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abhi may ka mahina aane to doYe kahani may weather se bhi jyada hot hai
tba shayad yaha bhi garmi thodi aur bad jayegi
abhi may ka mahina aane to doYe kahani may weather se bhi jyada hot hai
आपकी सॉरी जायज़ है, क्योंकि आपकी कमैंट्स के बिना अगला पार्ट लिखने का मजा ही नहीं आतापहले तो कमेंट करने में विलम्ब के लिए सॉरी
और दोष क्या कहूं लाइक करने के लिए भी आधा घण्टा जूझना पड़ता था , तीन तीन पन्ने खुल जाते हैं और पांच मिनट तक पोस्ट पढ़ के कुछ करिये तो फिर वही तीन चार पन्नों पर विज्ञापन की देवियां साकार इत्ती झुंझलाहट, ... कुछ दिनों से वो समय शायद बढ़ाके १० मिनट का कर दिया है,
एक अनुभवी प्रौढ़ा का मिलन प्रसंग और शब्दों का जादू आप ही दिखा सकते हैं
"पर अभी तो उसका पूरा ध्यान इस बेशक़ीमती नगिने पर था, जिसकी नागमणियाँ वो अभी चूस रहा था"
....
"पूरा दबा कर उसके गले तक अपना खूँटा गाड़ दिया बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी पर इस छटपटाहट में भी एक मज़ा था"
बेचारी रस्सी से बँधी बकरी की तरह मिमिया कर रह गयी उसके इस प्रहार से
अभी मैंने दो बार पढ़ा आद्योपांत
बहुत सुन्दर
और साथ होली की बधाइयाँ भी एक बार फिर से
photo high
THANKS A LOT FOR YOUR LOVELY COMMENTबड़े ही किस्मत के धनी निकले सुधीर सर। शेफाली के साथ धुआंधार खाट कबड्डी खेल लिया और अनु इस खेल मे अपनी पारी का इन्तजार कर रही है।
बहुत ही हाॅट और कामुक अपडेट था।
अनु और उसकी सहेली के क्या ही कहने ! सेक्स के प्रति काफी उच्च विचार रखती है। उन्मुक्त और स्वतंत्र भाव से सेक्सुअल लाइफ एन्जॉय करना चाहिए। सेक्स पार्टनर के सेलेक्शन मे सोच दकियानूसी भी नही होनी चाहिए।
शायद यही वजह थी कि संजू और सुधीर सर को इन्हे हासिल करने मे ज्यादा जहमत नही उठानी पड़ी।
बेहतरीन अपडेट अशोक भाई। आउटस्टैंडिंग अपडेट्स।
fantastic updateआप लेखक नहीं चितेरे हो, शब्दों से चित्र बल्कि चल चित्र खींचने का जादू,... और तन पर ही नहीं मन में क्या उथलपुथल चल रही है , बहुत ही सुंदर पोस्ट, ...
fantastic updateअनु ने धड़कते दिल से दरवाजे पर नॉक किया
अंदर से मॉम की आवाज़ आई
“डोंट बी सो फॉर्मल अनु, आ जाओ अंदर”
अनु ने हेंडल घुमाया और दरवाजा खोलकर वो अंदर आ गयी
मॉम अपनी अलमारी से कुछ ढूँढ रही थी
मैं कुछ देर तक वहां खड़ी रही और फिर धीरे से बोली : “मॉम .वो….आ ई …आ ई एम् सॉरी…”
मॉम ने बड़े ही केजुअल तरीके से कहा : “सॉरी .... वो किसलिए ? ‘’
मैने नज़र उठा कर देखा तो वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी
उन्होने मुझे इशारे से अपने पास बुलाया
मेरा डर अब थोड़ा कम हो रहा था
मॉम ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने साथ बेड पर बिठाया और बोली : “देखो अनु… जो आज हुआ, जिस हालत में तुम थी, जो तुम कर रही थी…वो सबके लिए मुझे बुरा नही लगा…इनफॅक्ट ये सब तो नॉर्मल है, सब लड़किया करती है, ये उम्र ही ऐसी है “
अनु फ़ैली आँखो से अपनी माँ को देख रही थी
शेफाली : “मुझे सिर्फ़ इस बात का बुरा लगा की तुम दरवाजा लॉक करना भूल गयी, ऐसे में कोई पड़ोसी , गार्ड , कूरियर बॉय या कोई और अंदर आ सकता था ना, तुम्हे ऐसे न्यूड देखकर वो क्या करता तुम्हारे साथ ये बताने की ज़रूरत नही है…”
वो कुछ देर चुप रही और फिर बोली : “वैसे देखा जाए तो ऐसी हालत में कोई आ जाता तो शायद तुम अपनी फ़ेंटेसिस को पूरा कर सकती थी “
ये सुनकर मेरे चेहरे पर हँसी आ गयी, क्योंकि जिस अंदाज में वो बोल रही थी उससे सॉफ पता चल रहा था की वो मेरी लापरवाही का मज़ाक बना रही है
मैं : “मॉम.... आर यू श्योर ना, आप मुझसे गुस्सा नही हो ! “
शेफाली : “अब क्या लिख कर दूँ स्टैम्प पेपर पर….एज आई सेड अर्लीयर, इट्स ओके टू मास्टरबेट ….तुम्हारी उम्र में मैने भी किया है”
ये सुनकर मैं हेरत से उन्हे देखने लगी
शेफाली : “ऐसे क्या देख रही हो, मॉम तो अब हूँ ना, पहले तो मैं भी तुम्हारी तरह एक लड़की थी, उस उम्र में जब ऐसी चाह अंदर से जागती है तो अपना सहारा तो यही है ना “
वो मुस्कुराती हुई अपनी लंबी पतली और गोरी उंगलिया नचा कर उसे दिखाने लगी
मैं अब नॉर्मल हो चुकी थी, मॉम भी मास्टरबेट करती थी मेरी उम्र में , शी इज सो कूल यार
अचानक मेरे मुँह से निकला : “मास्टरबेट तो आप अभी भी करते हो “
मैने बोल तो दिया पर मुझे फिर उस बात पर पछतावा हुआ, क्योंकि अब वो जान जाएँगी की मैने उन्हे ऐसा करते हुए देख लिया था
मॉम ने कुछ देर तक मुझे देखा और फिर बोली : “आजकल तो ज़्यादा ज़रूरत पड़ती है मुझे इसकी”
कहते हुए उन्होने मुझे आँख मार दी
हम दोनो मुस्कुरा उठे
अब सब नॉर्मल लग रहा था
वो बोली : “देखो बेटा, ये सब बाते मैं तुमसे इसलिए कर रही हू क्योंकि हमारा एक दूसरे के सिवा कोई और नहीं है, इसलिए मैं नही चाहती की हमारे बीच कोई परदा हो, हम दोनो को किसी भी तरह की बात एक दूसरे से नही छुपानी चाहिए, ये मास्टरबेशन तो बहुत नॉर्मल सी बात है, तुम चाहो तो मेरे सामने भी कर सकती हो बट सैक्स इज़ एक्सट्रीम स्टेप, इसलिए प्रॉमिस करो की जब तक सही उम्र ना आए, तुम उससे दूर रहोगी…”
आख़िर में मॉम ने वो बात बोल ही दी जिसके लिए ये सब ड्रामा हो रहा था, वैसे वो भी सही थी अपनी जगह, एक जवान लड़की जो इस उम्र में आकर नंगी मुट्ठ मारती हुई पकड़ी जाए वो चुदाई के खेल में कैसे बवाल करेगी उससे हर माँ को डर लगना वाजिब था
मैने उनका हाथ पकड़ा और बोली : “मॉम , ट्रस्ट मी , ऐसा कुछ भी नही है अभी, एन्ड आई अंडरस्टॅंड माय लिमिट्स, सैक्स जब ही होगा, अपने टाइम पर होगा, और आपको बता कर होगा, प्रॉमिस…”
ये सुनकर वो मुझे गले लगाकर सुबकने लगी, मैं भी रोने लगी , शायद बहुत दिनों बाद हम माँ बेटी इस तरह एमोशनल हुई थी.
फिर माहौल को नॉर्मल करने के लिए वो अपने आंसू पोंछती हुई मुझसे बोली : “चल अब मेरा एक काम कर दे, मेरी बैक में बहुत दर्द है, ये बॉम ले और मुझे पीठ पर लगा दे”
इतना कहते हुए वो उठी और अपनी कुरती निकाल कर साइड में रख दी, उनकी भरी हुई छातियां ब्लैक ब्रा में बँधी मेरी आँखो के सामने झूल गयी
वो मुझे अपनी छातियां घूरते देखकर बोली : “कुछ अलग नही है मेरे पास…जो तुम्हारे पास है वही सब है….हाँ , थोड़ा साइज़ का फ़र्क है पर जब कोई इनपे मेहनत करेगा तो ये भी बड़े हो जाएँगे…’’
कहते हुए मॉम ने मेरे नन्हे बूब्स सहला दिए…
मेरे जवानी के अंगारे तो पहले से सुलग रहे थे, उनका हाथ लगकर वो भड़कने की स्थिति में आ गये, नन्हे निप्पल रायते की बूँदी की तरह उभरकर बाहर निकल आए
मॉम ने भी उन्हे नोट किया, उनकी आँखो का नशीलापन देखकर मुझे भी कुछ-2 हो रहा था अब
मॉम ने मेरी आँखो में देखते हुए अपनी ब्रा भी निकाल दी
अब वो मेरे सामने टॉपलेस होकर खड़ी थी
यार
क्या बूब्स थे मॉम के
एकदम कड़क
गोरे-गोरे
ब्राउन कलर के मोटे निप्पल्स
इस उम्र में भी उनके बूब्स ज़्यादा झूल नही रहे थे, सामने की तरफ तन कर खड़े थे
माँ : “देख ले अच्छे से, चाहे तो हाथ लगा कर देख ले , सेम है..’’
मॉम की बात सुनकर मेरे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गयी,
आख़िर वो चाहती क्या है
कहीं वो मेरे साथ लेस्बियन सैक्स के बारे में तो नहीं सोच रही
अभी तो वो मोरल वॅल्यू की बातें कर रही थी और अब ये सब
पर नही,
उन्होने तो सिर्फ़ छूने के लिए कहा है,
कुछ और थोड़े ही बोला है
वैसे भी मसाज करते हुए तो छूना ही था उन्हे
मैने काँपते हाथो से उनके बूब्स को हाथो में लिया और उन्हे छू लिया,
छू क्या लिया उन्हे हाथो में लेकर होले -2 दबाने लगी
ऐसा लग रहा था जैसे बड़े-2 पानी के गुब्बारे मेरे हाथो में आ गये हो
एकदम स्पोंची
मुलायम और गद्देदार
गर्म भी उतने ही थे
निप्पल्स एकदम कड़क हो चुके थे उनके
मेरे भी तो ऐसे ही थे
मेरी तो चूत भी गीली होने लगी थी
क्या मॉम का भी नीचे से वही हाल हो रहा होगा
छी :
मैं भी कितना ग़लत सोचने लगी