खैर जैसे तैसे खाना खा कर मैं सोने गया।
रात भर सपने में मां मुझे नंगी ही दिखती रही, मां की मोटी चूचियां और फूली हुई गांड़ सोचते सोचते मैं पता नही कब सो गया। दूसरे दिन सुबह मेरी आंख जल्दी खुल गई शायद करीब ६ बजे न जाने क्यों मैने सोने की कोशिश की लेकिन नींद न आई दोबारा। आखिर मैं अपने कमरे से निकल कर ऊपर छत की तरफ चल दिया मुझे क्या पता था कि मेरी किस्मत में क्या लिखा है मैं छत पर खड़ा होकर खेतो की तरफ देखकर ताजी हवा का मजा लेने लगा तभी नीचे आंगन से दरवाजे की कुंडी खुलने की आवाज आई मैंने धीरे से उधर झांका तो देखा की चाची और मां दोनो हाथ में पानी का डिब्बा लेकर बाहर निकल रही थी मैंने सोचा की ये दोनो एक साथ कैसे जाएंगी शौचालय के अंदर तभी मुझे याद आया की जब ये शौचालय बन रहा था तब मैने सुना था ये दोनो बतिया रही थी आपस में की हम तो उसमें न कर पाएंगे टटी- पेशाब, बचपन से खुले में करने की आदत लगी है उस बंद कमरे में घुटन हो जाएगी। शौचालय पूरे घर में सिर्फ मैं इस्तेमाल करता था। ये याद आने के बाद लग गया मेरा दिमाग खुराफात में।
में धीरे से झुककर छत के बारजे में बने झरोखे में से झांकने लगा चाची और मां दोनो ही शौचालय के पीछे गई और वही खुले में ही अपनी अपनी साड़ी उठाकर हगने बैठ गई।
रात भर सपने में मां मुझे नंगी ही दिखती रही, मां की मोटी चूचियां और फूली हुई गांड़ सोचते सोचते मैं पता नही कब सो गया। दूसरे दिन सुबह मेरी आंख जल्दी खुल गई शायद करीब ६ बजे न जाने क्यों मैने सोने की कोशिश की लेकिन नींद न आई दोबारा। आखिर मैं अपने कमरे से निकल कर ऊपर छत की तरफ चल दिया मुझे क्या पता था कि मेरी किस्मत में क्या लिखा है मैं छत पर खड़ा होकर खेतो की तरफ देखकर ताजी हवा का मजा लेने लगा तभी नीचे आंगन से दरवाजे की कुंडी खुलने की आवाज आई मैंने धीरे से उधर झांका तो देखा की चाची और मां दोनो हाथ में पानी का डिब्बा लेकर बाहर निकल रही थी मैंने सोचा की ये दोनो एक साथ कैसे जाएंगी शौचालय के अंदर तभी मुझे याद आया की जब ये शौचालय बन रहा था तब मैने सुना था ये दोनो बतिया रही थी आपस में की हम तो उसमें न कर पाएंगे टटी- पेशाब, बचपन से खुले में करने की आदत लगी है उस बंद कमरे में घुटन हो जाएगी। शौचालय पूरे घर में सिर्फ मैं इस्तेमाल करता था। ये याद आने के बाद लग गया मेरा दिमाग खुराफात में।
में धीरे से झुककर छत के बारजे में बने झरोखे में से झांकने लगा चाची और मां दोनो ही शौचालय के पीछे गई और वही खुले में ही अपनी अपनी साड़ी उठाकर हगने बैठ गई।
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