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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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बिलकुल सही कहा. आनंदजी की बहेना का क्या ही कहना.
सब को देती रहना. किसी को मना मत करना.
तेरा भैया बनेगा तेरा सैया.
इस लिए सब को भैया कहती रहना.

आनंद जी की बहेना का क्या ही कहना.

IMG-20240512-203732
मेरे ख्याल से आनंद जी इस कहानी के पार्ट नहीं हैं...
लेकिन ये बात सही है कि ननदिया की डिक्शनरी से नहीं शब्द हटा दिया गया है.....
और भैया कहते रहने से किसी को शक भी नहीं होगा....
 

Shetan

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मेरे ख्याल से आनंद जी इस कहानी के पार्ट नहीं हैं...
लेकिन ये बात सही है कि ननदिया की डिक्शनरी से नहीं शब्द हटा दिया गया है.....
और भैया कहते रहने से किसी को शक भी नहीं होगा....
Fagun vali feeling. Mahol me ghul rahi he
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २२४ -खेल खिलौने

स्लेव कॉलर -ननदिया के लिए


updates posted, please do read, comment, like and enjoy.
 

komaalrani

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ग्राम्य जीवन ... हाय तेरी कहानी...
लेकिन फिर यही अकेलापन पास भी ले आता है...
बेशक... ये ऐसे रिश्ते हैं जो खून के नहीं होते...
लेकिन समझ और सहयोग से प्रगाढ़ और अटूट हो जाते हैं...
और मौज मस्ती के बीच ये दुःख कहानी में भी छलक आता है और मेरी बाकी दो कहानियों के मुकाबले यह कहानी गाँव पर बेस्ड हैं तो यहाँ ज्यादा
 

komaalrani

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बिलकुल सही कहा. आनंदजी की बहेना का क्या ही कहना.
सब को देती रहना. किसी को मना मत करना.
तेरा भैया बनेगा तेरा सैया.
इस लिए सब को भैया कहती रहना.

आनंद जी की बहेना का क्या ही कहना.

IMG-20240512-203732
भले ही इस कहानी में आनंद न हों, चरित्र के रूप में लेकिन यह चिर सत्य ननद और ननद के भैया वाला इस कहानी में पल पल छलकता रहता है और यह प्रसंग भी वही है बल्कि आनंद की बहन तो ममेरी है यहाँ तो सगी बहन, भैया को सैंया बना रही है बल्कि गाभिन होने का भी प्लान है
 

komaalrani

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यही प्रसंग कहानी को कहानी बनाते हैं...
बल्कि यादगार और जीवंत कहानी..
जिसमें मानवीय भावनाओं और मूल्यों को भी उतना हीं स्थान दिया गया है...
जितना कि काम शास्त्र से संबंधित प्रसंग...

और सचमुच उन प्रसंगों को कोट करके आपने भूली बिसरी बातें याद दिला दी...
और बरबस हीं आँखें नम भी...
बहुत बहुत धन्यवाद...
आपके इस विस्तृत उत्तर के लिए...
:thanks: :thanks: :thanks: :thanks:
 

komaalrani

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इन प्रसंगों और उनके स्थान के चुनाव के पीछे भी कुछ भाव छुपा है...
सुन समझ के दिल मचल उठता है...
इस लिए मैंने जान बुझ के इस प्रसंग में मिलन के दौरान के संवाद कम रखे, कभी सन्नाटे को सुनना भी अच्छा लगता है, मोती से टपकते महुए और झरते आम के बौरो के बीच कुछ भी आवाज उस संवेदना को कम करती
 

komaalrani

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Next Part soon
 

komaalrani

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भाग ८५

ननद के भैया बन गए सैंया
 
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