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Adultery जब तक है जान

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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पिस्ता का किरदार बेहद ही लाजवाब गढ़ा है आपने फौजी भाई । देव के साथ उसकी हर बात हमेशा कुछ नई नई एहसास लाती है । उन बातों मे कभी प्रेम झलकता है तो कभी स्नेह तो कभी दोस्ती तो कभी कामुकता ।
राजु का खून शायद जोगन ने किया हो सकता है । यह लड़की शुरू से मिस्ट्रीयस लग रही है । देव के साथ हुए अत्याचार का बदला वह ली होगी ।
लेकिन मुनीम के साथ मारपीट और चौधरी साहब के शरीर पर लगभग रोजाना पाए जाने वाले खून के धब्बों की कहानी किसी एक ही घटनाक्रम का निष्कर्ष होगा ।
लेकिन इस देव साहब का कुछ तो कल्याण करिए । बार-बार उसके मुंह से निवाला क्यों छिन ले रहे है ?

खुबसूरत अपडेट फौजी भाई ।
पिस्ता का किरदार मेरी दोस्त प्रीतम से प्रेरित है भाई. जिंदगी का ऐसा पन्ना जिसमें रंग बहुत भरे है. जोगन के किरदार को जल्दी ही लाइम लाइट मे ले आयु गा
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Kahani apni lay me poori tarah aagai hai foji bhaiya, Chaudhary ji ne dev aur pusta ko rk moka diya wo bhi baap ki bhavnao ke chalte, matlab choot aur bhoot ekant me hi marne chahiye :D Bas baap ki Ijjat na ucchale, dusri aur dev ke uper naaj ke pariwar ki jimmedari saupi, jo ki mujhe lagta hai ki dev bakhubi nibha lega, udhar dev jogan se bhi flirting kar raha hai, lagta hai uski bhi le hi lega, kyu ki jaat ke to thaath hote hai hai😀 jo ki hum bohot saal se jaante hai, ek se pet kaha bharta hai foji ka:declare:
Mind blowing update and superb writing ✍️ HalfbludPrince :claps::claps::claps::claps:
Chaudhri chutiya hai
 

dhparikh

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#35

कच्ची पगडण्डी से मैं चले जा रहा था की मैंने मुनीम की गाड़ी को खड़े पाया. इसे यहाँ नहीं होना चाहिए था , पर अगर गाडी जंगल में थी तो यकीनन मुनीम के साथ जो भी हुआ इधर ही हुआ होगा. मैंने पाया की गाड़ी के दरवाजे खुले थे , सीट पर खून था जो सूख गया था . देखने से ही लग रहा था की संघर्ष गाडी के अन्दर हुआ था .यानि हमला करने वाला और मुनीम एक दुसरे से परिचित थे. अनजान आदमी को कोई क्यों ही गाड़ी के अन्दर आने देगा. कोई तो खिचड़ी जरुर पक रही थी . पर सूत्रधार कौन था ये कैसे मालुम हो. गाडी में कोई खास सामान नहीं था पर एक लिफाफे ने मेरा ध्यान जरुर खींचा. लिफाफे में एक स्टाम्प पेपर था ,जिस पर कुछ भी नहीं लिखा था सिवाय चौधरी फूल सिंह के हस्ताक्षरों के .

खैर, मैं वापिस मुड गया माँ चुदाये मुनीम ये सोचते हुवे. नाज के घर के पास ही मुझे पिस्ता मिल गयी.

मैं- क्या कर रही है खाली रस्ते पर

पिस्ता- तेरी ही राह देख रही थी .

मैं- क्यों भला.

वो- दिल जो नहीं लगता मेरा तेरे बिना, खसम . रोक नहीं पाती मैं खुद को तेरे दीदार बिना .

मैं- तो किसने रोका है सरकार यही मैं हु यही तुम हो भर ले मुझे अपने आगोश में और गांड जला दे मोहल्ले की
पिस्ता आगे बढ़ी और तुरंत ही अपने होंठो को मेरे होंठो से जोड़ बैठी, मैंने उसे अपने से चिपका लिया और मैं अपने हाथो को उसकी गांड को सहलाने से रोक नहीं पाया. अँधेरी रात में रस्ते के बीचोबीच अपनी सरकार संग चुम्बन गुस्ताखी की हद गाँव के ईमान की चौखट पर ठोकर मारने लगी थी .

“होंठ सुजा कर मानेगा क्या ” पिस्ता ने मुझे धक्का देते हुए कहा

मैं- अभी तो ठीक से पिए भी नहीं मैंने

पिस्ता- चूतिये, होंठ है मेरे कोई रूह अह्फ्ज़ा का शरबत नहीं.

मैं- बहन की लौड़ी, इतना मत इतरा जिस दिन तेरी चूत का रस पियूँगा उस दिन नंगी ना भागी तू तो कहना.

“हाय रे बेशरम,” उसने मेरे सीने में मुक्का मारा

मैं- बता क्या कर रही थी इधर . इतना भी ना हुआ हु मैं की तू इस तरह राह देखे मेरी

पिस्ता- समझ गया तू , अरे कुछ ना, माँ नाज चाची के यहाँ गयी थी मुनीम का हाल पूछने उसे ही बुलाने जा रही थी

मैं- मैं भी वही जा रहा था आजा साथ चलते है

पिस्ता- मेरे साथ चलेगा , कितनो की गांड जलेगी

मैं- गांड जला सकती है पर मुझे नहीं देनी

पिस्ता- मैं तो कबसे हूँ तैयार, पर तू लेता ही नहीं

मैं- देखो कौन बोल रहा है . आज तक दिखाई नहीं देगी क्या ख़ाक तू

पिस्ता- देखो नया नया आशिक लेने-देने की बात कर रहा है जिसे लेनी होती है न वो देखने की बात नहीं करते . जब लेगा तो देख तो लेगा ही न


मैं- रहने दे तेरे नाटक जानता हु

पिस्ता- अच्छा जी , हमें ही देनी और हमारे ही नाटक

चुहलबाजी करते हुए हम नाज के घर आ गए. पिस्ता अन्दर चली गयी मैं हाथ-मुह धोने लगा. अन्दर जाके मैंने नाज से मेरी पीठ पर दवाई लगाने को कहा .

“मैं लगा देती हु , ” पिस्ता ने नाज से दवाई ले ली और मेरी पीठ पर लगाने लगी. मैंने पाया की नाज की नजरे मुआयना कर रही थी मेरी . खैर पिस्ता और उसकी माँ के जाने के बाद मैं बिस्तर लगा रहा था की नाज दूध ले आई.

“आजकल चर्चे हो रहे है तुम्हारे ” उसने कहा

मैं- किसलिए भला

नाज- लड़का इश्क जो करते फिर रहा है गलियों में

मैं- बढ़िया है फिर तो . वैसे भी वो इश्क ही क्या जिसमे चर्चे ना हो

नाज- आग से खेल रहे हो तुम. वैसे भी जिसके चक्करों में पड़े हो वो लड़की अच्छी नहीं

मैं- क्या अच्छा क्या बुआ मासी . तुम, मेरे मा बाप. ये गाँव- मोहल्ला ये दुनिया कोई भी नहीं समझ पायेगा ना उसे ना मुझे. हम लोग बस दोस्त है , समझते है एक दुसरे को बात करते है एकदूसरे से. इसके सिवाय कोई पाप नहीं हमारा. हाँ गलती तो हुई है , पर गलती ये नहीं की हमने एक दुसरे का साथ किया. गलती ये है की उसने एक लड़की होकर एक लड़के से दोस्ती की है वो भी समाज को जुती की नोक पर रख कर. गाँव- बसती को हमारी दोस्ती से दिक्कत नहीं है दिक्कत है की हमने समाज की शान में गुस्ताखी की है , और फिर हम अकेले ही तो गलत नहीं . ऐसी गलतिया तो गाँव में बहुत लोग कर रहे है , माना मैं गलत हूँ पिस्ता गलत है तो तुम भी तो गलत हो न मासी .


नाज- काश मैं इतनी दिलेर होती की बेशर्मी से अपनी गलतिया यु कबूल पाती .

मैं- बेशर्मी , किस बेशर्मी की बात करती हो मासी. मैं तुम्हे गलत नहीं ठहरा रहा खास कर उस बात के लिए जब मैंने तुम्हे चुदते देखा था . वो तुम्हारी जिन्दगी है और सबको अपनी जिन्दगी जीने का पूरा अधिकार है . तुम्हारी चूत किसे देनी किसे नहीं देनी ये तुम्हारी मर्जी होनी चाहिए

मैंने चूत शब्द पर कुछ ज्यादा जोर दिया इतना की नाज के गाल सुर्ख हो गए.

“ मासी के सामने सीधे बोलता है ऐसे शब्द ” नाज ने कहा

मैं- मासी है ही इतनी प्यारी की मैं सोचता हु मासी की चूत कितनी प्यारी होगी .

नाज- चुप कर जा मारूंगी नहीं तो

मैं- मार लो पर मार लेने दो

नाज मेरी इस बात पर हंस पड़ी .

“बदमाश है तू बहुत ” उसने मेरे सर पर चपत मारी और मैंने उसका हाथ पकड़ अपनी गोद में खींच लिया

“मत करो देव ” उसने हौले से कहा

मैं- इतना तो हक़ दो मुझे .

“मासी हु तेरी ” उसने कहा

मैं- तभी तो हक माँगा, कोई और होती न जाने क्या कर देता

मैंने नाज के चेहरे को अपने हाथो में लिया और उसके सुर्ख होंठो पर अपने लब चिपका दिए. कुछ देर पहले ही मैंने पिस्ता को चूमा था और एक लम्हा नहीं लगा मुझे ये समझने में की नाज में कुछ अलग ही बात थी . मेरी गोदी में बैठी नाज ने मुझे पूरी शिद्दत से आजादी दी उसके लबो को चूमने में . लिपस्टिक का हल्का स्वाद मुझे अपनी सांसो में घुलते हुए महसूस हो रहा था . मैंने नाज की मांसल जांघ को घाघरे के ऊपर से ही दबाया की उसने मेरा हाथ पकड़ लिया......................
Nice update....
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Raj_sharma

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Pritam se kabhi mulakat nahi hoti kya abb?
Waise jogan ke kirdar ko or nikharne ka waqt to aa hi gaya hai
 
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