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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०

वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट

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Part 4
इतना बड़ा लौड़ा है तुम्हारा कभी मुझे बताया होता
मैं तुमसे कब की चुद जाती जो पहले दिखाया होता

भाभी अभी भी कहां कुछ बिगडा घोंट लो इसको सारा
तुम्हारी गर्म चूत की राह देख रहा था कब से ये बेचारा

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चूस कर उसके सुर्ख होठों का मैं शहद पी गया सारा
फ़िर हाथ डाल के नीचे उसका खोल दिया था नाडा

भीग गई थी पैंटी पूरी उसकी अपनी चूत के पानी से
देख के मोटा लौड़ा अक्सर ऐसा होता है जवानी में

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पकड़ के अपनी जान को अपनी बाहों में मैंने उठाया
ले जाकर उसके कमरे में मैंने बिस्तर पर उसे लिटाया

इस कमरे के बिस्तर पर था अब तक मुरली का राज
उस बिस्तर पर ज्योति मुझसे से चुदने वाली थी आज

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पकड़ उसके पैरों को फिर जांघों को धीरे से फेलाया कामरस से महक रही चूत को अपने होठों से लगाया

कामरस से भीगी फांको पे लगा मैं अपनी जीभ चलाने खोल के उसकी चूत की फांके अंदर लगा जीभ घुसाने

पकड़ के मेरे सिर को ज्योति अपनी चूत पर लगी दबाने मस्ती से काट के होठों को वो अपनी गर्दन लागी हिलाने

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हरदिन मुझको बहुत सताती है राहुल ये मेरी चूत निगोड़ी
आज इसे तुम कर दो ढीला तुम चोदो मुझे बना के घोड़ी

आज से मेरे हर छेद पर देवर जी तुमको है पूरा अधिकार जब चाहोगे अपनी कुंवारी गांड भी मैं तुमको दूंगी उपहार

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देवर जी अब आ जाओ अन्दर और न मुझे सताओ
अपने मोटे लौड़े को अब मेरी चूत की राह दिखाओ

इतने बरसों से अब तक मेरी यह चूत पड़ी है प्यासी
इसकी प्यास बुझा दो मैं तुम्हारी बन के रहुगी दासी

तुम रहोगी मेरे दिल की रानी तुम नहीं बनोगी दासी
आज से मेरा वादा है भाभी तुम नहीं रहोगी प्यासी

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पहले आओ मेरे पास में भाभी और मेरे लौड़े से खेलो
खोल के अपने होंठ गुलाबी मेरा लन तो मुँह में लेलो

लेट गई फ़िर बिस्तर पे भाभी मेरी छाती पे रख के पैर
इस लौड़े कोदेख लग रहा आज नहीं मेरी चूत की खैर

बहुत बड़ा है लौड़ा देवर जी जरा धीरे से इसे घुसाना
और चूस चूस के अपने होठों से चुची भी खूब दबाना

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खोल की ज्योति की जांघों मैं टांगो के बीच में आया चाशनी में डूबी चूत पे मैंने फ़िर अपना लौड़ा भिड़ाया

होठों में फ़िर होंठ दबा के मैंने लौड़े को हल्के से पेला
दर्द से चीख उठी फिर ज्योति पीछे और मुझे ढकेला

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जकड़ लिया ज्योति भाभी को अपनी टांगो के बीच
एक करारा शॉट लगया बाहर लौड़ा थोड़ा सा खींच

गूँज उठी थी मेरे उसधक्के से ज्योति भाभी की चीख
राहुल अपना लन बाहर निकालो मैं मांगू तुमसे भीख

भाभी जी थोड़ा सब्र करो मेरा तो अभी घुसा है आधा
धीरे से घुसा चोदूंगाअब मैं तुमको दर्द ना दूंगा ज्यादा

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आधा अंदर लेने में ही देवर जी मेरे तो छूट गए पसीने
तुम पूरा देकर ही मानोगे जानती हूँ तुम हो बड़े कमीने

जब पूरा लन ना लोगी अंदर तो मजा कहां से पायोगी
अब बारखुल गया रास्ता फिर उछल उछल मारवयोगी

बेड पे चुदते हुए औरत चाहे जितना चीखे या चिल्लाये असली मर्द वही जो अपना लौड़ा जड़ तक पूरा घुसाये

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तगडे मर्द का लौड़ा भाभी जब पूरा अंदर तक जाता है
इस खेल का मजा फिर भाभी तभी औरत को आता है

दस मिनट चुदनेके बाद ज्योति को लगा मजा अब आने
बिस्तर पर तब उछल उछाल फिर वो लगी चुत मरवाने

योवन के इस मजे से राहुल मैं तो अब तक रही अछूति
असली मर्द से चुदने में क्या सुख है आज हुई अनुभूति

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Maja aa gya , bahut hot
 

komaalrani

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अगले दिन जब पत्नी अपने पति को देखती है तो उसकी निराशा पर कुछ पंक्तियाँ….

सुबह-सुबह जब आया मुरली रह गया देख के दंग
बिस्तर की हालत ऐसी जैसे कोई लडी गई हो जंग

आया जब कमरे में तो दरवाजे पर रुक गया थोड़ा
मेरी जान मेरी टांगो में बैठी मेरा चूस रही थी लौड़ा

आयो मेरे नामर्द पति जरा यहाँ पर आयो मेरे पास
सीखो दोस्त से की औरत की कैसे बुझती है प्यास

अबतक जिसे छुपा रखा था मैंने पूरी दुनिया से चोरी
आज तुम्हारे दोस्त ने ही अच्छे से लूटी वही तिजोरी

देखो मेरी चूत पर आज राहुल की लग गई है मोहर
अबआज से इस कमरे में मेरा वो रहेगा बनकर शोहर

सुनो अब आज से इस कमरे में ना आएगा कोई और
बस तुम बाहर बैठ के सुनना मेरी सिस्कियो का शोर

हाथ लगा कर देखो मेरी चूत का कैसा कर दिया हाल
सिर्फ एक रात में हीतुम्हारे दोस्त ने मेरी बदल दी चाल

देखो मैंने तुम्हारे नाम का कमर पे जो टैटू था बनवाया
उसी के ऊपर कल राहुल ने अपना सारा वीर्य बहाया

कल मेरी चूत के जंगल में पूरी रात घूमा खूब यह शेर
तुम्हारी ये लुल्ली तो मेरी चूत को छूते ही जाती है ढेर

जीवन में हर औरत को होता अपने ऐसे पति पर घमंड
जो उसको चोदे हर रात को देके ऐसा लंबा मोटा लंड

लेकिन मुरली तुम्हारी तो लुल्ली ही है बस इंच ही चार
और औरत को चोदने के मामले वो भी बिलकुल बेकार

मुरली तुम जाओ बाहर और हिलाओ अपना छोटा लन
राहुल से इतना चुदवा के मेरा अभी भी भरा नहीं है मन
जबरदस्त अंत दिया आपने इस कविता का

सच में एक औरत जिसने जिस्म का असली सुख भोग लिया, जिसे एक तगड़ा मर्द मिल गया, वो एकदम इसी तरह सोचेगी।


देखो मेरी चूत पर आज राहुल की लग गई है मोहर

अबआज से इस कमरे में मेरा वो रहेगा बनकर शोहर

सुनो अब आज से इस कमरे में ना आएगा कोई और

बस तुम बाहर बैठ के सुनना मेरी सिस्कियो का शोर



और मजेदार बात यह है की ककोल्ड पति को इन्ही सिसकियों को सुन के कभी चुपके से खिड़की से झाँक के ही असली सुख मिलता है। और असली ककोल्ड न सिर्फ किसी अन्य को अपनी पत्नी के साथ सम्भोग के लिए आमंत्रित करता है बल्कि उसे गाभिन भी करता है और उसकी कोख से बच्चा भी होता है। ककोल्ड पति को मालूम होता है की वह बच्चा उसके वीर्य से उत्पन्न नहीं है पर उसे फर्क नहीं पड़ता क्योंकि यह उसकी सहमति से हुआ।

और इस शब्द की उत्पत्ति भी कुक्कू या कोयल से हुयी। कहा जाता है की कोयल अपने अंडे को सेने के लिए किसी और के घोंसले में छोड़ देती है। उसी तरह से बच्चा यहाँ किसी और का होता है। इंग्लिश में इस शब्द का प्रयोग १२ वीं शताब्दी से शुरू हुआ और शेक्सपियर के कई पात्रों को यह शक होता है की वह ककोल्ड हैं।

और स्त्री के लिए कक क्वीन शब्द का प्रयोग होता है।

लेकिन आपकी कविता ने इस शब्द के जितने आयाम हो सकते हैं उन सबसे हमें न सिर्फ परिचय कराया बल्कि रससिक्त किया।

एक बार फिर आभार।
 

komaalrani

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Arushi Ji ne sab emotion kavitayin se badhiya se express kiye hai
Arushi ji ka koyi jawab nahi. picture, words, emotions and story sb men number 1 hain. We all must be thankful to her for her gift of poems to us readers.
 

komaalrani

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Maja aa gya , bahut hot
इस कविता का हर एक भाग जबरदस्त है और चित्र भी एकदम कविता के मौके के अनुसार।
 

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आरुषि जी की कविता सब कहानियों पे भारी है।
 

komaalrani

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फागुन के दिन चार कहानी के साथ मैंने कुछ झलकियां भी पोस्ट की हैं।

पाठक मित्रों से अनुरोध है की इन्हे भी पढ़े और उस पर हो सके तो अपनी टिप्पणी भी दें।


 

komaalrani

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Aarushi Ji has posted a very erotic poem on page 1180, please do read, like and share your views.
 

komaalrani

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अगला भाग ,

भाग २१७

गुड्डी का पिछवाड़ा और,...

जल्द
 

komaalrani

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कोमल जी प्लीज. ऐसे टुकड़ो मे वो मज़ा नहीं आएगा. ये मैजिक कहानी होंगी. प्लीज आप प्रोपर लॉन्च करो. आप जानते हो आप की स्किल के दीवानो की कमी नहीं. पूरा उपन्यास इत्मीनान से पढ़ने मे मज़ा आएगा. ऐसे इन मोतियों को मत बिखेरो. हम परा हार पहेन ना चाहेंगे. प्लीज कोमल जी. लॉन्च कर दो.

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फागुन के दिन चार मैंने पोस्ट करनी शुरू कर दी है, शुरू में कुछ प्रणय प्रसंग की झलकियां है, कुछ मीठी छेड़ छाड़, कुछ कैशोर्य के प्रेम की बेल चढ़ने के दिनों के,

आपकी उपस्थिति प्रार्थनीय है।
 
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जोरू का गुलाम भाग २१७

गुड्डी का पिछवाड़ा

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