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Serious ज़रा मुलाहिजा फरमाइये,,,,,

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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दोस्तो, इस थ्रीड पर जो भी ग़ज़लें मेरे द्वारा पोस्ट की जाएॅगी वो सब ग़ज़लें बड़े बड़े मशहूर शायरों की ही होंगी ना कि मेरी ख़ुद की लिखी हुई। लिखता तो मैं भी हूॅ ग़ज़लें किन्तु उन्हें मैं यहाॅ पर पोस्ट नहीं कर सकता, हलाॅकि अपनी खुद की ग़ज़लों को मैने अपनी कहानियों में ज़रूर प्रयोग किया है। जिन्हें मेरे दोस्त भाईयों ने शायद पढ़ा भी होगा। ख़ैर,,,,,,

आप सबके सामने हाज़िर हैं दुनियाॅ के मशहूर शायरों की बेमिशाल ग़ज़लें जो आपके दिलों में उतर कर अपना मीठा सा असर दिखाएॅगी। आशा करता हूॅ कि आप सभी को ये ग़ज़लें बेहद पसंद आएॅगी।

!! धन्यवाद !!



अब तो ये भी नहीं रहा एहसास।
दर्द होता है या नहीं होता।।

इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा,
आदमी काम का नहीं होता ।

टूट पड़ता है दफ़अतन जो इश्क़,
बेश-तर देर-पा नहीं होता ।

वो भी होता है एक वक़्त कि जब,
मा-सिवा मा-सिवा नहीं होता ।

दिल हमारा है या तुम्हारा है,
हम से ये फ़ैसला नहीं होता ।

जिस पे तेरी नज़र नहीं होती,
उस की ज़ानिब ख़ुदा नहीं होता ।

मैं कि बे-ज़ार उम्र के लिए,
दिल कि दम-भर जुदा नहीं होता ।

वो हमारे क़रीब होते हैं,
जब हमारा पता नहीं होता ।

दिल को क्या क्या सुकून होता है,
जब कोई आसरा नहीं होता ।

हो के इक बार सामना उन से,
फिर कभी सामना नहीं होता ।

 
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The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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जब लगे ज़ख़्म तो क़ातिल को दुआ दी जाये।
है यही रस्म तो ये रस्म उठा दी जाये।।

तिश्नगी कुछ तो बुझे तिश्नालब-ए-ग़म की,
इक नदी दर्द के शहरों में बहा दी जाये।।

हम ने इंसानों के दुख दर्द का हल ढूँढ लिया,
क्या बुरा है जो ये अफ़वाह उड़ा दी जाये।।

हम को गुज़री हुई सदियाँ तो न पहचानेंगी,
आने वाले किसी लम्हे को सदा दी जाये।।

फूल बन जाती हैं दहके हुए शोलों की लवें,
शर्त ये है के उन्हें ख़ूब हवा दी जाये।।

कम नहीं नशे में जाड़े की गुलाबी रातें,
और अगर तेरी जवानी भी मिला दी जाये।।

हम से पूछो ग़ज़ल क्या है ग़ज़ल का फ़न क्या है,
चन्द लफ़्ज़ों में कोई आह छुपा दी जाये।।
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ।
ढूँढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ।।

डाल कर ख़ाक मेरे ख़ून पे क़ातिल ने कहा,
कुछ ये मेहंदी नहीं मेरी के मिटा भी न सकूँ।।

ज़ब्त कमबख़्त ने और आ के गला घोंटा है,
के उसे हाल सुनाऊँ तो सुना भी न सकूँ।।

उस के पहलू में जो ले जा के सुला दूँ दिल को,
नींद ऐसी उसे आए के जगा भी न सकूँ।।

नक्श-ऐ-पा देख तो लूँ लाख करूँगा सजदे,
सर मेरा अर्श नहीं है कि झुका भी न सकूँ।।

बेवफ़ा लिखते हैं वो अपनी कलम से मुझ को,
ये वो किस्मत का लिखा है जो मिटा भी न सकूँ।।

इस तरह सोये हैं सर रख के मेरे जानों पर,
अपनी सोई हुई किस्मत को जगा भी न सकूँ।।
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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हर तरफ़ अपने को बिखरा पाओगे।
आईनों को तोड के पछताओगे।।

जब बदी के फूल महकेंगे यहाँ,
नेकियों पर अपने तुम शरमाओगे।

सच को पहले लफ़्ज फिर लब देंगे हम,
तुम हमेशा झूठ को झूठलाओगे।

सारी सिमते बेकशिश हो जायेगी,
घूम फिर के फिर यही आ जाओगे।

रूह की दीवार के गिरने के बाद,
बे बदन हो जाओगे, मर जाओगे।
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे।
ये जिंदगी तो कोई बददुआ लगे है मुझे।।

न जाने वक़्त की रफ़्तार क्या दिखाती है?
कभी कभी तो बडा ख़ौफ़ सा लगे है मुझे।।

अब एक-आध कदम का हिसाब क्या रखे?
अभी तलक तो वही फ़ासला लगे है मुझे।।

दबाके आई है सिने में कौन सी आहें,
कुछ आज रंग तेरा सांवला लगे है मुझे।।
 
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Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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अब तो ये भी नहीं रहा एहसास।
दर्द होता है या नहीं होता।।

इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा,
आदमी काम का नहीं होता ।

टूट पड़ता है दफ़अतन जो इश्क़,
बेश-तर देर-पा नहीं होता ।

वो भी होता है एक वक़्त कि जब,
मा-सिवा मा-सिवा नहीं होता ।

दिल हमारा है या तुम्हारा है,
हम से ये फ़ैसला नहीं होता ।

जिस पे तेरी नज़र नहीं होती,
उस की ज़ानिब ख़ुदा नहीं होता ।

मैं कि बे-ज़ार उम्र के लिए,
दिल कि दम-भर जुदा नहीं होता ।

वो हमारे क़रीब होते हैं,
जब हमारा पता नहीं होता ।

दिल को क्या क्या सुकून होता है,
जब कोई आसरा नहीं होता ।

हो के इक बार सामना उन से,
फिर कभी सामना नहीं होता ।
:bow:
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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304
हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे।
ये जिंदगी तो कोई बददुआ लगे है मुझे।।

न जाने वक़्त की रफ़्तार क्या दिखाती है?
कभी कभी तो बडा ख़ौफ़ सा लगे है मुझे।।

अब एक-आध कदम का हिसाब क्या रखे?
अभी तलक तो वही फ़ासला लगे है मुझे।।

दबाके आई है सिने में कौन सी आहें,
कुछ आज रंग तेरा सांवला लगे है मुझे।।
:(
 
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