Part 4
पेट की भूख तो मैं सह सक्ती हूँ
अब चुदे बिना नहीं रह सकती हूँ
कब तक दिल को ऐसे बेहलाउ
उंगली से चुत की आग बुझाउ
ठान लिया था मन मे उसने अब कुछ भी कर जाऊंगी
अपनी चूत तो अब मैं अपने दामाद से ही मारवाऊंगी
एक दिन बोली बेटी बोली आज ऑफिस में होगी लेट
आप लोग डिनर कर सो जाना मेरा ना आप करना वेट
सोच लिया फ़िर मन में सासु ने ये मौका नहीं गवाउंगी
आज तो अपने प्यारे दामाद से जी भर के चुदवाऊंगी
तन और मन से अब कर ली उसने चुदने की पूरी तयारी
बेटी की अलमारी से लेकर पहन ली उसने उसकी साड़ी
राहुल को थी नहीं खबर बीवी के देर से आने की
वो तो सोच रहा जाते ही उसकी चूत बजाने की
राहुल ने पीछे से आ के रेनू को कस के पकड़ लिया
पकड़ के उसके मोटे चुचे अपनी बाहों में जकड़ लिया
चुम के उसकी पतली गर्दन को मम्मे लगा दबाने
नीचे से बाहर निकली गांड पे लौड़ा लगा दबाने
पलटी जब वो सुंदर नारी रंग पड़ गया पीला
देख के अपनी सास सामने लन हो गया ढीला
आपको रेनू समाज बैठा जो पहनी उसकी साड़ी
मुझे माफ कर देना सासु जी गलती हो गई भारी
ऐसी माफ़ी मत मांगो नहीं कि है तुमने कोई गलती
मेरी साड़ी नहीं मिली तो रेनू की पहन ली मैंने जल्दी
हर कोई मर्द चाहे कि अपनी बीवी को वो ऐसे प्यार करे
आप जैसा हो मर्द गठिला तो फिर कौन औरत इंकार करे
एक सच्चे मर्द का औरत के जीवन में प्यार ज़रूरी है
अगर न हो कोई चाहने वाला तो हर औरत अधूरी है
डाल के आँखें आँखों में उसके जिस्म पे लगी फिराने हाथ राहुल भी अब तक समझ चुका था अपनी सासू के जज़्बात
हाथ दबाकर दामाद के अपना उचका दिए फिर मम्मे गोल अगर आपको कुछ चाहिए तो बिना झिझक के देना बोल
रेनू को ऑफिस में काम है तो वो आज देर से आएगी
आज अकेले हैं हम दोनों खाना भी वो बाहर ही खायेगी
इतने में सासु माँ का सीने से पल्लू सरक गया
देख जवानी सासू की पैंट में लौड़ा भड़क गया
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खींच लिया सासु को और अपनी बाहों में जकड़ लिया
हाथ ले जाके पीछे नीचे उसने उसकी गांड को पकड़ लिया
सासू भी अब खुल के दामाद का देने लगी थी साथ
उसने भी नीचे से उसके लौड़े पे रख दिया अपना हाथ
होठों से जब होंठ मिल गए भड़क गए अंगारे
इक दूजे को मसल रहे थे तोड़ के सब दीवारे
उठा लिया सासु को गोद में लगा कमरे में ले जाने
अपने लौड़े से चोद के फुद्दी उसकी प्यास बुझाने