fantastic updateमॉम का तो पता नही पर मेरा मन डाँवाडोल हो रहा था अब
पता नही क्या होगा आज की रात
मॉम की चूत से भी गर्म हवा का एक भभका निकल रहा था जिसे मैं अपनी चूत पर सॉफ महसूस कर पा रही थी
कुछ देर और बैठी रही तो मेरी चूत का टिक्का भुनकर तैयार हो जाना था
मैं उनकी कमर की मालिश करते हुए धीरे-2 नीचे आने लगी
जैसे-2 नीचे आती गयी एक मदहोश कर देने वाली गंध मेरे अंदर समाती चली गयी
अब आलम ये था की मैं मॉम के पैरों पर बैठी थी, मॉम की मुलायम एड़ी मेरी चूत की दरार पर थी
मैं मॉम की मोटी जाँघो को मसल रही थी और मेरी नज़र इस वक़्त सीधी उनकी रसीली चूत पर थी जिसमें से गाड़ा रस ऐसे निकल रहा था जैसे अंदर रखी जूस की थैली फट गई हो
मेरे हाथ उपर जाते हुए उनके गद्देदार चूतड़ों को मसल रहे थे , उन्हे दोनो हाथो से फेला कर अलग कर रहे थे
मुझे ऐसी फील आ रही थी की उस कीमती चीज़ को मुझे अंदर तक देखना है, मॉम इस बार भी शायद मेरे मन की बात जान गयी
वो एकदम से पलट गयी और पीठ के बल लेटते हुए बोली
सामने से देखो, पीछे से सही ढंग से नही देख पाओगी
मैं बस मुस्कुरा दी, इस बार भी झेंप जाती या शर्मा जाती तो शायद कुछ नही कर पाती
लेकिन मुझे तो करना था
इसलिए मैं डटकर खड़ी रही, उनकी आँखो में आँखे डाले
मॉम ने भी पहली बार मुझे पूरा नंगा देखा…
वैसे टेक्निकली तो पहले भी देख चुकी थी पर इस वक़्त बिल्कुल पास से, सामने बैठी हुई जवान लड़की को देखकर वो शायद अपनी जवानी के दिन याद करने लगी थी
मैं भी बिना शरमाये छाती तान कर उनके सामने बैठी रही
मॉम : “तुम सच मे बहुत सुंदर हो….हर एंगल से…’’
अपनी माँ के मुँह से ये बात सुनकर मैं मुस्कुरा दी
“मॉम…आप भी बहुत सुंदर हो….इनफॅक्ट आपने इस ऐज में जैसे मैंटेन कर रखा है, वो सच में कमाल है, एन्ड आई थिंक मुझे ये ब्यूटी आपसे ही मिली है..”
इस बार मुस्कुराने की बारी मॉम की थी , अपनी तारीफ सुनकर किसे अच्छा नही लगेगा.
मैं अपने हाथो में ढेर सारा तेल लेकर उनके बूब्स पर मालिश करने लगी
हालाँकि बात सिर्फ़ उनकी पीठ की हुई थी, पर यहाँ माहौल कुछ और रंग में ढल चुका था
मैने महसूस किया की मॉम के निप्पल्स थोड़ा सख़्त हो रहे है
मेरा भी लगभग ऐसा ही हाल था, निप्पल टाइट एंड चूत रसीली
मैं अब मॉम की जाँघ पर चड़कर बैठी थी
उनकी केले के तने जैसी चिकनी जाँघ पर मेरे पैर दोनो तरफ थे और चूत बीच में
नतीजन मेरा रस सीधा निकल कर उनकी जाँघ की मसाज कर रहा था
मॉम की आँखे बंद थी और उनके बूब्स की मालिश करते-2 अचानक मुझे पता नही क्या हुआ की मैने झुक कर उनके दाँये निप्पल को मुँह में भर कर उन्हे पीना शुरू कर दिया, जैसे बचपन में उनका दूध पिया करती थी, ठीक वैसे ही
मॉम का हाथ भी मेरे सिर के पीछे आ गया और उसे अपनी तरफ दबाकर वो मुझे अपना दूध पिलाने लगी
मसाज वाला काम अब साइड हो चुका था
और मैं एक बार फिर से अपने बचपन में पहुँच गयी जहां मैं इसी तरह से मॉम के बूब के साथ खेला करती थी
भले ही खिलौना वही था
खेलने और खिलाने वाला वही था
पर जज़्बात अलग थे
इस वक़्त माँ की ममता नही बल्कि माँ की वासना उमड़ रही थी
उडेल रही थी वो मुझपे अपना प्यार
मॉम के हाथ भी मेरे संतरों को दबा रहे थे
और फिर उन्होने मुझे थोड़ा उपर किया और मेरे नन्हे बूब्स उनके चेहरे के सामने आ गये जिसे वो बड़े प्यार से चूमने लगी…चूसने लगी.
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