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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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भाग 255 रात बाकी, बात बाकी, पृष्ठ १५९६
अभी तो पार्टी शुरू हुयी है

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एक मेगा अपडेट
 
Last edited:

motaalund

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Didi abhi March mein bahut samay hai.
We will cross the bridge when it will come in our way.
लेकिन पात्रों के नाम के चयन... और उनके बीच रिश्तों की डोर... के लिए...
कहानी के स्थूल रूप के लिए कुछ पहले से हीं जरूरत पड़ेगी...
फिर डिटेल और संवादों में भी आप दोनों का समन्वय हो तो अति-उत्तम...
 

motaalund

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Part 4
पेट की भूख तो मैं सह सक्ती हूँ
अब चुदे बिना नहीं रह सकती हूँ
कब तक दिल को ऐसे बेहलाउ
उंगली से चुत की आग बुझाउ

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ठान लिया था मन मे उसने अब कुछ भी कर जाऊंगी
अपनी चूत तो अब मैं अपने दामाद से ही मारवाऊंगी
एक दिन बोली बेटी बोली आज ऑफिस में होगी लेट
आप लोग डिनर कर सो जाना मेरा ना आप करना वेट

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सोच लिया फ़िर मन में सासु ने ये मौका नहीं गवाउंगी
आज तो अपने प्यारे दामाद से जी भर के चुदवाऊंगी
तन और मन से अब कर ली उसने चुदने की पूरी तयारी
बेटी की अलमारी से लेकर पहन ली उसने उसकी साड़ी


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राहुल को थी नहीं खबर बीवी के देर से आने की
वो तो सोच रहा जाते ही उसकी चूत बजाने की
राहुल ने पीछे से आ के रेनू को कस के पकड़ लिया
पकड़ के उसके मोटे चुचे अपनी बाहों में जकड़ लिया
चुम के उसकी पतली गर्दन को मम्मे लगा दबाने
नीचे से बाहर निकली गांड पे लौड़ा लगा दबाने

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पलटी जब वो सुंदर नारी रंग पड़ गया पीला
देख के अपनी सास सामने लन हो गया ढीला
आपको रेनू समाज बैठा जो पहनी उसकी साड़ी
मुझे माफ कर देना सासु जी गलती हो गई भारी

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ऐसी माफ़ी मत मांगो नहीं कि है तुमने कोई गलती
मेरी साड़ी नहीं मिली तो रेनू की पहन ली मैंने जल्दी
हर कोई मर्द चाहे कि अपनी बीवी को वो ऐसे प्यार करे
आप जैसा हो मर्द गठिला तो फिर कौन औरत इंकार करे

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एक सच्चे मर्द का औरत के जीवन में प्यार ज़रूरी है
अगर न हो कोई चाहने वाला तो हर औरत अधूरी है
डाल के आँखें आँखों में उसके जिस्म पे लगी फिराने हाथ राहुल भी अब तक समझ चुका था अपनी सासू के जज़्बात


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हाथ दबाकर दामाद के अपना उचका दिए फिर मम्मे गोल अगर आपको कुछ चाहिए तो बिना झिझक के देना बोल
रेनू को ऑफिस में काम है तो वो आज देर से आएगी
आज अकेले हैं हम दोनों खाना भी वो बाहर ही खायेगी

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इतने में सासु माँ का सीने से पल्लू सरक गया
देख जवानी सासू की पैंट में लौड़ा भड़क गया


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royal oaks country club

खींच लिया सासु को और अपनी बाहों में जकड़ लिया
हाथ ले जाके पीछे नीचे उसने उसकी गांड को पकड़ लिया


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सासू भी अब खुल के दामाद का देने लगी थी साथ
उसने भी नीचे से उसके लौड़े पे रख दिया अपना हाथ
होठों से जब होंठ मिल गए भड़क गए अंगारे
इक दूजे को मसल रहे थे तोड़ के सब दीवारे
उठा लिया सासु को गोद में लगा कमरे में ले जाने
अपने लौड़े से चोद के फुद्दी उसकी प्यास बुझाने

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अब बुझेगी सासु की अधूरी प्यास...
 

motaalund

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thanks,

aur sabse badi baat meri kahani paar aap jaroro aati rahiyegaa, aapne apna vaada kabhi toda nahi

aur main bhi apna offeer yaad rakhungi, Incest ke group me Incest ki kahani March men,.... title aur baaki details msg kar dijiyegaa ya yahin bata dijiyegaa, ummmid hai tabtak in dono men se meri ek story kahtam ho rhai hogi to march ke saath

main wait karungi aapke messege ka

aur apni har post ke baad aapke comment ka
और हम पाठकगण .. एक नई कहानी का बेसब्री से...
 

motaalund

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आज आपकी कविता से ज्यादा आपके पिक्चर सेन्स की तारीफ़ करना चाहूंगी, खासतौर से आँख से जो भाव उभर रहे हैं, इन्तजार, प्यास, तड़प, और उसके साथ मुस्कान भी,

आप की कविता पढ़ के किसी को भी लगेगा, सब से नेचुरल रिश्ता यही है, धीमी आंच पे कोई पकाये और फ़ास्ट फ़ूड की तेजी से सर्व कर दे, एकदम यही कमाल करती हैं आप की कवितायें,

और इस कहानी में तो सास दामाद के जबरदस्त किस्से हैं

दामाद का बदलाव जिस बर्थ डे से शुरू हुआ, एक तरह से रिबर्थ ( भाग १२ -भाग १६, पृष्ठ १४ से २३ ) के बाद ही सास दामाद की छेड़खानी शुरू हो जाती है , भाग १८ से, मम्मी और बर्थ डे ब्वाय ( पृष्ठ २३ से ), और फिर जब सास आती हैं ( और फिर मॉम आ गयीं भाग ३३ -पृष्ठ ३८ ) उसके बाद तो

लेकिन जो बातें कहने में कहानी ने सैकड़ों पेज खर्च किये उसे अपनी कविता ने बस चंद लाइनों में, इस लिए आपकी चित्रमयी कवितायें कहानियों पर भारी पड़ती हैं।

एक बार फिर से आभार इस थ्रेड को गौरव देने का और हम सब को काव्यरस में डुबोने का


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भाव प्रवण भंगिमाएं....
 
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