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जोरू का गुलाम भाग २३८ पृष्ठ १४५०
वार -१ शेयर मार्केट में मारकाट
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Sure komal jiYour nod gives me a final push, if a writer like you wants it, let it be, ... but may i request your presence on that thread too.
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I will start today Itself in the erotica group and share link here thanks so muchSure komal ji
अगले दिन जब पत्नी अपने पति को देखती है तो उसकी निराशा पर कुछ पंक्तियाँ….पृष्ठ ११८० पर आरुषि जी की उकृष्ट चित्रमयी काव्य कथा पति -पत्नी और मिंत्र
इसके बारे में कुछ भी कहना सूर्य को दीपक दिखाना होगा , पहली चार लाइनों से ही आने वाली स्थिति का अंदाज लग जाता है
मेरा एक परम मित्र है जो ऑफिस में है मेरा सहकर्मी
आजकल अपनी बीवी की नहीं बुझा पता है वो गर्मी
पिछले कुछ महीनों से उनमें हो रही थी खूब लड़ायी
ज्योति की योनि छूते ही मुरली बहा देता था मलाई
बस पृष्ठ ११८० पर जाएँ पढ़ें और पढ़ कर कैसा लगा जरूर बताएं।
आपकी इस रचना की, विशेष रूप से इस भाग की जितनी तारीफ़ की जाए कम है,Part 2
हम दोनों ने तय कर लिया अगले शनिवार का दिन
हो गया पल पल मुश्किल रहना मेरा ज्योति के बिन
पूरी शिद्दत से लगा करने मैं फिर उस दिन की तयारी
ज्योति को बना घोड़ी करुंगा उसकी पूरी रात सवारी
शनिवार शाम को जा पहुंचा जल्दी ही मुरली के घर
जहां इंतजार कर रही चुदने को मेरी जान ए दिलबर
दरवाज़े पर देख ज्योति भाभी को पहले मैं मुस्कुराया
फिर आगे बढ़कर मैंने ज्योति को अपनी गले लगाया
उसकी आँखों की चमक भी लगे आज बहुत ही प्यारी
मेरी मेहबूबा ने शायद कर रखी थी आज पूरी तैयारी
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ज्योति भाभी आज तो आप लग रही हो पूरी कयामत
ना जाने अब किस गरीब आज आने वाली है शामत
सुन मेरी नटखट बातें ज्योति भाभी भी थोड़ी मुस्काई
यही खड़े खड़े क्या देवर जी अब करोगे मेरी खिंचाई
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कमरे में अंदर आके बैठ गई मेरी जान फिर मेरे साथ
व्हिस्की पीते-पीते रख दिया उसने मेरे हाथों पर हाथ
मैंने भी ज्योति की जांघ को हथेली से फिर सहलाया
अपने बाजू की कोहनी से मैंने उसकी चूची को दबाया
सिसक पड़ी थी हल्के से ज्योति और बंद हो गई आंखें
जानबूझ के अंजान बना मुरली अब हम दोनो को झाँके
लौड़ा लगा तड़पने बाहर आने को फाड़ के मेरी चड्ढी
लेकिन मुरली वहा बना बैठा था जैसे कबाब में हड्डी
मुरली भी अब समझ चुका था कि शुरू हो गया खेल
कहीं मैं उसी के सामने ही उसकी बीवी को ना दूं पेल
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वहां से खिसक जाने में ही अब लग रही उसे भलाई
फ़िर मैं और उसकी बीवी कर सके पलंग तोड़ चुदाई
मुरली के बाहर निकलते ही मैं पाहुंचा ज्योति के पास
रख उसके होठों पे होठों लगा भुजाने जन्मों की प्यास
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देख मेरी बेकरारी बोली ज्योति सुनो ओ देवर प्यारे
अब तो तुम भी कर लो शादी कब तक रहो कुंवारे
भाभी अपने मायके से तुम कोई अपनी जैसी ला दो
अपने बेचारे देवर की उससे जल्दी शादी करवा दो
किस्मत मेरी बन जायेगी भाभी अगर तुम दे दो साथ
भाभी समझो अब तो रोज़ रोज़ मेरे थक जाते हैं हाथ
![]()
पहली तो सुन ये बात मेरी भाभी थोड़ा सा चकरायी
और जब बात आई समझ तो फिर हल्के से मुस्काई
मेरे रहते देवर जी अपने हाथों से क्यों करते हो काम
ये आपकी भाभी आपके फिर किस दिन आएगा काम
कह तो देता कब से भाभी लेकिन डर के रह जाता था आपको कुछ भी कहने से पहले मेरा दिल घबराता था
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हाथ थामके बोली भाभी कब तक तुम ऐसे घबराओगे
जब तक कदम न उठाओ पहला तो आगे कैसे जाओगे
खींच के फिर मैंने ज्योति को सटा लिया फिर खुद से
पहले कह देता तो क्या अब तक चुद जाती तुम मुझसे
ऐसा कुछ नहीं मुमकिन मैं हूं आपके दोस्त की ब्याहता
हम दोनों के बीच नहीं बन पायेगा ऐसा कुछ भी नाता
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तुम दोनों के बीच मैं क्या है और तुम कितनी हो प्यासी
भाभी अब देखी नहीं जाती तुम्हारे चेहरे चेहरे की उदासी
एक बार तुम चुद गई मुझसे रहेगा तुम्हें कोई गिला नहीं
ऐसा सुख दूंगा बिस्तर पे जो अब तक तुमको मिला नहीं
लेकिन तुम सब मर्दो की देवर जी होती है एक ही जात
सुबह तक सब कुछ भूल जाओगे जब बीत जाएगी रात
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मैं और सब के जैसा नहीं हूं भाभी तुम करो मेरा विश्वास
जब तक तुम चाहोगी ज्योति तुम्हारी भुजाता रहूँगा प्यास
खींच लिया ज्योति को मैंने अपनी बाहों की आगोश में
लगा चूमने उसके नरम होंठ गुलाबी फ़िर मैं पूरे जोश में
आँखों में आँखें डाल के उसकी मूंह में लगा जीभ घुमाने
चोली मैं डाल के हाथ हल्के से उसकी चूची लगा दबाने
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मिलन के ये पल और ये चित्रPart 3
ज्योति भी अब गरम हो गई देने लगी थी अब पूरा साथ
मेरी पेंट के ऊपर से रख दिया उसने मेरे लौड़े पर हाथ
भाभी तुम क्या जानो अब तक तुमने कितनामुझे सताया
तेरी याद में हिला-2 के ना जाने मैंने कितना वीर्य बहाया
ऐसे देवर तुम हिला हिला के क्यों बरबाद कर रहे जवानी अपनी भाभी के छेदो में डाल दो तुम अपने लंड का पानी
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सोफ़े से उठ केआ गई ज्योति भाभी और बैठी मेरी गोद में
मेरे प्यासे देवर तुम आज अपनी ज्योति भाभी को चोद ले
हाथ डाल के नीचे मैं उसकी साड़ी को लगा ऊपर सरकाने
चूत रस से गिल्ली पैंटी के ऊपर से लगा उसकी चूत दबाने
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पकड़ के मेरा चेहरा वो अपने चूचो में लगी घुसाने
निकल कर मेरा लौड़ा अपने हाथों से लगी हिलाने
रख के उसकी गांड पर हाथ कर खींचाऔर करीब
ज्योति भाभी तुम पाकर मेरे खुल गये आज नसीब
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सोचा नहीं कभी मैनेसपनों में ऐसा भी दिन आएगा
मेरे मोटा लौड़ा जब तुम्हारी प्यासी चूत में जाएगा
प्यासी औरत उसे ही सौंपती है अपना तनऔर मन
जो मर्द उसे ठंडा करे देके अपना तगड़ा मोटा लन
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औरत को वो सुख मिले नहींबिस्तर पे जो वो मांगे
तब गैर मर्द के आगे फिर वो खोल दे अपनी टांगे
औरत बिस्तर पे उस मर्द को दिखाये अपनी अदाएं
पूरी रात रगड़ रगड़ जो उसको चरम सुख पहुंचाए
एक एक अंग जो प्यार से वोह चूसे और सहलाए
उछल-2 के लौड़े पे औरत फिर पूरी रात ठुकवाये
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देवर जी अब बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी कोई भी देरी
जल्दी से बिस्तर पर ले जाओऔर चूत फाड़ दो मेरी
खींच कर मेरी चड्ढी नीचे भाभी आ गई टैंगो के बीच
निकल के मेरे लन को टोपा सुर्ख होठों में लिया भींच
पकड़ के उसका चेहरा हाथो मैं भी लौड़ा लगा घुसाने
खोल के उसकी चोली मैं उसके मोट्टे चूचे लगा दबाने
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पिछले भाग में अगर नारी जीवन की कामना, एक नारी की चाह थी तो इस भाग में पुरुष का कर्तव्य, एक ऐसा मर्द जो नारी का दर्द जानता हैPart 4
इतना बड़ा लौड़ा है तुम्हारा कभी मुझे बताया होता
मैं तुमसे कब की चुद जाती जो पहले दिखाया होता
भाभी अभी भी कहां कुछ बिगडा घोंट लो इसको सारा
तुम्हारी गर्म चूत की राह देख रहा था कब से ये बेचारा
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चूस कर उसके सुर्ख होठों का मैं शहद पी गया सारा
फ़िर हाथ डाल के नीचे उसका खोल दिया था नाडा
भीग गई थी पैंटी पूरी उसकी अपनी चूत के पानी से
देख के मोटा लौड़ा अक्सर ऐसा होता है जवानी में
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पकड़ के अपनी जान को अपनी बाहों में मैंने उठाया
ले जाकर उसके कमरे में मैंने बिस्तर पर उसे लिटाया
इस कमरे के बिस्तर पर था अब तक मुरली का राज
उस बिस्तर पर ज्योति मुझसे से चुदने वाली थी आज
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पकड़ उसके पैरों को फिर जांघों को धीरे से फेलाया कामरस से महक रही चूत को अपने होठों से लगाया
कामरस से भीगी फांको पे लगा मैं अपनी जीभ चलाने खोल के उसकी चूत की फांके अंदर लगा जीभ घुसाने
पकड़ के मेरे सिर को ज्योति अपनी चूत पर लगी दबाने मस्ती से काट के होठों को वो अपनी गर्दन लागी हिलाने
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हरदिन मुझको बहुत सताती है राहुल ये मेरी चूत निगोड़ी
आज इसे तुम कर दो ढीला तुम चोदो मुझे बना के घोड़ी
आज से मेरे हर छेद पर देवर जी तुमको है पूरा अधिकार जब चाहोगे अपनी कुंवारी गांड भी मैं तुमको दूंगी उपहार
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देवर जी अब आ जाओ अन्दर और न मुझे सताओ
अपने मोटे लौड़े को अब मेरी चूत की राह दिखाओ
इतने बरसों से अब तक मेरी यह चूत पड़ी है प्यासी
इसकी प्यास बुझा दो मैं तुम्हारी बन के रहुगी दासी
तुम रहोगी मेरे दिल की रानी तुम नहीं बनोगी दासी
आज से मेरा वादा है भाभी तुम नहीं रहोगी प्यासी
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पहले आओ मेरे पास में भाभी और मेरे लौड़े से खेलो
खोल के अपने होंठ गुलाबी मेरा लन तो मुँह में लेलो
लेट गई फ़िर बिस्तर पे भाभी मेरी छाती पे रख के पैर
इस लौड़े कोदेख लग रहा आज नहीं मेरी चूत की खैर
बहुत बड़ा है लौड़ा देवर जी जरा धीरे से इसे घुसाना
और चूस चूस के अपने होठों से चुची भी खूब दबाना
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खोल की ज्योति की जांघों मैं टांगो के बीच में आया चाशनी में डूबी चूत पे मैंने फ़िर अपना लौड़ा भिड़ाया
होठों में फ़िर होंठ दबा के मैंने लौड़े को हल्के से पेला
दर्द से चीख उठी फिर ज्योति पीछे और मुझे ढकेला
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जकड़ लिया ज्योति भाभी को अपनी टांगो के बीच
एक करारा शॉट लगया बाहर लौड़ा थोड़ा सा खींच
गूँज उठी थी मेरे उसधक्के से ज्योति भाभी की चीख
राहुल अपना लन बाहर निकालो मैं मांगू तुमसे भीख
भाभी जी थोड़ा सब्र करो मेरा तो अभी घुसा है आधा
धीरे से घुसा चोदूंगाअब मैं तुमको दर्द ना दूंगा ज्यादा
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आधा अंदर लेने में ही देवर जी मेरे तो छूट गए पसीने
तुम पूरा देकर ही मानोगे जानती हूँ तुम हो बड़े कमीने
जब पूरा लन ना लोगी अंदर तो मजा कहां से पायोगी
अब बारखुल गया रास्ता फिर उछल उछल मारवयोगी
बेड पे चुदते हुए औरत चाहे जितना चीखे या चिल्लाये असली मर्द वही जो अपना लौड़ा जड़ तक पूरा घुसाये
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तगडे मर्द का लौड़ा भाभी जब पूरा अंदर तक जाता है
इस खेल का मजा फिर भाभी तभी औरत को आता है
दस मिनट चुदनेके बाद ज्योति को लगा मजा अब आने
बिस्तर पर तब उछल उछाल फिर वो लगी चुत मरवाने
योवन के इस मजे से राहुल मैं तो अब तक रही अछूति
असली मर्द से चुदने में क्या सुख है आज हुई अनुभूति
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Arushi Ji ne sab emotion kavitayin se badhiya se express kiye haiअगले दिन जब पत्नी अपने पति को देखती है तो उसकी निराशा पर कुछ पंक्तियाँ….
सुबह-सुबह जब आया मुरली रह गया देख के दंग
बिस्तर की हालत ऐसी जैसे कोई लडी गई हो जंग
आया जब कमरे में तो दरवाजे पर रुक गया थोड़ा
मेरी जान मेरी टांगो में बैठी मेरा चूस रही थी लौड़ा
आयो मेरे नामर्द पति जरा यहाँ पर आयो मेरे पास
सीखो दोस्त से की औरत की कैसे बुझती है प्यास
अबतक जिसे छुपा रखा था मैंने पूरी दुनिया से चोरी
आज तुम्हारे दोस्त ने ही अच्छे से लूटी वही तिजोरी
देखो मेरी चूत पर आज राहुल की लग गई है मोहर
अबआज से इस कमरे में मेरा वो रहेगा बनकर शोहर
सुनो अब आज से इस कमरे में ना आएगा कोई और
बस तुम बाहर बैठ के सुनना मेरी सिस्कियो का शोर
हाथ लगा कर देखो मेरी चूत का कैसा कर दिया हाल
सिर्फ एक रात में हीतुम्हारे दोस्त ने मेरी बदल दी चाल
देखो मैंने तुम्हारे नाम का कमर पे जो टैटू था बनवाया
उसी के ऊपर कल राहुल ने अपना सारा वीर्य बहाया
कल मेरी चूत के जंगल में पूरी रात घूमा खूब यह शेर
तुम्हारी ये लुल्ली तो मेरी चूत को छूते ही जाती है ढेर
जीवन में हर औरत को होता अपने ऐसे पति पर घमंड
जो उसको चोदे हर रात को देके ऐसा लंबा मोटा लंड
लेकिन मुरली तुम्हारी तो लुल्ली ही है बस इंच ही चार
और औरत को चोदने के मामले वो भी बिलकुल बेकार
मुरली तुम जाओ बाहर और हिलाओ अपना छोटा लन
राहुल से इतना चुदवा के मेरा अभी भी भरा नहीं है मन
Hot hotPart 2
हम दोनों ने तय कर लिया अगले शनिवार का दिन
हो गया पल पल मुश्किल रहना मेरा ज्योति के बिन
पूरी शिद्दत से लगा करने मैं फिर उस दिन की तयारी
ज्योति को बना घोड़ी करुंगा उसकी पूरी रात सवारी
शनिवार शाम को जा पहुंचा जल्दी ही मुरली के घर
जहां इंतजार कर रही चुदने को मेरी जान ए दिलबर
दरवाज़े पर देख ज्योति भाभी को पहले मैं मुस्कुराया
फिर आगे बढ़कर मैंने ज्योति को अपनी गले लगाया
उसकी आँखों की चमक भी लगे आज बहुत ही प्यारी
मेरी मेहबूबा ने शायद कर रखी थी आज पूरी तैयारी
![]()
ज्योति भाभी आज तो आप लग रही हो पूरी कयामत
ना जाने अब किस गरीब आज आने वाली है शामत
सुन मेरी नटखट बातें ज्योति भाभी भी थोड़ी मुस्काई
यही खड़े खड़े क्या देवर जी अब करोगे मेरी खिंचाई
![]()
कमरे में अंदर आके बैठ गई मेरी जान फिर मेरे साथ
व्हिस्की पीते-पीते रख दिया उसने मेरे हाथों पर हाथ
मैंने भी ज्योति की जांघ को हथेली से फिर सहलाया
अपने बाजू की कोहनी से मैंने उसकी चूची को दबाया
सिसक पड़ी थी हल्के से ज्योति और बंद हो गई आंखें
जानबूझ के अंजान बना मुरली अब हम दोनो को झाँके
लौड़ा लगा तड़पने बाहर आने को फाड़ के मेरी चड्ढी
लेकिन मुरली वहा बना बैठा था जैसे कबाब में हड्डी
मुरली भी अब समझ चुका था कि शुरू हो गया खेल
कहीं मैं उसी के सामने ही उसकी बीवी को ना दूं पेल
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वहां से खिसक जाने में ही अब लग रही उसे भलाई
फ़िर मैं और उसकी बीवी कर सके पलंग तोड़ चुदाई
मुरली के बाहर निकलते ही मैं पाहुंचा ज्योति के पास
रख उसके होठों पे होठों लगा भुजाने जन्मों की प्यास
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देख मेरी बेकरारी बोली ज्योति सुनो ओ देवर प्यारे
अब तो तुम भी कर लो शादी कब तक रहो कुंवारे
भाभी अपने मायके से तुम कोई अपनी जैसी ला दो
अपने बेचारे देवर की उससे जल्दी शादी करवा दो
किस्मत मेरी बन जायेगी भाभी अगर तुम दे दो साथ
भाभी समझो अब तो रोज़ रोज़ मेरे थक जाते हैं हाथ
![]()
पहली तो सुन ये बात मेरी भाभी थोड़ा सा चकरायी
और जब बात आई समझ तो फिर हल्के से मुस्काई
मेरे रहते देवर जी अपने हाथों से क्यों करते हो काम
ये आपकी भाभी आपके फिर किस दिन आएगा काम
कह तो देता कब से भाभी लेकिन डर के रह जाता था आपको कुछ भी कहने से पहले मेरा दिल घबराता था
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हाथ थामके बोली भाभी कब तक तुम ऐसे घबराओगे
जब तक कदम न उठाओ पहला तो आगे कैसे जाओगे
खींच के फिर मैंने ज्योति को सटा लिया फिर खुद से
पहले कह देता तो क्या अब तक चुद जाती तुम मुझसे
ऐसा कुछ नहीं मुमकिन मैं हूं आपके दोस्त की ब्याहता
हम दोनों के बीच नहीं बन पायेगा ऐसा कुछ भी नाता
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तुम दोनों के बीच मैं क्या है और तुम कितनी हो प्यासी
भाभी अब देखी नहीं जाती तुम्हारे चेहरे चेहरे की उदासी
एक बार तुम चुद गई मुझसे रहेगा तुम्हें कोई गिला नहीं
ऐसा सुख दूंगा बिस्तर पे जो अब तक तुमको मिला नहीं
लेकिन तुम सब मर्दो की देवर जी होती है एक ही जात
सुबह तक सब कुछ भूल जाओगे जब बीत जाएगी रात
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मैं और सब के जैसा नहीं हूं भाभी तुम करो मेरा विश्वास
जब तक तुम चाहोगी ज्योति तुम्हारी भुजाता रहूँगा प्यास
खींच लिया ज्योति को मैंने अपनी बाहों की आगोश में
लगा चूमने उसके नरम होंठ गुलाबी फ़िर मैं पूरे जोश में
आँखों में आँखें डाल के उसकी मूंह में लगा जीभ घुमाने
चोली मैं डाल के हाथ हल्के से उसकी चूची लगा दबाने
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