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Sunkar acha laga ki sulah ho gaiइश्क शर्तो पर नहीं होता भाई , इश्क में आप या तो इस पार होते है या उस पार. इश्क को साथ नहीं रखा जाता इश्क में जिया जाता है बस
वो ही है
Bas jindgi sahi se beete yahi subh kamnaye hai bhai,
Sunkar acha laga ki sulah ho gaiइश्क शर्तो पर नहीं होता भाई , इश्क में आप या तो इस पार होते है या उस पार. इश्क को साथ नहीं रखा जाता इश्क में जिया जाता है बस
वो ही है
नाराजगी का इशू नहीं है भाई, सुरक्षा का है. परिवार की सुरक्षा प्रथम प्राथमिकता हैSunkar acha laga ki sulah ho gai
Bas jindgi sahi se beete yahi subh kamnaye hai bhai,
Shandar jabardast romantic update#36
“ये ठीक नहीं देव” बोली नाज
“तो फिर क्या ठीक है ,क्या मैं तुम्हे प्यार नहीं कर सकता ” मैंने कहा
नाज-प्यार नहीं है ये , हवस को प्यार का नाम कभी नहीं दिया जा सकता
मैं- तो तुम ही बताओ क्या है फिर ये , करीब आने भी देती हो और रोक भी देती हो
नाज-तुम समझते क्यों नहीं मैं किसी और की अमानत हु
मैं- उफ्फ्फ ये खोखली बाते, बेवफाई भी ईमानदारी से करती हो
नाज- मैं सिर्फ अपने हक़ की बात करती हु
नाज ने अपने होंठ मेरे होंठो से जोड़ लिए और एक गहरा चुम्बन करने लगी. नाज की लिजलिजी जीभ मेरे मुह में घूम रही थी, अपनी जांघो के बीच मैंने लंड को फूलते हुए पाया और यक़ीनन नाज ने भी अपनी चूत पर उस दबाव को महसूस कर लिया होगा तभी वो उठ गयी मेरी गोद से .
नाज- अभी इतना ही ठीक है
मैं- ठीक है तुम पर दबाव नहीं डालूँगा पर एक बार मैं तुम्हारी चूत को देखना चाहता हु,
नाज- क्या तुम पर इतना विश्वास कर सकती हु मैं
मैं- अपनी बढ़ी धडकनों से पूछ लो
कुछ क्षण नाज मुझे देखती रही और फिर उसने अपना लहंगा ऊपर उठा दिया मेरे सामने ही उसने अपनी गुलाबी कच्छी उतारी और सोफे पर टाँगे खोल बैठ गयी . उफ्फ्फ क्या नजारा था . बुआ की चूत और नाज की चूत में बहुत फर्क था , नाज के गोरे रंग पर थोड़े लम्बे काले बाल , उसकी काली चूत पर चार चाँद लगा रहे थे . मैं सोफे के निचे बैठा अपने हाथो से नाज के पैरो को विपरीत दिशाओ में खोला और जी भर के उसकी चूत को देखने लगा. नाज की चूत की फांके गाढे द्रव से भीगी हुई थी ,जैसे ही मैंने अपना चेहरा नाज की चूत के पास ले गया , मेरी गर्म सांसो ने चूत के सोये अरमानो को चिंगारी दे दी.
“देव ” नाज कसमसाते हुए बोली
“बहुत प्यारी है तेरी चूत मासी , इसकी पप्पी लेना चाहता हु मैं ”
इससे पहले की नाज कुछ कहती मेरे होंठ चूत की फांको से टकरा चुके थे .
खुरदुरी जीभ ने चूत की मुलायम खाल को छुआ तो नाज के बदन का प्रत्येक तार हिल गया. मैंने मजबूती से उसकी जांघो पर पकड़ बनाई और नाज की चूत के दाने पर जीभ रगड़ने लगा.
“देव,” नाज अपनी अधखुली आँखों से बोली और मैं चूत चूसने लगा. नाज की गांड ऊपर होने लगी थी , ऊपर निचे करते हुए चेहरे को मैं नाज की चूत को चूस रहा था , फिर मैंने अपनी जीभ चूत के अन्दर डाली और चूत की फांको को चूसने लगा. अन्दर से बहते नमकीन रस की बूंदे मेरी जीभ पर लिपट रही थी , ना जाने कब ही नाज के दोनों हाथ मेरे सर पर आ गए और उसकी सिस्करिया कमरे में गूंजने लगी.
“दांत मत गडा ” बोली वो
जिन्दगी में पहली बार चूत चूस रहा था और यकीन मानो ये एक बहुत ही शानदार अनुभव था , मेरा मन था की मैं नाज की चूत को चूसता ही रहू पर ठीक तभी नाज का बदन अकड़ा और वो सोफे पर निढाल हो गयी . हल्के से उसकी जांघ की पप्पी लेने के बाद मैंने घाघरे को निचे किया और नाज के पास ही बैठ गया . कुछ देर बाद वो उठी और बाहर चली गयी मैं भी सोने की तयारी करने लगा. सुबह मुझे नाज को लेकर हॉस्पिटल जाना था , वहां पर काफी समय लगा आते आते लघभग शाम ही हो गयी थी . नहाने के बाद मैं चोबारे में गया बुआ वहां पर ही थी.
“कैसी हो बुआ ” मैंने कहा
वो- ठीक तू बता आजकल गायब ही रहने लगा है तू तो
मैं- ऐसी तो कोई बात नहीं . तुम्हे तो मालूम ही है की आजकल घर के क्या हालात चल रहे है तो इधर उधर ज्यादा हो रहा है अभी नहाया ही हु आकर
बुआ- सो तो है, न जाने कौन दुश्मन खड़ा हो गया है उम्मीद है की ये सब जल्दी ही खत्म हो जाये
मैं- देर सबेर हो ही जायेगा
कुछ देर बाते करने के बाद बुआ निचे चली गयी . मैं गाना सुनने के लिए रेडियो चला ही रहा था की टेबल पर पड़ी डॉक्टर की पर्ची पर नजर पड़ी, बुआ डॉक्टर से दवाई ले रही थी पर क्यों . लगती तो चंगी थी . इधर बाप हमारा गांड के घोड़े खोल कर भी अपने दुश्मन का पता नहीं कर पा रहा था मुनीम के न होने से बाप के धंधे पर भी फर्क पड़ रहा था. माँ के बताये कुछ काम करने के बाद मैं गाँव की तरफ चला गया . पिस्ता से मिलने की हसरत थी पर मिली नही वो . रात को फिर से नाज के घर सोया .
अगला दिन उम्मीद से ज्यादा हैरान करने वाला था , उठा तो नाज थी नहीं, मैं घर पहुंचा तो पाया की पिताजी गौर से अख़बार पढ़ रहे थे . उन्होंने मुझे देखा और बोले- जा परमेश्वरी को बुला कर ला
मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ की बाप मुझे खुद पिस्ता के घर भेज रहा है .
“सुना नहीं क्या ” कहा उन्होंने
मैं मुड़ा ही था की माँ बोली- ये नहीं जायेगा, किसी और को भेज दो
माँ को भी अभी पंगा करना था ,
पिताजी- जा ना तू
मैं दौड़ते हुए पिस्ता के घर पहुंचा .
“काकी कहाँ है ”हांफते हुए पुछा मैंने पिस्ता से
“साँस तो ले ले पहले, कौन सी आफत आ गयी ऐसी ” उसने मेरे सीने पर हाथ रखते हुए कहा
मैं- पिताजी ने काकी को बुलाया है फ़ौरन
पिस्ता- क्यों, सब खैरियत तो है न
मैं- लग तो ठीक ही रहा था मुझे तो बस इतना कहा की काकी को बुला ला
पिस्ता- गाँव में गयी है आते ही भेजती हु
मैं अकेली है तू
पिस्ता- ना गाव मोजूद है सारे का सारा
मैंने आव देखा न ताव और पिस्ता को पकड़ लिया .
“छोड़ सुबह सुबह कौन करता है ये ” उसने कहा
मैं- माँ चुदाय दिन रात पप्पी तो लूँगा ही
पिस्ता- जबरदस्ती है क्या
मैं-हक ही मेरा
पिस्ता- हक़ हक़ कह कर मेरी गांड मार लेगा तू एक दिन , जा न दे रही पप्पी निकल यहाँ से
पिस्ता ने मुझे धक्का दिया और किवाड़ मूँद लिया
मैं- किवाड़ खोल दे नहीं
वो- जा ना
मैं- किवाड़ खोल दे छोरी
पिस्ता- चूतिये भाग जा यहाँ से.
उसने किवाड़ नहीं खोला मैं वापिस आ गया और पिताजी को बताया . नाज भी हमारे ही घर पर मोजूद थी .
“क्यों बुलाया है काकी को ” मैंने पुछा
नाज- पता नहीं
मैं चाय पिने ही लगा था की इतनी देर में काकी आ गयी उसने पिताजी के आगे हाथ जोड़े पिताजी ने उसे बैठने को कहा और मुझसे बोले- नाज के साथ खेतो पर चले जा .
बेमन से नाज के साथ मैं खेतो की तरफ चल पड़ा.
So to hai bhaiनाराजगी का इशू नहीं है भाई, सुरक्षा का है. परिवार की सुरक्षा प्रथम प्राथमिकता है
Bhapu koi na koi to bhakheda khada karega dev ke liye#36
“ये ठीक नहीं देव” बोली नाज
“तो फिर क्या ठीक है ,क्या मैं तुम्हे प्यार नहीं कर सकता ” मैंने कहा
नाज-प्यार नहीं है ये , हवस को प्यार का नाम कभी नहीं दिया जा सकता
मैं- तो तुम ही बताओ क्या है फिर ये , करीब आने भी देती हो और रोक भी देती हो
नाज-तुम समझते क्यों नहीं मैं किसी और की अमानत हु
मैं- उफ्फ्फ ये खोखली बाते, बेवफाई भी ईमानदारी से करती हो
नाज- मैं सिर्फ अपने हक़ की बात करती हु
नाज ने अपने होंठ मेरे होंठो से जोड़ लिए और एक गहरा चुम्बन करने लगी. नाज की लिजलिजी जीभ मेरे मुह में घूम रही थी, अपनी जांघो के बीच मैंने लंड को फूलते हुए पाया और यक़ीनन नाज ने भी अपनी चूत पर उस दबाव को महसूस कर लिया होगा तभी वो उठ गयी मेरी गोद से .
नाज- अभी इतना ही ठीक है
मैं- ठीक है तुम पर दबाव नहीं डालूँगा पर एक बार मैं तुम्हारी चूत को देखना चाहता हु,
नाज- क्या तुम पर इतना विश्वास कर सकती हु मैं
मैं- अपनी बढ़ी धडकनों से पूछ लो
कुछ क्षण नाज मुझे देखती रही और फिर उसने अपना लहंगा ऊपर उठा दिया मेरे सामने ही उसने अपनी गुलाबी कच्छी उतारी और सोफे पर टाँगे खोल बैठ गयी . उफ्फ्फ क्या नजारा था . बुआ की चूत और नाज की चूत में बहुत फर्क था , नाज के गोरे रंग पर थोड़े लम्बे काले बाल , उसकी काली चूत पर चार चाँद लगा रहे थे . मैं सोफे के निचे बैठा अपने हाथो से नाज के पैरो को विपरीत दिशाओ में खोला और जी भर के उसकी चूत को देखने लगा. नाज की चूत की फांके गाढे द्रव से भीगी हुई थी ,जैसे ही मैंने अपना चेहरा नाज की चूत के पास ले गया , मेरी गर्म सांसो ने चूत के सोये अरमानो को चिंगारी दे दी.
“देव ” नाज कसमसाते हुए बोली
“बहुत प्यारी है तेरी चूत मासी , इसकी पप्पी लेना चाहता हु मैं ”
इससे पहले की नाज कुछ कहती मेरे होंठ चूत की फांको से टकरा चुके थे .
खुरदुरी जीभ ने चूत की मुलायम खाल को छुआ तो नाज के बदन का प्रत्येक तार हिल गया. मैंने मजबूती से उसकी जांघो पर पकड़ बनाई और नाज की चूत के दाने पर जीभ रगड़ने लगा.
“देव,” नाज अपनी अधखुली आँखों से बोली और मैं चूत चूसने लगा. नाज की गांड ऊपर होने लगी थी , ऊपर निचे करते हुए चेहरे को मैं नाज की चूत को चूस रहा था , फिर मैंने अपनी जीभ चूत के अन्दर डाली और चूत की फांको को चूसने लगा. अन्दर से बहते नमकीन रस की बूंदे मेरी जीभ पर लिपट रही थी , ना जाने कब ही नाज के दोनों हाथ मेरे सर पर आ गए और उसकी सिस्करिया कमरे में गूंजने लगी.
“दांत मत गडा ” बोली वो
जिन्दगी में पहली बार चूत चूस रहा था और यकीन मानो ये एक बहुत ही शानदार अनुभव था , मेरा मन था की मैं नाज की चूत को चूसता ही रहू पर ठीक तभी नाज का बदन अकड़ा और वो सोफे पर निढाल हो गयी . हल्के से उसकी जांघ की पप्पी लेने के बाद मैंने घाघरे को निचे किया और नाज के पास ही बैठ गया . कुछ देर बाद वो उठी और बाहर चली गयी मैं भी सोने की तयारी करने लगा. सुबह मुझे नाज को लेकर हॉस्पिटल जाना था , वहां पर काफी समय लगा आते आते लघभग शाम ही हो गयी थी . नहाने के बाद मैं चोबारे में गया बुआ वहां पर ही थी.
“कैसी हो बुआ ” मैंने कहा
वो- ठीक तू बता आजकल गायब ही रहने लगा है तू तो
मैं- ऐसी तो कोई बात नहीं . तुम्हे तो मालूम ही है की आजकल घर के क्या हालात चल रहे है तो इधर उधर ज्यादा हो रहा है अभी नहाया ही हु आकर
बुआ- सो तो है, न जाने कौन दुश्मन खड़ा हो गया है उम्मीद है की ये सब जल्दी ही खत्म हो जाये
मैं- देर सबेर हो ही जायेगा
कुछ देर बाते करने के बाद बुआ निचे चली गयी . मैं गाना सुनने के लिए रेडियो चला ही रहा था की टेबल पर पड़ी डॉक्टर की पर्ची पर नजर पड़ी, बुआ डॉक्टर से दवाई ले रही थी पर क्यों . लगती तो चंगी थी . इधर बाप हमारा गांड के घोड़े खोल कर भी अपने दुश्मन का पता नहीं कर पा रहा था मुनीम के न होने से बाप के धंधे पर भी फर्क पड़ रहा था. माँ के बताये कुछ काम करने के बाद मैं गाँव की तरफ चला गया . पिस्ता से मिलने की हसरत थी पर मिली नही वो . रात को फिर से नाज के घर सोया .
अगला दिन उम्मीद से ज्यादा हैरान करने वाला था , उठा तो नाज थी नहीं, मैं घर पहुंचा तो पाया की पिताजी गौर से अख़बार पढ़ रहे थे . उन्होंने मुझे देखा और बोले- जा परमेश्वरी को बुला कर ला
मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ की बाप मुझे खुद पिस्ता के घर भेज रहा है .
“सुना नहीं क्या ” कहा उन्होंने
मैं मुड़ा ही था की माँ बोली- ये नहीं जायेगा, किसी और को भेज दो
माँ को भी अभी पंगा करना था ,
पिताजी- जा ना तू
मैं दौड़ते हुए पिस्ता के घर पहुंचा .
“काकी कहाँ है ”हांफते हुए पुछा मैंने पिस्ता से
“साँस तो ले ले पहले, कौन सी आफत आ गयी ऐसी ” उसने मेरे सीने पर हाथ रखते हुए कहा
मैं- पिताजी ने काकी को बुलाया है फ़ौरन
पिस्ता- क्यों, सब खैरियत तो है न
मैं- लग तो ठीक ही रहा था मुझे तो बस इतना कहा की काकी को बुला ला
पिस्ता- गाँव में गयी है आते ही भेजती हु
मैं अकेली है तू
पिस्ता- ना गाव मोजूद है सारे का सारा
मैंने आव देखा न ताव और पिस्ता को पकड़ लिया .
“छोड़ सुबह सुबह कौन करता है ये ” उसने कहा
मैं- माँ चुदाय दिन रात पप्पी तो लूँगा ही
पिस्ता- जबरदस्ती है क्या
मैं-हक ही मेरा
पिस्ता- हक़ हक़ कह कर मेरी गांड मार लेगा तू एक दिन , जा न दे रही पप्पी निकल यहाँ से
पिस्ता ने मुझे धक्का दिया और किवाड़ मूँद लिया
मैं- किवाड़ खोल दे नहीं
वो- जा ना
मैं- किवाड़ खोल दे छोरी
पिस्ता- चूतिये भाग जा यहाँ से.
उसने किवाड़ नहीं खोला मैं वापिस आ गया और पिताजी को बताया . नाज भी हमारे ही घर पर मोजूद थी .
“क्यों बुलाया है काकी को ” मैंने पुछा
नाज- पता नहीं
मैं चाय पिने ही लगा था की इतनी देर में काकी आ गयी उसने पिताजी के आगे हाथ जोड़े पिताजी ने उसे बैठने को कहा और मुझसे बोले- नाज के साथ खेतो पर चले जा .
बेमन से नाज के साथ मैं खेतो की तरफ चल पड़ा.
Bahut hi shaandar update diya hai HalfbludPrince bhai....#36
“ये ठीक नहीं देव” बोली नाज
“तो फिर क्या ठीक है ,क्या मैं तुम्हे प्यार नहीं कर सकता ” मैंने कहा
नाज-प्यार नहीं है ये , हवस को प्यार का नाम कभी नहीं दिया जा सकता
मैं- तो तुम ही बताओ क्या है फिर ये , करीब आने भी देती हो और रोक भी देती हो
नाज-तुम समझते क्यों नहीं मैं किसी और की अमानत हु
मैं- उफ्फ्फ ये खोखली बाते, बेवफाई भी ईमानदारी से करती हो
नाज- मैं सिर्फ अपने हक़ की बात करती हु
नाज ने अपने होंठ मेरे होंठो से जोड़ लिए और एक गहरा चुम्बन करने लगी. नाज की लिजलिजी जीभ मेरे मुह में घूम रही थी, अपनी जांघो के बीच मैंने लंड को फूलते हुए पाया और यक़ीनन नाज ने भी अपनी चूत पर उस दबाव को महसूस कर लिया होगा तभी वो उठ गयी मेरी गोद से .
नाज- अभी इतना ही ठीक है
मैं- ठीक है तुम पर दबाव नहीं डालूँगा पर एक बार मैं तुम्हारी चूत को देखना चाहता हु,
नाज- क्या तुम पर इतना विश्वास कर सकती हु मैं
मैं- अपनी बढ़ी धडकनों से पूछ लो
कुछ क्षण नाज मुझे देखती रही और फिर उसने अपना लहंगा ऊपर उठा दिया मेरे सामने ही उसने अपनी गुलाबी कच्छी उतारी और सोफे पर टाँगे खोल बैठ गयी . उफ्फ्फ क्या नजारा था . बुआ की चूत और नाज की चूत में बहुत फर्क था , नाज के गोरे रंग पर थोड़े लम्बे काले बाल , उसकी काली चूत पर चार चाँद लगा रहे थे . मैं सोफे के निचे बैठा अपने हाथो से नाज के पैरो को विपरीत दिशाओ में खोला और जी भर के उसकी चूत को देखने लगा. नाज की चूत की फांके गाढे द्रव से भीगी हुई थी ,जैसे ही मैंने अपना चेहरा नाज की चूत के पास ले गया , मेरी गर्म सांसो ने चूत के सोये अरमानो को चिंगारी दे दी.
“देव ” नाज कसमसाते हुए बोली
“बहुत प्यारी है तेरी चूत मासी , इसकी पप्पी लेना चाहता हु मैं ”
इससे पहले की नाज कुछ कहती मेरे होंठ चूत की फांको से टकरा चुके थे .
खुरदुरी जीभ ने चूत की मुलायम खाल को छुआ तो नाज के बदन का प्रत्येक तार हिल गया. मैंने मजबूती से उसकी जांघो पर पकड़ बनाई और नाज की चूत के दाने पर जीभ रगड़ने लगा.
“देव,” नाज अपनी अधखुली आँखों से बोली और मैं चूत चूसने लगा. नाज की गांड ऊपर होने लगी थी , ऊपर निचे करते हुए चेहरे को मैं नाज की चूत को चूस रहा था , फिर मैंने अपनी जीभ चूत के अन्दर डाली और चूत की फांको को चूसने लगा. अन्दर से बहते नमकीन रस की बूंदे मेरी जीभ पर लिपट रही थी , ना जाने कब ही नाज के दोनों हाथ मेरे सर पर आ गए और उसकी सिस्करिया कमरे में गूंजने लगी.
“दांत मत गडा ” बोली वो
जिन्दगी में पहली बार चूत चूस रहा था और यकीन मानो ये एक बहुत ही शानदार अनुभव था , मेरा मन था की मैं नाज की चूत को चूसता ही रहू पर ठीक तभी नाज का बदन अकड़ा और वो सोफे पर निढाल हो गयी . हल्के से उसकी जांघ की पप्पी लेने के बाद मैंने घाघरे को निचे किया और नाज के पास ही बैठ गया . कुछ देर बाद वो उठी और बाहर चली गयी मैं भी सोने की तयारी करने लगा. सुबह मुझे नाज को लेकर हॉस्पिटल जाना था , वहां पर काफी समय लगा आते आते लघभग शाम ही हो गयी थी . नहाने के बाद मैं चोबारे में गया बुआ वहां पर ही थी.
“कैसी हो बुआ ” मैंने कहा
वो- ठीक तू बता आजकल गायब ही रहने लगा है तू तो
मैं- ऐसी तो कोई बात नहीं . तुम्हे तो मालूम ही है की आजकल घर के क्या हालात चल रहे है तो इधर उधर ज्यादा हो रहा है अभी नहाया ही हु आकर
बुआ- सो तो है, न जाने कौन दुश्मन खड़ा हो गया है उम्मीद है की ये सब जल्दी ही खत्म हो जाये
मैं- देर सबेर हो ही जायेगा
कुछ देर बाते करने के बाद बुआ निचे चली गयी . मैं गाना सुनने के लिए रेडियो चला ही रहा था की टेबल पर पड़ी डॉक्टर की पर्ची पर नजर पड़ी, बुआ डॉक्टर से दवाई ले रही थी पर क्यों . लगती तो चंगी थी . इधर बाप हमारा गांड के घोड़े खोल कर भी अपने दुश्मन का पता नहीं कर पा रहा था मुनीम के न होने से बाप के धंधे पर भी फर्क पड़ रहा था. माँ के बताये कुछ काम करने के बाद मैं गाँव की तरफ चला गया . पिस्ता से मिलने की हसरत थी पर मिली नही वो . रात को फिर से नाज के घर सोया .
अगला दिन उम्मीद से ज्यादा हैरान करने वाला था , उठा तो नाज थी नहीं, मैं घर पहुंचा तो पाया की पिताजी गौर से अख़बार पढ़ रहे थे . उन्होंने मुझे देखा और बोले- जा परमेश्वरी को बुला कर ला
मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ की बाप मुझे खुद पिस्ता के घर भेज रहा है .
“सुना नहीं क्या ” कहा उन्होंने
मैं मुड़ा ही था की माँ बोली- ये नहीं जायेगा, किसी और को भेज दो
माँ को भी अभी पंगा करना था ,
पिताजी- जा ना तू
मैं दौड़ते हुए पिस्ता के घर पहुंचा .
“काकी कहाँ है ”हांफते हुए पुछा मैंने पिस्ता से
“साँस तो ले ले पहले, कौन सी आफत आ गयी ऐसी ” उसने मेरे सीने पर हाथ रखते हुए कहा
मैं- पिताजी ने काकी को बुलाया है फ़ौरन
पिस्ता- क्यों, सब खैरियत तो है न
मैं- लग तो ठीक ही रहा था मुझे तो बस इतना कहा की काकी को बुला ला
पिस्ता- गाँव में गयी है आते ही भेजती हु
मैं अकेली है तू
पिस्ता- ना गाव मोजूद है सारे का सारा
मैंने आव देखा न ताव और पिस्ता को पकड़ लिया .
“छोड़ सुबह सुबह कौन करता है ये ” उसने कहा
मैं- माँ चुदाय दिन रात पप्पी तो लूँगा ही
पिस्ता- जबरदस्ती है क्या
मैं-हक ही मेरा
पिस्ता- हक़ हक़ कह कर मेरी गांड मार लेगा तू एक दिन , जा न दे रही पप्पी निकल यहाँ से
पिस्ता ने मुझे धक्का दिया और किवाड़ मूँद लिया
मैं- किवाड़ खोल दे नहीं
वो- जा ना
मैं- किवाड़ खोल दे छोरी
पिस्ता- चूतिये भाग जा यहाँ से.
उसने किवाड़ नहीं खोला मैं वापिस आ गया और पिताजी को बताया . नाज भी हमारे ही घर पर मोजूद थी .
“क्यों बुलाया है काकी को ” मैंने पुछा
नाज- पता नहीं
मैं चाय पिने ही लगा था की इतनी देर में काकी आ गयी उसने पिताजी के आगे हाथ जोड़े पिताजी ने उसे बैठने को कहा और मुझसे बोले- नाज के साथ खेतो पर चले जा .
बेमन से नाज के साथ मैं खेतो की तरफ चल पड़ा.
Bohat ache bhai, naaj ki rasbhari ko chakhne ke baad dev seedha angoor ki botal peena chahta tha per usne to khade armano pe kuthara ghaat kar diya udhar Chaudhary ne pista ki ma ko kyu bulaya hoga ye sawal dimak khayega abb Dekhte hai kya hota hai aage, waise kheto me bhi mauka mil sakta hai dev ko#36
“ये ठीक नहीं देव” बोली नाज
“तो फिर क्या ठीक है ,क्या मैं तुम्हे प्यार नहीं कर सकता ” मैंने कहा
नाज-प्यार नहीं है ये , हवस को प्यार का नाम कभी नहीं दिया जा सकता
मैं- तो तुम ही बताओ क्या है फिर ये , करीब आने भी देती हो और रोक भी देती हो
नाज-तुम समझते क्यों नहीं मैं किसी और की अमानत हु
मैं- उफ्फ्फ ये खोखली बाते, बेवफाई भी ईमानदारी से करती हो
नाज- मैं सिर्फ अपने हक़ की बात करती हु
नाज ने अपने होंठ मेरे होंठो से जोड़ लिए और एक गहरा चुम्बन करने लगी. नाज की लिजलिजी जीभ मेरे मुह में घूम रही थी, अपनी जांघो के बीच मैंने लंड को फूलते हुए पाया और यक़ीनन नाज ने भी अपनी चूत पर उस दबाव को महसूस कर लिया होगा तभी वो उठ गयी मेरी गोद से .
नाज- अभी इतना ही ठीक है
मैं- ठीक है तुम पर दबाव नहीं डालूँगा पर एक बार मैं तुम्हारी चूत को देखना चाहता हु,
नाज- क्या तुम पर इतना विश्वास कर सकती हु मैं
मैं- अपनी बढ़ी धडकनों से पूछ लो
कुछ क्षण नाज मुझे देखती रही और फिर उसने अपना लहंगा ऊपर उठा दिया मेरे सामने ही उसने अपनी गुलाबी कच्छी उतारी और सोफे पर टाँगे खोल बैठ गयी . उफ्फ्फ क्या नजारा था . बुआ की चूत और नाज की चूत में बहुत फर्क था , नाज के गोरे रंग पर थोड़े लम्बे काले बाल , उसकी काली चूत पर चार चाँद लगा रहे थे . मैं सोफे के निचे बैठा अपने हाथो से नाज के पैरो को विपरीत दिशाओ में खोला और जी भर के उसकी चूत को देखने लगा. नाज की चूत की फांके गाढे द्रव से भीगी हुई थी ,जैसे ही मैंने अपना चेहरा नाज की चूत के पास ले गया , मेरी गर्म सांसो ने चूत के सोये अरमानो को चिंगारी दे दी.
“देव ” नाज कसमसाते हुए बोली
“बहुत प्यारी है तेरी चूत मासी , इसकी पप्पी लेना चाहता हु मैं ”
इससे पहले की नाज कुछ कहती मेरे होंठ चूत की फांको से टकरा चुके थे .
खुरदुरी जीभ ने चूत की मुलायम खाल को छुआ तो नाज के बदन का प्रत्येक तार हिल गया. मैंने मजबूती से उसकी जांघो पर पकड़ बनाई और नाज की चूत के दाने पर जीभ रगड़ने लगा.
“देव,” नाज अपनी अधखुली आँखों से बोली और मैं चूत चूसने लगा. नाज की गांड ऊपर होने लगी थी , ऊपर निचे करते हुए चेहरे को मैं नाज की चूत को चूस रहा था , फिर मैंने अपनी जीभ चूत के अन्दर डाली और चूत की फांको को चूसने लगा. अन्दर से बहते नमकीन रस की बूंदे मेरी जीभ पर लिपट रही थी , ना जाने कब ही नाज के दोनों हाथ मेरे सर पर आ गए और उसकी सिस्करिया कमरे में गूंजने लगी.
“दांत मत गडा ” बोली वो
जिन्दगी में पहली बार चूत चूस रहा था और यकीन मानो ये एक बहुत ही शानदार अनुभव था , मेरा मन था की मैं नाज की चूत को चूसता ही रहू पर ठीक तभी नाज का बदन अकड़ा और वो सोफे पर निढाल हो गयी . हल्के से उसकी जांघ की पप्पी लेने के बाद मैंने घाघरे को निचे किया और नाज के पास ही बैठ गया . कुछ देर बाद वो उठी और बाहर चली गयी मैं भी सोने की तयारी करने लगा. सुबह मुझे नाज को लेकर हॉस्पिटल जाना था , वहां पर काफी समय लगा आते आते लघभग शाम ही हो गयी थी . नहाने के बाद मैं चोबारे में गया बुआ वहां पर ही थी.
“कैसी हो बुआ ” मैंने कहा
वो- ठीक तू बता आजकल गायब ही रहने लगा है तू तो
मैं- ऐसी तो कोई बात नहीं . तुम्हे तो मालूम ही है की आजकल घर के क्या हालात चल रहे है तो इधर उधर ज्यादा हो रहा है अभी नहाया ही हु आकर
बुआ- सो तो है, न जाने कौन दुश्मन खड़ा हो गया है उम्मीद है की ये सब जल्दी ही खत्म हो जाये
मैं- देर सबेर हो ही जायेगा
कुछ देर बाते करने के बाद बुआ निचे चली गयी . मैं गाना सुनने के लिए रेडियो चला ही रहा था की टेबल पर पड़ी डॉक्टर की पर्ची पर नजर पड़ी, बुआ डॉक्टर से दवाई ले रही थी पर क्यों . लगती तो चंगी थी . इधर बाप हमारा गांड के घोड़े खोल कर भी अपने दुश्मन का पता नहीं कर पा रहा था मुनीम के न होने से बाप के धंधे पर भी फर्क पड़ रहा था. माँ के बताये कुछ काम करने के बाद मैं गाँव की तरफ चला गया . पिस्ता से मिलने की हसरत थी पर मिली नही वो . रात को फिर से नाज के घर सोया .
अगला दिन उम्मीद से ज्यादा हैरान करने वाला था , उठा तो नाज थी नहीं, मैं घर पहुंचा तो पाया की पिताजी गौर से अख़बार पढ़ रहे थे . उन्होंने मुझे देखा और बोले- जा परमेश्वरी को बुला कर ला
मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ की बाप मुझे खुद पिस्ता के घर भेज रहा है .
“सुना नहीं क्या ” कहा उन्होंने
मैं मुड़ा ही था की माँ बोली- ये नहीं जायेगा, किसी और को भेज दो
माँ को भी अभी पंगा करना था ,
पिताजी- जा ना तू
मैं दौड़ते हुए पिस्ता के घर पहुंचा .
“काकी कहाँ है ”हांफते हुए पुछा मैंने पिस्ता से
“साँस तो ले ले पहले, कौन सी आफत आ गयी ऐसी ” उसने मेरे सीने पर हाथ रखते हुए कहा
मैं- पिताजी ने काकी को बुलाया है फ़ौरन
पिस्ता- क्यों, सब खैरियत तो है न
मैं- लग तो ठीक ही रहा था मुझे तो बस इतना कहा की काकी को बुला ला
पिस्ता- गाँव में गयी है आते ही भेजती हु
मैं अकेली है तू
पिस्ता- ना गाव मोजूद है सारे का सारा
मैंने आव देखा न ताव और पिस्ता को पकड़ लिया .
“छोड़ सुबह सुबह कौन करता है ये ” उसने कहा
मैं- माँ चुदाय दिन रात पप्पी तो लूँगा ही
पिस्ता- जबरदस्ती है क्या
मैं-हक ही मेरा
पिस्ता- हक़ हक़ कह कर मेरी गांड मार लेगा तू एक दिन , जा न दे रही पप्पी निकल यहाँ से
पिस्ता ने मुझे धक्का दिया और किवाड़ मूँद लिया
मैं- किवाड़ खोल दे नहीं
वो- जा ना
मैं- किवाड़ खोल दे छोरी
पिस्ता- चूतिये भाग जा यहाँ से.
उसने किवाड़ नहीं खोला मैं वापिस आ गया और पिताजी को बताया . नाज भी हमारे ही घर पर मोजूद थी .
“क्यों बुलाया है काकी को ” मैंने पुछा
नाज- पता नहीं
मैं चाय पिने ही लगा था की इतनी देर में काकी आ गयी उसने पिताजी के आगे हाथ जोड़े पिताजी ने उसे बैठने को कहा और मुझसे बोले- नाज के साथ खेतो पर चले जा .
बेमन से नाज के साथ मैं खेतो की तरफ चल पड़ा.