• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery जय का सफर-(Struggle,Adultery,Incest)

कहानी कैसी लगी?


  • Total voters
    30

sunoanuj

Well-Known Member
3,147
8,386
159
भाई अगला अपडेट जल्दी देना ।
 
  • Like
Reactions: Mr Sexy Webee
191
1,309
124
512ad2bcf29e0.webm

★Season २★
जय का सफर-(Struggle,Adultery,Incest)
(Episode 1)


जय अभी चाचा चाची के रचाये योजना के वजह से चुदाई के इस भवर में फंसता जा रहा था।पारिवारिक मूल्यों को मानने वाला एक सर्वसाधारण घर का एक नौ जवान जो चाचा के कहे अनुरूप शहर में नाम कमाने आया था।आज इस अनचाहे रास्ते पर सफर कर रहा है।आगे जाके कितना STRUGGLING करना है उसको इसका कोई ज्ञान नही था।
एक दो दिन अइसे ही बीत गए।उस बीच निर्मला चाची के और नीलू मौसी के साथ जय के शारिरिक और मानसिक दोनो संबंध बड़े गहरे हो गए थे।उसकी गांव में भी मातापिता से बातचीत होती रहती थी।
चाची:सुनो जय,कल से मेरे साथ आना है तुझे।
जय:कहा चाची?
चाची:तेरे लिए एक काम देखा है मैंने,जबतक तेरे संगीत का कोई बंदोबस्त नही हो जाता तबतक कुछ कमा कर जेठजी को भेजा कर,उतनी मदद उनको।
जय चाचा के बारे में सोचने लगा।
चाची समझ जाती है
"तू चाचा का मत सोच,उन्होंने ही कहा था।विश्वास है न अपने चाची चाचा पर?"
जय :जी चाची,कल मैं आ जाऊंगा।
दूसरे दिन सुबह चाची जय को लेकर उनके बस्ती से बस चलते है 15 मिनट की दूरी पर एक अपार्टमेंट कॉलोनी थी,वहां पहुंच गए।
जय ने जिंदगी में पहली बार शानदार जगह देखी थी।बडी गाड़िया,बगीचे,और बहुत कुछ।
उस कॉलोनी के मैन गेट पर आते ही।चाची ने किसीको कॉल किया।
निर्मला चाची:हेलो,शालू,मैं जय को लेके आई हु,तुम....।
चाची बात कर रही थी तब तक जय पूरी कॉलोनी का बाहर से जायजा ले रहा था।
चाची:जय चलो
जय और चाची अंदर घुसे,चाची की सेक्युरिटी से बात हो जाने के बाद,सेक्युरिटी के कहे अनुसार हैम उस बिल्डिंग में घुसे ,सभी बिल्डिंग 5 मंजिल की थी।
लिफ्ट से दोनो 5 वे माले पे पहुंच गए।जो रूम नंबर दिया था वह पर बेल बजाई।
सामने शालू थी।जय चौक सा गया।
निर्मला:जय जिसको मैं या शालू हा बोलने बोले वहा सिर्फ हा बोलो बाकी चुप रहना।
अंदर ये भैया और भाभी बैठे थे और उनके माता पिता।
शालू ने हम दोनो की पहचान करवाई और काम के बारे में पूछताछ होने लगी।जय सिर्फ मुंडी हिलाक़े हामी भर रहा था।उसे कुछ मालूम पता नहीं था की ओ किस चीज को हा कर रहा है।
सामने वाले लोग बहुत खुश दिख रहे थे।गरीब झोपड़े में रहने वाला लड़का आज रइज लोगो के आलीशान महल को देख होश खो गया था,उसे वहां जो कुछ हो रहा था उसका कोई जायजा नही था।
उस भैया के पिताजी ने मुझे पुकारा.:
"क्यो बेटा पसंद आया घर.कल से आ जाना,पर ओ सामने के रूम में,ये मेरे बेटे का है।
जय:जी अंकल जी(जय ने सर झुका कर हा कर दी)
जय निर्मला और शालू तीनो नीचे आ गए।
निर्मला और शालू कुछ बड़बड़ा रही थी
"शालू कुछ होगा तो नही न,विलास मार डालेगा मुझे"
"कुछ नही होता नीमू"
जय ने जैसे आंखे घुमाई दोनो शांत हो गयी।
शालू गेट तक आई ।बाद में निर्मला जय को लेके घर आई।
दोपहर दोनो ने खाना खाया।निर्मला मुन्नी को लेकर सुला रही थी।जय घर से बाहर घूमने निकल गया।
जय आदतन अपने बात को शेयर करने नीलू मौसी के पास पहुंचा।
ठेले के पास जाते ही उसे मौसी का पति दिखा।कहि जा रहा था।जय को भी मालूम हो गया था की मौसी का पति जुवारी है।उसके जाने के बाद जय अंदर घुसा।मौसी कपड़े सूखा रही थी।मौसी हमेशा साड़ी में रहती थी तो पीछे से पसीने की वजह से सदी चिपकी थी।कमर पसीने के पानी से चमक रही थी।
जय उत्तेजित हो रहा था।ओ मौसी के पीछे गया और मौसी को दबोचा।अचानक हुए उत्तेजित स्पर्श से मौसी सिहर गयी।
जय ने मौसी की गर्दन चूमना चालू किया।मौसी चुम्मे से उत्तेजित हो रही थी और उसके हाथ छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।पर जय ने अपना चुम्मा चटाई का काम चालू रखा।उसने हाथ को ऊपर सरका कर चुचो को अपने हाथो के वश में कर लिया।और दबाने मसलने लगा।मौसी सिसक रही थी।पसीने से भीगा ब्लाउज चुचो से चिपका था तो चुचो का अस्पष्ट तरीके से स्पर्श हो रहा था।
हवस की वजह से जय का लन्ड हरकत करने लगा।जैसे ही तना उसका स्पर्श मौसी के गांड और गांड के छेद पर होने लगा।मौसी स्पर्श से सिहर गयी।ओ पूरी लाल हो गयी।जय लन्ड को गांड पर घूमाने लगा।वासना में होश खो बैठी चाची अपनी गांड को उसके लन्ड पर दबाने लगी।
जय उसके चुचो को ब्लाउज खोल के आज़ाद कर दिया

यह पर निर्मला जय को ढूंढते हुए मौसी के दरवाजे तक आई थी।
जय ने मौसी की साड़ी ऊपर खींची और पेंटी खींच के चूत पर हाथ मसलने लगा।मौसी की सिसके बढ़ी
"आह आहजय ययययय आह"
जय ने शॉर्ट के साथ अंडरवियर उतारी ।लन्ड को हाथ में घिसाया और चूत पर पीछे से सेट करके।मौसी को दीवार को टिकाये धक्का मार दिया।
मौसी:आह अम्मा आह सीईई"
थोड़ी प्रतीक्षा कर उसने घोड़े के माफिक चुदने को चालू किया।चुचे मसल के लाल हो गए थे।
निर्मला ये देख पहले तो जय से गुस्सा हो गयी,पर उसके चूत ने भी पानी बहाना चालू किया था।विकास चाचा तो पहले से ही नही चोदता था,बीच में जय ने भी चोदना छोड़ दिया था।और उसका कारण उसको मालूम हो गया।उसके मन में अंदर घुसने की बात आई पर कुछ सोच के ओ घर चली गयी।
इधर जय जोरो से घोड़ दौड़ कर रहा था।मौसी भी आनंद ले रही थी।
पूरी चुदाई में मौसी दो बार झड़ी पर इसबार जय भी चरण सिमा पे आ गया और उसने लन्ड बाहर निकाल लन्ड को हिलाक़े पूरा माल जमीन पे छोड़ दिया
शालू मौसी ने पेंटी ऊपर की और साड़ी ठीक कर जय को पलंग पे बैठने बोली।
ओ कपड़े सूखा रही थी।
जय:मुझे काम मिला है,कल से जाना है
मौसी:अच्छा है,पर मुझे न भूल जाना
जय:नही मौसी,बस रोज रोज नही आ पाऊंगा
मौसी:हप्ते में 1 2 बार तो आ जाना,जब तक तेरा लन्ड नही चखती,चूत ठंडी ही नही होती
जय:हा मौसी,मेरे लन्ड को भी तेरे चूत की आदत सी हो गयी।
मौसी उसके पास जाके बैठती है और गाल पर किस करती है
जय:चाचा नही चोदते क्या
मौसी:उस रन्डवे को मेरे चुत की क्या पड़ी,उसको तो पैसे कमाने का शौक है,तू है तो अभी उसकी जरूरत नही।
जय:ठीक है मैं आता हु,चाची राह देख रUही होगी।
मौसी से अलविदा लेके जय घर पहुंचा।
इधर निर्मला गुस्से से और चुत की आग से तड़प रही थी।
जय जब घर के अंदर घुसा उसे सन्नाटा से मालूम हुआ।मुन्नी सोई थी।पर चाची नही थी वहां।किचन से भी बर्तन की आवाज नही।
जय किचन कर अंदर गया वैसे पीछे से दरवाजा बन्द हुआ।
जय ने देखा चाची पूरी नंगी किचन में खड़ी थी।
बदन गिला था।गिला बदन। संगमरमरी जैसा चमक रहा था।
जय के रोज दबाने से चुचे भी गोल मटोल हो चुके थे
रोज चुदाई होती थी तो निर्मला चुत की झांट भी साफ करती थी।उस वजह से बदन से गिरती सरकती पानी की लहर चुत के बीच में जा रही थी।
जय का भी लन्ड अभी उछलने लगा।उसने खुद को पूरा नंगा किया।
खड़े लन्ड को देख निर्मला का गुस्सा थोड़ा ठंडा पड़ गया।ओ जय से आके चिपक गयी और उसके पूरे शरीर को चूमने लगी।जय ने उसके सर को पकड़ा और उसके ओंठो को चूमने लगा,उसने उसकी जीभ मुह में लेके चूसना चालू किया।उसने जय को कस के पकड़ा।जय चाची के ओंठ बारि बारी चूस रहा था।दोनो नंगे हवस के पुजारी रसपान करने में मदहोश हो चुके थे।
पीछे से पिछवाड़े को दबाकर उसे करीब खींच लिया।
करीब खींच दबाने से लन्ड चुत पे घिसने लगा।चाची सिहर सी गयी।उसने जय के लन्ड को हाथ से मसलना चालू किया।जय चाची की जीभ को चूस रहा था।
दोनो अपनी हवस में थे तभी किचन का दरवाजा खुल गया।
विलास चाचा था।जय का लन्ड जो आग में डाले लोहे जैसा था ओ सिकुड़ गया।
जय को क्या करू क्या नही कुछ समझ नही आ रहा था।उसने कपड़े पहने और चाचा से नजर न मिलाये ही भाग खड़ा हुआ।
पर चाची न खुदको छुपा रही थी न डर रही थी,पर इस बात पर ध्यान देने जितना समय नही था।ओ बस चाचा के मार से बचना चाहता था।
जय के जाने के बाद विलास ने किचन का दरवाजा बंद किया।
जय बाहर के खिड़की से देख सोच रहा था
"अब चाचा पहले चाची की और बाद में मेरी खबर लेगा,....."

"नही नही मैं थोड़ी देर बाहर रुकता हु चाचा थोड़ा शांत हो जाए तो पैर पकड़ लूंगा"

जय वहां से निकल जाता है

यहाँ नंगी निर्मला अपनी चुत पर हाथ सैलाती हुई
"क्या जी आप भी कुछ समय नही आपका,अच्छी खासी चुत चुदने वाली थी"
विलास:अरे पर दिन में ये सब,रात में ठीक था।
निर्मला:पर चुत को मेरे रात दिन नही दिखता,बस लन्ड चाहिए उसको
विलास:फिर ठीक है,अभी मेरा ही ले लो।
निर्मला का मन नही था पर वो दीवार पर सट के खड़ी हुई और चूतड़ फैला दिए।
विलास ने पेंट नीचे कर लन्ड निकाल सहलाया और जब खड़ा हुआ तो पीछे से लगा के धक्का मार दिया।जय के लन्ड के मुकाबले विकास का लन्ड छोटा और बहोत कमजोर था।
विकास अपनी पूरी ताकद लगा के चुत चुदने की कोशिश कर रहा था।
निर्मला:छोड़ो न जी,नही होगा आपसे।
विकास बाहर जाके बेड पे बैठ गया।निर्मला ठीकठाक तैयार होकर काम पे जुट गयी।
शाम के 7 बजे थे।
जय डरता हुआ अंदर आया।विकास के चेहरे पर कोई भाव नही था।
जय पूरी तयारी के साथ आया था।उसने आते ही विकास के पैर पकड़े और माफी मांगने लगा।
विकास हड़बड़ाया उसने उसको पकड़ा उठाया
विकास:अरे हा हा शांत हो जाओ।इसमे इतना बुरा मानने वाली बात नही है।
जय:पर चाचा ये गलत था,मुझे जो चाहे सजा दो पर मा बाबा को मत बोलना प्लीज़।
विकास मुस्कराया
"अरे पगले तेरे वजह से तो मेरा परिवार खुश है।मैं जो मेरी बीवी को सुख न दे सका वो तूने दिया।जिससे घर की मर्यादा भी नही टूटी,तू तो घर का ही है।चाची जितनी मेरी उतनी तेरी।"
दोनो की बाते सुन निर्मला बाहर आयी।
निर्मला:"और जय तूझे तो हमारा सपना पूरा करना है।"
जय:कौन सा???
निर्मला:"मुझे प्यार से नन्हा बेटा दे दे।पूरे जिंदगी भर तेरी और तेरे लन्ड की आभारी रहूंगी।आखरी सास तक तेरे लन्ड की सेवा करूँगी।"
विकास:"और तेरी सजा भी यही है।"
जय थोड़ा आश्चर्य में था,उसे लगा नही था चाचा चाची इतने जल्दी खुल जाएंगे

रात के खाने के बाद,विकास मुन्नी को लेके लगाए बिस्तर बार सुला रहा था।जय भी अपनी जगह पे था।निर्मला अपना काम खत्म कर रही थी।
जय की अइसे ही सोये सोये आंख लग गयी।जब आधी रात उसकी आंख खुली तो बाजू में चाचा मुन्नी के साथ सोया था पर उनके बीच जो सोती थी वो निर्मला नही दिखाई दे रही थी।
तभी जय का पेंट अंडरवेअर के साथ नीचे खींच गया।
नीचे देखा रो निर्मला पूरी नंगी लन्ड पे टूट पड़ी।उसने लन्ड को हिलाकर तना दिया और लन्ड चूसने लगी।लन्ड का तापमान और कठिनता देख ओ खड़ी रही और लन्ड पर आके घुटनो पे बैठ गयी।चुत के छेद पर लन्ड का सुपडे को घिसया और हाथ से जोर देकर छेद पर घुसाया।और नीचे बैठ गयी।
"आह अम्मा आह सीईई मर गयी आह"
उसकी मादक आवाज से जय को बहुत रोमांचीत महसूस हुआ।थोड़ी देर रुकने के बाद वो नीचे ऊपर होने लगी।

"आह राजा चोद दे तेरी रानी को आज तेरी ये रंडी दिलखोल आह आह चु ऊऊऊ देगी आह......"
जय भी मजे लेके गांड उठा के चोद रहा था।
रात भर दोनो बड़े मजे से चुदे।

सुबह 7 बजे
जय की किसी आवाज से आंख खुली।उसने देखा चाची उसके साइड में सोई हुई चाचा का लन्ड चूस रही थी।
चाचा:क्या जय रातभर बहोत पेला चाची को,तुम लोगोंकी चुदाई ने मेरे लन्ड का हाल बेहाल किया।इसलिए थोड़ा.
इतना बोल चाचा हस दिया।
जय का ओ नजारा देख लन्ड खड़ा हो रहा था।उसने चाची के नंगे चुचो को मुह में लेकर चूसना चालू किया ।निप्पल्स को खिंचके चूसने लगा।चाची सिसक गयी।
जय का खड़ा लन्ड चाची के कमर के नीचे घिस रहा था।घिसता हुआ लन्ड चाची को और उत्तेजित कर रहा था।

चाची ने उसका लन्ड मसलना चालू किया चाची के कोमल हाथो के छूने से लन्ड और तन गया।और जय में भी उत्तेजना आ गयी।जय ने और जोर से चुचे चूसना मसलना चालू किया।इतने में चाचा झड़ गया।पर चाची सोई हुई थी तो पूरा माल चद्दर पे गिर गया।चाचा उठ कर बाथरूम गया।

चाची ने करवट बदल के मुह जय के साइड किया और उसका मुह उठा के उसे ओंठ चूमने लगी।उनकी मुह की चुसम चुसाई चालू हो गयी।पर तभी शालू ने बाहर से आवाज दी।दोनो झट से उठ लपेट कर तयार हो गए।
जय ने हाफ शार्ट और खुले बदन में जाकर दरवाजा खोला।
शालू ने जय को देखते ही अपनी आंखे चौड़ी की।
जय ने उसका ध्यान तोड़ते हुए अंदर बुलाया।पर शालू सिर्फ बोली"चाची को बोल 1 ला दिन है।देर मत कर"

शालू जाने के बाद जय अंदर गया।चाची बाथरूम से बाहर आ रही थी।जय उसको देखते रह गया पर चाची ने उसे जल्दी तयार होने बोला।
जय को उसके काम पर छोड़ चाची निकल गयी।
जय अंदर गया वैसे भैया की मा ने रूम में बुलाया।
जय झिझकते हुए अंदर गया।उनका नाम सिमा था।
सिमा:देखो जय आज पहला दिन है तो पहले घर देख लो।कुछ होगा तो मैं बता दूंगी।और जबतक मैं न बुलाऊ तबतक वह खिड़की के पास के जगह पर बैठे रहना।
जय हा बोलके बाहर जा बैठा।

उसदिन और अगले 3 4 दिन उसको कोई काम न बताया गया।बस उसे कुछ समान लाने भेजती थी।पर उस दौरान कोई न कोई लड़का घर आता जाता था।पर जय ने उसपर ज्यादा ध्यान नही दिया।उसे अपने काम से काम रखना था।

पर जब भी जय चाची के बुलाने पे जाता था चाची अधनंगी मिलती थी।जय का रोम रोम उत्तेजित होता पर काम है ये समझ के ओ कंट्रोल कर लेता था।जय अभी सारी परिस्थितियां समझ चुका था।पर उसे कोई और कोई काम नही था तो उसने कुछ बात आगे न बढ़ाई।

उसदिन शाम को जय घर आया।चाची और चाचा कहि पर जा रहे थे मुन्नी को लेकर।चाची रो रही थी।
चाचा:देख जय चाची के पिताजी गुजर गए है।हम दो दिन के लिए वह जा रहे है।चाची ने अपनी किसी दोस्त को तेरे खाने का बोला है।संभाल लेना।
जय:ठीक है चाचा।कोई नही।बस चाची का खयाल रखना।सम्हाल के जाना
चाचा और चाची के जाने के बाद।जय फ्रेश होक शोर्ट और बनियान में बैठे tv देख रहा था।
तभी डोरबेल बजी।उसने उठके दरवाजा खोला।शालू थी।
ओ अंदर आई वैसे उसने दरवाजा बन्द किया।
जय चौक गया।ओ कुछ बोले उसके पहले ओ बोल पड़ी।
"अरे जय ओ तेरा खाना बनाने को बोली थी,चाची तेरी।
जय ने ठीक है बोला और सोफे पे बैठ tv देखने लगा।
शालू उसको ताड़ते हुए किचन के अंदर घुस गयी।
उसने फटाफट खाना बनाया और बाहर जय को बुलाने आई तो उसने देखा।









कहानी जारी रहेगी......…..……

 
Last edited:

Rahul

Kingkong
60,514
70,677
354
superb update bhai
 
  • Like
Reactions: Mr Sexy Webee
Top