखा था,
आवाज एकदम नहीं।
मोटा तो नन्दोई जी का भी काफी था इनसे बहुत होगा १९ होगा, १८ तो एकदम नहीं, लेकिन मेरे साजन का एक तो कड़ा बहुत था दूसरे ताकत बहुत थीं उनमे एकदम हथोड़ा,
लेकिन मेरी ननदिया भी कम नहीं थी, ससुराल में न जाने कितने मरदों का, घोंटा होगा। देवर नन्दोई का तो हिस्सा ही होता है, कई बार ससुर भी हाथ मार लेते हैं नए जोबन पर,... और उसने तो मायके में भी कितनों को स्वाद चखाया होगा तो बेचारा मेरा मरद ही काहें, देख देख के,...
और आज उसका नंबर लगा है तो खूब छक के मज़े दिलवाऊंगी उसको,...
मज़े मेरी ननद को भी खूब आ रहा था,
ऊपर चढ़ी वो, आधे में अटक गया था, जैसे किसी शीशी के मुंह में मोटा कार्क अटक जाये, वो दोनों हाथों से पलंग की पाटी पकड़ के खूब जोर लगा के अपने को नीचे की ओर प्रेस कर रही थी, और तिल तिल कर रगड़ते दरेरते, घिसटते उसके भाई का मोटा खूंटा अंदर सरक सरक कर,...
करीब दो तिहाई तो मेरी ननदिया ने अपने प्यारे भैया का घोंट ही लिया था, इनकी आँखों पर तो पट्टी बंधी थी, पर उसकी तो आँखे खुली ही थीं.
मुझे भी मजे लेने की सूझी अपनी ननद के बीरन से,... अपने दोनों जुबना उनकी छाती पर रगड़ते उनके कान में मैंने पूछा,
" आ रहा है न मजा सैंया जी "
और जवाब उन्होंने नीचे से अपनी बहिनिया की बुर में कस के धक्का मार के दिया, घुस गया दो इंच और, ननद की चीख निकलते निकलते बची.
और मेरी हंसी निकलते बची,
यही रिश्ता तो मैं चाहती थी भाई बहिनिया के बीच वो भी खुल्ल्म खुला मेरे सामने, सबके सामने,... उनके कानों में मैंने जीभ की टिप से सुरसुरी की और कान की लर चूमते बोली,
"बहुत हो गया, चढ़ जा यार..."
और गाड़ी नाव पर थी,...
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- ननद पर, चढ़ा मेरा मरद
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उनके कानों में मैंने जीभ की टिप से सुरसुरी की और कान की लर चूमते बोली, बहुत हो गया चढ़ जा यार...
और गाड़ी नाव पर थी,...
इनके साथ कितनी बार मैंने विपरीत रति की थी, ... ऊपर चढ़ के, लकिन बस थोड़ी देर फिर वही ऊपर आ जाते थे और इस बार भी वही लेकिन मैं भी तो थी,
ननद की भौजाई साथ में,
--ननद की दोनों गोरी लम्बी टाँगे, मैंने खुद पकड़ के इनके कंधे पर सेट कर दी करीब दुहरी हो गयी थीं
वो औ ये पलटी जब भी मारते थे, नीचे से ऊपर होते थे मजाल जो की खूंटा एक इंच भी बाहर सरक जाए,... ऑलमोस्ट पूरा अंदर वैसे भी धंसा था ८ इंच के ऊपर ही बस थोड़ा ही बाहर था,... मेरे साजन ने भी एक हाथ से ननद जी की पतली कमर पकड़ी और दूसरे हाथ से गदराया जोबन,...
और मैंने एक झटके से उनकी आँख पर बंधी पट्टी खोल दी,
क्या रूप था उनकी बहन का, क्या जोबन, रच रच के सिंगार, जैसे सुहागरात की सेज चढ़ने आयी हों,...
और सिंगार किया भी मैंने था, मांग में खूब चौड़ा सिन्दूर, नाक तक झरता,... माथे पर चौड़ी सी बिंदी, बड़ी बड़ी दीये ऐसी आँखों में भर के काजल,... नाक में बड़ी सी नथ और उसकी मोती की लड़ कान के झुमके तक,... नथ ऐसी चमक रही थी जैसे आज ही उतर रही हो,.... खूब गाढ़ी लिपस्टिक लाल लाल, जो ननद के दूधिया चम्पई रंग पे खूब फब रही थी,
गले में मंगल सूत्र जिसका लाकेट उनकी बहन के दोनों गजब के उभारों के बीच, चूड़ियां भी जिद्द करके मैंने लाल हरी पूरी कोहनी तक पहनाई थी, जब तक सेज पर चुरुर मुरुर न हो भाई बहन की चुदाई में, आधी से ज्यादा चूर चूर न हो जाए, कुछ पलंग पर बिखरें कुछ फर्श पर तो क्या मजा,...
और सबसे बड़ा सिंगार होता है सुहागन का जब वो मस्तायी, गर्मायी चुदवासी, मरद से ज्यादा बेचैन होती है लंड पूरा अंदर घोंटने के लिए,....
और मेरे मरद की बहिन की यही हालत थी, गरम तावे पर जैसे कोई दो चार बूंदो का छींटा मार दे और वो छिनछिना उठे, बस वही..
मेरी तरह उन्हें भी लगा की कहीं उनका भाई सामने अपनी बहन को देख के एक पल के लिए,..
तो पहल उनकी बहन ने ही की,...
हल्का सा मुस्करायी, अपने उभारों को और उभार के उनके झुके सीने पर रगड़ दिया, जैसे निपल की दो बर्छियों ने बेध दिया हो ,
सीधे दिल मे कटार उतर गयी उनके भाई के. और जैसे ये काफी न हो लता की तरह उनकी बहन के दोनों हाथों ने अपने भाई को को पकड़ के अपनी ओर खींच लिया, और अपने होंठों से अपने भाई के होंठों को चूम के नए रिश्ते पर मोहर लगा दी,... गवाही में मैं थी ही।
बस, इसके बाद कौन मरद रुकता है,...
और मेरा मरद तो वैसे ही पूरा सांड़ था,...
बहन की दोनों मस्तायी गदरायी चूँची को पकड़ के पेल दिया पूरी ताकत से उनके भाई, मेरे मरद ने, ... मैं अपने मरद के पीछे खड़ी खेल तमासा देख रही थी, खुश हो रही थी, बस थोड़ा सा पीछे खींच के क्या ताकत से पेला अपनी बहनिया की बुरिया में मेरे मरद ने,...
रोकते रोकते भी ननद की चीख निकल गयी.
कस के दोनों हाथों से उन्होंने पलंग की पाटी पकड़ रखी थी, पहाड़ी आलू ऐसा उनके भाई का मोटा सुपाड़ा जब बहिनिया की बच्चेदानी में लगा तो उनकी चूल चूल ढीली हो गयी,
लेकिन बहन की बच्चेदानी पर भाई के सुपाड़े का धक्का, इससे ज्यादा मज़ा क्या हो सकता है, और अगर भाई ऐसा जबरदस्त चुदकक्ड़, खिलाडी नंबर वन,... वो पूरे जड़ तक घुसे लंड के बेस से अपनी बहन की बुर के ऊपर रगड़ने लगे, बहन की क्लिट फूल कर कुप्पा,
लेकिन बहन उनकी ननद मेरी कम छिनरा नहीं थी, बचपन की खेलाड़, उनके चेहरे को देख मैं समझ गयी उनकी शैतानी, वो अपनी चूत को कस के सिकोड़ के दबोच के अपने भाई का लंड अपनी बुर में निचोड़ रही थी,...
पीछे से अपने राजा को पकडे, अपने साजन की पीठ पे अपने अपने जोबन को रगड़ते चिढ़ाते मैं बोली,... मुझे मालूम था जब उनके बहिन महतारी का नाम ले ले के मैं छेड़ती थी तो का हालत होती थी उनकी और आज तो सामने सामने कुश्ती हो रही थी,..
" क्यों कैसा मजा आ रहा है बहिनिया के साथ, कैसा लग रहा है,... "
वो शायद टाल जाते, न भी बोलते, लेकिन नीचे से अपने छोटे छोटे चूतड़ उचकाती, एक बार फिर से उन्हें चूम के उनकी बहिन भी बोली,
" अरे भैया बोल न दे, भौजी कुछ पूछ रही हैं, कैसा लग रहा है,... "
जैसे मुझे न जवाब दे के अपनी बहन से बोल रहे हों वो बोले,
" बहुत अच्छा, बहुत मस्त "
और भाई बहिन के बीच बातचीत चालू हो गयी थी
लेकिन बदमाश तो वो पैदायशी थे, माँ की कोख से सीख के पैदा हुए थे,...
बस उनसे रहा नहीं गया, अपने खूंटे के बेस से अपनी बहिनिया की बुर को उसकी क्लिट को रगड़ ही रहे थे अब अंगूठे से भी उस फूली मस्तायी गर्मायी क्लिट को रगड़ने लगे, खूंटा उसी तरह पूरा अंदर घुसा हुआ, बहिन उनकी कुछ देर में ही पगलाने लगी, मस्ती से कभी अपना चूतड़ पलंग पे रगड़ती कभी उन्हें अपनी ओर खींचती, कभी सिसकिया भरती, कभी लम्बे नाख़ून उनके कन्धों में धंसा देती,...
मैं समझ रही थी अपनी ननद की हालत, मेरे साथ तो अक्सर इसी तरह, लेकिन मैं अब तक उनकी बहन महतारी सात पुश्त गरिया देती, ...
" करो न भैया " बहन से नहीं रहा गया, चूतड़ उचकाते हुए वो बोल पड़ी,...
" क्या करूँ बोल न साफ़ साफ़ " शैतानी से अपनी बहन को देखते हुए वो बोले।
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करो न भैया
" करो न भैया " बहन से नहीं रहा गया, चूतड़ उचकाते हुए वो बोल पड़ी,...
" क्या करूँ बोल न साफ़ साफ़ " शैतानी से अपनी बहन को देखते हुए वो बोले।
" वही जो अपनी सास की तीनो बिटिया के साथ करते हो, ... वही कर न, कर ना भैया जल्दी,... हे तड़पा मत " अब मेरी ननद से नहीं रहा जा रहा था। लेकिन उन्हें बहुत मजा आ रहा था आज अपनी बहिनिया को तड़पाने में, जब से उसकी कच्ची अमिया आनी शुरू हुयी ही थी, तब से ललचा रहा बेचारा आज मौका मिला था,.... फिर वो बोले,
" वही तो पूछ रहा हूँ, साफ़ साफ़ बोल न, नहीं बोलना चाहती हो तो मैं निकाल ले रहा हूँ " मुंह बना के वो बोले,...
अब ननद अपनी असलियत पे आ गयी, जोर से अपने भाई को अपनी ओर खींचा और बोली कस कस के,
" छिनार रंडी सास के दामाद, तेरे सारे सालो की गाँड़ मारुं,... सास साली को चोदना होता है तो सब ताकत आ जाती है और अब नौटंकी बहन की बार,... चोद न , ... "
लेकिन आज मेरा मरद अब बदमाशी की सब हद पार करने पर तुला था,.... अपनी बहन की आँखों में आँखे डाल के शरारत से बोला, आँख मार के बोला,...
" अरे बोल न मेरी बहिना, किसको, क्या बस एक बार " ...
" अरे किसको क्या, आपन बहिन चोद बहिन की बुर चोद, गाँड़ मार जो करना है कर, जब चाहे सो कर, जब चाहे तब कर लेकिन अभी तो चोद नहीं तो तोहरी मेहरारू के साली के सबकी बुर में ताला लगा के बंद कर दूंगी, चोद जल्दी, "
फिर टोन बदल के रिरियाती बोलीं,... जब सामने गदहे के लंड ऐसा मोटा लंड हो, चूत में आग लगी हो तो औरत कुछ भी करने कहने पे तैयार हो जाती है,
" मेरे अच्छे भैया, देख हर साल तुझे राखी बांधती हूँ, भारी बारिश में ससुराल से आ के तुझे राखी बाँधी थी, तूने एक पैसा भी कभी नहीं दिया,... चोद न भैया,... "
अब उसके बाद कौन रुकता, उन्होंने एक बार फिर से अपनी बहिन को दुहरा किया, उनकी बुर में घुसे लंड को सुपाड़ा तक बाहर किया,.... दोनों हाथों से कस के मेरी ननद की दोनों चूँची को कस के पकड़ा,
Gazab....
लालच अपने मायके वालियों का नहीं दिया,वाह माझा आ गया. ननंद भोजइयो की तो टक्कर जग जाहिर है. और भौजी मकशद हासिल करने के किए क्या क्या नहीं दाव पे लगा रही. सैयाजी को रिश्वत मे पुरे मायके वाले की चुत की लालच दे दिया. कवारी, जवान, बच्चे वाली बिना बच्चे वाली जवान बूढी. कावारे कच्चे साले भी मिलेंगे मांगो तो. बस रहेम मत करो फाड़ दो अपनी बहन मेरी नांदिया की. बना दो जिला टॉप.
खेला भी अजीब पता दोनों को. पर फिर भी अनजान. नांदिया मुँह से आवाज ना निकले और उनकी आँखों पर पट्टी.
नांदिया का खयाल भौजी ना रखे तो कौन रखेगी. भौजी तो टॉप की बनाएगी तुझे. ससुराल का एक्सपीरियंस है ना.
बस तेरा याराना तेरे भईया से है. ये जाग जाहिर हो जाए.
मज़ेदार अपडेट कोमलजी. जबरदस्त. एक एक डायलॉग जबरदस्त है.
एकदम सही कहा अपने पूरे ससुराल क मजा ले के आयी ननदिया की भी उसके भैया ने चीखे निकलवा दी, आखिर मरद किसका है, मजा दोनों को आ रहा है, भैया को भी सगी बहिनिया को भी ]और एक बात और कौन भाई है जो बहिनिया को देख के जोश में न आये चाहे ब्याहता हो चाहे कुँवारी ।वाह भइ वाह क्या सही समय पर पट्टी खोली है. और साथ पूछ भी रही हो पूछवा भी रही हो. कैसा लग रहा है. जवाब तो दिया मस्त..
नांदिया के रूप का वर्णन तो अति कामुख किया. खास कर के श्रृंगार. क़यामत वाला.
अरे भई खेली खाई है. कोई समस्या नहीं. ससुराल पूरा घोंट के आई है.
मगर फिर भी उन्होंर हकात ख़राब कर दीं. गचक के. माझा ही आ गया.
मरद की तारीफों में तो कोमलिया ने कोई कमी नहीं छोडी. अब इसमें किसी से मुकाबला थोड़ी करवाना है. घर की दीवार है. घर में ही गिरवानी है.
मस्त अपडेट.
जबतक बहन खुद मुंह से न बोले और वो भी भैया, भैया बोल के तब तक भाई बहन के नए रिश्ते का स्वाद ही कहाँवाह मान गए उनको तड़पा दिया नांदिया को उसके मुँह से बुलवाने. भैया भैया करती उनकी बहेना ने राखी तक की दुहाई दे दीं.
पर माझा तब आया साली उनकी रंडी बहेना औकाद पे आ गई. अपने ससुराल की अशली रंडी है. क्या मस्त बोली. साले अपनी साली को चोदने कहा से ताकत आ जाती है. मान गए.
और मरद कोनसा कम है. कहा से ताकत लाते है. साली अपनी छिनार बहन की फाड़ के ही रख दीं.
माझा आ गया. सुपर्ब.
जबतक भैया भौजी दोनों मजा न लें और वो भी साथ साथ तो ऐसी रसीली ननद होने का फायदा ही क्यावाह मान गए. नरी रस का बस थोडा सा ans पर माझा आ गया. और वैसे भी भोजइयो ने इसी कहानी मे देवरो और छिनार नंन्दों का बहोत बलात्कार किया है.
वाह नांदिया चाट मेरा मरद को तू घोटेगी तो भाभी क्या करेंगी.
अरे भई बात तो नांदिया छिनार भी सही कहे रही है. तेरा मरद बाद में इसका तो जन्म का भईया सैया है. बचपन से ऊँगली की और उसके भैया ने बहेना को याद कर के हिलाया है.
पर दिमाग़ तो कोमलिया का कही और ही दौड़ रहा है. नांदिया को पेट से करने का गंभीन करने का जो गणित विज्ञानं तरीका अपनाया है. पढ़के माझा ही आ गया.
फिर मामा ही पापा और पापा ही मामा.
वाह पूछ ही लिया उन्होंने अपनी बहेना को. कर दू पेट से. बोल बेटा चाहिये या बेटी. साली छिनार को अपने जैसी बेटी चाहिये रांड बनाने को.
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