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दोनो ने मुस्कुरा कर एक दूसरे को देखा, और शेफाली ने झट्ट से उसका हाथ पकड़ कर अंदर खींच लिया ताकि कोई अड़ोसी पड़ोसी उन्हे अंदर आता हुआ ना देख ले
अंदर आते ही दोनो एक दूसरे से ऐसे लिपटे जैसे बरसों से बिछड़े प्रेमी प्रेमिका हो
शेफाली के हाथ सीधा सुधीर के लॅंड पर आए और सुधीर के उसके मोटे बूब्स पर
दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे
शेफाली के बूब्स तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे है, सिर्फ़ एक महीन सा कपड़ा ही तो था बीच में
सुधीर ने सामने से उसकी नाईटी की डोरियाँ खोल डाली
जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म सुधीर की आँखो के सामने था
ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आकर खड़ी हो गयी है
योवन से लदा हुआ मादक शरीर
निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर
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सुधीर के मुँह से भरभराकर लार बाहर निकल आई और जैसे ही वो फिर से गिरने को हुई, उसने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर शेफाली के मुम्मे पर रख दिया और उसे चूसने लगा
सुधीर सर की लार से लथपथ चूसम चुसाई ने शेफाली के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया
वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी
“ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ मेरे बूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊबससस्स्स्सस्स”
सुधीर को तो वैसे भी कुछ बोलने और सिखाने की ज़रूरत नही थी, टीचर जो था वो
वो चाहे तो ऐसी बातें सीखा कर बेस्ट टीचर का अवॉर्ड ले जाए
पर अभी तो उसे अपना एक्सपीरियन्स दिखाना था उन मक्खन के गोलों पर
जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से उसके मुँह से निकलते और वो उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता
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नाईटी पूरी उतर चुकी थी, शेफाली का पूरा नंगा शरीर पहली बार देख रहा था सुधीर
वो सच में किसी अप्सरा जैसी लग रही थी,उसे देखकर कोई बोल भी नही सकता था की वो एक जवान बेटी की माँ है
उसी बेटी की जिसके साथ वो कल स्कूल में मज़े ले रहा था
पर अभी तो उसका पूरा ध्यान इस बेशक़ीमती नगिने पर था, जिसकी नागमणियाँ वो अभी चूस रहा था
मुम्मे चुस्वाते-2 वो उछल कर सुधीर सर की गोद में चढ़ गयी
सुधीर उसे लेकर चलता हुआ बेडरूम तक आया और उसे बेड पर पटक दिया
और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर वो भी अपने कपड़े उतारने लगा
जैसे-2 सुधीर के कपड़े उतर रहे थे, उसका बलिष्ट शरीर शेफाली की आँखो के सामने उजागर हो रहा था
सच में , एक मॉडेल जैसी बॉडी थी उसकी, एक ऐसा मर्द जिसकी कल्पना वो हर बार किया करती थी जब वो नहाते हुए या सोते हुए मास्टरबेट किया करती थी
पर अब वो सब करने की ज़रूरत नही थी
क्योंकि एक असली मर्द इस वक़्त उसके बेडरूम में खड़ा हुआ अपने कपड़े उतार रहा था
जो उसे चोदने वाला था
उसके बरसों से प्यासे बदन को अपने प्यार से सींचने वाला था
और जब उसके बदन की खुदाई करने वाला हल उसके सामने आया तो उसकी साँसे ही अटक कर रह गयी
पार्किंग लॉट के अंधेरे में देखा वो लॅंड इस वक़्त किसी मूसल जैसा लग रहा था
वो अपने पूरे आकार में था, उसकी तनी हुई नसें सॉफ चमक रही थी
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वो लपककर उठी और अपनी गीली जीभ से उसकी चटाई करने लगी
एक मर्द को ऐसी लॅंड की प्यासी और लॅंड चूसने वाली औरत मिल जाए तो उसकी आँखे अपने आप ही बंद हो जाती है
सुधीर के साथ भी ऐसा ही हुआ
उसने शेफाली के सर पर हाथ रखा और उसे अपने लॅंड पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना खूँटा गाड़ दिया
बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी
पर इस छटपटाहट में भी एक मज़ा था
जिसे वो सुधीर की बॉल्स को मसलकर और भी ज़्यादा एंजाय कर रही थी
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कुछ ही देर में सुधीर का लॅंड उसकी चूत की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था
उसने शेफाली को बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फेला कर उत्तर दक्षिण दिशा में कर दी
बीच में थी उसकी आलोकिक चूत
जिसे इस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लॅंड था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था
इसलिए अपने छोटे सिपाही की बात मानते हुए सुधीर ने उसे शेफाली की चूत पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे जंग के मैदान के अंदर धकेल दिया
घप्प की आवाज़ के साथ वो शेफाली की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया
और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया
ये एक ऐसा एहसास था जो उसे पिछली चुदाई में भी नही मिला था
लंबे लॅंड की पहुँच भी लंबी ही होती है
ये वो आज जान चुकी थी
एकदम अंदर तक ठूंस कर अपना किल्ला गाड़ा था सुधीर ने शेफाली की चूत में
बेचारी रस्सी से बँधी बकरी की तरह मिमिया कर रह गयी उसके इस प्रहार से
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“आआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………… माआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गायययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह…… उम्म्म्मममममममममममममममममममममम…………”
अब सुधीर रुकने वाला नही था
उसे तो मज़ा आ रहा था
काफ़ी दिनों बाद ऐसी भरंवा औरत मिली थी उसे
जिसके गुदाज जिस्म को चूस्कर, चाटकर, मसलकर चोदने में उसे आनंद आ रहा था
शेफाली भी अपने आप को तृप्त महसूस कर रही थी इस वक़्त
आज सुधीर का लॅंड उस गहराई तक जा रहा था जहाँ आज से पहले कोई और लॅंड नही गया था
वो उछलकर उपर आ गयी और लॅंड को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से सुधीर के घोड़े की सवारी करने लगी
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तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था
“आआआआहह अहह और ज़ोर से चोदो मुझे सुधीर…..और तेज…….. आज जैसा मज़ा….. अहह….. मुझे ……उम्म्म्मममम किसी और ने नही दिया……… ज़ोर से चोदो मुझे …अपनी रांड को……..चोदो मुझे सुधीर …चोदो अपने मोटे लॅंड से….अपनी रांड को…..”
चुदाई के समय वो सब अपने आप ही बाहर आने लगा जो अभी तक वो सोचा करती थी
सुधीर की रांड बनकर ही रहना चाहती थी वो
जिसे आज उसने अपनी ज़ुबान से बोल भी दिया
सुधीर भी अपनी पूरी ताकत से उसकी चुदाई करने लगा
उसके हिप्स को स्टेयरिंग बनाकर उसने अपना ट्रक उसकी चूत के हाइवे पर ऐसा दौड़ाया , ऐसा दौड़ाया की स्पीडोमीटर भी टूट गया
और जब झड़ने का टाइम आया तो उसने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया
क्योंकि पहली बार की चुदाई में ही वो उसे प्रेगनेंट नही करना चाहता था
लॅंड निकालने से पहले वो 2 बार झड़ चुकी थी
उसमे अब इतनी हिम्मत भी नही बची थी कि ढंग से बैठकर सुधीर के लॅंड की मलाई खा सके
सुधीर ने लॅंड को पकड़ा और उसके चेहरे पर देदनादन 8-10 बौछारें दे मारी
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उसके गाड़े रस से नहाकर वो किसी नयी नवेली दुल्हन सी सज धजकर अपने बेड पर बैठी रह गई
कमरे का तूफान थम चुका था और अभी भी उनके पास 4 घंटे का समय था
इसलिए कुछ देर बाद नहा धोकर उन्होने बिना कपड़े पहने ही नाश्ता किया और वापिस बेड पर आकर एक दूसरे से चिपककर लेट गये
अपने अगले राउंड की तैयारी में
और यही वो वक़्त था जब अनु बाहर पहुँच चुकी थी
और सुधीर सर की कार देखकर वो बेचारी हैरान थी
उसने अपने बेग से घर की चाभी निकाली और लॉक खोलकर अंदर आ गयी
पर बेचारी को ये नही पता था की आज उसकी लाइफ का सबसे बड़ा झटका उसे लगने वाला है
अंदर आते ही दोनो एक दूसरे से ऐसे लिपटे जैसे बरसों से बिछड़े प्रेमी प्रेमिका हो
शेफाली के हाथ सीधा सुधीर के लॅंड पर आए और सुधीर के उसके मोटे बूब्स पर
दोनो ही अपनी पसंद की चीज़ें सहला रहे थे
शेफाली के बूब्स तो ऐसे थे जैसे नंगे ही पकड़ रखे है, सिर्फ़ एक महीन सा कपड़ा ही तो था बीच में
सुधीर ने सामने से उसकी नाईटी की डोरियाँ खोल डाली
जिसके खुलते ही उसका भरा हुआ नंगा जिस्म सुधीर की आँखो के सामने था
ऐसा लग रहा था जैसे काम की देवी साक्षात उसके सामने आकर खड़ी हो गयी है
योवन से लदा हुआ मादक शरीर
निचोड़ दो तो कामरस की बूंदे उभर आए शरीर पर
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सुधीर के मुँह से भरभराकर लार बाहर निकल आई और जैसे ही वो फिर से गिरने को हुई, उसने अपना गीला मुँह सीधा लेजाकर शेफाली के मुम्मे पर रख दिया और उसे चूसने लगा
सुधीर सर की लार से लथपथ चूसम चुसाई ने शेफाली के जिस्म को आग के गोले में बदल दिया
वो जवानी की आग में झुलसती हुई चिल्ला उठी
“ओह म्म्म्ममममममममममममममममममममममम मजाआाआआआआआअ आआआआआआआआअ गय्ाआआआआआआअ……… आई लव दिस ……….. सक इटटटट………. ज़ोरररर से चूऊऊऊसस्स्स्सूऊऊऊऊओ मेरे बूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊबससस्स्स्सस्स”
सुधीर को तो वैसे भी कुछ बोलने और सिखाने की ज़रूरत नही थी, टीचर जो था वो
वो चाहे तो ऐसी बातें सीखा कर बेस्ट टीचर का अवॉर्ड ले जाए
पर अभी तो उसे अपना एक्सपीरियन्स दिखाना था उन मक्खन के गोलों पर
जिसपर लगे हुए चैरी जैसे निप्पल पक्क की आवाज़ से उसके मुँह से निकलते और वो उन्हे फिर से दबोच कर चूसना शुरू कर देता
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नाईटी पूरी उतर चुकी थी, शेफाली का पूरा नंगा शरीर पहली बार देख रहा था सुधीर
वो सच में किसी अप्सरा जैसी लग रही थी,उसे देखकर कोई बोल भी नही सकता था की वो एक जवान बेटी की माँ है
उसी बेटी की जिसके साथ वो कल स्कूल में मज़े ले रहा था
पर अभी तो उसका पूरा ध्यान इस बेशक़ीमती नगिने पर था, जिसकी नागमणियाँ वो अभी चूस रहा था
मुम्मे चुस्वाते-2 वो उछल कर सुधीर सर की गोद में चढ़ गयी
सुधीर उसे लेकर चलता हुआ बेडरूम तक आया और उसे बेड पर पटक दिया
और उसके नागिन जैसे बदन को बिस्तर पर मचलते देखकर वो भी अपने कपड़े उतारने लगा
जैसे-2 सुधीर के कपड़े उतर रहे थे, उसका बलिष्ट शरीर शेफाली की आँखो के सामने उजागर हो रहा था
सच में , एक मॉडेल जैसी बॉडी थी उसकी, एक ऐसा मर्द जिसकी कल्पना वो हर बार किया करती थी जब वो नहाते हुए या सोते हुए मास्टरबेट किया करती थी
पर अब वो सब करने की ज़रूरत नही थी
क्योंकि एक असली मर्द इस वक़्त उसके बेडरूम में खड़ा हुआ अपने कपड़े उतार रहा था
जो उसे चोदने वाला था
उसके बरसों से प्यासे बदन को अपने प्यार से सींचने वाला था
और जब उसके बदन की खुदाई करने वाला हल उसके सामने आया तो उसकी साँसे ही अटक कर रह गयी
पार्किंग लॉट के अंधेरे में देखा वो लॅंड इस वक़्त किसी मूसल जैसा लग रहा था
वो अपने पूरे आकार में था, उसकी तनी हुई नसें सॉफ चमक रही थी
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वो लपककर उठी और अपनी गीली जीभ से उसकी चटाई करने लगी
एक मर्द को ऐसी लॅंड की प्यासी और लॅंड चूसने वाली औरत मिल जाए तो उसकी आँखे अपने आप ही बंद हो जाती है
सुधीर के साथ भी ऐसा ही हुआ
उसने शेफाली के सर पर हाथ रखा और उसे अपने लॅंड पर पूरा दबा कर उसके गले तक अपना खूँटा गाड़ दिया
बेचारी घों घों करती हुई छटपटाने लगी
पर इस छटपटाहट में भी एक मज़ा था
जिसे वो सुधीर की बॉल्स को मसलकर और भी ज़्यादा एंजाय कर रही थी
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कुछ ही देर में सुधीर का लॅंड उसकी चूत की गहराइयाँ नापने के लिए पूरा तैयार था
उसने शेफाली को बेड पर धक्का दिया और उसकी टांगे फेला कर उत्तर दक्षिण दिशा में कर दी
बीच में थी उसकी आलोकिक चूत
जिसे इस वक़्त मन तो चूसने का भी कर रहा था पर लॅंड था की पहले वो अंदर जाने की जिद्द किये बैठा था
इसलिए अपने छोटे सिपाही की बात मानते हुए सुधीर ने उसे शेफाली की चूत पर लगाया और धीरे से दबाव डालकर उसे जंग के मैदान के अंदर धकेल दिया
घप्प की आवाज़ के साथ वो शेफाली की रेशमी गुफा में फिसलता चला गया
और उसकी दीवारों पर रगड़ देता हुआ उसके गर्भ से जा टकराया
ये एक ऐसा एहसास था जो उसे पिछली चुदाई में भी नही मिला था
लंबे लॅंड की पहुँच भी लंबी ही होती है
ये वो आज जान चुकी थी
एकदम अंदर तक ठूंस कर अपना किल्ला गाड़ा था सुधीर ने शेफाली की चूत में
बेचारी रस्सी से बँधी बकरी की तरह मिमिया कर रह गयी उसके इस प्रहार से
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“आआआआआआआययययययययययययययययययययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई………… माआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गायययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह…… उम्म्म्मममममममममममममममममममममम…………”
अब सुधीर रुकने वाला नही था
उसे तो मज़ा आ रहा था
काफ़ी दिनों बाद ऐसी भरंवा औरत मिली थी उसे
जिसके गुदाज जिस्म को चूस्कर, चाटकर, मसलकर चोदने में उसे आनंद आ रहा था
शेफाली भी अपने आप को तृप्त महसूस कर रही थी इस वक़्त
आज सुधीर का लॅंड उस गहराई तक जा रहा था जहाँ आज से पहले कोई और लॅंड नही गया था
वो उछलकर उपर आ गयी और लॅंड को अड्जस्ट करने के बाद अपने तरीके से सुधीर के घोड़े की सवारी करने लगी
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तेज धक्को और गहरी सांसो से पूरा कमरा गूँज रहा था
“आआआआहह अहह और ज़ोर से चोदो मुझे सुधीर…..और तेज…….. आज जैसा मज़ा….. अहह….. मुझे ……उम्म्म्मममम किसी और ने नही दिया……… ज़ोर से चोदो मुझे …अपनी रांड को……..चोदो मुझे सुधीर …चोदो अपने मोटे लॅंड से….अपनी रांड को…..”
चुदाई के समय वो सब अपने आप ही बाहर आने लगा जो अभी तक वो सोचा करती थी
सुधीर की रांड बनकर ही रहना चाहती थी वो
जिसे आज उसने अपनी ज़ुबान से बोल भी दिया
सुधीर भी अपनी पूरी ताकत से उसकी चुदाई करने लगा
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और जब झड़ने का टाइम आया तो उसने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया
क्योंकि पहली बार की चुदाई में ही वो उसे प्रेगनेंट नही करना चाहता था
लॅंड निकालने से पहले वो 2 बार झड़ चुकी थी
उसमे अब इतनी हिम्मत भी नही बची थी कि ढंग से बैठकर सुधीर के लॅंड की मलाई खा सके
सुधीर ने लॅंड को पकड़ा और उसके चेहरे पर देदनादन 8-10 बौछारें दे मारी
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उसके गाड़े रस से नहाकर वो किसी नयी नवेली दुल्हन सी सज धजकर अपने बेड पर बैठी रह गई
कमरे का तूफान थम चुका था और अभी भी उनके पास 4 घंटे का समय था
इसलिए कुछ देर बाद नहा धोकर उन्होने बिना कपड़े पहने ही नाश्ता किया और वापिस बेड पर आकर एक दूसरे से चिपककर लेट गये
अपने अगले राउंड की तैयारी में
और यही वो वक़्त था जब अनु बाहर पहुँच चुकी थी
और सुधीर सर की कार देखकर वो बेचारी हैरान थी
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पर बेचारी को ये नही पता था की आज उसकी लाइफ का सबसे बड़ा झटका उसे लगने वाला है
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