बहन तो बचपन से इशारे करती थी...मेरी आपकी राय सोलहों आने मेल खाती है।
एकदम सही कहा अपने
यही सब सोच के मैंने गुड्डी के पिछवाड़े रिजर्व का बोर्ड लगा रखा था और उसके आने के पहले ही तय कर लिया था, इसका फीता तो मेरे अपने कमल जीजू ही काटेंगे।
कई मेरे पाठक मित्रगण यह समझते हैं की मैंने अपने इनके साथ नाइंसाफी की, गुड्डी के पिछवाड़े कमल जीजू के नाम का बोर्ड लगा के,...
लेकिन ये भी सोचिये ये अगवाड़े के आशिक थे उनकी बहिनिया हाईस्कूल में आयी तभी से उसकी कच्ची अमिया के लिए लिबराते थे, तो वो दोनों उनको मिली।
और पिछवाड़ा भी,... वो भी कोरा, इनकी भाभी का मेरी जेठानी का इन्हे मिला। और अभी मोइत्रा उनकी दोनों बेटियां, इनकी बूआ जी, उनकी बिटिया और क्या पता मेरी सास का भी
लोग कहते हैं कोमल के यहाँ देर है अंधेर नहीं, एकदम सही है।
एक बार फिर से आपको धन्यवाद लगातार साथ देने के लिए और सटीक टिप्पणियों के लिए
लेकिन शायद जब जब जो जो होना है...