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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
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komaalrani

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पृष्ठ ११८० पर आरुषि जी की उकृष्ट चित्रमयी काव्य कथा पति -पत्नी और मिंत्र

इसके बारे में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाना होगा , पहली चार लाइनों से ही आने वाली स्थिति का अंदाज लग जाता है


मेरा एक परम मित्र है जो ऑफिस में है मेरा सहकर्मी
आजकल अपनी बीवी की नहीं बुझा पता है वो गर्मी
पिछले कुछ महीनों से उनमें हो रही थी खूब लड़ायी
ज्योति की योनि छूते ही मुरली बहा देता था मलाई


बस पृष्ठ ११८० पर जाएँ पढ़ें और पढ़ कर कैसा लगा जरूर बताएं।
 
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arushi_dayal

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पृष्ठ ११८० पर आरुषि जी की उकृष्ट चित्रमयी काव्य कथा पति -पत्नी और मिंत्र

इसके बारे में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाना होगा , पहली चार लाइनों से ही आने वाली स्थिति का अंदाज लग जाता है


मेरा एक परम मित्र है जो ऑफिस में है मेरा सहकर्मी
आजकल अपनी बीवी की नहीं बुझा पता है वो गर्मी
पिछले कुछ महीनों से उनमें हो रही थी खूब लड़ायी
ज्योति की योनि छूते ही मुरली बहा देता था मलाई


बस पृष्ठ ११८० पर जाएँ पढ़ें और पढ़ कर कैसा लगा जरूर बताएं।
अगले दिन जब पत्नी अपने पति को देखती है तो उसकी निराशा पर कुछ पंक्तियाँ….

सुबह-सुबह जब आया मुरली रह गया देख के दंग
बिस्तर की हालत ऐसी जैसे कोई लडी गई हो जंग

आया जब कमरे में तो दरवाजे पर रुक गया थोड़ा
मेरी जान मेरी टांगो में बैठी मेरा चूस रही थी लौड़ा

आयो मेरे नामर्द पति जरा यहाँ पर आयो मेरे पास
सीखो दोस्त से की औरत की कैसे बुझती है प्यास

अबतक जिसे छुपा रखा था मैंने पूरी दुनिया से चोरी
आज तुम्हारे दोस्त ने ही अच्छे से लूटी वही तिजोरी

देखो मेरी चूत पर आज राहुल की लग गई है मोहर
अबआज से इस कमरे में मेरा वो रहेगा बनकर शोहर

सुनो अब आज से इस कमरे में ना आएगा कोई और
बस तुम बाहर बैठ के सुनना मेरी सिस्कियो का शोर

हाथ लगा कर देखो मेरी चूत का कैसा कर दिया हाल
सिर्फ एक रात में हीतुम्हारे दोस्त ने मेरी बदल दी चाल

देखो मैंने तुम्हारे नाम का कमर पे जो टैटू था बनवाया
उसी के ऊपर कल राहुल ने अपना सारा वीर्य बहाया

कल मेरी चूत के जंगल में पूरी रात घूमा खूब यह शेर
तुम्हारी ये लुल्ली तो मेरी चूत को छूते ही जाती है ढेर

जीवन में हर औरत को होता अपने ऐसे पति पर घमंड
जो उसको चोदे हर रात को देके ऐसा लंबा मोटा लंड

लेकिन मुरली तुम्हारी तो लुल्ली ही है बस इंच ही चार
और औरत को चोदने के मामले वो भी बिलकुल बेकार

मुरली तुम जाओ बाहर और हिलाओ अपना छोटा लन
राहुल से इतना चुदवा के मेरा अभी भी भरा नहीं है मन
 

komaalrani

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Part 2
हम दोनों ने तय कर लिया अगले शनिवार का दिन
हो गया पल पल मुश्किल रहना मेरा ज्योति के बिन
पूरी शिद्दत से लगा करने मैं फिर उस दिन की तयारी
ज्योति को बना घोड़ी करुंगा उसकी पूरी रात सवारी

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शनिवार शाम को जा पहुंचा जल्दी ही मुरली के घर
जहां इंतजार कर रही चुदने को मेरी जान ए दिलबर
दरवाज़े पर देख ज्योति भाभी को पहले मैं मुस्कुराया
फिर आगे बढ़कर मैंने ज्योति को अपनी गले लगाया
उसकी आँखों की चमक भी लगे आज बहुत ही प्यारी
मेरी मेहबूबा ने शायद कर रखी थी आज पूरी तैयारी

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IMG-0396
ज्योति भाभी आज तो आप लग रही हो पूरी कयामत
ना जाने अब किस गरीब आज आने वाली है शामत
सुन मेरी नटखट बातें ज्योति भाभी भी थोड़ी मुस्काई
यही खड़े खड़े क्या देवर जी अब करोगे मेरी खिंचाई

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कमरे में अंदर आके बैठ गई मेरी जान फिर मेरे साथ
व्हिस्की पीते-पीते रख दिया उसने मेरे हाथों पर हाथ
मैंने भी ज्योति की जांघ को हथेली से फिर सहलाया
अपने बाजू की कोहनी से मैंने उसकी चूची को दबाया

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सिसक पड़ी थी हल्के से ज्योति और बंद हो गई आंखें
जानबूझ के अंजान बना मुरली अब हम दोनो को झाँके


IMG-0086
लौड़ा लगा तड़पने बाहर आने को फाड़ के मेरी चड्ढी
लेकिन मुरली वहा बना बैठा था जैसे कबाब में हड्डी
मुरली भी अब समझ चुका था कि शुरू हो गया खेल
कहीं मैं उसी के सामने ही उसकी बीवी को ना दूं पेल

IMG-0546 IMG-0531
वहां से खिसक जाने में ही अब लग रही उसे भलाई
फ़िर मैं और उसकी बीवी कर सके पलंग तोड़ चुदाई
मुरली के बाहर निकलते ही मैं पाहुंचा ज्योति के पास
रख उसके होठों पे होठों लगा भुजाने जन्मों की प्यास

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देख मेरी बेकरारी बोली ज्योति सुनो ओ देवर प्यारे
अब तो तुम भी कर लो शादी कब तक रहो कुंवारे
भाभी अपने मायके से तुम कोई अपनी जैसी ला दो
अपने बेचारे देवर की उससे जल्दी शादी करवा दो
किस्मत मेरी बन जायेगी भाभी अगर तुम दे दो साथ
भाभी समझो अब तो रोज़ रोज़ मेरे थक जाते हैं हाथ

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पहली तो सुन ये बात मेरी भाभी थोड़ा सा चकरायी
और जब बात आई समझ तो फिर हल्के से मुस्काई
मेरे रहते देवर जी अपने हाथों से क्यों करते हो काम
ये आपकी भाभी आपके फिर किस दिन आएगा काम
कह तो देता कब से भाभी लेकिन डर के रह जाता था आपको कुछ भी कहने से पहले मेरा दिल घबराता था

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हाथ थामके बोली भाभी कब तक तुम ऐसे घबराओगे
जब तक कदम न उठाओ पहला तो आगे कैसे जाओगे
खींच के फिर मैंने ज्योति को सटा लिया फिर खुद से
पहले कह देता तो क्या अब तक चुद जाती तुम मुझसे
ऐसा कुछ नहीं मुमकिन मैं हूं आपके दोस्त की ब्याहता
हम दोनों के बीच नहीं बन पायेगा ऐसा कुछ भी नाता

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तुम दोनों के बीच मैं क्या है और तुम कितनी हो प्यासी
भाभी अब देखी नहीं जाती तुम्हारे चेहरे चेहरे की उदासी
एक बार तुम चुद गई मुझसे रहेगा तुम्हें कोई गिला नहीं
ऐसा सुख दूंगा बिस्तर पे जो अब तक तुमको मिला नहीं
लेकिन तुम सब मर्दो की देवर जी होती है एक ही जात
सुबह तक सब कुछ भूल जाओगे जब बीत जाएगी रात

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मैं और सब के जैसा नहीं हूं भाभी तुम करो मेरा विश्वास
जब तक तुम चाहोगी ज्योति तुम्हारी भुजाता रहूँगा प्यास
खींच लिया ज्योति को मैंने अपनी बाहों की आगोश में
लगा चूमने उसके नरम होंठ गुलाबी फ़िर मैं पूरे जोश में
आँखों में आँखें डाल के उसकी मूंह में लगा जीभ घुमाने
चोली मैं डाल के हाथ हल्के से उसकी चूची लगा दबाने

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आपकी इस रचना की, विशेष रूप से इस भाग की जितनी तारीफ़ की जाए कम है,

सबसे कठिन काम है ककोल्ड स्टोरीज में त्रिकोण के तीसरे कोने का रोल और आपने उसे सही किया कोने में सरका दिया

और कुछ लाइनों में ही वो संकट और समाधान दोनों दिखा दिया,


सिसक पड़ी थी हल्के से ज्योति और बंद हो गई आंखें

जानबूझ के अंजान बना मुरली अब हम दोनो को झाँके

लौड़ा लगा तड़पने बाहर आने को फाड़ के मेरी चड्ढी

लेकिन मुरली वहा बना बैठा था जैसे कबाब में हड्डी



मुरली भी अब समझ चुका था कि शुरू हो गया खेल

कहीं मैं उसी के सामने ही उसकी बीवी को ना दूं पेल


और अब समाधान भी आपने दे दिया

वहां से खिसक जाने में ही अब लग रही उसे भलाई
फ़िर मैं और उसकी बीवी कर सके पलंग तोड़ चुदाई

मुरली के बाहर निकलते ही मैं पाहुंचा ज्योति के पास
रख उसके होठों पे होठों लगा भुजाने जन्मों की प्यास


ककोल्ड के बारे में लिखते हुए यह मानना चाहिए की यह थ्री सम नहीं है जिसमे पति की बराबर की भागीदारी हो, दूसरी बात अगले दिन सुबह से ही पति पत्नी का वही रिश्ता फिर से चालू हो जाएगा, और सबसे बड़ी बात की पति के रहते, पत्नी और पर पुरुष दोनों सहज नहीं हो पाएंगे, इस दुविधा का आपने अच्छा रास्ता निकाला।

इस का एक लाभ यह भी हुआ की आगे की रचना सिर्फ मित्र और मित्र पत्नी पर ही केंद्रित रहेगी

एक बात और, इस भाग में नारी मन का शक भी जाहिर हुआ इन लाइनों में

लेकिन तुम सब मर्दो की देवर जी होती है एक ही जात

सुबह तक सब कुछ भूल जाओगे जब बीत जाएगी रात



आप का जितना भी आभार व्यक्त करें कम है।
 

komaalrani

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Part 3

ज्योति भी अब गरम हो गई देने लगी थी अब पूरा साथ
मेरी पेंट के ऊपर से रख दिया उसने मेरे लौड़े पर हाथ
भाभी तुम क्या जानो अब तक तुमने कितनामुझे सताया
तेरी याद में हिला-2 के ना जाने मैंने कितना वीर्य बहाया
ऐसे देवर तुम हिला हिला के क्यों बरबाद कर रहे जवानी अपनी भाभी के छेदो में डाल दो तुम अपने लंड का पानी

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सोफ़े से उठ केआ गई ज्योति भाभी और बैठी मेरी गोद में
मेरे प्यासे देवर तुम आज अपनी ज्योति भाभी को चोद ले

हाथ डाल के नीचे मैं उसकी साड़ी को लगा ऊपर सरकाने
चूत रस से गिल्ली पैंटी के ऊपर से लगा उसकी चूत दबाने

IMG-0528 IMG-0525 IMG-0587
पकड़ के मेरा चेहरा वो अपने चूचो में लगी घुसाने
निकल कर मेरा लौड़ा अपने हाथों से लगी हिलाने

रख के उसकी गांड पर हाथ कर खींचाऔर करीब
ज्योति भाभी तुम पाकर मेरे खुल गये आज नसीब

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सोचा नहीं कभी मैनेसपनों में ऐसा भी दिन आएगा
मेरे मोटा लौड़ा जब तुम्हारी प्यासी चूत में जाएगा

प्यासी औरत उसे ही सौंपती है अपना तनऔर मन
जो मर्द उसे ठंडा करे देके अपना तगड़ा मोटा लन

IMG-0588 IMG-0544 IMG-0465
औरत को वो सुख मिले नहींबिस्तर पे जो वो मांगे
तब गैर मर्द के आगे फिर वो खोल दे अपनी टांगे

औरत बिस्तर पे उस मर्द को दिखाये अपनी अदाएं
पूरी रात रगड़ रगड़ जो उसको चरम सुख पहुंचाए

एक एक अंग जो प्यार से वोह चूसे और सहलाए
उछल-2 के लौड़े पे औरत फिर पूरी रात ठुकवाये

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देवर जी अब बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी कोई भी देरी
जल्दी से बिस्तर पर ले जाओऔर चूत फाड़ दो मेरी

खींच कर मेरी चड्ढी नीचे भाभी आ गई टैंगो के बीच
निकल के मेरे लन को टोपा सुर्ख होठों में लिया भींच

पकड़ के उसका चेहरा हाथो मैं भी लौड़ा लगा घुसाने
खोल के उसकी चोली मैं उसके मोट्टे चूचे लगा दबाने

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मिलन के ये पल और ये चित्र

अब इससे ज्यादा और क्या कोई कहे

ज्योति को जो सुख मिला और इन दो लाइनों में ही आपने नारी जीवन का सुख दुःख लिख दिया


औरत को वो सुख मिले नहींबिस्तर पे जो वो मांगे

तब गैर मर्द के आगे फिर वो खोल दे अपनी टांगे
 

komaalrani

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Part 4
इतना बड़ा लौड़ा है तुम्हारा कभी मुझे बताया होता
मैं तुमसे कब की चुद जाती जो पहले दिखाया होता

भाभी अभी भी कहां कुछ बिगडा घोंट लो इसको सारा
तुम्हारी गर्म चूत की राह देख रहा था कब से ये बेचारा

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चूस कर उसके सुर्ख होठों का मैं शहद पी गया सारा
फ़िर हाथ डाल के नीचे उसका खोल दिया था नाडा

भीग गई थी पैंटी पूरी उसकी अपनी चूत के पानी से
देख के मोटा लौड़ा अक्सर ऐसा होता है जवानी में

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पकड़ के अपनी जान को अपनी बाहों में मैंने उठाया
ले जाकर उसके कमरे में मैंने बिस्तर पर उसे लिटाया

इस कमरे के बिस्तर पर था अब तक मुरली का राज
उस बिस्तर पर ज्योति मुझसे से चुदने वाली थी आज

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पकड़ उसके पैरों को फिर जांघों को धीरे से फेलाया कामरस से महक रही चूत को अपने होठों से लगाया

कामरस से भीगी फांको पे लगा मैं अपनी जीभ चलाने खोल के उसकी चूत की फांके अंदर लगा जीभ घुसाने

पकड़ के मेरे सिर को ज्योति अपनी चूत पर लगी दबाने मस्ती से काट के होठों को वो अपनी गर्दन लागी हिलाने

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हरदिन मुझको बहुत सताती है राहुल ये मेरी चूत निगोड़ी
आज इसे तुम कर दो ढीला तुम चोदो मुझे बना के घोड़ी

आज से मेरे हर छेद पर देवर जी तुमको है पूरा अधिकार जब चाहोगे अपनी कुंवारी गांड भी मैं तुमको दूंगी उपहार

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देवर जी अब आ जाओ अन्दर और न मुझे सताओ
अपने मोटे लौड़े को अब मेरी चूत की राह दिखाओ

इतने बरसों से अब तक मेरी यह चूत पड़ी है प्यासी
इसकी प्यास बुझा दो मैं तुम्हारी बन के रहुगी दासी

तुम रहोगी मेरे दिल की रानी तुम नहीं बनोगी दासी
आज से मेरा वादा है भाभी तुम नहीं रहोगी प्यासी

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पहले आओ मेरे पास में भाभी और मेरे लौड़े से खेलो
खोल के अपने होंठ गुलाबी मेरा लन तो मुँह में लेलो

लेट गई फ़िर बिस्तर पे भाभी मेरी छाती पे रख के पैर
इस लौड़े कोदेख लग रहा आज नहीं मेरी चूत की खैर

बहुत बड़ा है लौड़ा देवर जी जरा धीरे से इसे घुसाना
और चूस चूस के अपने होठों से चुची भी खूब दबाना

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खोल की ज्योति की जांघों मैं टांगो के बीच में आया चाशनी में डूबी चूत पे मैंने फ़िर अपना लौड़ा भिड़ाया

होठों में फ़िर होंठ दबा के मैंने लौड़े को हल्के से पेला
दर्द से चीख उठी फिर ज्योति पीछे और मुझे ढकेला

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जकड़ लिया ज्योति भाभी को अपनी टांगो के बीच
एक करारा शॉट लगया बाहर लौड़ा थोड़ा सा खींच

गूँज उठी थी मेरे उसधक्के से ज्योति भाभी की चीख
राहुल अपना लन बाहर निकालो मैं मांगू तुमसे भीख

भाभी जी थोड़ा सब्र करो मेरा तो अभी घुसा है आधा
धीरे से घुसा चोदूंगाअब मैं तुमको दर्द ना दूंगा ज्यादा

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आधा अंदर लेने में ही देवर जी मेरे तो छूट गए पसीने
तुम पूरा देकर ही मानोगे जानती हूँ तुम हो बड़े कमीने

जब पूरा लन ना लोगी अंदर तो मजा कहां से पायोगी
अब बारखुल गया रास्ता फिर उछल उछल मारवयोगी

बेड पे चुदते हुए औरत चाहे जितना चीखे या चिल्लाये असली मर्द वही जो अपना लौड़ा जड़ तक पूरा घुसाये

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तगडे मर्द का लौड़ा भाभी जब पूरा अंदर तक जाता है
इस खेल का मजा फिर भाभी तभी औरत को आता है

दस मिनट चुदनेके बाद ज्योति को लगा मजा अब आने
बिस्तर पर तब उछल उछाल फिर वो लगी चुत मरवाने

योवन के इस मजे से राहुल मैं तो अब तक रही अछूति
असली मर्द से चुदने में क्या सुख है आज हुई अनुभूति

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पिछले भाग में अगर नारी जीवन की कामना, एक नारी की चाह थी तो इस भाग में पुरुष का कर्तव्य, एक ऐसा मर्द जो नारी का दर्द जानता है


बेड पे चुदते हुए औरत चाहे जितना चीखे या चिल्लाये

असली मर्द वही जो अपना लौड़ा जड़ तक पूरा घुसाये


तगडे मर्द का लौड़ा भाभी जब पूरा अंदर तक जाता है

इस खेल का मजा फिर भाभी तभी औरत को आता है

इस भाग में फेसियल एक्सप्रेशन वाले चित्र बहुत ही अद्भुत हैं इन पांच भागों में आप ने वो बात कह दी जो ५०० पेज में लिखने वाले नहीं कह पाते

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Random2022

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अगले दिन जब पत्नी अपने पति को देखती है तो उसकी निराशा पर कुछ पंक्तियाँ….

सुबह-सुबह जब आया मुरली रह गया देख के दंग
बिस्तर की हालत ऐसी जैसे कोई लडी गई हो जंग

आया जब कमरे में तो दरवाजे पर रुक गया थोड़ा
मेरी जान मेरी टांगो में बैठी मेरा चूस रही थी लौड़ा

आयो मेरे नामर्द पति जरा यहाँ पर आयो मेरे पास
सीखो दोस्त से की औरत की कैसे बुझती है प्यास

अबतक जिसे छुपा रखा था मैंने पूरी दुनिया से चोरी
आज तुम्हारे दोस्त ने ही अच्छे से लूटी वही तिजोरी

देखो मेरी चूत पर आज राहुल की लग गई है मोहर
अबआज से इस कमरे में मेरा वो रहेगा बनकर शोहर

सुनो अब आज से इस कमरे में ना आएगा कोई और
बस तुम बाहर बैठ के सुनना मेरी सिस्कियो का शोर

हाथ लगा कर देखो मेरी चूत का कैसा कर दिया हाल
सिर्फ एक रात में हीतुम्हारे दोस्त ने मेरी बदल दी चाल

देखो मैंने तुम्हारे नाम का कमर पे जो टैटू था बनवाया
उसी के ऊपर कल राहुल ने अपना सारा वीर्य बहाया

कल मेरी चूत के जंगल में पूरी रात घूमा खूब यह शेर
तुम्हारी ये लुल्ली तो मेरी चूत को छूते ही जाती है ढेर

जीवन में हर औरत को होता अपने ऐसे पति पर घमंड
जो उसको चोदे हर रात को देके ऐसा लंबा मोटा लंड

लेकिन मुरली तुम्हारी तो लुल्ली ही है बस इंच ही चार
और औरत को चोदने के मामले वो भी बिलकुल बेकार

मुरली तुम जाओ बाहर और हिलाओ अपना छोटा लन
राहुल से इतना चुदवा के मेरा अभी भी भरा नहीं है मन
Arushi Ji ne sab emotion kavitayin se badhiya se express kiye hai
 

Random2022

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Part 2
हम दोनों ने तय कर लिया अगले शनिवार का दिन
हो गया पल पल मुश्किल रहना मेरा ज्योति के बिन
पूरी शिद्दत से लगा करने मैं फिर उस दिन की तयारी
ज्योति को बना घोड़ी करुंगा उसकी पूरी रात सवारी

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शनिवार शाम को जा पहुंचा जल्दी ही मुरली के घर
जहां इंतजार कर रही चुदने को मेरी जान ए दिलबर
दरवाज़े पर देख ज्योति भाभी को पहले मैं मुस्कुराया
फिर आगे बढ़कर मैंने ज्योति को अपनी गले लगाया
उसकी आँखों की चमक भी लगे आज बहुत ही प्यारी
मेरी मेहबूबा ने शायद कर रखी थी आज पूरी तैयारी

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ज्योति भाभी आज तो आप लग रही हो पूरी कयामत
ना जाने अब किस गरीब आज आने वाली है शामत
सुन मेरी नटखट बातें ज्योति भाभी भी थोड़ी मुस्काई
यही खड़े खड़े क्या देवर जी अब करोगे मेरी खिंचाई

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कमरे में अंदर आके बैठ गई मेरी जान फिर मेरे साथ
व्हिस्की पीते-पीते रख दिया उसने मेरे हाथों पर हाथ
मैंने भी ज्योति की जांघ को हथेली से फिर सहलाया
अपने बाजू की कोहनी से मैंने उसकी चूची को दबाया

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सिसक पड़ी थी हल्के से ज्योति और बंद हो गई आंखें
जानबूझ के अंजान बना मुरली अब हम दोनो को झाँके


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लौड़ा लगा तड़पने बाहर आने को फाड़ के मेरी चड्ढी
लेकिन मुरली वहा बना बैठा था जैसे कबाब में हड्डी
मुरली भी अब समझ चुका था कि शुरू हो गया खेल
कहीं मैं उसी के सामने ही उसकी बीवी को ना दूं पेल

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वहां से खिसक जाने में ही अब लग रही उसे भलाई
फ़िर मैं और उसकी बीवी कर सके पलंग तोड़ चुदाई
मुरली के बाहर निकलते ही मैं पाहुंचा ज्योति के पास
रख उसके होठों पे होठों लगा भुजाने जन्मों की प्यास

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देख मेरी बेकरारी बोली ज्योति सुनो ओ देवर प्यारे
अब तो तुम भी कर लो शादी कब तक रहो कुंवारे
भाभी अपने मायके से तुम कोई अपनी जैसी ला दो
अपने बेचारे देवर की उससे जल्दी शादी करवा दो
किस्मत मेरी बन जायेगी भाभी अगर तुम दे दो साथ
भाभी समझो अब तो रोज़ रोज़ मेरे थक जाते हैं हाथ

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पहली तो सुन ये बात मेरी भाभी थोड़ा सा चकरायी
और जब बात आई समझ तो फिर हल्के से मुस्काई
मेरे रहते देवर जी अपने हाथों से क्यों करते हो काम
ये आपकी भाभी आपके फिर किस दिन आएगा काम
कह तो देता कब से भाभी लेकिन डर के रह जाता था आपको कुछ भी कहने से पहले मेरा दिल घबराता था

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हाथ थामके बोली भाभी कब तक तुम ऐसे घबराओगे
जब तक कदम न उठाओ पहला तो आगे कैसे जाओगे
खींच के फिर मैंने ज्योति को सटा लिया फिर खुद से
पहले कह देता तो क्या अब तक चुद जाती तुम मुझसे
ऐसा कुछ नहीं मुमकिन मैं हूं आपके दोस्त की ब्याहता
हम दोनों के बीच नहीं बन पायेगा ऐसा कुछ भी नाता

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तुम दोनों के बीच मैं क्या है और तुम कितनी हो प्यासी
भाभी अब देखी नहीं जाती तुम्हारे चेहरे चेहरे की उदासी
एक बार तुम चुद गई मुझसे रहेगा तुम्हें कोई गिला नहीं
ऐसा सुख दूंगा बिस्तर पे जो अब तक तुमको मिला नहीं
लेकिन तुम सब मर्दो की देवर जी होती है एक ही जात
सुबह तक सब कुछ भूल जाओगे जब बीत जाएगी रात

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मैं और सब के जैसा नहीं हूं भाभी तुम करो मेरा विश्वास
जब तक तुम चाहोगी ज्योति तुम्हारी भुजाता रहूँगा प्यास
खींच लिया ज्योति को मैंने अपनी बाहों की आगोश में
लगा चूमने उसके नरम होंठ गुलाबी फ़िर मैं पूरे जोश में
आँखों में आँखें डाल के उसकी मूंह में लगा जीभ घुमाने
चोली मैं डाल के हाथ हल्के से उसकी चूची लगा दबाने

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Hot hot
 

komaalrani

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फागुन के दिन चार
Holi-Palash-2-20230306-083847.jpg


फागुन अभी लगा नहीं , लेकिन दस्तक दे रहा है , और मुझे लगा यही सही समय है फागुन के दिन चार को पोस्ट करने का।

लिंक भी दे रही हूँ और थोड़ा इस कहानी के बारे में
----
" फागुन के दिन चार " मेरी लम्बी कहानी बल्कि यूँ कहें की उपन्यास है। इसका काल क्रम २१ वी शताब्दी के शुरू के दशक हैं, दूसरे दशक की शुरुआत लेकिन फ्लैश बैक में यह कहानी २१ वीं सदी के पहले के दशक में भी जाती है.

कहानी की लोकेशन, बनारस और पूर्वी उत्तरप्रदेश से जुडी है, बड़ोदा ( वड़ोदरा ) और बॉम्बे ( मुंबई ) तक फैली है और कुछ हिस्सों में देश के बाहर भी आस पास चली आती है। मेरा मानना है की कहानी और उसके पात्र किसी शून्य में नहीं होने चाहिए, वह जहां रहते हैं, जिस काल क्रम में रहते हैं, उनकी जो अपनी आयु होती है वो उनके नजरिये को , बोलने को प्रभावित करती है और वो बात एक भले ही हम सेक्सुअल फैंटेसी ही लिख रहे हों उसका ध्यान रखने की कम से कम कोशिश करनी चाहिए।

लेकिन इसके साथ ही कहानी को कुछ सार्वभौम सत्य, समस्याओं से भी दो चार होना पड़ता है और होना चाहिए।

जैसा की नाम से ही स्पष्ट है कहानी फागुन में शुरू होती है और फागुन हो, बनारस हो फगुनाहट भी होगी, होली बिफोर होली भी होगी।

लेकिन होली के साथ एक रक्तरंजित होली की आशंका भी क्षितिज पर है और यह कहानी उन दोनों के बीच चलती है इसलिए इसमें इरोटिका भी है और थ्रिलर भी जीवन की जीवंतता भी और जीवन के साथ जुडी मृत्यु की आशंका भी। इरोटिका का मतलब मेरे लिए सिर्फ देह का संबंध ही नहीं है , वह तो परिणति है। नैनों की भाषा, छेड़छाड़, मनुहार, सजनी का साजन पर अधिकार, सब कुछ उसी ' इरोटिका ' या श्रृंगार रस का अंग है। इसलिए मैं यह कहानी इरोटिका श्रेणी में मैं रख रही हूँ .

और इस कहानी में लोकगीत भी हैं, फ़िल्मी गाने भी हैं, कवितायें भी है

पर जीवन के उस राग रंग रस को बचाये रखने के लिए लड़ाई भी लड़नी होती है जो अक्सर हमें पता नहीं होती और उस लड़ाई का थ्रिलर के रूप में अंश भी है इस कहानी में।


तो यह थ्रेड इन्तजार कर रहा है आपके साथ का, प्यार का दुलार का आशीष का दुआओं का

कुछ नजारा मिल जाए इसलिए इस थ्रेड के शुरू करने के साथ मैंने आने वालो भागों की कुछ झलकियां भी शेयर की है

और इस भाग में तीन प्रंसग है
, बनारस की शाम, सुबहे बनारस और बड़े अरमानों से रखा है बलम तेरी कसम,

तो पधारे इस थ्रेड पर आशीष दें, और इन झलकियों पर भी अपना मंतव्य रखे

प्रतीक्षारत

🙏🙏🙏🙏
 
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