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Adultery जय का सफर-(Struggle,Adultery,Incest)

कहानी कैसी लगी?


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Rahul

Kingkong
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wonderfull story nice update
 
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(Episode 6)

चाची ने सब काम खत्म किया।जय ने सोने की तैयारी पूरी करके अपनी जगह लेट गया था।आज चाचा नही था तो जगह बहुत थी।
चाची ने दरवाजा बंद किया एक धीमी रोशनी वाला बल्ब चालू रख सारि लाइट बंद की।जय छोटी मुन्नी को सुला रहा था।मुन्नी सो गयी ये देख।चाची ने मुन्नी को एक साईड करके सुला दिया।चाची ने जय के सामने ही अपनी साड़ी को उतार दिया।उसके साथ ब्लाउज और पेटीकोट को भी उतार फेंका।
चाची सिर्फ पेंटी में थी क्योकि उसने ब्रा नही पहनी थी या निकाल दी थी।चाची आज मुझे 18 साल की लौंडी लग रही थी।40 के चुचे अभी भी भरे थे।चूत की रेशाये पेंटी के ऊपर से दिख रही थी।चूत कमाल की फूली थी।चुदने के लिए बेकरार थी।
चाची मेरे ऊपर हल्के से सो गयी और मुझे चूमने लगी।
चाची की गर्म सांसे और चूमते कोमल ओंठ मेरे लन्ड को गर्म कर रही थी।
चाची ने जय के होंठ पर हाथ की एक उंगली घुमाई और नॉटी सी हस पड़ी।मुझे वह स्पर्श बहोत अच्छा लगा।
उसने जय के होंठो पे जीभ घूमना चालू किया।जय तो सातवे आसमान में था।
उसने जय के लब्जो को बारी बारी चूसना चालू किया।उसकी मिठास जय को बहुत अच्छी लग रही थी।उसके चुचे मेरे छाती पे दब रहे थे।उसने मेरे जीभ को मुह में ले चूसना चालू किया।करीब 15 से 20 मिनिट ये चुसम चुसाई का कार्यक्रम चालू था।
चाची अपने चुचो को मेरे छाती पे घिसने लगी।उसने मेरी बनयान निकाल फेंकी और चुचो को हाथ में ले कर मेरे मुह पर अपने चुचे दबाने लगी।
एक चुचे को मुह में दिया और जय का एक हाथ दूसरे पे रखे दबाया।उनका इशारा समज कर जय ने चुचे को दबाना चालू किया।
चाची:मेरे जानू निप्पल्स भी चुसले।
जय चाची के दोनो चुचे और निप्पल्स बारी बारी चूस रहा था
चाची ने जय के माथे में चूम फिर नाक,फिर ओंठो पे 5 मीनट लिपलॉक फिर छाती पे चाटने लगी।उसकी जीभ नीचे नीचे जा रही थी।
उसने नीचे नीचे जा कर जय की शॉर्ट और अंडरवियर को एकदम से खींचा,वैसे जय का लन्ड एकदम से आज़ाद हुआ।अभी मैं पूरा नंगा था। तभी जय के लन्ड के पास गर्म से महसुस होने लगा।ओ चाची की वासनाभरी सांसे जय के लन्ड को छू रही थी।
चाची ने लन्ड के सुपडे की चमड़ी नीचे कर दी जय के मुह से"आह"निकल गया।पर उस समय जय को उतना दर्द नही हो रहा था।
चाची लन्ड को धीमे धीमे सहला रही थी।जय का लन्ड ठहाके मार रहा था।
चाची ने सुपडे को चूमा फिर लन्ड के नीचे तक चाटने लगी।
उसने लन्ड को चाट के पूरा गिला कर दिया।
उसने पहले मेरा लन्ड का सूपड़ा मुह में लिया और वही सुपडे का टोप लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।नीचे के अंडो को मसलने लगी।अभी ओ जय का पूरा लन्ड मुह में लेकर अंदर ही लन्ड को रख घुमाने लगी।उसकी चुसाई बहोत ही जड़ रोमांचक कारी थी।
पर बहोत देर से खड़ा लन्ड आखिर कर झड़ने को आया।
जय का लन्ड को अकड़ते हुए महसूस करते ही ओ सब समाज गयी पर ओ हिली नही।बल्कि उसने स्पीड बढ़ाया।
जय पूरा झड़ गया।उसने आधे से ज्यादा गटक लिया।बचा हुआ मेरे लन्ड पे था।
ओ वैसे ही उठी।जय को लगा उनको गुस्सा आया।पर उन्होंने पेंटी निकली।उनकी चूत गीली थी,ओ वैसे ही छूट फैला के नीचे बैठी और लन्ड को थोड़ा हिला के लन्ड के सुपडे को चूत के छेद पर लगाके नीचे बैठ गयी।
"आह उहूऊऊज आउच सी ईईईई"चाची सिसक गयी।
थोड़ी देर अइसे ही निकल गया और चाची फिरसे ऊपर नीचे होना चालू कर दी।
"आह उह आह हहहहहहहह उ हहहहहहहह सी ईईज्ज्ज् चुद गयी आज मेरे यार से आह चोद भड़वे चोद रंडी के बच्चे आज तो तेरा पूरा लन्ड खाऊँगी और तेरे बच्चे की मा बनूँगी,,,,,आह उह आह हहहहहहहह उ हहहहहहहह सी ईईज्ज्ज्
चाची की ये बाते जय को चकित और विचलित कर रही थी।
चाची ने जय हाथ चुचो पर रखे।जय चुचो को दबाना मसलना चालू किया,चुचे इतने बड़े थे तो उसके हाथ में निप्पल आ जाती थी।तो ओ अभी निप्पल्स को खींचने मसलने लगा।
चाची का स्पीड अभी थोड़ा कम हो रहा था ,मतलब चाची थक चुकी थी।तो जय ने उनको नीचे कर खुद ऊपर चढ़ा और लन्ड चूत में सेट कर धक्के पेलने लगा।
चाची:
"हा मेरा आह राजा बेटा जल्दी सिख गया आह हहहहहहहह आह सीईई छोड़ और जोर के धक्के मार बे मादरचोद लन्ड पूरा अंदर घुसेड आह हहहह सीईई"
चाची चरमसीमा पर आई थी पर मेरा बाकी था।चाची ने अपना माल झाड़ दिया।जैसे ही ओ झड़ी
चुदाई करते हुए"पछ फकक ककपच्छ पच्च्छ्" आवाजे आने लगी।
मैं तो पूरे होश खोके चुद रहा था।झड़ने के बाद चाची बहोत शांत हुई थी।मेरा भी वक्त आ रहा था।मेरा भी लन्ड अकड़ने लगा।मैं उसको बाहर निकालके झड़ने वाला था तभी , चाची ने मेरे गांड को दबाके लन्ड अंदर ही झड़ाओ अयसे इशारा किया।मैंने भी वैसे ही किया।मैं पूरा उसके छूट में झड गया।और थकावट से बाजू में गिर के सो गया।चाची भी काफी थकी की।बहोत दिन बाद दोनो की इतनी दमदार चुदाई थी।दोनो खुश थे ,ज्यादा कर निर्मला चाची।


कहानी जारी रहेगी।कमेंट करके बताना जरूर कैसे लगी।सुझाव देने या लेने है तो मेरे प्रोफाइल में भी मेरी पर्सनल contact के लिए id'स है वह पर फीडबैक दे सकते हो।
धन्यवाद कहानी आखरी तक इतने ध्यान से पढ़ने के लिए।
 
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(Episode 8)

सुबह 08 बजे

निर्मला आज खुश थी।उसकी मन की इच्छा थी ओ पूरी हो रही थी।कभी विकास आ जाए और उनके योजना की सफलता का जश्न मनाये अयसे उसको लग रहा था।
जय भी आंनद में था,क्योकि उसने किसी की मदत की थी।पर न जाने अनजाने उसे अभी चुदाई की लत लगी थी।
निर्मला ने मुन्नी को तैयार किया और हमेशा की तरह जय उसे छोड़ने गया।जाते वक्त निर्मला को मुझे आने में देरी होगी अयसे बता दिया।निर्मला उसके ऊपर खुश थी तो इसने "किसलिए?"कहके उसने उसको टोका भी नाहि।
जय को उसकी ये खुशी वाले इस पल को नीलू मौसी के साथ बांटना था,क्योकि उसके हिसाब से उसके इस बड़ी मुसीबत में जब वो विचलित था टैब नीलू मौसी के कहने पर उसको ये सन्तुष्टता मिली थी।
जय नर्सरी होम से सीधा समंदर किनारे नीलू मौसी के ठेले पर गया।पर ठेला अभीतक नही खुला था।जय आश्चर्य में पड़ गया।क्योकि 9 बजे तक ठेला शुरू हो जाता था।
ओ बात की गहराई समझने के लिए नीलू मौसी के घर में घुस जो ठीक ठेले के पीछे था।
घर का दरवाजा हलकासा बंद था।दरवाजा धकेल जय अंदर गया।
【नीलू मौसी का घर भी उसके रूम इतना ही था।शुरू होते ही खत्म ,बस फर्क इतना था की जय के चाचा का किचन रूम अलग था।पर नीलू मौसी के कमरे में सिर्फ एक बेड सामने सजा हुआ ओटे वाला किचन।एक कोने में बाथरूम(मोरी जैसा जो आधा कटा और कपड़ो से बंधा)थी।】
जय को अंदर कोई दिखाई नही दिया।न मौसी न उसका पति।वो जैसे ही पीछे पलटने वाला था।उसे पानी की झिनझिन आवाज सुनाई दी।वो थोड़ा आगे होकर देखा तो बाथरूम में बैठ नहा रही थी।
ओ जय के ठीक सामने बैठी थी।तो उसके मुरझाये बड़े चुचे ,गहरे काले निप्पल्स,उसके नीचे झांटो में पानी से भीगी रसभरी चूत।
अइसा रसभरा नजारा देख जय का लन्ड खड़ा होने लगा।
जय अपने आप पर काबू खोने लग गया था।उसने अपने लन्ड को शॉर्ट के ऊपर से ही सहलाना चालू किया।
यहा नीलू मौसी नहाने में दंग थी।नीलू मौसी अपने चूत में अंदर बाहर उंगली करने लगी।
उसकी मुह से सिसक की आवाज आने लगी।जय अभी काफी गर्म हो चुका था।लन्ड पेंट में अकड़ गया था।अकड़न की वजह से उसको दर्द हो रहा था।कुछ देर वो अयसेही देखता रहा।
अभी उसको वासना सहन नही हुई।उसने बाहर देखा कोई है या नही।दरवाजा धीमे से लॉक किया।उसने अपनी पेंट उतारी।और tशर्ट भी।अभी वो सिर्फ बनियान में था।मौसी का नहाना खत्म से हुआ था।ओ उठी और साइड के टॉवल से खुद को पोंछने लगी।अपनी चूत पर से टॉवल घिसते वक्त वो सहम गयी।पर उसकी नजर अबतक जय पर नही गयी।ओ अपनी ही खेल में गुंग थी।जय ने उसकी इस वासना का फायदा उठाने का सोचा।
ओ धीमे से मौसी के पीछे गया और उसे दबोच लिया।अचानक हुए इस वाकिये से मौसी चिल्लाने वाली थी पर,इसका जय को अंदाजा था।उसने मुह हाथ से दबोच लिया।थोड़ी देर झटपट करने के बाद ओ शांत हुई।जय ने हाथ निकालते हुए।उसके दोनो चुचो को मसलना चालू किया।मौसी ने पीछे मुड के देखा तो जय था।
नीलू मौसी:जय ये क्या घटिया पन है,छोड़ो मुझे।
जय तो पूरे नशे में था।
जय:कैसा घटिया पन,तुझे तो आज लन्ड का स्वाद दूंगा,तू भी बड़ी रसीली माल है।
मौसी:मैं तेरे मा जैसी हु।अइसा मत कर,गलत होगा।
जय:अरि चाची भी तो माँ जैसी थी।पर तूने तो उससे चुदने की राय दी थी।
मौसी:अरे गलती हो गयी।पर अभी छोड़ दे।मुझे कंट्रोल नही हो रहा।
जय ने एक चुचे की मसलते हुए दूसरा हाथ चुत में डाल
बोला"किसने कहा कंट्रोल करने को,तुभी मजे ले मुझे भी देदे"
जय ने मौसी को अपनी तरफ घुमाया और उसके ओंठो पर ओंठ चिपका दिए।ओ मौसी के रसीले लब्जो का रस पीने लगा।ओ चाची के निप्पल्स खींच रहा था।उसका लन्ड चाची के चूत पर घिस रहा था।घिसते लन्ड से रस भरी चूत वासना में आ गयी।मौसी ने जय का लन्ड पकड़ लिया।और उसको धक्का सा लगा।लन्ड काफी बडा और तना था।चूत वैसे भी गरम थी।और अइसे दमदार लन्ड के अनूभव से मौसी भी अभी जय का साथ देने लगी।उसने भी उसको गर्दन पकड़े खींच लिया।मौसी के रिस्पॉन्स को देख जय भी उत्तेजित होक ओंठ चूसने लगा।
उसने चाची को उठाया और पलंग पे सुलाया।
मौसी पूरी नंगी थी।उसने चाची के पैर साइड कर के चूत में उंगली डाली और अंदर बाहर करने लगा।उसने चूत पर जीभ को रगड़ना चालू किया।
मौसी के "आह आह सीईई आह "के सिसकने की आवाजे घूम रही थी
जय ने ज्यादा टाइम न होने की वजह से मौसी के पर लन्ड को टिकाया और धक्का दिया
मौसी चिल्लाई:आह आह धीमे से ईईईई,दर्द हो रहा हाईईई,,जय आहिस्ता आह"
थोड़ी देर दर्द के जाने तक जय मौसी के चुचो को चूसने लगा।जैसे ही उसको लगा की मौसी सेट है।ओ आहिस्ता आहिस्ता धक्के देना चालू कर देता है।
थोड़ी देर मौसी को मजा आने लगता है ये देख जय भी स्पीड बढ़ाता है
मौसी:
"आह आह जय आह चोद दे बेटा खुश करदे तेरी रंडी को भर दे पूरा आह आह आह पूरा लन्डआह आह जय आह चोद देआह आह जय आह चोद देआह आह जय आह चोद देआह आह जय आह सीईई,,,,"
कुछ देर अइसे ही चोदने के बाद
"पच्च्छ्पककपचपच"की आवाजे शुरू हुई।
लगता है मौसी झड गयी।
जय ने भी स्पीड को थोड़ी बढ़ाया।
अभी ओ भी झड़ने वाला था।उसने झड़ने के वक्त लन्ड बाहर निकाला।
तभी मौसी खड़ी हुई और उसका लण्ड मुह में लेके चूसने लगी।
जय ने भी कोई संकोच न करते हुए उसके मुह को चोदने लगा।उसका लन्ड अकड़ा और एक साथ ढेर सारा माल उसके मुह में छोड़ दिया।
जय:क्यो मौसी मजा आया।
मौसी:बहोत,बहोत दिनों की संतुष्टि मिली।और मौसी ने उठ के उसके माथे वे चुम्मा ले लिया।
जय:मौसी मैं आता हु ,चाची राह देख रही होगी।
मौसी:आना जरूर,चाची को ही नही मौसी को भी तेरे लन्ड की जरूरी है अभी।भूल न जाना।
जय हस दिया और कपड़े पहने घर चला गया।
 
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हमारा यह पर पहला सीजन खत्म होता है।इसमे हमने दिखाया की गांव का एक लड़का सीधा साधा पारिवारिक मूल्य रखने वाला अपने चाचा के कहने पर शहर में रोजीरोटी के लिए आता है।पर यहाँ पर उसको कुछ अलग ही मामले समझ आते है।और उन पहेलियों को सुलझाते हुए ओ खुद उसमे फस जाता है।अभी एक लड़का होशियारी से संभालेगा या इस चक्रविव में फसेगा।देखेंगे।आने वाले सीजन में।अबतक के सहयोग के लिए धन्यवाद अयसेही बने रहे।मजा बहोत आने वाला है।

:dontgo:
Season 2 comming soon
:drummer:
 
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