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बहुत बहुत शुक्रिया विक्रान्त भाई,,,,,,,Greattt bro
Really heart touching poetry
And for this beautiful poetry thread.
बहुत बहुत शुक्रिया विक्रान्त भाई,,,,,,,Greattt bro
Really heart touching poetry
And for this beautiful poetry thread.
Mirza Galib . Thanx for sharing these stuffsकोई उम्मीद बर नहीं आती ।
कोई सूरत नज़र नहीं आती।।
मौत का एक दिन मु'अय्यन है,
नींद क्यों रात भर नहीं आती।।
आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी,
अब किसी बात पर नहीं आती।।
जानता हूँ सवाब-ए-ता'अत-ओ-ज़हद,
पर तबीयत इधर नहीं आती।।
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ,
वर्ना क्या बात कर नहीं आती।।
क्यों न चीख़ूँ कि याद करते हैं,
मेरी आवाज़ गर नहीं आती।।
दाग़-ए-दिल नज़र नहीं आता,
बू-ए-चारागर नहीं आती ।।
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी,
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती ।।
मरते हैं आरज़ू में मरने की,
मौत आती है पर नहीं आती।।
काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब',
शर्म तुमको मगर नहीं आती।।
_____मिर्ज़ा ग़ालिब
दोस्तो, इस थ्रीड पर जो भी ग़ज़लें मेरे द्वारा पोस्ट की जाएॅगी वो सब ग़ज़लें बड़े बड़े मशहूर शायरों की ही होंगी ना कि मेरी ख़ुद की लिखी हुई। लिखता तो मैं भी हूॅ ग़ज़लें किन्तु उन्हें मैं यहाॅ पर पोस्ट नहीं कर सकता, हलाॅकि अपनी खुद की ग़ज़लों को मैने अपनी कहानियों में ज़रूर प्रयोग किया है। जिन्हें मेरे दोस्त भाईयों ने शायद पढ़ा भी होगा। ख़ैर,,,,,,
आप सबके सामने हाज़िर हैं दुनियाॅ के मशहूर शायरों की बेमिशाल ग़ज़लें जो आपके दिलों में उतर कर अपना मीठा सा असर दिखाएॅगी। आशा करता हूॅ कि आप सभी को ये ग़ज़लें बेहद पसंद आएॅगी।
!! धन्यवाद !!
अब तो ये भी नहीं रहा एहसास।
दर्द होता है या नहीं होता।।
इश्क़ जब तक न कर चुके रुस्वा,
आदमी काम का नहीं होता ।
टूट पड़ता है दफ़अतन जो इश्क़,
बेश-तर देर-पा नहीं होता ।
वो भी होता है एक वक़्त कि जब,
मा-सिवा मा-सिवा नहीं होता ।
दिल हमारा है या तुम्हारा है,
हम से ये फ़ैसला नहीं होता ।
जिस पे तेरी नज़र नहीं होती,
उस की ज़ानिब ख़ुदा नहीं होता ।
मैं कि बे-ज़ार उम्र के लिए,
दिल कि दम-भर जुदा नहीं होता ।
वो हमारे क़रीब होते हैं,
जब हमारा पता नहीं होता ।
दिल को क्या क्या सुकून होता है,
जब कोई आसरा नहीं होता ।
हो के इक बार सामना उन से,
फिर कभी सामना नहीं होता ।
कोई उम्मीद बर नहीं आती ।
कोई सूरत नज़र नहीं आती।।
मौत का एक दिन मु'अय्यन है,
नींद क्यों रात भर नहीं आती।।
आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी,
अब किसी बात पर नहीं आती।।
जानता हूँ सवाब-ए-ता'अत-ओ-ज़हद,
पर तबीयत इधर नहीं आती।।
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ,
वर्ना क्या बात कर नहीं आती।।
क्यों न चीख़ूँ कि याद करते हैं,
मेरी आवाज़ गर नहीं आती।।
दाग़-ए-दिल नज़र नहीं आता,
बू-ए-चारागर नहीं आती ।।
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी,
कुछ हमारी ख़बर नहीं आती ।।
मरते हैं आरज़ू में मरने की,
मौत आती है पर नहीं आती।।
काबा किस मुँह से जाओगे 'ग़ालिब',
शर्म तुमको मगर नहीं आती।।
_____मिर्ज़ा ग़ालिब
बहुत बहुत आभार भाई,,,,,Mirza Galib . Thanx for sharing these stuffs
बहुत बहुत शुक्रिया भाई आपकी इस खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए,,,,,Bole to jhakaaaaas hai bhaya....