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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
Last edited:

Pitaji

घर में मस्ती
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Part 5
मेरी जान तेरे इस मोटे लौड़े को मैं मुरली से चुसवाऊंगी
उसके हाथो से ही ये लौड़ा मैं चूत में अपनी घुसवाऊंगी

देखेगा वो करीब से हम दोनों को करते हुए रोज चुदाई
चाट चाट के रोज खायेगा मेरी चूत से तुम्हारी मलाई

पलट के लेट गया मैं नीचे और खिंचा ज्योति को ऊपर हचक हचक के मैं लगा चोदने मैं पकड़ के उसके चुत्तर

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कठोर चुचिया थाम के उसकी मैं लगा था खूब दबाने
और पीछे से एक उंगली मैं उसकी गांड में लगा घुसाने

राहुल मेरा वादा है तुमसे कि तुम्हें मिलेगी यह सौगात
हम दोनों की चुदाई को खुद मुरली देखेगा जिस रात

उस रात मैंने ज्योति की सुबह तक जी भर करी चुदाई
हर बार ज्योति की कोख में मैंने अपनी पूरी भरी मलाई

भाभी भाभी जब भी मचले चूत और प्यासी हो तेरी गाँड
मुझे कॉल कर देना तभी ही तुम्हे तैयार मिलेगा ये साँड़

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😘😘😘😘💋💋💋💋💋💋💋💗💗💗💗
 

komaalrani

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Definitely yes
Your nod gives me a final push, if a writer like you wants it, let it be, ... but may i request your presence on that thread too.


🙏🙏
 

komaalrani

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Madam, aapki friend ne "definitely yes" kaha hain...mera bhi wahi answer hain.. :)
komaalrani
As they say

Your wish is my command, you are a friend, a discerning reader and a reviewer, who has a lot of experience with various types of stories. your greenlighting the project means a lot to me. So be it.


🙏🙏
 

komaalrani

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नमस्कार मेरे पाठकों. इस बार मैंने एक गृहिणी और पति के दोस्त के बीच यौन संबंध का पूरा प्रकरण पोस्ट करने का प्रयास किया है.मुझे इस पोस्ट पर आपकी टिप्पणियों का इंतजार रहेगा और यह भी कि क्या भविष्य में मुझे नई कविताएँ भागों में पोस्ट करनी चाहिए या एक ही बार में पूरी पोस्ट के रूप में पोस्ट करनी चाहिए…..

मेरा एक परम मित्र है जो ऑफिस में है मेरा सहकर्मी
आजकल अपनी बीवी की नहीं बुझा पता है वो गर्मी
पिछले कुछ महीनों से उनमें हो रही थी खूब लड़ायी
ज्योति की योनि छूते ही मुरली बहा देता था मलाई

IMG-0564 IMG-0540

मुरली और ज्योति की शादी को बीत चुके दस साल
लेकिन अब भी उसकी बीवी लगती है गजब कमाल
पहले चलो ज्योति के बारे में आपको कुछ बतलाउ
अपनी नज़रो से उसका पूर्ण रूप विवरण समझाउ

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मृगनयनी है आँखें उसकी और चंचल सी मुस्कान
जब जब वो प्यार से देखे मुझको ले लेती है जान
नैन कटिले जिगर को चीरे और उन्नत वक्ष सुडोल
कोयल से भी मीठी बोली जब मुँह से निकले बोल
तिल काला गोरे गालो पे उस पर होठों की लाली
वोह चले तो ऐसे कमर हिले जैसे फूलों की डाली

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कभी-कभी उसके घर में मेरा होता है आना जाना
ज्योति की मस्त देख जवानी मैं हो जाता दीवाना
कितनी बार ही अपने सपनों में मैंने उसे था भोगा
लाऊंगा एक दिन लौड़े के नीचे चाहे जो भी होगा

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कभी-कभी देखे जब मुझको आँखों में आँखें डाल
दिल करता अभी यही पटक के बिस्तर पर दू डाल
उसके एक एक अंग को चुमु चाटु और सहलाऊ
पूरी रात अपने लौड़े पर रख के जन्नत उसे दिखाउ


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दिन में तो वो रहे हमेशा बनके मेरी सपनों की रानी
बिस्तर पर रात को रंडी बन ले हर छेद में मेरा पानी
कभी गिराए पल्लू कभी झुक के चौड़ी गांड दिखाएं
देख के उसके हाव भाव ये मेरा पापी मन ललचाये


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कब से ज्योति को खूब चोदने का ढूंढ रहा था मौका
तब एक दिन बोल जो मुरली ने सुन उसका मैं चौंका
दारू पीते एक दिन मुरली ने मुझसे पूछी ऐसी बात
सच कहता हूं सो नहीं पाया मैं तो उस दिन पूरी रात


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एक बात कहो राहुल तुमको कैसी लगती है ज्योति
क्या उसको पाना चाहते अगर वो मेरी बीवी ना होती
ज्योति भाभी जैसी अबतक कोई भी देखी नहीं हसीन
ज्योति जैसी मेरी ऐसी बीवी हो तो हर रात बनी रंगीन


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अगर तुम मिल जाए ज्योति तो क्या उसे अपनाओगे
बिस्तर पर उसकी हर इच्छा को क्या पूरा कर पाओगे
मुरली तुम ये क्या सोच रहे हो खुल के मुझे समझाओ
मुझसे तुम क्या चाहते हो जरा साफ साफ बतलाओ


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मेरी बात जरा सुनो ध्यान से मैं तुमको सब समझता हूँ
अब बिस्तर पर ज्योति को पुरा खुश नहीं कर पाता हूँ
ज्योति को अब नहीं दे पता हूं उसकी मनचाही चुदाई
रोज़ रात बिस्तर पर हम दोनों की होती है ख़ूब लड़ाई

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ज्योति को चाहिए बिस्तर में एक मर्द से भरपूर चुदाई
तुम्हारे साथ सोने में उसको नहीं होगी कोई कठिनाई
मैंने भी ज्योति से कर ली है खुल के इस बारे में बात
इस बार जब आओ घर पर तुम रुक जाना इक रात

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निकल जाऊंगा मै उस दिन घर से कर के कोई बहाना
तुम और ज्योति दोनों मिल कर अच्छा वक्त बिताना
मुरली के मुंह से ये बात सुन कर मैं तो रह गया सन्न
और मेरी पेंट के अंदर सिर लगा उठने मेरा सोया लन

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बहुत ही अच्छी प्रस्तुति

आप अलग अलग लिखें एक साथ लिखे , हम सब आपके फैंस एक एक शब्द ढूंढ के बार बार पढ़ते हैं पर मुझे लग रहा है यह तरीका अच्छा है। इससे आपकी पोस्टों के बीच और पोस्टों के आने की संभावना न्यून रहती है , और एक लम्बी कविता कहानी की तरह पाठक पढ़ कर पूरी तरह रसस्वादन कर सकते हैं

बहुत ही आभार, नमन
 

komaalrani

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नमस्कार मेरे पाठकों. इस बार मैंने एक गृहिणी और पति के दोस्त के बीच यौन संबंध का पूरा प्रकरण पोस्ट करने का प्रयास किया है.मुझे इस पोस्ट पर आपकी टिप्पणियों का इंतजार रहेगा और यह भी कि क्या भविष्य में मुझे नई कविताएँ भागों में पोस्ट करनी चाहिए या एक ही बार में पूरी पोस्ट के रूप में पोस्ट करनी चाहिए…..

मेरा एक परम मित्र है जो ऑफिस में है मेरा सहकर्मी
आजकल अपनी बीवी की नहीं बुझा पता है वो गर्मी
पिछले कुछ महीनों से उनमें हो रही थी खूब लड़ायी
ज्योति की योनि छूते ही मुरली बहा देता था मलाई


IMG-0564 IMG-0540

मुरली और ज्योति की शादी को बीत चुके दस साल
लेकिन अब भी उसकी बीवी लगती है गजब कमाल
पहले चलो ज्योति के बारे में आपको कुछ बतलाउ
अपनी नज़रो से उसका पूर्ण रूप विवरण समझाउ

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IMG-0084

कभी-कभी उसके घर में मेरा होता है आना जाना
ज्योति की मस्त देख जवानी मैं हो जाता दीवाना
कितनी बार ही अपने सपनों में मैंने उसे था भोगा
लाऊंगा एक दिन लौड़े के नीचे चाहे जो भी होगा

IMG-0561 IMG-0516

कभी-कभी देखे जब मुझको आँखों में आँखें डाल
दिल करता अभी यही पटक के बिस्तर पर दू डाल
उसके एक एक अंग को चुमु चाटु और सहलाऊ
पूरी रात अपने लौड़े पर रख के जन्नत उसे दिखाउ


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दिन में तो वो रहे हमेशा बनके मेरी सपनों की रानी
बिस्तर पर रात को रंडी बन ले हर छेद में मेरा पानी
कभी गिराए पल्लू कभी झुक के चौड़ी गांड दिखाएं
देख के उसके हाव भाव ये मेरा पापी मन ललचाये


IMG-0566 IMG-0563
कब से ज्योति को खूब चोदने का ढूंढ रहा था मौका
तब एक दिन बोल जो मुरली ने सुन उसका मैं चौंका
दारू पीते एक दिन मुरली ने मुझसे पूछी ऐसी बात
सच कहता हूं सो नहीं पाया मैं तो उस दिन पूरी रात


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एक बात कहो राहुल तुमको कैसी लगती है ज्योति
क्या उसको पाना चाहते अगर वो मेरी बीवी ना होती
ज्योति भाभी जैसी अबतक कोई भी देखी नहीं हसीन
ज्योति जैसी मेरी ऐसी बीवी हो तो हर रात बनी रंगीन


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अगर तुम मिल जाए ज्योति तो क्या उसे अपनाओगे
बिस्तर पर उसकी हर इच्छा को क्या पूरा कर पाओगे
मुरली तुम ये क्या सोच रहे हो खुल के मुझे समझाओ
मुझसे तुम क्या चाहते हो जरा साफ साफ बतलाओ


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मेरी बात जरा सुनो ध्यान से मैं तुमको सब समझता हूँ
अब बिस्तर पर ज्योति को पुरा खुश नहीं कर पाता हूँ
ज्योति को अब नहीं दे पता हूं उसकी मनचाही चुदाई
रोज़ रात बिस्तर पर हम दोनों की होती है ख़ूब लड़ाई

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ज्योति को चाहिए बिस्तर में एक मर्द से भरपूर चुदाई
तुम्हारे साथ सोने में उसको नहीं होगी कोई कठिनाई
मैंने भी ज्योति से कर ली है खुल के इस बारे में बात
इस बार जब आओ घर पर तुम रुक जाना इक रात

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निकल जाऊंगा मै उस दिन घर से कर के कोई बहाना
तुम और ज्योति दोनों मिल कर अच्छा वक्त बिताना
मुरली के मुंह से ये बात सुन कर मैं तो रह गया सन्न
और मेरी पेंट के अंदर सिर लगा उठने मेरा सोया लन

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इस विधा पर तो कहानियां भी बहुत कम है और जो हैं वो अंग्रेजी कहानियों की नकल या नाम बदल के अनुवाद।

ककोल्ड के बारे में उसका मोटिवेशन, उसके मन के अंदर की परेशानी सब कुछ इस काव्य कथा ने कह डाला। लेकिन जिस तरह से आप ने ज्योति का वर्णन किया,


मृगनयनी है आँखें उसकी और चंचल सी मुस्का, जब जब वो प्यार से देखे मुझको ले लेती है जान

नैन कटिले जिगर को चीरे और उन्नत वक्ष सुडोल, कोयल से भी मीठी बोली जब मुँह से निकले बोल

तिल काला गोरे गालो पे उस पर होठों की लाली, वोह चले तो ऐसे कमर हिले जैसे फूलों की डाली


एकदम रीतिकाल के नखशिख वर्णन की याद आ गयी। पर आप के शब्द एक हाथ आगे क्योंकि आपने देखने वाले की भावना भी और दिखाने वाली की भी ( जब जब वो प्यार से देखे मुझको ले लेती है जान) इन्ही लाइनों में बता दी। इस कथा के तीन चरित्र हैं, और इंट्रोडक्टरी पार्ट में ही तीनो की मनोदशा और तन की दशा दोनों पाठको के समक्ष प्रस्तुत कर दी , इससे अच्छी शुरआत क्या होगी।

बहुत बहुत धन्यवाद।
 
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komaalrani

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भाग ७८

चंदा का पिछवाड़ा औ
र कमल का खूंटा
updates posted, please do read, enjoy, share your comments.

Thread is waiting for your comments and likes.
 

komaalrani

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I have posted all parts now….awaiting your feedback
Thanks so much, Just posted comments on the first part, other parts will follow soon.
 

komaalrani

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पृष्ठ ११८० पर आरुषि जी उकृष्ट चित्रमयी काव्य कथा पति -पत्नी और मिंत्र

इसके बारे में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाना होगा , पहली चार लाइनों से ही आने वाली स्थिति का अंदाज लग जाता है


मेरा एक परम मित्र है जो ऑफिस में है मेरा सहकर्मी
आजकल अपनी बीवी की नहीं बुझा पता है वो गर्मी
पिछले कुछ महीनों से उनमें हो रही थी खूब लड़ायी
ज्योति की योनि छूते ही मुरली बहा देता था मलाई


बस पृष्ठ ११८० पर जाएँ पढ़ें और पढ़ कर कैसा लगा जरूर बताएं।
 

komaalrani

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Posting in 2 to 3 parts as system doesn’t allow adding more than 50 pics

हम दोनों ने तय कर लिया अगले शनिवार का दिन
हो गया पल पल मुश्किल रहना मेरा ज्योति के बिन
पूरी शिद्दत से लगा करने मैं फिर उस दिन की तयारी
ज्योति को बना घोड़ी करुंगा उसकी पूरी रात सवारी


शनिवार शाम को जा पहुंचा जल्दी ही मुरली के घर
जहां इंतजार कर रही चुदने को मेरी जान ए दिलबर
दरवाज़े पर देख ज्योति भाभी को पहले मैं मुस्कुराया
फिर आगे बढ़कर मैंने ज्योति को अपनी गले लगाया
उसकी आँखों की चमक भी लगे आज बहुत ही प्यारी
मेरी मेहबूबा ने शायद कर रखी थी आज पूरी तैयारी





ज्योति भाभी आज तो आप लग रही हो पूरी कयामत
ना जाने अब किस गरीब आज आने वाली है शामत
सुन मेरी नटखट बातें ज्योति भाभी भी थोड़ी मुस्काई
यही खड़े खड़े क्या देवर जी अब करोगे मेरी खिंचाई





कमरे में अंदर आके बैठ गई मेरी जान फिर मेरे साथ
व्हिस्की पीते-पीते रख दिया उसने मेरे हाथों पर हाथ
मैंने भी ज्योति की जांघ को हथेली से फिर सहलाया
अपने बाजू की कोहनी से मैंने उसकी चूची को दबाया


सिसक पड़ी थी हल्के से ज्योति और बंद हो गई आंखें
जानबूझ के अंजान बना मुरली अब हम दोनो को झाँके



लौड़ा लगा तड़पने बाहर आने को फाड़ के मेरी चड्ढी
लेकिन मुरली वहा बना बैठा था जैसे कबाब में हड्डी
मुरली भी अब समझ चुका था कि शुरू हो गया खेल
कहीं मैं उसी के सामने ही उसकी बीवी को ना दूं पेल





वहां से खिसक जाने में ही अब लग रही उसे भलाई
फ़िर मैं और उसकी बीवी कर सके पलंग तोड़ चुदाई
मुरली के बाहर निकलते ही मैं पाहुंचा ज्योति के पास
रख उसके होठों पे होठों लगा भुजाने जन्मों की प्यास





देख मेरी बेकरारी बोली ज्योति सुनो ओ देवर प्यारे
अब तो तुम भी कर लो शादी कब तक रहो कुंवारे
भाभी अपने मायके से तुम कोई अपनी जैसी ला दो
अपने बेचारे देवर की उससे जल्दी शादी करवा दो
किस्मत मेरी बन जायेगी भाभी अगर तुम दे दो साथ
भाभी समझो अब तो रोज़ रोज़ मेरे थक जाते हैं हाथ





पहली तो सुन ये बात मेरी भाभी थोड़ा सा चकरायी
और जब बात आई समझ तो फिर हल्के से मुस्काई
मेरे रहते देवर जी अपने हाथों से क्यों करते हो काम
ये आपकी भाभी आपके फिर किस दिन आएगा काम
कह तो देता कब से भाभी लेकिन डर के रह जाता था आपको कुछ भी कहने से पहले मेरा दिल घबराता था







हाथ थामके बोली भाभी कब तक तुम ऐसे घबराओगे
जब तक कदम न उठाओ पहला तो आगे कैसे जाओगे
खींच के फिर मैंने ज्योति को सटा लिया फिर खुद से
पहले कह देता तो क्या अब तक चुद जाती तुम मुझसे
ऐसा कुछ नहीं मुमकिन मैं हूं आपके दोस्त की ब्याहता
हम दोनों के बीच नहीं बन पायेगा ऐसा कुछ भी नाता







तुम दोनों के बीच मैं क्या है और तुम कितनी हो प्यासी
भाभी अब देखी नहीं जाती तुम्हारे चेहरे चेहरे की उदासी
एक बार तुम चुद गई मुझसे रहेगा तुम्हें कोई गिला नहीं
ऐसा सुख दूंगा बिस्तर पे जो अब तक तुमको मिला नहीं
लेकिन तुम सब मर्दो की देवर जी होती है एक ही जात
सुबह तक सब कुछ भूल जाओगे जब बीत जाएगी रात






मैं और सब के जैसा नहीं हूं भाभी तुम करो मेरा विश्वास
जब तक तुम चाहोगी ज्योति तुम्हारी भुजाता रहूँगा प्यास
खींच लिया ज्योति को मैंने अपनी बाहों की आगोश में
लगा चूमने उसके नरम होंठ गुलाबी फ़िर मैं पूरे जोश में
आँखों में आँखें डाल के उसकी मूंह में लगा जीभ घुमाने
चोली मैं डाल के हाथ हल्के से उसकी चूची लगा दबाने







ज्योति भी अब गरम हो गई देने लगी थी अब पूरा साथ
मेरी पेंट के ऊपर से रख दिया उसने मेरे लौड़े पर हाथ
भाभी तुम क्या जानो अब तक तुमने कितनामुझे सताया
तेरी याद में हिला-2 के ना जाने मैंने कितना वीर्य बहाया
ऐसे देवर तुम हिला हिला के क्यों बरबाद कर रहे जवानी अपनी भाभी के छेदो में डाल दो तुम अपने लंड का पानी





सोफ़े से उठ केआ गई ज्योति भाभी और बैठी मेरी गोद में
मेरे प्यासे देवर तुम आज अपनी ज्योति भाभी को चोद ले
हाथ डाल के नीचे मैं उसकी साड़ी को लगा ऊपर सरकाने
चूत रस से गिल्ली पैंटी के ऊपर से लगा उसकी चूत दबाने










पकड़ के मेरा चेहरा वो अपने चूचो में लगी घुसाने
निकल कर मेरा लौड़ा अपने हाथों से लगी हिलाने
रख के उसकी गांड पर हाथ कर खींचाऔर करीब
ज्योति भाभी तुम पाकर मेरे खुल गये आज नसीब







सोचा नहीं कभी मैनेसपनों में ऐसा भी दिन आएगा
मेरे मोटा लौड़ा जब तुम्हारी प्यासी चूत में जाएगा
प्यासी औरत उसे ही सौंपती है अपना तनऔर मन
जो मर्द उसे ठंडा करे देके अपना तगड़ा मोटा लन







औरत को वो सुख मिले नहींबिस्तर पे जो वो मांगे
तब गैर मर्द के आगे फिर वो खोल दे अपनी टांगे
औरत बिस्तर पे उस मर्द को दिखाये अपनी अदाएं
पूरी रात रगड़ रगड़ जो उसको चरम सुख पहुंचाए
एक एक अंग जो प्यार से वोह चूसे और सहलाए
उछल-2 के लौड़े पे औरत फिर पूरी रात ठुकवाये







देवर जी अब बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी कोई भी देरी
जल्दी से बिस्तर पर ले जाओऔर चूत फाड़ दो मेरी
खींच कर मेरी चड्ढी नीचे भाभी आ गई टैंगो के बीच
निकल के मेरे लन को टोपा सुर्ख होठों में लिया भींच
पकड़ के उसका चेहरा हाथो मैं भी लौड़ा लगा घुसाने
खोल के उसकी चोली मैं उसके मोट्टे चूचे लगा दबाने







इतना बड़ा लौड़ा है तुम्हारा कभी मुझे बताया होता
मैं तुमसे कब की चुद जाती जो पहले दिखाया होता
भाभी अभी भी कहां कुछ बिगडा घोंट लो इसको सारा
तुम्हारी गर्म चूत की राह देख रहा था कब से ये बेचारा







चूस कर उसके सुर्ख होठों का मैं शहद पी गया सारा
फ़िर हाथ डाल के नीचे उसका खोल दिया था नाडा
भीग गई थी पैंटी पूरी उसकी अपनी चूत के पानी से
देख के मोटा लौड़ा अक्सर ऐसा होता है जवानी में







पकड़ के अपनी जान को अपनी बाहों में मैंने उठाया
ले जाकर उसके कमरे में मैंने बिस्तर पर उसे लिटाया
इस कमरे के बिस्तर पर था अब तक मुरली का राज
उस बिस्तर पर ज्योति मुझसे से चुदने वाली थी आज







पकड़ उसके पैरों को फिर जांघों को धीरे से फेलाया कामरस से महक रही चूत को अपने होठों से लगाया
कामरस से भीगी फांको पे लगा मैं अपनी जीभ चलाने खोल के उसकी चूत की फांके अंदर लगा जीभ घुसाने
पकड़ के मेरे सिर को ज्योति अपनी चूत पर लगी दबाने मस्ती से काट के होठों को वो अपनी गर्दन लागी हिलाने















हरदिन मुझको बहुत सताती है राहुल ये मेरी चूत निगोड़ी
आज इसे तुम कर दो ढीला तुम चोदो मुझे बना के घोड़ी
आज से मेरे हर छेद पर देवर जी तुमको है पूरा अधिकार जब चाहोगे अपनी कुंवारी गांड भी मैं तुमको दूंगी उपहार
I Think you should post in 5-6 parts as you were doing earlier, but continuously and in the same page. Trick i do is to post just heading or number of part in 5-6 posts and then post story with pics in detail. This makes it easy on eye and one can post 8-12 posts easily in one part. Too many pictures in one post detracts attention, that is what i feel .


जबरदस्त प्रणय निवेदन और वर्णन



हरदिन मुझको बहुत सताती है राहुल ये मेरी चूत निगोड़ी

आज इसे तुम कर दो ढीला तुम चोदो मुझे बना के घोड़ी

आज से मेरे हर छेद पर देवर जी तुमको है पूरा अधिकार जब चाहोगे अपनी कुंवारी गांड भी मैं तुमको दूंगी उपहार



यह बात सही है की पति के ग्रीन सिग्नल देने के बाद भी रिश्तों में हसीन बदलाव के लिए झिझक पुरुष में ही ज्यादा होती और इस प्रकार का प्रणय निमत्रण सुन के उस का पौरुष जाग उठता है। बार बार पति का साथ छोड़ने से काम विदग्ध नारी, जिसे उसके पति ने पहले ही बोल दिया होता है अब और विलम्ब नहीं सह सकती।

देवर जी अब बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी कोई भी देरी

जल्दी से बिस्तर पर ले जाओऔर चूत फाड़ दो मेरी

---

इतना बड़ा लौड़ा है तुम्हारा कभी मुझे बताया होता

मैं तुमसे कब की चुद जाती जो पहले दिखाया होता


और उसके बाद फोरप्ले तो आप जैसा कोई दिखा नहीं सकता और साथ स्त्री के मन और तन दोनों की स्थिति जो मात्र ज्योति की नहीं नारी मांत्र की है

भीग गई थी पैंटी पूरी उसकी अपनी चूत के पानी से

देख के मोटा लौड़ा अक्सर ऐसा होता है जवानी में



अतिशय सुन्दर

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