Part 3
एक दिन पतिदेव को ऑफिस से मिला संदेश
एक साल के लिए उन्हें भेजा जा रहा है विदेश
बोले पति अभी तुमको साथ नहीं ले जा पाऊंगा
छह महीने बाद ही तुमको अपना पास बुलाऊंगा
सुनके उनकी इस बात को रह गई मन मसोस के
अपनी ऐसी किस्मत को दिल ही दिल में कोस के
छह महीने की बस बात है मैं धीरे-धीरे लूंगी काट
अपने गम और खुशियों को गुड्डी से मैं लूंगी बांट
धीरे-धीरे बीत रहे दिन पर जब आयी सर्दी की रातें
चूत की आग और खाली बिस्तर मुझको खूब सताते
रात-रात भर पड़ती थी कोमल की लिखी कहानी
और रगड़ रगड़ चूत से अपनी निकाल देती थी पानी
पर उंगली से किसे मिली है कभी चूत की आग को ठंड
चूत मेरी अब मांग रही थी कोई लंबा और मोटा सा लंड
रात को बिस्तर पे लेटू तो गुड्डी की बातें लगी सताने
रोज़ रात चुदाई के कीड़े चूत में लगते थे कुलबुलाने
लगता है इस चूत की आग में मैं कुछ भी कर जाऊंगी
एक इशारा गर कर दे कोई तो उसपर ही चढ़ जाऊंगी
फिर एक दिन निमंत्रण आया शादी पर मुझको जाना था पतिदेव की अनुपस्थिति में मुझको वो फ़र्ज़ निभाना था
ताया जी के पोते की शादी तो जाना था बहुत ज़रूरी
दूरी के कारण हमको एक रात रुकने की थी मजबूरी
गुड्डी ने कहला भेजा था की भाभी हम आ जायेंगे
और अपने साथ ही हम तुमको शादी में ले जायेंगे
मैं भी पूरा जोश जोश में करने लगी त्यारी
हल्दी उबटन मल के त्वचा चमका ली सारी
सोच लिया था शादी में डालूंगी अपने जलवो का जाल हेयर रिमूविंग क्रीम से साफ कर लिये सारे अनचाहे बाल
डीप नेक की चोली भी मैंने ऐक नई सिलवाई
जिसमे अच्छे से दिखती मेरे चूचो की गोलाई
बेचैनी सी हो रही थी मुझे बहुत दिनों के बाद
ननदोई जी का लौड़ा आज फिर से आया याद
खीरा बैंगन मुली अब सब के सब बेकार
मेरे चूत को चाहिए लंड की तगड़ी मार
पंकज पे ही खाली मैं कर सकता हूं विश्वास
घर की घर रहेगी घर में और भुज जाएगी प्यास
शादी का है मोका उनको छेड़ूंगी जी भर के
ऐसे कब तक जिऊंगी यूं ही मैं डर डर के