नमस्कार मेरे पाठकों. इस बार मैंने एक गृहिणी और पति के दोस्त के बीच यौन संबंध का पूरा प्रकरण पोस्ट करने का प्रयास किया है.मुझे इस पोस्ट पर आपकी टिप्पणियों का इंतजार रहेगा और यह भी कि क्या भविष्य में मुझे नई कविताएँ भागों में पोस्ट करनी चाहिए या एक ही बार में पूरी पोस्ट के रूप में पोस्ट करनी चाहिए…..
मेरा एक परम मित्र है जो ऑफिस में है मेरा सहकर्मी
आजकल अपनी बीवी की नहीं बुझा पता है वो गर्मी
पिछले कुछ महीनों से उनमें हो रही थी खूब लड़ायी
ज्योति की योनि छूते ही मुरली बहा देता था मलाई
मुरली और ज्योति की शादी को बीत चुके दस साल
लेकिन अब भी उसकी बीवी लगती है गजब कमाल
पहले चलो ज्योति के बारे में आपको कुछ बतलाउ
अपनी नज़रो से उसका पूर्ण रूप विवरण समझाउ
मृगनयनी है आँखें उसकी और चंचल सी मुस्कान
जब जब वो प्यार से देखे मुझको ले लेती है जान
नैन कटिले जिगर को चीरे और उन्नत वक्ष सुडोल
कोयल से भी मीठी बोली जब मुँह से निकले बोल
तिल काला गोरे गालो पे उस पर होठों की लाली
वोह चले तो ऐसे कमर हिले जैसे फूलों की डाली
कभी-कभी उसके घर में मेरा होता है आना जाना
ज्योति की मस्त देख जवानी मैं हो जाता दीवाना
कितनी बार ही अपने सपनों में मैंने उसे था भोगा
लाऊंगा एक दिन लौड़े के नीचे चाहे जो भी होगा
कभी-कभी देखे जब मुझको आँखों में आँखें डाल
दिल करता अभी यही पटक के बिस्तर पर दू डाल
उसके एक एक अंग को चुमु चाटु और सहलाऊ
पूरी रात अपने लौड़े पर रख के जन्नत उसे दिखाउ
दिन में तो वो रहे हमेशा बनके मेरी सपनों की रानी
बिस्तर पर रात को रंडी बन ले हर छेद में मेरा पानी
कभी गिराए पल्लू कभी झुक के चौड़ी गांड दिखाएं
देख के उसके हाव भाव ये मेरा पापी मन ललचाये
कब से ज्योति को खूब चोदने का ढूंढ रहा था मौका
तब एक दिन बोल जो मुरली ने सुन उसका मैं चौंका
दारू पीते एक दिन मुरली ने मुझसे पूछी ऐसी बात
सच कहता हूं सो नहीं पाया मैं तो उस दिन पूरी रात
एक बात कहो राहुल तुमको कैसी लगती है ज्योति
क्या उसको पाना चाहते अगर वो मेरी बीवी ना होती
ज्योति भाभी जैसी अबतक कोई भी देखी नहीं हसीन
ज्योति जैसी मेरी ऐसी बीवी हो तो हर रात बनी रंगीन
अगर तुम मिल जाए ज्योति तो क्या उसे अपनाओगे
बिस्तर पर उसकी हर इच्छा को क्या पूरा कर पाओगे
मुरली तुम ये क्या सोच रहे हो खुल के मुझे समझाओ
मुझसे तुम क्या चाहते हो जरा साफ साफ बतलाओ
मेरी बात जरा सुनो ध्यान से मैं तुमको सब समझता हूँ
अब बिस्तर पर ज्योति को पुरा खुश नहीं कर पाता हूँ
ज्योति को अब नहीं दे पता हूं उसकी मनचाही चुदाई
रोज़ रात बिस्तर पर हम दोनों की होती है ख़ूब लड़ाई
ज्योति को चाहिए बिस्तर में एक मर्द से भरपूर चुदाई
तुम्हारे साथ सोने में उसको नहीं होगी कोई कठिनाई
मैंने भी ज्योति से कर ली है खुल के इस बारे में बात
इस बार जब आओ घर पर तुम रुक जाना इक रात
निकल जाऊंगा मै उस दिन घर से कर के कोई बहाना
तुम और ज्योति दोनों मिल कर अच्छा वक्त बिताना
मुरली के मुंह से ये बात सुन कर मैं तो रह गया सन्न
और मेरी पेंट के अंदर सिर लगा उठने मेरा सोया लन