Part 5
अपनी बीवी बतलाकर पंकज ने आरक्षण करवाया
और डाल नज़र मेरे योवन में वो मंद मंद मुस्काया
मुसलाधार बारिश के कारण भीग गई थी साड़ी
और ठंड के मारे कांप रही थी मैं अबला बेचारी
भाभी जी आप बदल लो कपड़े वॉशरूम में जाकर
इतने में खाने को मैं कुछ रखता हूं नीचे से मंगवाकर
वॉशरूम से पहन के गाउन मैं जब बाहर को आई
देखा पंकज ने व्हिस्की की एक बोतल थी मंगवाई
भाभी आप थोड़ी सी ले लो भाग जाएगी सर्दी
ये तो मेरा एक सुझाव है बाकी आपकी मर्जी
कैसे कहु ननदोई जी को जब होती है ऐसी ठंड
व्हिस्की नहीं मांगती औरत वो चाहे मोटा लंड
बैठ गई सोफे पर और होठों से लगा लिया ग्लास
कैसे कहूँ पंकज को मुझे तुम से चुदने की है प्यास
एक गिलास ही गया था अंदर आँखें हो गयी भारी
अब धीरे-धीरे से उतर रही थी मेरी शर्म भी सारी
तोड़ के हर लक्ष्मण रेखा चुन लू मैंने जो सपना देखा
लाघ जाऊ सब जंजीरे प्यार ने कब रेखाओ को देखा
उठ के जा कर बैठ गई फिर मैं पंकज के साथ
नंगी जांघों पर रख दिया पकड़ के उसका हाथ
मेरे होठों पे अपने होठ लगा कर इन्हे गीला कर दे
चूम के मेरे इन होठों को तू और भी रसीला कर दे
समझ गया वो मेरा इशारा और खींच लिया अपने करीब थाम के मेरा चेहरा हाथों से लडाने लगा वो जीभ से जीभ
एक हाथ में थाम के चुचे लगा दबाने लगा वो जोर से
और एक हाथ से रगड़े फुद्दी देख मेरी आँखों में गोर से
मचले था अब मन मेरा मैं भी देखु उसका घोड़ा
उतार पायजामा उसने मेरे हाथ में दे दिया लौड़ा
देखा जब उसका लौड़ा मैं तो रह गयी सन्न
गुड्डी के भैया का तो है इस से ही आधा लन
पकड़ के मेरे सर को उसने नीचे उसे झुकाया
पकड़ के अपना मोटा लौड़ा मुँह में मेरे घुसाया
नीचे से वो लगा के झटके मेरे मुँह के पेले
ओ मेरी प्यासी सलहज तू पूरा मुँह में ले ले
मार रहा था धक्के गहरे गांड उठा के नीचे से
पेल रहा था एक उंगली मेरी गांड में पीछे से
चूस रही थी शिद्दत से लेके गले तक लौड़ा
आँखों से बहने लगा था पानी थोड़ा थोड़ा
लेके जाके उसने फिर मुझको बिस्तर पर लिटाया
अपने हाथों से पकड़ के टागे जांघों को फेलाया
देख के वो तो झूम उठा था मेरी चूत गुलाबी
बैठ गया मेरी जांघों के बीच होके पूरा शराबी
फूल जैसी खिली थी चूत और ननदोई बना था भंवरा
मेरी चूत से चाट रहा था वो शहद का हर एक कतरा
बहुत चतुर खिलाड़ी था खूब जाने क्या है करना
चूस चूस के लगा सुखाने वो मेरी चूत का झरना
अच्छे से चाटो इसको तुम्हें सौंपा है योवन अपना
कब से तुमसे चुदवाने का मैं देख रही थी सपना
ननदोई जा अब आओ अन्दर और न मुझे सताओ
मेरी इस सुखी धरती पे अपना प्रेम रस बरसाओ